आशाएँ
कितनी मुश्किल और मिलेगी
साहस रख कर तोलो तुम,
जहाँ दबाए दुनिया सपने
दिल की आशाएँ बोलो तुम।
शुरू किया वो काम न रोको
राह नई फिर टटोलो तुम ।
गिरना उठना चलते जाना
सबक साध्य के सीखो तुम।
जिसने चाहा वही लड़ा है
इतिहास के पन्ने खोलो तुम।
आज राह में काँटे हैं तो क्या
आशाओं का दामन थामो तुम।
पड़े कहीं न आहत होना
उम्मीद खुद ही से रखो तुम।
दुनिया से भी उम्मीद न करना
न दुनिया की चाहत रखो तुम।
आशा रखो खुद खुश रहने की
खुश रखोगे तब औरों को तुम।
हटे निराशा हर एक दुख की
एक आस खुशी की रखो तुम।
संघर्ष करो और बढ़ो साहसी!
उम्मीदों को सच मे बदलो तुम।
-अन्तस्
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