भाग- 27
अगले ही दिन सभी दोस्तों ने अपना-अपना काम करना शुरू कर दिया. सबसे पहले तो मानिकेय ने झील में स्नान किया और फिर ध्यानमग्न होकर झील किनारे बैठ गया. फिर उसने हवन किया और मंत्रोचार से जंगल के एक भाग को मायावी बना दिया जिससे किसी भी दूसरे व्यक्ति को जंगल में हो रहे काम को देख पाना संभव नहीं था. उसने जंगल के उस भाग को मायावी बना दिया जहाँ सुल्तान के राज्य का कोई भी व्यक्ति नहीं आता था. फिर सोमदत (सुथार) ने लकड़ी से सेनिको की आकृति बनानी शुरू कर दी. इधर लौहार पुत्र और राजकुमार दोनों बाजार से राशन का सामान, कपड़ा, कपडे सिलने वाली मशीने, और हथियार बनाने के लिए धातुएं लेकर आ गए. मानिकेय ने उन दोनों को अभिमंत्रित ताबीज दे दिया जिसको गले में पहनते ही वो किसी को भी दिखाई नहीं दे पाए.. लेकिन अगर वे उस ताबीज को अपने गले से बाहर निकाल लेते तो वो दिखाई देने लग जाते. उन ताबीज की शक्तिया भी इतनी अद्भुत थी की अगर वो ताबीज पहनकर कोई व्यक्ति किसी वस्तु या व्यक्ति या जानवर को अपने हाथ से छूता भी है तो वो भी अदृश्य हो जाए. इस कारण उन दोनों को राज्य के सेनिक पकड़ लेंगे ये संभव ही नहीं था.. वे शीघ्र ही सारा सामान ले आए.. शाम तक सोमदत ने ऐसे १०० पुतले बना दिए.. अब मानिकेय ने एक-एक कर सब पुतलो में प्राण डाल दिए. अब वे एक हष्ठ-पुष्ठ सैनिक बन गए थे. मानिकेय ने उन सेनिको में युद्ध कौशल की विद्या के अतिरिक्त सुथार, दर्जी और लौहार की विद्या का भी समावेश कर दिया. ठीक उसी तरह जिस तरह उसने मणिकृतिका को बनाते वक्त उसमें एक सभ्य और बुद्धिमति स्त्री के गुणों का समावेश कर दिया था..
अगले दिन उन सौ सनिको में से कुछ के पास सुथार विद्या का ज्ञान था तो कुछ के पास दर्जी का तो कुछ के पास लौहार विद्या का. अब वे भी सोमदत, भागीरथ और आयुष्मान की तरफ क्रमश सुथार, दर्जी और लौहार विद्या में पारंगत हो गए थे.. अगले दिन लकड़ी से बनने वाली आकृतियों की संख्या हजार पहुँच गई.. इस तरह से एक साथ सभी में मानिकेय ने प्राणों का संचार कर दिया.. वे सब भी युद्ध कौशलों के साथ-साथ अन्य विद्याओं में पारंगत थे. इधर राजकुमार और सूर्यप्रकाश बाजार जाकर लकड़ी, इस्पात और राशन सामान खरीदकर ले आए.. अगले दिन सोम दत और कुछ सेनिको ने मिलकर बेल गाड़ियों को बनाया ताकि सामान आसनी से लाया जा सके.. उसने अब बैलो के भी पुतले बना दिए. मानिकेय ने उनमे भी प्राण भूंक दिए जिससे वे बेल बंन गए. सबकुछ मीणा पुत्र की योजना अनुरूप ही हो रहा था. दर्जी पुत्र कुछ सेनिको की सहायता से पौशाके सील रहा था.. वहां ढेरों मशीने लगी हुई थी..
