हमारी प्रकृति
पेड़ पौधे और ये पहाड़
बनाए ये सब सुखी संसार,
जब बहती हैं ये नदियाँ,
मैदानों में आ जाती है बहार
देखो, ये प्रकृति कितनी प्यारी
दिखती है सुंदर और कितनी न्यारी
ये धीरे-धीरे करके सूरज का निकलना,
कल-कल करके झरने का बहना,
ये छोटी-छोटी चिड़ियाओं का चहकना,
और बगीचे में फूलों का महकना,
देखो, ये प्रक्रति है कितनी प्यारी
दिखती है सुंदर और कितनी न्यारी
जब पानी को हम तरसते हैं
मेघ घूमड़-घूमड़ कर बरसते हैं,
हरे हो जाते हैं सब खेत खलिहान
खेतों को देखकर चहक उठता है किसान
देखो, ये प्रकृति है कितनी प्यारी
दिखती है सुंदर और कितनी न्यारी
सब पेड़ पौधे हमें छाँव देते हैं
तो क्यों मनुष्य उन्हें काट देते हैं
हो जाएगा सबका समूल विनाश
जो प्रकृति का किया हमने नाश
देखो, हमारी प्रकृति है कितनी प्यारी
दिखती है ये सुंदर और कितनी न्यारी
चलो आज हम इसके लिए कुछ कर जाएं
ज्यादा नहीं तो बस एक पेड़ लगाएं
अगर मानवता एक हो जाएगी
तो फिर प्रकृती भी हरी-भरी हो जाएगी
फिर कहेंगे हम सब....
देखो, हमारी प्रकृति है कितनी प्यारी
दिखती है ये सुंदर और कितनी न्यारी
-सनाक्षी भारती
1 Comments
बहुत सुंदर कविता
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