एक एक कर वो लाशें बिछाते गए
मजबूरियों की सेज पर सपने सुलाते गए,
चार बातों की चाल चलती रही हमेशा
चार लोग हर ख़ुशी का कत्ल कराते गए..
जो रूह के परिंदे उन्हें उड़ते दिखे
समाज के नाम पर उन्हें मौत दिलाते गए
न रुका था न रुक पाया है अभी तक ये सिलसिला
चार बात चार लोग ही हथियार चलाते गए,
कब तक कहेंगे हम नहीं या तुम नही ये कहो
हम भी तो इसी गुनाह को शह दिलाते गए
जब तक नही हम लड़ सके न कर सके सच बात तब
खुद को इन्ही हत्यारो में शामिल कराते गए,
छूटते हैं प्यार और टूटते हैं घरौंदे किसी के
क्योंकि वो चार बातों पर विश्वास जमाते गये
कर लिया हर रोग को काबू हमने मगर फिर भी
चार लोगों के रोग को हम बढ़ाते ही गये।
दम घोंटते रहेंगे ये चार लोग यूँ ही हमेशा
अगर हम खुद को इनसे आगे न बढ़ाते गए
कह सकेंगे कैसे नई पीढ़ी को कि खुश रहो
अगर हम ही अपनी खुशियां मिटाते गए
कब बलि चढ़ायेंगे इन असुर दानवों को
जिनसे कायदे की हम सदा रस्मे निभाते गए
ये खा जायेंगे दुनिया हमारी अगली पीढ़ियों को भी
अगर हम अपनी ही खुराक इनको खिलाते गए।
- आस्था जैन "अन्तस्"
Note - "haunted house " horror and inspiring story.. must listen
हेलो! मैंने कुकू एफएम पर इस शो को सुना और मेरे ख्याल से आपको भी पसंद आएगा https://applinks.kukufm.com/VyUV1hWtDnzEqLYd8
4 Comments
Congratulations Astha 💐
ReplyDeleteThanku so much sir 😍😍😊😊😊🙏
Deleteइन चार शत्रुओं से बचना नहीं है
ReplyDeleteइन चारों को जम कर धोना है
इन चारों को माफ नहीं करना है
इन चारों को समुंदर में डुबोना है..!
😀😀😀😀😀
Very well written sir
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