कहानी - जल पिशाच (भाग 13)
लेखिका - आस्था जैन "अन्तस्"
श्रेणी- हॉरर, सस्पेंस थ्रिलर, फंतासी
जल पिशाच , भाग-13
संवर ने उनके पास जाने की कोशिश की लेकिन थॉमस ने उसे रोक लिया और आगे नहीं बढ़ने दिया।
"रुक जाओ, आई से स्टॉप, कोई उसके पास मत जाना, बाहर निकलो सब फ़ास्ट, चलो ....." थॉमस संवर को बाहर धकेलते हुए चिल्लाया।
परी और नेहा डरकर कमरे के बाहर आ गईं और मदद के लिए चिल्लाने लगीं, संवर को धकेलते हुए थॉमस भी उसके साथ बाहर आ गया और दरवाजा बाहर से बंद कर दिया।
संवर अंदर जाने के लिए थॉमस से उलझने में लगा था, परी और नेहा उन्हें अलग करने में लगी थीं , किसी का ध्यान इस तरफ गया ही नहीं कि संयोगी अंदर ही रह गई थी।
परी और नेहा लगातार हेल्प के लिए आवाज़ लगा रहीं थीं लेकिन उनकी आवाज़ एकदम ग़ायब हो गई जब उन्होंने उस वाचमैन को अपनी तरफ आते हुए देखा , थॉमस और संवर की नज़र भी उस वॉचमैन पर गई जो कि नींद में चलता हुआ लग रहा था जबकि वो थोड़ी देर पहले उन्हें गेट के बाहर मरा हुआ पड़ा मिला था , उसके शरीर की हालत अब भी वैसी ही थी बल्कि उसके चलने की वजह से उसके अंग मांसपेशियों के सहारे बाहर लटक रहे थे जो कि उसे बहुत डरावना बना रहे थे और उसके।
वे चारों इस नए सदमे से उबर पाते उससे पहले ही उन्हें मेन गेट से अंदर आते हुए उस वॉचमैन के जैसे ही कई लोग या यूं कहें कि क्षत विक्षत लाशें दिखाई पड़ीं।
संयोगी अंदर से दरवाजा पीटते हुए संवर का नाम पुकार रही थी, थॉमस सदमे के मारे एक तरफ लुढ़का हुआ था इसलिए वो संवर को रोक नही सका और संवर ने दरवाजा खोल दिया।
संयोगी अंदर हटते हुए चिल्लाई " अंदर आओ सब जल्दी, जल्दी करो ... "
संवर ने देखा कि संयोगी कमरे में अकेली थी उसने तुरंत परी और नेहा को अंदर की तरफ़ खींचा और थॉमस का हाथ पकड़ कर उसे भी अंदर घसीटा और और दरवाजा अंदर से बंद कर लिया।
" खन्ना सर कहाँ गए संयोगी " संवर ने पूछा।
" वो बाहर गए हैं , उन्होंने मुझसे कहा कि तुम सबको अंदर बुला लूँ" संयोगी ने उसे बताया।
" बाहर ......, वो बाहर सेफ नहीं हैं , उन्हें अंदर लेकर आना होगा" संवर ने कहा।
" ज्यादा हीरो मत बनो लड़के, अगर तुम उसे लेने बाहर गए तो वो लाशें तुम्हे भी लाश बना देंगी समझे और वो आदमी पहले ही मर चुका है उसे अब नही बचा सकते तुम " थॉमस ने दरवाजे के सामने खड़े होकर संवर को फिर से रोकते हुए कहा।
वो लाशें दरवाजे तक आ चुकी थीं और उस पर अपना सिर पटक रही थीं, ऐसा लग रहा था कि किसी भी पल दरवाज़ा टूट कर गिर पड़ेगा।
सब डरकर पीछे हो गए और आख़िरकार उनका डर सच हो गया , दरवाजे के एक पल्ला दो टुकड़ों में टूट कर ज़मीन पर गिर पड़ा लेकिन इससे पहले कि वो लाशें अंदर आ पातीं उन्हें किसी काले पानी के घेरे ने कैद कर लिया जिसमे जकड़ते हुए वे दरवाजे के दूर होने लगे।
संवर और बाकी सबने कमरे के अंदर से ही बाहर का नजारा देखा और देखते ही रह गए।
खन्ना सर फार्महाउस के बाहर मैदान में खड़े थे और उनके चारों तरफ काले पानी का एक घेरा गोल गोल घूमते हुए सिकुड़ रहा था और उसमें कैद सभी लाशें खन्ना सर की ओर बढ़ती जा रही थीं , एक निश्चित दूरी तक आकर घेरा सिकुड़ना बन्द हो गया और सभी लाशें खन्ना सर के चारो तरफ घुटने टेक कर सिर झुका कर बैठ गईं।
खन्ना सर ने एक अजीब सी भाषा में उन सबसे कुछ कहा और वे सब जमीन पर अपना सिर पटकने लगे और तब तक पटकते रहे जब तक उनके सिरों के टुकड़े टुकड़े नहीं हो गए।
