सारा दिन ही मेरा
मैं खुशी खुशी
गुजार देता हूँ यूँ तो
पर उस लम्हे में मुझे
जन्नत नसीब है
जब तुम मुस्कुराती हो
और भीनी भीनी दुआओं
की तरह रोज सुबह
मुझे गालियाँ सुनाती हो
माँ तुम कितनी प्यारी हो।
सारा दिन ही मेरा
मैं खुशी खुशी
गुजार देता हूँ यूँ तो
पर उस लम्हे में मेरे
खुदा खुद करीब है
जब तुम हाथो से अपने
बना के हर निवाला
मुझे खिलाती हो
माँ! तुम कितनी प्यारी हो।
सारा दिन ही मेरा
मैं खुशी खुशी
गुजार देता हूँ यूँ तो
पर उस लम्हे में ,मेरा
हर लम्हा मुरीद है
जब सहला के सिर मेरा
अपने आँचल में मुझे
सुकून की पनाह देती हो
माँ ! तुम कितनी प्यारी हो।
सारा ही जीवन मेरा
मैं खुशी खुशी
गुजार ही दूँगा यूँ तो
पर हर लम्हा वो मेरा
मेरे लिए जिंदगी है
जब ममता तेरी मिली मुझे
कुछ गुस्से में कुछ प्यार भरी
तुम ही मेरे जीवन का
ये सारा सार कहलाती हो।
माँ ! तुम कितनी प्यारी हो।
माँ ! तुम कितनी प्यारी हो।
- आस्था जैन 'अंतस'
6 Comments
Bhut khub
ReplyDeleteThanks :)
Deletesuperb 👌👌
Deleteबहुत अच्छी कविता !! दिव्य भाव !!
ReplyDeleteBeautiful and with emotions
ReplyDeleteThanku
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