कहानी - बड़े घराने की बहू
लेखिका - आस्था जैन "अन्तस्"
श्रेणी- हॉरर, सस्पेंस-थ्रिलर, आध्यात्मिक, स्री-विमर्श
भाग - 13

बड़े घराने की बहू 

पार्ट 13
राहुल तुरन्त पैलेस पहुँचा , वहाँ उसे पता चला कि स्नेहा शाम के संगीत के लिए डांस प्रैक्टिस में व्यस्त है।

उसने केबिन में कुछ देर काम किया और नव्यम को कॉल करके अपने केबिन में आने को बोला।

" आप कब आते हैं , कब जाते हैं, कहाँ रहते हैं , कुछ पता ही नही चलता, सगाई में गायब थे,  कल हल्दी में नदारद रहे , आज संगीत में आने का कोई इरादा है भी या नहीं "
नव्यम ने आते ही कहा।

" तुमने कभी कुछ गलत, कुछ बहुत गलत किया है क्या" राहुल ने पूछा।

नव्यम -" अब आये है आप बड़े भाई वाले रोल में , तो बड़े भाई साहब  , आपके इस छोटे ने सिगरेट पीने के अलावा कोई बुरा काम नही किया और वो भी आपने होस्टल में एक दोस्त होने के नाते कूट कूट के छुड़वा ही दी थी "

राहुल - " अच्छा ये बताओ , कल्पना से कभी तुम्हारी बात हुई, क्या उसे सच मे तुम पसन्द हो या वो किसी दवाब में शादी कर रही है "

नव्यम - " पता नहीं , मेरी तो ज्यादा कुछ बात नही हुई, वैसे भी बहुत शांत स्वभाव की है , लेकिन बात क्या है इतना सब क्यों पूछ रहे है आप अचानक से "

राहुल - " पूरी तरह तो मैं भी कुछ नही जानता , बस आज संगीत और कल तिलक का दिन है तुम्हारे पास , कल्पना से बात करने की कोशिश करो , पता लगाओ उसके मन मे क्या है , मेरे लिए इतना कर दो , प्लीज नव्यम "

नव्यम - " ठीक है , मैं बात करूँगा , आप बेफिक्र रहो "

राहुल - " अच्छा , पापा कहाँ हैं , मुझे उनसे बात करनी है कुछ जरूरी "

नव्यम मुस्कुराता हुआ बोला - " वो डांस की प्रैक्टिस कर रहे हैं , रामायणी माँ के पसंदीदा गाने पे " 

राहुल - " ठीक है , मैं मिलकर आता हूँ "

राहुल केबिन से बाहर चला गया। नव्यम भी उसके पीछे चलने के लिए खड़ा हुआ कि उसे लगा कि टेबल के नीचे कुछ कागज सा है । उसने झुक कर टेबल के नीचे देखा तो उसे कुछ नहीं दिखा , वो वापस पलट कर जाने लगा कि उसे बिल्कुल ठंडी सी आवाज़ टेबल के नीचे से आती हुई सुनाई दी

" झूठ नहीं बोलते , गलत बात है ना .... है ना " 

नव्यम बिना एक सेकंड गंवाए सिर पे पैर रख कर भागता हुआ केबिन से बाहर दौड़ पड़ा ।

डांस की प्रैक्टिस ऊपर की दूसरी मंजिल के एक हॉल में चल रही थी , राहुल वहीं जा रहा था कि पीछे से दौड़ता हुआ नव्यम आया और उसे पकड़ कर हांफने लगा।

" भाई , आपके केबिन में .....टेबल.... टेबल के ...नीचे भूत है ... नहीं ..... भूतनी है .... भूतनी है " नव्यम हड़बड़ाते हुए बोल रहा था।

राहुल भौंचक्का सा उसे देखता रह गया।

" क्या हुआ ,तुमने कुछ देखा " राहुल ने उसे संभालते हुए पूछा 

" नहीं , मैंने आवाज सुनी, लड़की की आवाज, वो बोल रही थी कि झूठ नहीं बोलते गलत बात है , मैंने खुद सुना "
नव्यम खुद को सहज करने की भरसक कोशिश  करते हुए बोला 

" तो तुमने मुझसे झूठ बोला था ना नीचे "

" क्या भाई , मैं क्यों झूठ बोलूंगा, सच्ची मैने कभी कुछ गलत नही किया "

" ठीक है ज्यादा मत सोचो, तुम्हारा वहम होगा , अभी इतनी सारी रस्में हो गईं है और बाकी सब भी बाकी हैं , तुम जाओ , आराम करो , मैं तुमसे बात करता हूँ बाद में , ठीक है" 

राहुल ने नव्यम को वापिस उसके कमरे में भेज दिया।

" पापा , आपसे कुछ बात करनी थी " राहुल ने जाकर नायक जी से कहा जो डांस की प्रैक्टिस कर रहे थे।

" हाँ बताओ , क्या बात है " नायक जी उसे बाकी सबसे अलग ले जाते हुए बोले।

" पापा , मुझे लगता है आपको माँ से बात करनी चाहिए , घर जाकर , प्लीज "

" मैंने तो सोचा था आज शाम को अपने डांस से ही तुम्हारी माँ को इम्प्रेस कर दूँगा ,पर कोई बात नही , तुम कहते हो तो दोपहर को जाके मैं बात करता हूँ क्योंकि फिर शाम को यहाँ सब व्यवस्था देखनी होगी मेहमानों वगैरह की" 

" जी , अब मैं चलता हूँ , दोपहर को घर पे मिलता हूँ आपसे " 