एक के बाद एक कार्य पूर्ण होते जा रहे थे. अगले दस दिनों में ही सभी ने मिलकर एक लाख सेनिक, पांच सौ हाथी, दस हजार घोड़े और दो हजार रथों का निर्माण कर लिया.. अब राजकुमार के पास प्रयाप्त सेना बन चुकी थी. बस अब युद्ध का ही बिगुल बजाना था.. सभी बस मीणा पुत्र और मणिकृतिका से मिलना चाहते थे.. मीणा पुत्र को सन्देश पहुँचाया गया. वह शीघ्र ही मणिकृतिका के साथ जंगल में आ गया.. जब उसने सेना देखी तो वह आश्चर्य चकित हो गया.. हो भी क्यों न मात्र दस दिनों के अन्दर ही तो सब दोस्तों ने मिलकर एक विशाल सेना का निर्माण कर लिया था. लौहार पुत्र ने सेनिको की सहायता से हथियार भी बना दिए. अब बस कमी थी तो सिर्फ योजना की.. जो की सिर्फ मीणा पुत्र ही बना सकता था क्योंकि उसे सुलतान के राज्य की सेना से लेकर हर तरह के गुप्त रास्तो के बारे में भी पता था.. वह सभी सेनिको और दोस्तों के सम्मुख खड़ा था.. राजकुमार और उसके बाकी के दोस्त अलग-अलग शिलाओं( पत्थर के बड़े तुकडे) पर बैठे हुए थे. मीणा पुत्र ने सभी को संबोधित करके कहा-
मीणा पुत्र- आप सभी दोस्तों को मीणा पुत्र सोमभद्र का प्रणाम.. आप सभी जानते हैं की आज हम यहाँ क्यों खड़े हैं? हमें आज से ठीक तीन दिन बाद खिद्रा बाद राज्य पर आक्रमण करना है.. अब आप सोच रहें होंगे की क्यों?
तो इस क्यों का जवाब मेरे पास यह है की खिद्राबाद राज्य का सुल्तान हमारी भाभी माँ को छल कपट से अपहरण करके ले गया.. लेकिन यह बात हमारी भाभी माँ के अपहरण करने तक ही सिमित नहीं है. इस राज्य में बहुत से कार्य गलत होते हैं.. इस राज्य का सुल्तान महिलाओं को सिर्फ कामवासना की पूर्ती करने वाली वस्तुएं समझता है.. सुल्तान से केवल हम लोग ही खफा नहीं हैं बल्कि पूरा खिद्राबाद राज्य ही खफा है.. इस लिए हमें अनैतिकता और अधर्म को हराकर धर्म की स्थापना करनी है.. तो क्या आप हमारे साथ हैं?
सभी सैनिक एक साथ- जी हम आपके साथ हैं... हमें इस युद्ध में अगर जान भी गवानी पड़ेगी तो कोई गम नहीं..
मीणा पुत्र मुस्कुराकर- अरे! आप सभी को जान गवाने की चिंता नहीं करनी हैं क्योंकि मेरे दोस्त मानिकेय मरे हुए इंसान को भी जिन्दा कर सकता है तो आप चिंता ना करें..
मीणा पुत्र की इस बात से सभी दोस्त और सेनिक एक साथ जोर जोर से हंस पड़ते हैं... फिर मीणा पुत्र मुस्कुराकर राजकुमार के तरफ देखकर कहता है- तो अब मैं अपने मित्र को बुलाना चाहूँगा जो आप सब में से सेना के सेना पति का चुनाव करेंगे... फिर वह राजकुमार से कहता है- आओ मित्र हमारी सेना के सेनापति का चुनाव करो..
मीणा पुत्र के इतना कहते ही राजकुमार वीर प्रताप खड़ा होकर आगे बढ़ता है.. वह सबके सामने आकर खड़ा होता है फिर सभी से कहता है-
राजकुमार- मैं सबसे पहले मेरे सभी दोस्तों को धन्यवाद कहना चाहूँगा जिन्होंने मुझे आज इस काबिल समझा.. अब रही बात आप सब में से एक व्यक्ति को सेनापती के चुनाव करने की तो ये मेरे लिए बहुत मुश्किल काम है लेकिन फिर भी मुझे आप मैं से किसी एक का चुनाव करना होगा.. तो चलो हमारी सेना का सेनापति होगा...
फिर वह पूरी सेना के सैनिको की तरफ देखता है फिर अपने दोस्तों की तरफ.. आखिरकार वह अपने निर्णय पर पहुँचता है. फिर वह गंभीर होकर कहता है- तो अब हमारी सेना का सेनापति होगा इस सेना का प्रत्येक सैनिक. ये लड़ाई अब केवल हमारी ही नहीं है.. इस लिए इस सेना का सेनापति भी भला कोई एक कैसे हो सकता है? यह लड़ाई है स्त्री को उसका सम्मान वापस दिलाने की.. तो क्या आप संतुष्ट हैं मेरे निर्णय से... आप सभी हमारी सेना के सेनापति हो...
