पढ़ें आस्था जैन 'अन्तस्' जी  की कहानी जल पिशाच 


कहानी का नाम - जल पिशाच (भाग1)
श्रेणी - हॉरर , साइंस फ़िक्शन, सस्पेंस-थ्रिलर
लेखिका - आस्था जैन "अंतस्"
" अबे यार , ये बारिश भी अभी ही होनी थी , वैसे ही ठंड के मारे जान निकली जा रही है" कार की खिड़की बन्द करते हुए एक लड़की ने कहा।
" चुप चाप बैठी रहो , वैसे ही तुम्हारी वजह से हम सब इस मुसीबत में फँसे हैं " दूसरी लड़की ने कहा।
दोनों कार की पिछली सीट पर बैठी हुईं थी , एक और लड़का उनके साथ बैठा था, दो लड़के आगे बैठे हुए थे जिनमें से एक  कार चला रहा था।
" ओह्ह प्लीज़ मग्स, तुम्हें ही जंगल मे जलवे बिखरने थे न अपने ,अब मुझपे क्यों डाल रही हो सब "
पहली लड़की नागिन सी फुफकारती हुई बोली।
" अरे यार चुप करो तुम दोनों , और गाड़ी चलाने दो ध्यान से " कँपकँपाते हुए कार चला रहे लड़के ने कहा ।
"एक तो सुनसान रास्ता है, ऊपर से ये बारिश, ये आँधी, और आधी रात , ऊपर से तुम दोनों की बकवास, साला आना ही नही चाहिए था इस फार्म हाउस पार्टी में मुझे " खौफ़ से बड़बड़ाता हुआ दूसरा लड़का बोला जो पीछे ही बैठा हुआ था।
" अबे तो तुमको बुलाया कौन था, तुम ही साले 4 फुट की जीभ लपलपाते हुए आये थे इस पार्टी का आईडिया लेकर, अब मौत दिख रही है तो धर्मात्मा बन रहे हो " तीसरा लड़का उसे घूरते हुए बोला , हालांकि डर के कारण उसके हाथ भी काँप रहे थे।
" मैंने पार्टी का बोला था, उसे लड़के  की जान लेने को नही बोला था मैं " दूसरा लड़का खौफ़ से रोते हुए बोला ।
"चुप , एकदम चुप , अगर तूने दुबारा उस लड़के का नाम भी लिया तो मैं तुझे मार डालूँगा रवि" उसी तीसरे लड़के ने अपनी गन निकालकर दूसरे लड़के की तरफ तान दी जिसका नाम रवि था।
" हाँ , मार डालो, उसे मार डाला , मुझे भी मार डालो, तुम नही तो वो मार डालेगा मुझे , और तुम सबको भी" रवि रोते हुए चिल्ला रहा था , लड़कियां उसे चुप करने की कोशिश कर रहीं थीं लेकिन वो डर और गुस्से में बेकाबू हुआ जा रहा था।
" चुप हो जा रवि, चुप हो जा....." तीसरे लड़के ने चेतावनी देते हुए कहा।
" मरोगे तुम सब भी, और करो अय्याशी, करो नशा , ये सब तुम सबकी गलती है, क्या जरूरत थी उस लड़के को मार कर  उस गटर र......" रवि के शब्द उसके मुँह में ही रह गए और एक गोली की आवाज से पूरी कार हिल गई ।
" ये तूने क्या किया , अबे मर गया वो " कार रोककर पहले लड़के ने पीछे की सीट पर लाश बन चुके रवि को दहशत से देखते हुए कहा, दोनो लड़कियाँ भी चिल्लाते हुए एक दूसरे से  चिपक गईं।
दूसरा लड़का अब अपनी गन और सामने मरे पड़े रवि को घूर रहा था ।
चारों अब रोते हुए रवि की लाश को घूर रहे थे, गोली रवि के सीने के बीच मे लगी थी जहाँ से लगातार सुर्ख़ लाल खून बह रहा था , अचानक खून काला हो गया ।
सबने सदमे से एक दूसरे को देखा और कार के गेट खोलने की कोशिश करने लगे लेकिन कोई गेट नही खुला ।
" पानी...... मत.. गन्दा... करो..." एक डरावनी आवाज़ बाहर कड़क रही बिजली के साथ ही गूँजी ।
सब जड़ हो गए , जैसे शरीर मे जान ही न हो , जैसे ही सबने मुड़कर रवि की लाश को देखा तो उसकी लाश पर बैठा हुआ था एक 17 साल का लड़का , उसके गन्दे काले शरीर से काला पानी जगह जगह से टपक रहा था, उस गन्दगी मे उसके शरीर का बस आकार दिख रहा था , सब आँखे फाड़े सदमे से उसे देख रहे थे , और कुछ पलों बाद ही वो पूरा सुनसान इलाका इंसानी चीखों से गूँज रहा था ।
.....