कहकर राहुल चल दिया।

"मिलने तो शायद मुझसे आये थे , और मुझीको देखे बिना जा रहे हो " स्नेहा ने सामने आकर उसे रोकते हुए कहा , राहुल ने पीछे मुड़ कर देखा तो नायक जी जा चुके थे।

" कॉल क्यों नही अटेंड किया मेरा " राहुल ने पूछा।

" देख नही रहे कितनी बिजी हूँ मैं, आज शाम आपको भी नाचना पड़ेगा वैसे " 

"नही मुझे कुछ जरूरी काम है, शायद न आ पाऊं" 

"क्यों , फिर से पैलेस में भटकना है " 

" तुम्हे कैसे पता मैं पैलेस में भटका था "

" मुझे सब पता है , मैनेजर साहब "

" कबसे " 

" जबसे आपने सब कुछ बताया था , रावत अंकल और दयान को "

" तुम तो वहाँ नहीं थीं "

" नहीं थी , पर तब मैं रामायनी माँ से बात कर रही थी, तुम उन्हें सुलाकर वहाँ से चले गए , लेकिन मैंने उनसे कहा कि वो मोबाइल स्पीकर पे करके तुम्हारे कमरे में रख आएं " 

" वाह , अब तुमने ये सब मेरी माँ को भी सिखा दिया "

" क्या करें , किसी की फिक्र हो तो करना पड़ता है "

"तो तुम्हारा यहाँ रहना ठीक नहीं" 

" मैं ठीक हूँ , दीदु को अकेले नही छोड़ सकती , बस एक बार दददू से मिलने का मन है, मुझे लगता है वही सही रास्ता दिखा सकते हैं " 

" तुम यहाँ सबका और अपना ध्यान रखो , अकेली कहीं नही जाना , ठीक है " 

" आप भी अपना ध्यान रखिये , सब ठीक हो जाएगा"

" हम्म , चलता हूँ "

" सुनिए "

" क्या "

" वही बोलिये न जो आप पहले बोलते थे कि टेंशन की बात नहीं "

" टेंशन वाली कोई बात नहीं , इन दिनों इतना टेंशन है कि मैं अपना फेवरेट कोट बोलना ही भूल गया था , थैंक्स याद दिलाने के लिये " 

" वैसे मेरे पास आपको दिखाने के लिए कुछ है "

" क्या है दिखाओ"

" चलिये"

स्नेहा उसका हाथ पकड़ कर चोरों की तरह उसे नायक जी के कमरे में ले गई  और दरवाजा अंदर से बंद कर लिया।

"ये क्या बेहूदा हरकत  है स्नेहा , पापा का कमरा है ये , यहाँ क्या चोरी करने लाई हो मुझे "

"नहीं , मैंने यहाँ अंकल को रोते हुए देखा था , बातें करते हुए देखा था तस्वीरों से , फिर बाद में मैने चुपके से उन तस्वीरों को देखा , वही आपको दिखाना है " कहकर स्नेहा ने अलमारी से एक पेटी निकाल कर उसमें रखी सारी तस्वीरें पकड़ा दीं  

" तुम कब सुधरोगी स्नेहा "

" अरे ये तस्वीरें तो देखो पहले आप" 

" ये तो माँ की तस्वीरें हैं "

" हां , अंकल ने घर से उनकी यादे हटा कर अपनी पेटी में जाने कबसे संभाल कर रखी थीं , और यहाँ भी अपने साथ लाये थे " 

" ये.... ये तो दद्दू हैं , स्नेहा , ये तो दददू  हैं मतलब ये ही मेरे दादा जी हैं " राहुल एक तस्वीर स्नेहा को दिखाता हुआ बेहद खुशी और आश्चर्य से बोला।

" हाँ , इसीलिये मैं कह रही हूँ , हम एक बार दददू से मिलकर उन्हें मना लाते हैं। अंकल से तो वो गुस्सा होंगे , आएंगे नहीं , शायद हम मनाएं तो मान जाएं" 

" चलो अभी चलते हैं , उन्हें ढूढने " 

कहकर राहुल ने जल्दी से बाहर जाने के लिए दरवाजा खोल दिया । बाहर दरवाजे पे नायक जी खड़े थे उन्होंने  पहले राहुल और फिर स्नेहा को देखा । फिर बोले - " तुम दोनो की सगाई आज शाम ही होगी , आ जाना समय से "

स्नेहा और राहुल से कुछ बोलते न बना , दोनो सिर झुकाए चुपचाप कमरे से बाहर निकल गए।

" अब तो खुश हो , मुझे भी बदनाम करवा के, पापा क्या सोच रहे होंगे मेरे बारे में " राहुल मुँह फुलाता हुआ बोला।

"अरे अभी दददू को ढूढ़ने चलते हैं ना , वो अगर आ गए , तो सब हमसे बहुत खुश हो जाएंगे , फिर पापा भी समझ जाएंगे हम क्या पता करने गए थे उनके कमरे में "

" हाँ चलो , लेकिन अब ये छुप छुप के सबकी जासूसी करना बन्द कर दो अपनी बुआ की तरह " 

" नही , इससे तो बड़ा फायदा है , इसी की वजह से देखो मेरी सगाई पक्की हो गई आज ही शाम "

" अच्छा अकेली तुम्हारी सगाई होगी और मैं नाचूँगा " 

स्नेहा शरमा कर मुस्कुरा दी और दोनो एक साथ दददू को ढूढ़ने चल पड़े।
क्रमशः.........

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