" कार का डीज़ल ख़त्म हो चुका था लेकिन खौफ़ का सफ़र अब भी जारी था , पीछे की सीट पर बैठा कोई इंसान लड़के का गला दबा रहा था और लड़की चीख़ रही थी पर लड़के को हाथ भी नहीं लगा पा रही थी तभी अचानक ......"

" परी आ गई ......" 8 साल की नन्हीं सी वायु ने अपनी मासी कोमल के गले मे बाहें डालते हुए कहा ।

कोमल अपने लैपटॉप को बंद करके वायु को अपनी गोद में ले लिया और उसके पेट में गुदगुदी करने लगी, दोनों की हँसी की खिलखिलाहट से पूरा घर मुस्कुरा उठा ।

" हाँ जी , तो आज मासी की चुखरी कौन सी कहानी सुनेगी " कोमल ने उसे अपने बेड पे लिटाते हुए पूछा ।

"परी वाली .... परी वाली छुनाओ न माछी, टूटू भी वही छुनेगा " वायु अपने टेडी के कान पकड़ती हुई बोली ।

" बेटा वायु , मासी को बहुत काम है न , आपकी छोटी मासी आज आपको बहुत सारी परियों वाली कहानी सुनायेगीं " अर्जुन ने वायु के सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा ।

" नो जिन्नि, मैं माछी से ही छुनूँगी " वायु मचलते हुए बोली और टेडी को छोड़ अपनी मासी से लिपट गई ।

अर्जुन ने दयनीय भाव से कोमल की ओर देखा लेकिन उसके मुस्कुराते चेहरे से उसे मासी प्रेम ही नजर आया, बेचारा मन मसोस कर चुपचाप अपनी फ़ाइल खोलकर बैठ गया।
कहानी सुनते सुनते ही वायु सो गई , तभी मीनू उनके कमरे में आई और बोली , " लाइए दीदु, मैं वायु को अपने कमरे में सुला दूँ , आप अब आराम कीजिये "

" हम्म .... , आराम कहाँ है बहना , अभी वो ज्वलनशील चाण्डालिनी का लास्ट एपिसोड भी एडिट करना है , कल मुझे जरा भी समय नहीं मिलेगा " कोमल ने दुबारा अपना लैपटॉप उठाते हुए कहा और अर्जुन अपनी फ़ाइल बन्द करके गुस्से से कोमल को घूरने लगा ।

" अरे लाइये दीदु, मैं कर दूँगी एडिट , आप आराम कीजिये " कहकर मीनू ने लैपटॉप बन्द कर दिया और वायु को अपने कमरे में सुलाने ले गई , जब वो वापस लैपटॉप लेने आई तो कोमल ने उस सख़्त हिदायत देते हुए कहा , " एडिट करते टाइम याद रखना , कोई रहम। मत कर देना किसी किरदार पर , वरना तुम्हारी भावनाओं के चक्कर मे कहानी का सस्पेंस ही ख़त्म हो जाएगा , ओके"

" जी दीदु , मैं ध्यान रखूँगी , शुभरात्रि, शुभरात्रि जीजू " मीनू ने कहा तो अर्जुन ने अपनी फ़ाइल बन्द करके कहा , " शुभरात्रि और बहुत बहुत धन्यवाद मीनू इस खौफ़नाक लैपटॉप को यहाँ से ले जाने के लिए , वरना इसके रहते हमें कौन पूछने वाला था यहाँ "

अर्जुन की बात सुनकर कोमल मुस्कुरा दी और मीनू भी।

जब मीनू चली गई तो कोमल ने अपना मोबाइल ऑन कर लिया और बेड पर आराम से बैठकर कुछ टाइप करने लगी, ये देख अर्जुन का ख़ून खौल गया उसने मोबाइल छीन लिया और बच्चों की तरह डाँटते हुए बोला , - " ये क्या है यार, मेरे लिए भी टाइम है या नही , दिन में बैंक और रात में ये तुम्हारा लेखन , मैं कहाँ हूँ यार तुम्हारी लाइफ में , हूँ भी या नहीं "

"तुम मेरी लाइफ में नहीं हो, तुम मेरी लाइफ हो, बुद्धदू , अब मोबाइल दो, बस 5 मिनट का काम है कर लेने दो, 5 मिनट के पीछे पूरी स्टोरी अधूरी पड़ी है , प्लीज न माय डिअर जिन्नि , प्लीज् , मोबाइल वापस दे दो " कोमल उसके आगे हाथ जोड़ती हुई बोली ।

