जल पिशाच - भाग 21 

लेखिका - आस्था जैन " अन्तस्" 

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Recap भाग 1 से भाग 20 - मुम्बई शहर के एक छोटे से इलाके ग़जरीगांव में बसे सती माई मोहल्ले में रहने वाले बचपन के सात दोस्त वासु , विभूति, संवर, राधे , परी, नेहा और संयोगी साथ मिलकर एक कोचिंग सेंटर चलाते हैं जिसमे एक नया लड़का रवि भी उनके साथ शामिल होता है, एक सुबह उन्हें पता चलता है कि ग़जरीगांव हाईवे पर एक कार में  रवि की हत्या हो गई है और उसके चार अन्य दोस्त भी मारे गए हैं , उन सभी दोस्तों को पूछताछ के लिए पुलिस स्टेशन बुलाया जाता हैं वहाँ उन्हें पता चलता है कि उन्ही के इलाके में अन्य 10 लोगो की लाश मिली है , ये सुनकर इंस्पेक्टर सहित सब दंग रह जाते हैं , उसी रात बच्चों को पढ़ाने के लिए संवर, वासु और राधे ग़जरीगांव हाइवे के पास वाली बस्ती में जाते हैं और विभु को रामशरण के कमरे में छोड़ आते हैं जहां विभु को कंचा नाम के गुंडे से पता चलता है कि सुबह मिली दस लाशें पुलिस कस्टडी से गायब हैं , संवर अपनी बाइक से वापस घर आ जाता है, लेकिन वासु और राधे हाइवे पर किसी प्रेत जाल में फंस जाते हैं जहाँ उन दोनों को रवि और उसके साथियों की मौत की घटना होती दिखाई देती है और उन लड़कियों में से एक को वासु पहचान लेता है ये वही लड़की है जिसे देखने के लिए वो उसकी गली में जाया करता था, दोनो ही बेहोश हो जाते है, संवर और विभु को सुबह तीन बजे वासु और राधे अपने ही मोहल्ले के मन्दिर में बेहोश मिलते है, सुबह सुबह संयोगी उन चारों को आकर बताती है कि उनकी बाइक उस नाले के पास से मिली है जहां 3 नई लाशें बरामद हुई हैं, संवर को सुबह मोहल्ले में बात करने पर पता चलता है कि तीन नई लाशें भी पहले मिली दस लाशों की तरह ही है उनके शरीर मे भी एक बूंद पानी नहीं है , संवर कंचा के साथ वासु और राधे को भगा देता है लेकिन वासु और राधे गायब हो जाते हैं और कंचा विक्षिप्त अवस्था मे मिलता है, लगातार दस दिनों से इलाके में लाशें मिल रही होती हैं लेकिन वासु और राधे का कुछ पता नही चल पाता तब संयोगी सबको ग़जरीगांव हाईवे के फार्महाउस चलने को कहती है, सब दिन ढलते ही वहाँ पहुँच जाते हैं और रात होने का इंतजार करते हैं लेकिन रात होते ही राहिल खन्ना और पिया अपनी टीम के साथ वहाँ पहुँच जाते हैं जहाँ पिया अचानक गिर जाती है और विभु उसे संभाल लेता है लेकिन पिया उस पर गन तान देती है तब विभु और उसके दोस्त उन दोनों पुलिस वालों को सब सच बताते हैं, खन्ना कंचा से वासु और राधे के बारे में पूछताछ करता है। पिया को पता लगता है कि रोज़ सुबह मिलने वाली लाशें कब्रिस्तान से गायब हुई लाशें हैं। संवर और डी एस पी खन्ना रात में हाईवे पर जाते हैं ताकि वे वासु और राधे के बारे में पता लगा सके और पिया एक मुर्दाघर में सुबह मिली दो लाशों पर नजर रखती है ताकि वो पता लगा सके कि रोज शाम ये लाशें कहाँ जाती हैं और उन्हें कौन ले जाता है , विभु भी वहीं आ जाता है और उन दोनों के सामने लाशें फ़र्श पर फैले पानी मे समा जाती हैं और वे दोनों भी उसी पानी में गायब हो जाते हैं और उसी फार्महाउस में पहुंच जाते हैं जहाँ उन्हें वे दोनों सिकुड़ी हुई लाशें फिर से सही रूप में दिखाई देती हैं और वे एक दीवार के अंदर समा जाती हैं, वहाँ पिया और विभु को दस दिन पहले हुए वाकये के बारे में पता चलता है कि किस तरह उस फार्महाउस के मालिक का बेटा अकुल अपने पाँच दोस्तों के साथ अय्याशी कर रहा होता है और अम्बर नाम के लड़के की हत्या कर देता है, एक बर्फ का मानव अम्बर की आत्मा की सहायता करता है और अकुल के साथ साथ बाकी सब को भी उनके किये की सजा देता है , इसके बाद पिया और विभु पुलिस स्टेशन पहुँच जाते हैं जहाँ वो डी एस पी और संवर को अपने साथ हुआ सब कुछ बताते हैं जिससे वे दोनों हैरान रह जाते हैं और ये तय हो जाता है कि इन सब घटनाओं के पीछे किसी शैतानी ताकत का हाथ है, दूसरी तरफ वासु और राधे किसी अनजान लैब में फंसे होते हैं जहाँ उनकी बॉडी पानी की हो रही होती है, पिया उस फार्महाउस के दलदल के पास सबको लेके जाती है , वहाँ उन्हें अम्बर की लाश मिलती है लेकिन वो बर्फ का आदमी नही मिलता, सब घर आ जाते हैं, पिया फोन पर विभु से बात कर रही होती है तब विभु अपने दोस्तों के लिए दुखी होता है और अचानक वासु और राधे के पास उस लैब में पहुँच जाता है, पिया उस