" एक बात बताओ भाई रामशरण , इतनी अच्छी चाय बना कैसे लेते हो , नही मतलब क्या सोच के बनाते हो , जो पूरा मोहल्ला तुम्हारी चाय का दीवाना है " चाय बनाने वाले की मदद करते हुए एक लड़के ने कहा जिसका नाम विभद्र था लेकिन सब उसे विभु कहते थे , लेकिन बहुत कोशिश करने पर भी रामशरण भैया उसे "भीभूती" ही बोल सकते थे ।
" अरे भीभूती बेटा सब आप ही लोगन का लाड़ प्यार है, वरना हम कहाँ इतने छोटे से गाँव से आकर इतने बड़े शहर मा बस कर अपनी बिटिया को पढ़ा सकते " रामशरण ने भावुक होते हुए कहा।
" अरे यार , क्यों सवेरे सवेरे हमारे हैंडसम से रामशरण भैया को रुला रहे हो " एक प्यारी सी लड़की ने चाय की उस दुकान पर रुकते हुए कहा जो अभी अभी वॉकिंग जॉगिंग करके आ रही थी और आकर सामने पड़ी टेबल पर बैठ गई।
उसकी बात सुनकर हमारे  रामशरण भैया शरमा गये।
" अरे कहाँ संजोगी बिटिया , अब तो उम्र ढल गई , अपनी उम्र में तो हम सलमान खान से कम नही लगते थे "  एक गरमा गरम चाय का कुल्हड़ संजोगी को देते हुए कहा जिसका असल नाम संयोगी था।
" अकेली ही आई हो देवी , राधे और वासु कहाँ रह गए? " विभद्र ने संयोगी के सामने की टेबल पर बैठते हुए कहा।
" आ रहे हैं पीछे, ये लो आ गए वासु भाई साहब " संयोगी ने सामने आ रहे युवक की ओर इशारा करते हुए कहा जिसका नाम वासु था और उसके चेहरे पर हमेशा श्री कृष्ण जैसी मुस्कुराहट बनी ही रहती थी।
विभु उठकर उसके लिये उसकी चाय ले आया ।।
" क्यों भाई वासु इतना पीछे कैसे रह गए, मुम्बई में तो आज की सुबह गजब ही हो गई , वासु आज संयोगी के बाद आया है रामशरण भैया की चाय पीने " विभु ने पूछा ।
" वासु से कुछ न कहो ये तो साक्षात हमारे कृष्ण कन्हैया के अवतार हैं  , इनकी लीला का मर्म सिर्फ ये ही समझते हैं" एक और युवक ने आ कर वासू के कंधे दबाते हुए कहा।
वासु झठ उठ खड़ा हुआ ।
" क्या बात कर रहे हो संवर , मैं तो बस वो , मोड़ से बस " हकलाते हुए वासु ने उस युवक से  कहा ।
" अरे भाई सब पता है हमको लेकिन जब तक आपकी आज्ञा नही होगी , गोपियों के भेद नही खुलेंगे" कहकर संवर मुस्करा दिया , वासू ने बेचारगी से उसकी ओर देखा और बाकी सब हैरत से वासू को घूरने लगे।
" कौन सा भेद ...." संयोगी , विभु और रामशरण भैया समवेत स्वर में पूछ उठे ।
" अरे कुछ भेद नही है, संवर तो यूँ ही सवेरे से पूरे सतीमाई मोहल्ले ( काल्पनिक) का मनोरंजन करने निकलता है , बस.. " वासू ने बात बदलते हुए कहा।
" हाँ सो तो है, अगर संवर न हो तो पूरे मोहल्ले में लगता ही नही कि कोई है भी " विभु ने उसकी बात का समर्थन किया।
" अरे तुम कहाँ चलीं " संवर ने उठकर जाती हुई संयोगी से  पूछा।
" परी और नेहा मेरा इंतजार कर रही होंगीं , चलती हूँ वरना लेट हो जाऊँगी कोचिंग के लिए " संयोगी ने कहा
" अरे तो तुम तीनो अकेली थोड़े ही न जाओगी ,जाएंगे तो हम  सातों दोस्त साथ ही , जल्दी क्या है, बचपन से साथ हैं, आगे भी साथ रहेगें " विभु ने मुस्कुराते हुए कहा।
" भैया गज़ब हो गया , बहुत गज़ब ... " हाँफते हुए एक लड़के ने कहा जो एक हाथ मे अख़बार लिए था  और दूसरे हाथ से पेट को पकड़े हुए था ।
"क्या हुआ राधे , महिला सुलभ शौचालय में घुस गए थे क्या, मार खाये तो लग नही रहे पर दौड़े तो बहुत तेज हो" वासू ने हँसते हुए कहा।
" हमेशा मज़ाक नहीं यार, साँस तो लेने दो .......... ये देखो अख़बार , 3 लड़को और दो लड़कियों की हत्या हो गई है कल रात , अपने मुम्बई में ही , ये पास वाले गजरीगांव के ही हाइवे पे , पांचों लोग कार में थे और इनमे से एक रवि ये तो अपनी ही कोचिंग का है "  राधे ने अख़बार खोल कर सारी खबर एक ही साँस में सबको सुना दी।
सबके सब खबर सुनकर सुन्न रह गए ।
......