अर्जुन का दिल थोड़ा पिघला , बोला , - "ठीक है , लेकिन पहले मैं भी तो देखूँ ऐसी कौन सी स्टोरी है जो हमसे ज्यादा जरूरी है .....पिपरिघाट से मोहनापुर तक जाने वाला हाईवे , द मोस्ट हॉन्टेड हाईवे ऑफ द वर्ल्ड... .... जहाँ प्रेत या पिशाच नहीं बल्कि सामना होता है खुद हाईवे से जो खुद ही सबसे बड़ा शैतान है .... रात या दिन दोनों में बराबर खौफ़नाक .... इस हाईवे के ख़ौफ़ का सफ़र रुकता नहीं ......, ये क्या बकवास है यार कोमल, इतना भूतिया कोई कैसे हो सकता है , मुझे तो लगता है मेरी शादी एक चुड़ैल से ही हो गई है "

"हम्म और प्यार किस से हुआ है , भूतनी, डाकिनी, पिशाचिनी, माया, डायन, तन्त्रा , चाण्डालिनी , ...." कोमल बोले ही जा रही थी कि अर्जुन ने उसे चुप करा दिया ये कहकर - " प्यार भी इसी चुड़ैल से है.... लेखिका साहिबा "

और फ़िर मोबाइल बन्द करके एक तरफ़ रख दिया कोमल ने और बोली , -" कल इस चुड़ैल का पूरा दिन मेरे प्यारे जिन्नि के लिए है, कल आप और मैं लॉन्ग ड्राइव पे जा रहे हैं "

" रियली , ...... ओह शैतानों के देवता , भगवान तुम्हारा भला करे, तुमने मुझे मेरी चुड़ैल वापस लौटा दी " अर्जुन ने कुछ इस तरह से कहा कि कोमल खिलखिलाकर हँस दी।

......

" यार , तुम मेरे साथ लॉन्ग ड्राइव पर आई हो या इस मोबाइल के ,रखो इसे उठा के एक तरफ़ " अर्जुन ने नकली गुस्सा दिखाते हुए कहा ।

" ठीक है प्रभु , लो रख दिया " कोमल ने बिना ऑफ किये ही मोबाइल वापस बैग में रख लिया

दोनों लोग वामोर के फोरलेन हाईवे पर थे अभी 5 km ही चले थे कि अर्जुन को भूख लग आई इसलिए दोनों लोग किसी ढाबे पे खाना खा रहे थे , दिन के 12 बजने वाले थे ।

दोनों ने खाना खा लिया तो अर्जुन जाकर बिल के पैसे अंदर ही जाकर दे आया , और वापस आकर बोला , " यार यहाँ पास में एक बहुत खूबसूरत सा पेड़ है, वो ढाबे वाला बोल रहा था उसके पास बैठकर जो भी लिखो या कहो वो सच हो जाता है, चलो हम दोनों भी चलते हैं, अपने जीवनभर साथ रहने की बात कहने उस पेड़ से "

कोमल उसके साथ चल दी, ढाबे से थोड़ी दूर ही वो पेड़ था , आस पास भी कई पेड़ थे लेकिन इस पेड़ की खूबसूरती अलग ही थी, एक एक पत्ता पूरा खिला हुआ , न जाने की चीज़ का पेड़ था , ऐसा पेड़ उन दोनों ने कभी नहीं देखा था , कोमल ने उस पेड़ की एक तस्वीर लेनी चाही , गलती से बैग से मोबाइल निकालते हुए उसके हाथ से सरक कर पेड़ के पास ज़मीन पर गिर पड़ा , कोमल ने उसे वापस उठाकर ऑन किया तो उसमें उसकी स्टोरी का ड्रॉफ्ट ओपन था , स्टोरी वही थी बस शब्दों का आकार बड़ा हो गया था औऱ रंग गहरा, अभी वो देख ही रही थी कि अर्जुन ने उसके हाथ से मोबाइल छीन लिया और उसका पासवर्ड बदलने लगा ।

" क्या कर रहे हो अर्जुन , वापस दो इसे "

" अपने मन का पासवर्ड डाल रहा हूँ , लो अब स्विच ऑफ " कहकर अर्जुन ने मोबाइल वापस उसे पकड़ा दिया ।

कोमल ने उसके हाथ जोड़ लिए , अर्जुन हँसने लगा फिर दोनों ने एक दूसरे का हाथ थाम कर एक दूसरे की आँखों में देखते हुए कहा "हम हमेशा एक दूसरे के साथ रहेंगें , हमेशा "
..... और दिन के 12 बज रहे थे ।

....