वर्फ़ के आदमी द्वारा कहे गए  जलेश्वर के बारे में सोचती है और बर्फ़ की एक अलग ही दुनिया मे पहुँच जाती है, जहाँ एक अजीब से तिकोने कमरे में पिया कैद हो जाती है। विभु और पिया के अचानक गायब हो जाने से संवर और लड़कियाँ सब परेशान हो जाते हैं और खन्ना जी के पास पुलिस स्टेशन आते हैं वहाँ उन लोगों का सामना एक जल पिशाच से होता है जो परी पर हमला करता है, सभी लोग वहाँ से भागते हैं लेकिन कुछ क़ैद गुंडों को बाहर निकालने के चक्कर मे संवर और खन्ना अंदर ही रह जाते हैं और संयोगी उन्हें निकालने के लिए वापस अंदर आती है जहाँ टेलीफोन के जरिये जल पिशाच उस पर हमला करता है , संयोगी डर जाती है और वापस बाहर आकर गाड़ी लेकर थोड़ा दूर निकल जाती है लेकिन तुंरत ही संवर और खन्ना जी का ख्याल आते ही वो गाड़ी मोड़ देती है रास्ते में उसे एक केमिस्ट्री का प्रोफेसर मिलता है जो थाने जाने से मना करता है लेकिन संयोगी वापस थाने जाती है, थाने के बाहर ही उन्हें संवर और खन्ना मिल जाते हैं , खन्ना की हालत खराब होती है , संवर कहता है कि उन्हें फार्म हाउस चलकर विभु को ढूंढने को कहता है, वो प्रोफेसर खन्ना जी को पानी पिलाने से मना करता है वरना वो जल पिशाच बन जाएंगे, संयोगी सबको लेकर फार्म हाउस आती है, खन्ना जी प्यास से तड़प रहे होते हैं और परी उन्हें पानी पिला देती है जिससे उनके सिकुड़े हुए अंग सही होने लगते हैं और वो सो जाते हैं , प्रोफेसर कहता है कि सुबह के तीन बज चुके हैं इसलिए खन्ना जी से उन लोगो को फिलहाल कोई खतरा नही है और वो बाकी सब को सोने की कहकर खुद भी सो जाता है , सब लोग बेहद डरे हुए होते हैं और दूसरी तरफ़ पिया उस तिलिस्मी दुनिया मे उस तिकोने कमरे से बाहर निकलने में सफल रहती है और उसे पता चलता है कि वो एक जल संरक्षक है हालांकि पिया इसका मतलब नही समझ पाती है उसे आगे एक पहाड़ में कई सीढ़ियां चढ़कर एक और तिलिस्म को तोड़ना पड़ता है , उसके बाद वो एक अजीब सी नीली बर्फ़ सी किताबो के बीच मे फँस जाती है जहाँ उसे बेहोश विभु मिलता है। वो विभु को होश में लेकर आती है। उसे एक नीली किताब मिलती है जो तिलिस्मी दुनिया से जुड़े सवालों के जवाब देती है। वहाँ विभु उन किताबो के समुद्र में डूब जाता है लेकिन पिया उसे बचा लेती है। वे लोग वहाँ से निकल कर हरे भरे मैदान में जाते हैं , उन्हें वहाँ पता चलता है कि ग़जरीगांव में जो आतंक मचा हुआ है वो नरक पिशाच और जल पिशाचों का काम है । वो लोग वहाँ घास से चिपके रह जाते हैं। लेकिन हर रंग के गुणों को समझ कर वे लोग वहाँ से निकल जाते हैं और आगे बढ़ जाते हैं। दूसरी तरफ फार्महाउस में कई सारी लाशें घुस आती हैं जिन्हें जल पिशाचो ने अपना गुलाम बना लिया था। लेकिन खन्ना जी उन सब लाशों को खत्म कर देते हैं और संवर , संयोगी बाकी सबको बचा लेते हैं। वो लोग थॉमस से सब सच उगलवाते हैं। थॉमस उन्हें बताता है कि अकुल उसी का बेटा था। वो इस फार्महाउस का मालिक है। वो उन्हें फार्महाउस में बनी अपनी अदृश्य लैब में लेकर जाता है और बताता है कि उसे एक किताब में तंत्र विद्या के कुछ पन्ने मिले थे। तब उसने तंत्र और केमिस्ट्री के सहयोग से जल पिशाचों को बनाया है। तभी नेहा परी पर हमला करती है । खन्ना नेहा को बेहोश कर देता है फिर वे लोग हॉस्पिटल जाते हैं। वहाँ पर नेहा, संयोगी और थॉमस को छोड़कर खन्ना संवर परी को शहर की तरफ लेकर जाते हैं। थॉमस अपने तंत्र के जरिये संयोगी को वापस लैब में पहुंचाता है। वो वहाँ वासु और राधे को आज़ाद करती है। वे दोनों तंत्र के पन्ने लेकर हॉस्पिटल जाते हैं। नेहा जल पिशाचों के काबू में होकर थॉमस पर वार करती है। थॉमस उसे मार डालता हैं। संयोगी को पता चलता है कि थॉमस ही पहला जल पिशाच है। वो वहाँ से चला जाता है । हॉस्पिटल में कई जल पिशाच और उनके गुलाम घुस आते हैं। तब नेहा की आत्मा अपने शरीर को जलाकर संयोगी की रक्षा करती है। खन्ना और संवर मनेरी शहर जाकर परी का इलाज करवाते हैं
। वहाँ नेहा की आत्मा बेहोश संयोगी को लेकर आ जाती है।और उन्हें वापस ग़जरीगांव जाने को कहती  है। सवंर संयोगी को हॉस्पिटल में लेकर जाता है  खन्ना अकेले ही ग़जरीगांव कि ओर चल देते हैं। इधर पिया और विभु को पता चलता है कि जल पिशाचों को वापस नरक भेज कर उनसे बचा जा सकता है उसके बाद बे  तीन रंग के जाल में फंस जाते हैं। वहाँ से निकलकर उन्हें जलेश्वर मिलते हैं अब आगे .....