" आपकी टीम में 3 लड़कियां भी तो हैं , वो कहाँ हैं " इन्स्पेक्टर ने चारों लड़को को घूरते हुए पूछा।
"सर , हमने सोचा , पूछताछ में उनकी जरूरत नही है और अगर जरूरत हुई तो वो भी आ जाएंगी" वासु ने कहा।
" तुम सात लोग बचपन से साथ हो, एक ही मोहल्ले के हो, एक ही स्कूल में पढे, एक ही कॉलेज में पढ़े, एक साथ ही ये कोचिंग चलाते हो फिर क्या जरूरत पड़ी कि एक और लड़के को तुमने अपने साथ शामिल किया " इन्स्पेक्टर ने पूछा और साथ ही साथ वो टेबल पर रखे अपने डंडे को भी बीच बीच में बड़ी अर्थपूर्ण दृष्टि से देख रहा था।
विभु उसकी इस हरकत से डर महसूस कर रहा था।
"जी हमने शामिल नही किया, रवि हमारे कॉलेज में साथ था, उसी ने कहा कि वो हम लोगों के साथ इस कोचिंग में शामिल होना चाहता है, वो हमारे साथ बच्चों को भी पढ़ाता था और बाकी के कामो में भी साथ रहता था लेकिन अपनी मर्जी से " संवर ने कहा ।
" हम्म , बाकी के काम जैसे ?" इंस्पेक्टर ने पूछा
" हम लोग मुम्बई के अलग अलग इलाके में जाकर साफ सफ़ाई जैसे काम भी करते हैं, गरीब बच्चों को ढूढ़ ढूढ़ कर अपनी कोचिंग में लाते हैं और भी बहुत से सोशल वर्क हमारी टीम करती है " वासू ने कहा।
" ये सब तो ठीक है , लेकिन कल रात तुम लोग कौन सा सोशल वर्क कर रहे थे जब तुम्हारे टीम की एक मेम्बर रवि की हत्या हुई और उसके बाकी के चार दोस्तो की भी " इंस्पेक्टर ने अपना बहुप्रतीक्षित प्रश्न पूछ ही लिया।
"सर हम सब कल साथ नही थे, तीनो लड़कियों के साथ वासु रात 11 बजे तक नया सिलेबस डिसकस कर रहा था और मैं बाकी दोनो के साथ सिलिगाम बस्ती में वहाँ के  बच्चों को पढ़ा रहा था क्यों कि उनके हाइस्कूल एग्जाम नजदीक ही हैं और वो बच्चे कुछ दिनों पहले ही हमसे जुड़े हैं , और रात 2 बजे तक तो हम तीनों घर आ ही गए थे , रवि ने कहा था कि उसे किसी फार्म हाउस पार्टी में जाना है तो वो हमारे साथ नही आया" संवर ने कहा ।
"हम्म, खंडेला ... इन सबने जो भी कहा है , सब रिपोर्ट में लिख लो और हाँ कल उन तीनों लड़कियों को भी भेज देना उनके भी स्टेटमेंट लेना है " इंस्पेक्टर ने संवर से कहा ।
" सर रवि की मौत कैसे हुई थी , हुआ क्या था कल रात " अब तक चुप बैठे विभु में अपने मुंह खोला।
कुछ देर तक तो इंस्पेक्टर उसे घूरता रहा फिर बोला-
" गोली लगी उसे , बाकी चारों की मौत का पता पोस्ट मॉर्टम के बाद पता चलेगा "
" सर , जल्दी चलना होगा " एक कांस्टेबल ने आकर इंस्पेक्टर से कहा।
"कहाँ चलना होगा , क्या हुआ " इंस्पेक्टर ने पूछा
" सर , हमारे थाना क्षेत्र के एक नाले में 10 लोगों की लाशें मिली है सर "
कांस्टेबल ने कहा  और इंस्पेक्टर के  साथ साथ उन चारों लड़को के भी होश उड़ गए ।
क्रमशः ......