" मुझे माछी छे बात तरनी है मीनू " वायु मोबाइल लेने के लिए मीनू से जिद कर रही थी लेकिन मीनू दे नही रही थी, उसने बड़े प्यार से वायु को समझाते हुए कहा , " देखो वायु बेटा, अभी बस 30 मिनट और फ़िर मैं पक्का आपकी बात मासी से करवाऊंगी , जिद नही करते न , अभी मासी बिजी होंगीं , उन्होंने कहा था न वो 1 बजे कॉल करेंगी "

"ओते ..... " बोलते हुए वायु अपना टेडी लेकर मीनू के ही कमरे में खेलने लगी ।

कोमल और नीलू को वायु लगभग 4 साल पहले एक बस में बैठी मिली थी , दोनों ने काफ़ी कोशिश की थी लेकिन उसके माँ पापा नहीं मिल सके, पुलिस अभी तक कोशिशें कर रही थी , 4 साल से वायु इन दोनों के साथ रह रही थी , उसे अपने माँ पापा याद थे , कोमल को वो माछी कहती थी और मीनू को बस मीनू ही कहती थी, अर्जुन से कोमल की शादी लगभग 2 साल पहले ही हुई थी , अर्जुन को वायू जिन्नि कहती थी , अर्जुन भी उसे बहुत लाड़ करता था ।

कोमल अपनी हॉरर कहानियों से वायु को हमेशा दूर रखती ,उसके लिए अच्छे अच्छे देवताओं, प्यारी सी परियों और कार्टून जैसे जिन्नि की कहानियाँ ही गढ़ा करती ।

दरवाज़े पे किसी की दस्तक हुई , नीलू दरवाजा खोलने चली गई, पड़ोस की निर्मला आंटी थीं, कमरे में खेलते खेलते वायु की नज़र लैपटॉप पर पड़ी और वो उसमें कुछ पढ़ने लगी ।

......

अर्जुन और कोमल अपनी कार के पास हक्के बक्के खड़े थे , वो जब वापस लौट रहे थे तो उन्हें वो ढाबा दिखाई नहीं दिया जिसमें बैठकर उन्होंने खाना खाया था , दोनों घबराए से अपनी कार की तरफ़ दौड़े तो कार वहीं पर थी , लेकिन कार के पीछे ज़मीन में एक पत्थर गढ़ा हुआ था जिसपे लिखा हुआ था " पिपरिघाट 0 km "

जबकि ऐसा कोई पत्थर या ऐसी कोई जगह वामोर हाइवे के रास्ते मे आती ही नही थी, आस पास कोई गाड़ी नहीं, कोई ट्रक नहीं , कोई वाहन नहीं , न कोई आदमी , बस वो पत्थर , एक कार और शैतानी मुँह फाड़े लेटा हुआ वो विलेज रोड केटेगरी का हाईवे जो कि पहले अच्छा खासा फोरलेन हाईवे था ।

" ये अचानक से क्या हो गया कोमल, मुझे बहुत डर लग रहा है यार.. " अर्जुन ने कोमल से कहा जो सुन्न हुई खड़ी थी ।

" बोलो कोमल ...... "

" कार में बैठो अर्जुन , जल्दी....., वापस घर की तरफ चलो "

दोनों लोग तुरन्त कार में बैठे , अर्जुन ने बहुत कोशिश की लेकिन कार पीछे की तरफ़ हिली भी नहीं ।

" ये कार को क्या हो गया आगे क्यों जा रही है " अर्जुन घबराते हुए ब्रेक लगाए जा रहा था लेकिन कार रुक ही नहीं रही थी ।

" आआ..............." अर्जुन चिल्लाया , उसके सामने कार के काँच से एक आकृति चिपकी हुई थी , उसकी लाल आँखों की रोशनी से कार का काँच चटक रहा था , अर्जुन और कोमल अगले ही पल कार से बाहर थे । दोनों ने देखा कार तो वहीं खड़ी थी , वो आकृति गायब थी , लेकिन सफ़र नही रुका था, सफ़र चल रहा था , वे दोनों खड़े थे लेकिन हाईवे चल रहा था , दिन की धूप बिल्कुल भी धूप जैसी नहीं थी , ऐसा लगता था कि धूप आसमान नहीं आ रही , बल्कि वो शैतानी हाईवे की सड़क ही अपना शैतानी गुस्सा उबल रही हो क्योंकि आसमान में सूरज कहीं भी नहीं दिख रहा था , उन दोनों के शरीर पर हल्के से फफोले पड़ गए थे ।