पिया हैरान होकर उन छोटे छोटे हिमपर्वतों की ओर देख रही थी जिनके बीच में से मानव जैसी विशाल जल आकृति आकार ले रही थी। 
" जलेश्वर ....." पिया के मुँह से भी निकल पड़ा। 

" जलेश्वर ....... आप हमें सुन सकते हैं क्या , मेरा नाम विभु है, पूरा नाम विभूति शर्मा है। ये पिया है ।हम दोनो धरती से आये हैं। हिंदुस्तान से हैं हम, मुंबई में रहते हैं ग़जरीगांव इलाके में , वहाँ पे एक ..." विभु बोल ही रहा था कि पिया ने उसका मुँह बन्द कर दिया।

" फालतू की बातें मत करो " पिया गुस्से में बोली। 

" तुम दोनो अभी धरती पर ही हो "  एक गहरी आवाज वहाँ गूँजी और उस जल आकृति में हलचल हुई मानो जैसे एक साथ समुद्र में कई लहरे उठी हों।

विभु और पिया भी एक दूसरे की शक्ल देख रहे थे। उन्हें अब तक लग रहा था कि वे किसी दूसरी ही दुनिया मे है। लेकिन अभी अभी जलेश्वर ने कहा था कि वे दोनों धरती पर ही हैं। 

" धरती पे कहाँ है ऐसी जगह, मैने तो कभी नही देखी, तुमने देखी है क्या " विभु ने पिया से पूछा।