राजकुमार के इतना कहते ही सभी सेनिक जोश से भर जाते हैं.. वे सभी सेनापति बनकर बहुत खुश होते हैं... सभी को राजकुमार के निर्णय पर गर्व होता है..सभी दोस्त और सेनिक जोर से कहते हैं- जी राजकुमार, वीर प्रताप.. हमें आपके निर्णय से संतुष्ट हैं..
इतना कहते ही वीर प्रताप और सभी दोस्तों का चेहरा खिल उठता हैं. मीणा पुत्र और मनिकृतिका वापस महल की तरफ चले जाते हैं...
अगले तीन दिन बाद अचानक खिद्राबाद राज्य के दरबार में एक गुप्तचर दौड़ता हुआ आता है- वह बिना रुके ही सीधा दरबार में आकर जोर से सुल्तान को कहता हैं..
गुप्तचर ( डरा हुआ) जहाँपनाह..
याकूब क्रोधित होकर- क्या हुआ तुम यूं डरे हुए क्यों हो?
गुप्तचर- जनाब याकूब बात ही ऐसी हैं..
सुल्तान- चुप चाप सीधे शब्दों में बोलो की बात क्या है?
गुप्तचर( डरता हुआ) जहाँ पनाह.. हमारे राज्य के बाहर एक ...
क्रमश.............
भाग- 28
सुल्तान क्रोधित होकर कहता है- क्या हुआ हमारे राज्य के बाहर?
गुप्तचर- जहांपनाह हमारे राज्य को चारों से एक सेना ने घेर लिया है..
सुल्तान- क्या? लेकिन इतनी हिम्मत हमारे पडौसी राज्यों की राजाओ में तो नहीं हो सकती.. ये कौन है मूर्ख राजा है?
गुप्तचर- जहाँ पनाह वो कोई मुर्ख राजा नहीं लग रहा है...
याकूब- मतलब! वो मुर्ख है तभी तो हमारे राज्य से लौहा लेना चाहता है. उसे पता नहीं हमारे राज्य की सेना कितनी विशाल है..
गुप्तचर- जनाब याकूब आप जो सोच रहें है वैसा बिलकुल भी नहीं है.. जिस राजा ने हमें चारो और से घेर रखा है उसके पास एक लाख से भी ज्यादा सेनिक, सैकड़ो हाथी और हजारो घोड़े हैं..
सुल्तान डरते हुए बोलता है- क्या? लेकिन वो हमसे युद्ध क्यों चाहता है?
गुप्तचर- जहाँ पनाह उन्होंने आपके नाम एक चिठ्ठी भेजी है.. आप कहो तो सुनाऊं..
सुल्तान- हाँ! सुनाओ..
गुप्तचर- जी जहाँपनाह.. फिर गुप्ताचर चिठ्ठी पढ़कर सुनाना शुरू करता है..
खिद्राबाद के सुल्तान को अधोमती राज्य के राजकुमार का औपचारिक नमस्कार.. आज से छ: माह पूर्व आप और आपकी भुआ ने छल से मेरी पत्नी अनामिका का अपहरण कर लिया था. आपने केवल मेरी पत्नी का अपहरण ही नहीं किया बल्कि उसके साथ बदसलूकी भी की. इस लिए मैं आपको अभी और इसी वक्त युद्ध के लिए चुनौती देता हूँ.. या तो आप हमारी सेना के आगे हार स्वीकार कर लीजिए या फिर आप मेरी पत्नी को मेरे हवाले कर दीजिए.. अगर आप हार स्वीकार करते हैं तो यहाँ का राजपाट भी मेरे अनुसार चलेगा क्योंकि खिद्राबाद की जनता आपसे बहुत परेशान है.. इस लिए आत्मसमर्पण कर दीजिए ताकि आपको अभयदान मिल सके वरना जहानुम में जाने के लिए तैयार हो जाईये..
आपका शुभेच्छु
अधोमती राज्य का राजकुमार
वीर प्रताप सिंह
गुप्तचर के चिठ्ठी पढने के साथ ही सुल्तान पूरे आवेश में आ जाता है.. वह क्रोधित होकर कहता है.
सुल्तान- सेनापति याकूब..
याकूब- जी जहाँ पनाह फरमाईये..