दोनों एक दूसरा का हाथ मज़बूती से पकड़े हुए थे , वे खड़े थे, हाईवे चलता जा रहा था धीमे धीमे, उनकी बेबसी पर हँसता हुआ, एक मोड़ पर उन दोनों को झटका सा महसूस हुआ कार भी हिल गई , सामने सड़क ख़ून बिखरा पड़ा था लेकिन शब्दों के रूप में और शब्द थे " वेलकम ऑन द मोस्ट हॉन्टेड हाइवे ऑफ द वर्ल्ड"

" नहीं..........." कोमल चीखी और अर्जुन के गले लग गई , वो मोड़ भी निकल गया , अब सामने जो था उसे देखने की हिम्मत भी अर्जुन में नही थी, सड़क के बीचों बीच कई जानवर जैसे दिखने वाले प्राणी जिंदा इंसानों का माँस नोंच नोंच कर खा रहे थे और उन इंसानों की चीख़ें उस सड़क को हिला रही थीं ,दोनों तुरन्त कार के अंदर आ गए , और हाईवे का वो ख़ौफ़नाक नज़ारा भी निकल गया।

" ये ..... ये क्या था कोमल ? " अर्जुन ने अपना सीना दबाते हुए पूछा।

" मुझे माफ़ कर दो अर्जुन , सब मेरी गलती है, ये सब मेरी वजह से हो रहा है " अर्जुन का हाथ पकड़े हुए कोमल सिसक रही थी ।

"क्या हुआ, ऐसा क्यों बोल रही हो कोमल "

" मेरी कहानी सच हो रही है अर्जुन, शायद उस पेड़ के पास मेरा मोबाइल गिर गया था इसलिए...... इसलिए सब सच हो रहा है , मेरी कहानी द मोस्ट हॉन्टेड हाईवे सच हो रही है और हम इसमे फँस चुके हैं , हमारे साथ वही सब हो रहा है जो मैंने कहानी में लिखा था , हम किसी हाईवे पर नहीं है, हम एक शैतान के शिकंजे में फँस गए हैं ...... सिर्फ मेरी वजह से "

अर्जुन ने अपना हाथ उससे छुड़ा लिया और खुद को जब्त करते हुए पूछा " इस कहानी का अंत क्या है कोमल, कौन मरता है इसमें , नायक या नायिका "

" मैं नहीं जानती ....... मैंने कहानी ख़त्म नहीं कर पाई थी कल "

अर्जुन के मन मे उम्मीद जागी , " तो अब कर दो खत्म, ये लो मोबाइल , खत्म करो इस कहानी को "

अर्जुन ने कोमल के बैग से मोबाइल निकाला और पासवर्ड डालने लगा लेकिन मोबाइल अनलॉक नहीं हुआ , वो घबरा गया, " कोमल , ये अनलॉक नही हो रहा "

"मलतब, तुमने पासवर्ड बदला था न , तुम्हे याद नहीं है "

"मुझे याद है लेकिन उससे अनलॉक नहीं हो रहा, पुराने पासवर्ड से भी नहीं हो रहा "

इसी बीच कार से कई आकृतियाँ चिपक चुकी थीं , सब अलग अलग तरह तरह से अत्यंत वीभत्स रूप प्रकट कर रहीं थीं , जिस हॉरर को कोमल ने खुद बनाया था उनसे सामना कर पाने में वो खुद को बेहद कमज़ोर महसूस कर रही थी।

"अर्जुन , अपने मोबाइल से मीनू को कॉल करो, उससे बोलो कि लैपटॉप में जाकर इस स्टोरी को पूरा करे और किसी भी किरदार को मरने न दे , जल्दी करो अर्जुन ...."

" ओह नो यार , यहाँ नेटवर्क नही है यार , ...... ये भी तुम्हारी कहानी के हाईवे के खौफ़ का हिस्सा है क्या " अर्जुन ने अपने मोबाइल को स्टेयरिंग पर पटकते हुए कहा।

" हाँ ....... "

" और क्या क्या है शामिल है इस मनहूस हाईवे के खौफ़ में "

" सब...... , सब कुछ , मेरी ड्रीम स्टोरी थी ये, ये दुनिया का सबसे भूतिया हाईवे है , हर तरह का , हर बुरी शक्ति का , दुनिया का सारा खौफ़ झेलना पड़ता है नायक और नायिका को "

"तुम्हे कभी किसी किरदार पर रहम नहीं आता न कोमल ...."