सबके सिरों के टुकड़े टुकड़े होने के बाद उन सबके शरीरों में कोई भी हरकत होना बंद हो गई। खन्ना जी ने उस काले पानी के घेरे को अपने अंदर ही समा लिया और वे धीरे धीरे संवर की ओर बढ़ने लगे।
उनकी आँखें अब भी काली थीं और शरीर अब भी गन्दा था। पर उन डरावनी आँखों मे भी वही स्नेह और फ़िक्र उन सबको दिख रहा था।
" आपको क्या हो गया है सर ......" संयोगी ने रोते हुए कहा।
" बताया तो था मैंने , ये बूढ़ा अब जल पिशाच बन चुका है और हम सबको इससे दूर रहना चाहिए" थॉमस ने कमरे के एक कोने में दुबकते हुए कहा।
" बूढ़ा हूँ पर तेरी तरह बेवकूफ नहीं हूँ " खन्ना सर थॉमस पर चिल्लाए , उनकी आवाज़ में भी एक डरावनापन आ गया था जो कि रीढ़ की हड्डी तक को चटकाने के लिए काफ़ी था।
थॉमस काफ़ी डर गया और कोने से निकलकर संवर के पीछे खड़ा था।
" देखो मुझे बचा लो प्लीज़ सेव मी, सिर्फ मैं ही हूँ जो तुम्हे सब सच बता सकता है , प्लीज़ सेव मी " थॉमस ने संवर की चापलूसी करते हुए कहा क्योंकि उसे ये अहसास हो गया था कि खन्ना उन बच्चों को कोई नुकसान नही पहुंचाएगा।
खन्ना ने संवर को एक तरफ हटने का इशारा किया और अपने हाथ के एक झटके से थॉमस को अपने कब्जे में ले लिया और उसकी तोंद दबाते हुए बोले - "ये जितना चर्बी है न इसमें सब निकाल कर हाथ मे रख दूँगा , चल बता फार्महाउस में तेरी तंत्र शाला कहाँ है, बता ..."
खन्ना सर की बात सुनकर सब दंग रह गए और थॉमस के चेहरे की हवाइयां उड़ने लगीं।
" क.. क्या बोल रहे हैं आप , मुझे बचाओ कोई देख क्या रहे हो सब " थॉमस बाकी सब की तरफ देखकर दयनीय स्वर में बोला।
" डी एस पी राहिल खन्ना नाम है मेरा, समझा, तुझसे अच्छे क्रिमिनल्स के मुँह से सच उगलवाया है मैने , चल बता कहाँ है तेरे तंत्र मंत्र का कमरा " कहते हुए खन्ना सर ने एक तमाचा थॉमस के गाल पर जड़ दिया। संवर को कंचा की याद आ गई कि किस तरह खन्ना सर ने उसे तमाचा मार कर सच बुलवाया था।
थॉमस गिड़गिड़ाने लगा और हाँ में जल्दी जल्दी सिर हिलाते हुए आगे आगे चलने लगा। खन्ना सर ने पीछे से उसकी कॉलर पकड़ ली और बाकी सब उनके पीछे चलने लगे।
नीचे का पूरा फ्लोर पार करके सब ऊपर की मंजिल पर जाने वाली सीढ़ियो तक पहुँच चुके थे लेकिन थॉमस उन सीढ़ियों पर नहीं चढ़ा बल्कि सीढ़ियों से सटी हुई एक दीवार के पास आकर रुक गया , उसने खौफ़ भरी नजरों से खन्ना जी को देखा और उस दीवार के निचले हिस्से पर झुक कर हाथों को घुमाने लगा , कई बार हाथ को गोल गोल दिशा में दीवार पे फिराने के बाद किसी इलेक्ट्रॉनिक शॉट जैसी चिंगारी निकली और पानी से भरा गुब्बारा फूटने की आवाज आई।
दीवार के बीचों बीच में एक आदमी के खड़े होने लायक जगह हो चुकी थी। थॉमस उसमें अंदर गया और डरते हुए खड़ा हो गया और हल्के से मुस्कुराया ही था कि खन्ना सर ने उसे एक औऱ चपत लगा दी "कोई बहुत बड़ा आविष्कार नही कर दिया तूने जो मुस्कुरा रहा है , तेरी इन्हीं करतूतों की वजह से पूरा शहर बर्बाद हो चुका है"
खन्ना सर की चपत ने असर दिखाया और थॉमस अपनी तोंद सम्भालते हुए उस दीवार के अंदर बनी जगह में अच्छे से फिट हो गया।