सुल्तान- अभी और इसी वक्त हमारी सेना को युद्ध के लिए आज्ञा दीजिए.. इस दूधमुहे लडके की इतनी हिम्मत की वो हमारे साथ बदसलूकी से पेश आए.. हम इस अपमान को कतई नहीं बख्सेंगे..
याकूब- जी जहाँ पनाह..
फिर याकूब पूरी सेना को युद्ध के लिए तैयार करता है. इधर राजकुमार और उसके दोस्त खिद्राबाद राज्य के चारो और घेराबंदी किए हुए हैं.. सुल्तान की सेना शीघ्र ही तैयार हो जाती हैं. सुल्तान दरबार में बहुत चिंतित दिखाई दे रहा है.. याकूब सेना को लेकर राजकुमार की सेना से मुकाबला करने के लिए तैयार है.
वह शीघ्र ही रणक्षेत्र में सेना लेकर पहुँच जाता है. सुल्तान युद्ध के विषय में जानकारी राज दरबार से ही लेता है.. वह अब तक युद्ध मैदान में नहीं उतरता है. क्योंकि उसे याकूब की बहादुरी पर बहुत गर्व है.. राजकुमार याकूब को देखकर चकित हो जाता है.. क्योंकि वह सोचता है की सुल्तान क्यों नहीं आया? राजकुमार याकूब का उपहास करने के लिए मानिकेय से कहता है-
राजकुमार हँसते हुए- देखो मानिकेय तुम तो कह रहे थे की खिद्राबाद राज्य का सुल्तान बहुत बहादुर है. वह अगर इतना ही बहादुर है तो युद्ध करने के लिए युद्ध मैदान में क्यों नहीं आया.. हा हा हा कितनी शर्म की बात है..
याकूब क्रोधित होकर- तुम्हारी इतनी हिम्मत.. की तुम हमारे जहाँ पनाह का मजाक उडाओ.. अब मरने के लिए तैयार हो जाओ..
राजकुमार- अच्छा.. अब देखो मानिकेय ये मारेगा मुझे.. इसे देखो तो सही. इसकी एक आँख नहीं है ना इस कारण इसे इसके सामने खड़ी मौत दिखाई नहीं दे रही है.. हा हा हा हा.
याकूब- चुप करो.. अभी बताता हूँ मैं तुम्हे की मैं क्या हूँ... सचेत हो जाओ राजकुमार..
फिर वह अपना धनुष और बाण उठाता है और पहला ही बाण राजकुमार की तरफ जोर से चलाता है तो राजकुमार के छाती पर लग जाता हैं..
राजकुमार दर्द से.. आह!
राजकुमार के तीर लगते ही मानिकेय दुखी हो जाता हैं.. फिर याकूब जोर से हँसते हुए कहता हैं- हा हा हा हा.... बड़ा आया मुझे मारने वाला.. अब सामना कर मेरा..
फिर वह दूसरा तीर निकालता है और राजकुमार की तरफ छोड़ता हैं लेकिन अबकी बार राजकुमार उस तीर को बीच में ही काट देता है..
अब युद्ध पूरी सेना के मध्य छिड़ जाता है... राजकुमार की सेना के सिपाही बहुत ही बहादूरी से युद्ध लड़ रहे हैं.. राजकुमार के दोस्त लौहार पुत्र और जोहरी पुत्र सूर्यप्रकाश भी रणक्षेत्र में एक तरफ लड़ रहे हैं.. इधर मानिकेय जो भी सेनिक राजकुमार की सेना से मर रहा था उसे वह तीर निकालकर वापस जिन्दा कर रह था..
सूर्य प्रकाश जब एक सैनिक को जान से मार देता है तो वह बहुत खुश होता है क्योंकि वह युद्ध कौशल में इतना पारंगत नहीं है.. वह जश्न मना रहा होता हैं..
सूर्यप्रकाश- यहा! हा हा हां.. मैंने भी एक को मार दिया.. अहा..
वह जश्न मना रहा होता है की इतने में ही उसके पीछे से एक दूसरा सैनिक लात मारता है. उसका मुहं रेत में धंस जाता हैं..
सूर्यप्रकाश दर्द से-.. उई... उफ़...
फिर वह खड़ा होकर अपनी तलवार उठाता हैं..