" मतलब, जो कहानी के लिए सही हो वही तो लिखूँगी न ..."

" हाँ , तभी तुम्हारी भूतों की रसोई वाली कहानी में नायिका मर जाती है जबकि उसकी कोई गलती नहीं होती "

" हाँ तो उसका पुनर्जन्म भी तो करवाया था न मैंने "

" हद है यार कोमल, अब हमारा क्या होगा ये बताओ , ये भूत ज्यादा देर तक नही चिपके रहने वाले , कार के अंदर ही आएंगे अब "

"मैंने कहा न मैं नही जानती, मैंने सोचा था नायक और नायिका दोनो मर जायेंगे लेकिन लिख नहीं पाई थी "

"अच्छा ही हुआ जो नहीं लिख पाई , वरना हम दोनों मरते "

" मरोगे तो तुम अब भी....."
एक इंसानी हाथ पिछली सीट से आगे बढ़ते हुए अर्जुन के गले पर शिकंजा कस रहा था , कोमल उस हाथ को हटाने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसे छू भी नहीं पा रही थी , अर्जुन का दम घुटता जा रहा था , वो पूरी दम लगाकर चिल्लाया " मम्मा..........."

और अगले ही पल वो हाथ गायब था , दोनों फिर से कार से बाहर निकल आये और भागने लगे .. भूतिया हाईवे के साथ साथ ... लेकिन जैसे ही उन्होंने भागना शुरू किया सारा उजाला गायब हो गया और चारों तरफ़ घने अँधेरे में डूबा हाईवे ही दिख रहा था, जहाँ नजर जाती वहीं नई सड़क हाज़िर हो जाती , दोनों दौड़ते जा रहे थे , आख़िर थक कर सड़क किनारे निढाल होकर गिर पड़े ......

" वो हाथ से तो पीछा छूट गया , पर इस हाईवे से कैसे बचेंगें " अर्जुन हाँफते हुए कह रहा था।

"जब तक कहानी खत्म नहीं होती तब तक हम यहाँ से निकल नहीं पायेंगे , न इस अँधेरे से , न इस हाईवे से, शायद सालों तक हम यहीं कैद होकर रह जाएं, या फिर सदियों तक "

" इतना उलझा हॉरर क्यों लिखती हो यार तुम ,सीधा सीधा लिखो , अरे एक हाईवे था उसमें एक भूत था, दो लोग फँस गए, उन्होंने भगवान का नाम लिया, भूत गायब हो गया, दोनों घर आ गए , पर नही तुम्हें दिल का चूरमा बनाने वाला हॉरर चाहिए, लो भुगतो अब "

"एक सेकंड अर्जुन, हम कब निकलेंगे पता नहीं , लेकिन भगवान का नाम लेकर हम इस हाईवे के हर भूत हर बुरी शक्ति से बच सकते हैं, अभी तुमने भी तो उस हाथ से बचने के लिए मम्मा कहा था, माँ भी तो भगवान होती है न, इसीलिए तो वो हाथ गायब हो गया "

दोनों को एक उम्मीद बंधी लेकिन वो सड़क खिसयानी निगाहों से उन दोनों को घूर रहा था , अचानक सड़क के चारों ओर से अँधेरे में तैरती हुई कई लाल आकृतियाँ उन दोनों की ओर चीख़ती हुई आगे बढ़ रही थीं , दोनों एक दूसरे का हाथ थामकर अपनी अपनी माँ को याद कर रहे थे , इंसान किसी भी दुनिया मे हो, जहाँ मोबाइल का नेटवर्क काम न करता हो लेकिन माँ की दुआएँ हर जगह काम करती हैं ..... दोनों के आस पास मंडराती आकृतियाँ उनके करीब आते ही झुलस जाती थीं ।

सारी आकृतियाँ ख़त्म हो गईं, एकदम दोनों को जोरदार झटका लगा, पूरा हाईवे उखड़ रहा था , एक जोरदार झटके से वो दोनों एक दूसरे से अलग हो कर गिर पड़े , लेकिन अगले ही पल आश्चर्यजनक रूप से दोनों फिर पास गए और उन दोनों ने एक दूसरे का हाथ और भी कस कर पकड़ लिया ।

" तुम्हारी कहानी के शब्द सच हो रहे हैं तो हमारे साथ रहने का वादा भी सच हो रहा है कोमल , साथ अगर मर भी जाएं तो कोई गम नहीं होगा " कोमल को अपने सीने से लगाए हुए अर्जुन ने कहा, दोनों की आँखों में आँसू थे , शायद अब अंत करीब था ।