" तुम सब वन बाई वन मेरे बाद आना" थॉमस ने खन्ना सर से नजरें बचाते हुए कहा और धीरे धीरे खुद ब खुद दीवार के अंदर समा गया। जगह अब फिर से खाली थी। खन्ना सर उसके अंदर गए और फिर उनके बाद सभी एक एक करके अंदर गए। परी अंदर जाने में डर रही थी लेकिन नेहा और संयोगी ने उसे अकेला छोड़ना भी सही नही समझा और साथ आने के लिए मना लिया।
सभी उस दीवार में समाने के बाद उसकी दूसरी तरफ निकले और एक अजीब से बदबू भरे कमरे में आ गए थे जिसमें कई खाली पिंजरे थे ।
लेकिन जैसे ही उनकी नजर कमरे के दूसरी तरफ़ गई वे सब भौंचक्के रह गए, थॉमस हँसने लगा।
" अब सब मरोगे, मेरे साथ तुम सब भी मरोगे " थॉमस ने खन्ना को घूरते हुए कहा।
" मेरे रहते न इन बच्चों को कोई हाथ लगा सकता है न इस शहर को और जितना नुकसान तुम्हारी वजह से हुआ है उसकी भरपाई भी तुम सबको करनी ही होगी" ये बोलते समय खन्ना सर की काली आँखे बेहद डरावनी हो चुकी थीं।
कमरे के दूसरी तरफ़ एक रासायनिक प्रयोगशाला थी जिसमें एक बड़े और लंबे से एक प्लेटफॉर्म पर कई रासायनिक उपकरण रखे हुए थे। रासायनिक पदार्थों से भरी हुई अलमारियों को संवर और बाकी सब देख रहे थे।
खन्ना सर ने थॉमस को पकड़ कर प्लेटफॉर्म के सामने खड़ा कर दिया और बोले - " बता क्या किया तूने, कैसे बनाये जल पिशाच "
संवर और संयोगी एक दूसरे का चेहरा देख रहे थे उन्हें कुछ समझ नही आ रहा था कि खन्ना सर को क्या हो गया था वो क्या बन गए थे और उस थॉमस से क्या क्या पूछ रहे थे।
परी और नेहा उसी दीवार के पास खड़ी थीं क्योंकि परी उस दीवार से वापस बाहर जाना चाहती थी और नेहा उसका हाथ पकड़कर उसे रुके रहने की हिम्मत दे रही थी।
" मैं...... मैं ......, मुझसे बहुत बड़ी मिस्टेक हो गई उस रात सिर्फ़ अपने बेटे को बचाने के लिए , बस मैने और कुछ नही किया " थॉमस ने हाथ जोड़कर कहा।
खन्ना सर ने उसे दिखाते हुए अपना हाथ हवा में लहराया और थॉमस का हाथ उसके गाल पर पहुँच गया ।
वो डरते हुए एक अलमारी के पास गया और कुछ शीशियों को लाकर प्लेटफॉर्म पर रख दिया।
दूसरी अलमारी से वो एक काले रंग की बर्फ का टुकड़ा और एक बक्सा लेकर आया और उसे भी प्लेटफॉर्म पर रख दिया, तीसरी अलमारी में किताबें थीं वहाँ से एक बहुत नई किताब लाकर उसने प्लेटफॉर्म पर रख दी।
थॉमस हकलाते हुए बोला- " जब... जब मुझे मे.... री नौकरी से निकाल दिया गया तब मैंने एक नए एक्पेरिमेंट के लिए ये किताब खरीदी, जब मैंने इसे पढ़ा तो इसमें मुझे कुछ पुराने से पन्ने अलग से रखे मिले, जो कि तंत्र शास्त्र की एक प्रोसेस के बारे में थे , जिससे पिशाचों को नरक से बुलाया जा सकता है, मैंने इस प्रोसेस के बारे में पता किया लेकिन आज तक कोई भी तांत्रिक इस काम में सफल नही हो सका था, इस प्रोसेस में आस पास के भूत प्रेत और साधारण पिशाचों बहुत जल्दी उस तांत्रिक के नजदीक आ जाते हैं और उसे मार डालते हैं ताकि वो नरक पिशाच को न बुला सके, मैंने इस प्रोसेस को साइंटिफिक टेक्नोलॉजी से करने की कोशिश की, जिस रात अकुल इस फार्महाउस में पार्टी कर रहा था उस रात मैं इस लैब में अपना एक्पेरिमेंट पूरा कर रहा था और वो सक्सेसफुल भी हो गया था , नरक पिशाच ने मुझसे कहा कि वो अभी धरती पर नही आ सकता , उसे पहले धरती के पंच तत्वों पर अपना अधिकार करना होगा और उसके बाद वो मुझे पूरी धरती का मालिक बना देगा, उसने पंच तत्वों में से सबसे पहले जल पे अपना अधिकार करना चाहा और इसके लिए एक आपराधिक प्रवृत्ति के आदमी का शरीर मांगा , मैंने उसे अपने