" मुझे नही पता, मैंने भी आजतक नही देखा " पिया ने कहा।

जलेश्वर-  " सम्पूर्ण पृथ्वी पर विस्तृत है जलेश्वर का साम्राज्य, परन्तु किसी को दिखता नही है। तुम दोनों देख पाए हो क्योंकि अब तुम सामान्य मनुष्य नही रहे। तुम दोनो जल सरंक्षक हो। और अब तुम्हारा कर्त्तव्य है पृथ्वी की विशाल जलराशि को जल पिशाचो के आतंक से बचाना। वे जल पिशाच मनुष्यों के शरीर से प्राकृतिक जल का शोषण कर के उनमें अपना दूषित द्रव्य भरकर उन्हें अपना गुलाम बना रहे है। तुम्हे उन्हें रोकना होगा और  इसके लिए तुम्हारे पास इंद्रधनुष के सात रंगों की पर्याप्त शक्तियाँ हैं। जैसे इंद्रधनुष मात्र वर्षा के समय प्रगट होता है वैसे ही तुम्हारी भी शक्तियां मात्र विपत्ति के समय प्रगट होंगी। तुम्हारी सहायता के लिए दो जल प्रदूषक , एक जल शोधक और कुछ मानव तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहे है। "


विभु - " आप इतने शक्तिशाली है , आप खुद ही क्यों नही खत्म कर देते उन जल पिशाचो को। क्यों हम छोटे छोटे बच्चों को इन सबमे उलझा रहे है , हम कैसे वापस भेजेंगे उन पिशाचो को वापस"

जलेश्वर - " यदि प्रकृति ने ये आपदा खड़ी की होती तो हम स्वयम उस से निबट सकते थे परन्तु ये समस्या मानव ने ख़ुद पैदा की है। इसे इसका समाधान भी स्वयम ही खोजना होगा। हम सिर्फ उनकी सहायता कर रहे है जो प्रयास कर रहे हैं।"

पिया - " हमने वर्फ़ के एक मानव को देखा था उसने आपका नाम लिया था" 

जलेश्वर - " वो मानव नही है वो हिम शक्ति है। जिसका पुनः उदय हुआ था। इससे पूर्व हिम शक्ति को त्रेतायुग में जाग्रत किया गया था। इस समय वो हिम शक्ति इस हिमखंड के रूप में तुम्हारे साथ है जिसने इस यात्रा में तुम्हारा साथ दिया है। " 

पिया - " क्या हम इसे अपने साथ ले जा सकते है"

जलेश्वर - " ये सदैव तुम दोनों के साथ ही रहेगा। तुम चाहो तो इसे पुनः पृथ्वी के अंदर विलय कर सकते हो "

पिया - " नही मैं इसे साथ ही रखूँगी। आप बस हमे ग़जरीगांव पहुँचा दीजिये " 

जलेश्वर - " इस हिमखंड को स्पर्श करो और जहां जाना है इसे बता दो, ये तुम्हे पहुँचा देगा " 

विभु - " आप हो कौन वैसे, मतलब आपके बारे में कभी सुना नही ? " 

जलेश्वर - " मैं पृथ्वी की समस्त जल राशि का यक्ष देव हूँ। पृथ्वी पर जल की व्यवस्था देखना मेरा काम है।।मैं इस असीम प्रकृति का एक हिस्सा हूँ। परन्तु अब मानव ने मेरे कार्य मे हस्तक्षेप करना प्रारंभ कर दिया है जिसका दंड अब वह स्वयम भुगत रहा है। जाओ हो सके तो इस उद्दंड मानव समाज को प्रकृति के नियमो का मूल्य भी समझाओ "

इसके बाद पिया और विभु ने जलेश्वर से कोई सवाल नही किया क्योंकि जलेश्वर की आकृति अब एक जलप्रपात में बदल रही थी।

पिया ने नजर भर के उस जगह को देखा। क्योंकि शायद वो यहाँ दुबारा कभी नही आने वाली थी। अब वो वापस अपनी दुनिया मे जाने वाली थी। इसके बाद 
पिया और विभु ने हिमखंड को छूकर ग़जरीगांव का नाम लिया और वे दोनों उस मायावी दुनिया से गायब हो गए। उन्हें जैसे एक करंट का झटका लगा और दर्द से उनकी आँखें बंद हो गईं। थोड़ी ही देर में वो दर्द खत्म हो गया और जब उन्होंने आँखे खोलीं तो खुद को ग़जरीगांव के फार्महाउस से थोड़ा दूर उसी दलदल के पास खड़ा हुआ पाया। 

क्रमशः 

राइटर्स नोट - " अभी बहुत थोड़ा लिखा है क्योंकि रिकेप भी देना था। आगे भी लिखूँगी लेकिन सच मे अभी व्यस्त हूँ। लेट पार्ट आया इसके लिये क्षमाप्रार्थी हूँ। 🙏😊 " 
कुछ ही दिनों में गुप्तचर पब्लिश होने वाली है तो उसका नया एपिसोड हर रोज आपको मिलेगा ही। तो बस हो जाइए खुश। जल पिशाच भी अपडेट होता ही रहेगा। 😊😊