उन दोनों को चारों ओर से उस पिशाची हाईवे की सड़क ने कैद कर लिया था, वो सड़को के बने उस गोल कमरे में कैद थे, साँस भी मिलने लायक हवा नहीं थी , उन दोनों का दम घुट रहा था और उस सड़को से बने कमरे की दीवारों से ज़ोर ज़ोर से शैतानी अट्टहास की आवाजें उन दोनों के कानों में पड़ रही थीं , उनके शरीर का सारा ख़ून उनके कानों से बह रहा था, शरीर बिना हवा के घुट रहा था और ख़ून के बिना दोनों के शरीर चेतना विहीन हो रहे थे , आख़िर दोनों के शव उन बन्द सड़कों के भीतर पड़े हुए थे , सड़कों का बन्धन खुल गया , फिर से अँधेरे में अपनी जीत का जश्न मनाता हाईवे फैल गया और वो दोनों........ दोनों फिर से जीवित थे......


....... फ़िर से सड़क का उखड़ कर एक बन्द कमरे में बदलना शुरू हुआ , फिर से वही दम घोंटने वाला अहसास, फिर से वही शैतानी हँसी, फिर से चेतना विहीन होते शरीर.......

" ये कहानी अधूरी है अर्जुन......., हमें बार बार मरना होगा , काश कोई इस कहानी को पूरा कर दे और हमें एक बार मे ही.... मार डाले....., वरना न जाने कितनी सदियों तक ये हाईवे हमें बार बार मौत देता रहेगा ......"

" हौसला रखो कोमल, कभी न कभी , कोई तो इस शैतानी हाईवे की कहानी को पूरा करेगा ही, तब हमें मरकर या जीकर ..... मुक्ति जरूर मिलेगी.."

दोनों के ही शरीर फिर से निढाल हो रहे थे , दुनिया के सारे खौफ़ का मालिक वो हाईवे फिर से अपनी जीत पर हँस रहा था कि ......तभी अचानक ......... परी आ गई।

सफेद कपड़ो वाली सुंदर परी, जिसके पास जादू की छड़ी होती है ..... परी ने अपनी छड़ी घुमाई और सड़कों का बंधन किसी ज्वालामुखी के विस्फोट की तरह फट पड़ा।

" परी ....... " अर्जुन और कोमल ने वापस आती हुई अर्धचेतना के स्वर में कहा।

" हाँ , मैं परी , मैंने थोड़ी देर के लिए ये बंधन तोड़ा है, इस हाईवे का तिलिस्म नहीं , इसे तुम ही तोड़ सकती हो कोमल, क्योंकि तुमने इसे बनाया है, मिटा दो अपनी लिखी कहानी को .." कहकर परी मुस्कुराई और उड़ते हुए अपने परीलोक चली गई।


अर्जुन और कोमल ने देखा कि उनकी कार उनके पास ही खड़ी है, कोमल ने दौड़ कर उसमें से अपना मोबाइल बाहर निकाला और पासवर्ड में अपना ही नाम डाल दिया , मोबाइल अनलॉक हो गया, सड़के फिर उखड़ने लगीं , कोमल ने बिना देर किए पूरा ड्राफ्ट ही डिलीट कर दिया और ... अँधेरा छंट गया , आसमान में सूरज था और कार के सामने वही ढाबा था , सबकुछ पहले जैसा था ।

"ये तुम्हारे नाम से कैसे अनलॉक हुआ "

" तुमने उस पेड़ के सामने कहा था न कि जो तुम्हारे मन मे है तुमने वही पासवर्ड डाला है, तो पासवर्ड में मेरा नाम सेव हो गया "

तभी कोमल के फ़ोन पर घन्टी बजी, मीनू का फ़ोन था, कोमल ने फ़ोन उठाया , उधर से आवाज आई "क्या दीदु कबसे कॉल कर रही हूँ , अनरीचबेल आ रहा था, ये आपकी वायु बेटा ने न जाने क्या कर दिया लैपटॉप में, आपकी हॉन्टेड हाईवे वाली स्टोरी का ड्रॉफ्ट गायब हो गया और कह रही है कि मैंने बस इतना लिखा था कि ... परी आ गई "

कोमल मुस्कुरा दी और बोली, " उसे डाँटना मत, वो सच में अपनी मासी के लिए परी लेकर आई थी "

....

- आस्था जैन 'अन्तस'

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