बेटे का शरीर देना चाहा क्योंकि वो कई क्राइम्स कर चुका था, लेकिन जब मैं अपनी लैब से बाहर निकला तो अकुल और उसके दोस्त यहाँ नही थे, तब मैं कब्रिस्तान गया और एक आदमी की कब्र खोद कर उसकी डेडबॉडी लाया , मैं उस आदमी को पहले से जानता था , उसने मरने से पहले एक लड़की का मर्डर किया था। नरक पिशाच ने उस डेडबॉडी को एक्सेप्ट किया और उसे जल पिशाच बनाकर वापस चला गया, उसने बताया था कि वो जल पिशाच अपने जैसे और कई जल पिशाच बनाएगा और जब दुनिया के सारे जल पर जल पिशाचों का कब्ज़ा हो जाएगा तो नरक पिशाच खुद यहाँ आ सकेगा और बाकी के चार तत्वों पर भी अपना अधिकार कर लेगा, मुझे उस जल पिशाच की मदद करनी थी, उसे और लाशें देनी थीं, ताकि वो और जल पिशाच बना सके, अगले दस- ग्यारह दिनों तक मैंने यही किया था , लेकिन उसके बाद पता नहीं क्या हुआ उस जल पिशाच ने मुझसे लाशें लाने को मना कर दिया और मुझी पर हमला कर दिया लेकिन मैं जान बचाके भाग गया।"
" तो ये जल पिशाच हैं क्या मुर्दा या जिंदा " संवर ने पूछा।
" ये मुर्दा थे लेकिन अब नरक पिशाच की शैतानी शक्तियों की वजह से जिंदा हैं, जो लोग हमें अभी बाहर मिले थे वो शायद उनके गुलाम हैं , जिन्हें मारकर उन जल पिशाचों ने उनके दिमाग को अपने वश में कर लिया है और बर्बादी मचाने के लिए सब जगह छोड़ दिया है" खन्ना सर ने कहा।
" सर.... आप ..... आपको क्या हुआ है" संयोगी ने पूछा।
" मैं पता नहीं क्या बन चुका हूँ, पुलिस स्टेशन में मुझपर हमला करके मुझे भी अपना गुलाम बनाने की कोशिश की होगी उस जल पिशाच ने लेकिन मैं मरा नहीं बल्कि बच गया , अब मैं इंसान तो नहीं हूँ ये तय है लेकिन क्या हूँ ये नही पता, लेकिन कुछ कुछ अहसास मुझे हो रहे हैं इन सब चीजो के बारे में, जब वो मुर्दे तुम सब पर हमला कर रहे थे तब अपने आप ही मुझे ऐसा लगा कि मैं उनको कंट्रोल कर सकता हूँ, इस थॉमस को देखकर मुझे अपने आप अहसास हुआ कि इस फार्महाउस में इसने कहीं पर तंत्र विद्याएँ सिद्ध की हैं लेकिन मुझे ये नही पता कि मैं कौन हूँ और कितना खतरनाक हूँ , मुझे इतना पता है कि मैं अभी भी डीएसपी राहिल खन्ना हूँ और मेरा काम मेरे शहर को मेरी जनता को बचाना है और क्रिमिनल्स को सबक सिखाना है" खन्ना सर ने कहा।
" तुम मर जाते तो जल पिशाचों के गुलाम बन जाते और बच जाते तो जल पिशाच बन जाते , तुम्हारे पास शक्तियाँ तो हैं लेकिन तुम उनका गलत यूज़ नही कर रहे हो, इसका मतलब है कि नरक पिशाच की शैतानी शक्तियाँ तुम पर कब्जा नही कर सकीं और तुम्हारे शरीर पर अब भी तुम्हारी ही आत्मा का अधिकार है, तुम क्या बन चुके हो मैं भी समझ नही पा रहा लेकिन एक फैक्ट मेरी समझ मे आ गया है कि ये जल पिशाच हर किसी को अपना गुलाम नही बना सकते, तुम्हें देखकर यही लगता है कि जिन्होंने कोई गन्दा काम किया हो, गन्दी सोच रखी हो वही जल पिशाचों के गुलाम बन सकते हैं" थॉमस ने कहा।
थॉमस की इस बात पर कोई कुछ प्रतिक्रिया दे पाता उससे पहले ही परी की चीख़ सुनकर सब उसकी तरफ मुड़ गए।
क्रमशः......
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2 Comments
Raj samne aa chuka h ab dekhna ye h ki kaise ye log ladte h ar Khanna sir kahi sbke leader to ni bn gye dekhte h aage
ReplyDeleteVo to sbko lead krenge
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