सूर्य प्रकाश- कमीने मैं तुझे नहीं छोडूंगा... या.... अब तूँ तो गया..
फिर वह उस सैनिक से कई देर तक लड़ता रहता है. इधर लौहार पुत्र एक दूसरे सैनिक के गदा की मारकर उसे जान से मार देता हैं.. लौहार पुत्र आयुष्मान के बाजूओं में बहुत ताकत है इस कारण वह हर योधा को पटखनी दे रहा है लेकिन जोहरी पुत्र में इतनी ताकत नहीं है इस कारण वह उस एक सैनिक को हरा नहीं पाता है. लौहार पुत्र दूसरे सैनिक को भी जान से मार देता हैं..फिर वह जश्न मनाता है..
लौहार पुत्र- हा हा हा हा.. एक और गया..
फिर वह दूसरे सैनिक को देखकर कहता है...
हाँ बेटा अब तूँ और आ जा.. या ये ले.. फिर वह एक गदा की मारता है और वो सैनिक भी मर जाता हैं लेकिन जोहरी पुत्र अब भी उससे लड़ रहा है..
सूर्यप्रकाश- या... ये ले...
लेकिन वह उस सैनिक से लड़ाई करते हुए थक जाता है.. एक के बाद एक तलवार से वार करता हैं लेकिन वह उसे हरा नहीं पाता.. जब लौहार पुत्र की नजर उन दोनों की लड़ाई पर पड़ती हैं तो वह दौड़कर आता है और जोर से उस सैनिक के सर पर गदा की मारता हैं और वह वहीँ ढेर हो जाता हैं..
लौहार पुत्र सूर्यप्रकाश की तरफ मुस्कुराते हुए कहता है-- सौ सुनार की एक लौहार की.. हा हा हा हा...
सूर्यप्रकाश को उसकी बात पर हंसी आती है.. इधर राजकुमार और याकूब के मध्य घमासान युद्ध चल रहा है. कोई भी योधा हार मानने को तैयार नहीं है. और दूसरी तरफ मानिकेय राजकुमार की सेना के मृत जवानो को पुन: जिन्दा कर रहा है.. ये देखकर सुल्तान की सेना के उप- सेनापति को गुस्सा आ जाता है. वह मन में बुदबुदाता हैं- इस पंडित ने तो आज नाक में दम कर रखा है.. इनकी सेना का जो भी सैनिक मर रहा है यह कमीना तो इसे वापस जिन्दा कर रहा है.. क्यों न इसे ही मार दिया जाए.. फिर इसे कौन जिन्दा करेगा.. फिर वह क्रोधित होकर मानिकेय से कहता हैं..
उप-सेनापति- पंडित सचेत हो जाओ.. तुम अब मरने वाले हो..
वह इतना कहते ही अपने धनुष पर तीर चढ़ा लेता हैं. वह प्रत्यंचा खींचने के लिए तैयार है.. इधर राजकुमार याकूब के साथ युद्ध कर रहा है तो उसे वो बचा नहीं सकता. मानिकेय को युद्ध कौशल का ज्ञान नहीं है..उसके बाकी के दोस्त उसके पास नहीं है.. उपसेनापति ने निशाना साधने के लिए अपनी एक आँख बंध कर ली हैं....
क्रमश...
भाग-29
इधर लौहार पुत्र ने मानिकेय को खतरे में देखकर उसकी तरफ दौड़ लगा दी लेकिन वह उससे काफी दूर था. मानिकेय ने खतरे को भापकर कुछ मन्त्र बोलने शुरू किए और शीघ्र ही उसने अपने कई रूप ले लिए.. विपक्ष की सेना उसका ये मायावी रूप देखकर चौंक गई. चारो ओर कम से कम बीस मानिकेय हो गए. अब उपसेनापति के कुछ समझ नहीं आ रहा था की इनमें से असली मानिकेय कौन है? वह अपना धनुष बाण निचे रख देता है.. मानिकेय उसका उपहास उड़ाते हुए कहता है
मानिकेय- हा हा हा हा ... तुम तो मारने वाले थे ना मुझे.. अरे तीर चलाओ ना..
उप सेनापति- तुम अपनी माया का प्रयोग करते हो. अगर हिम्मत है तो सीधे युद्ध में चुनौती दो मुझे...
`अच्छा, तो तुम्हे सीधे युद्ध में चुनौती चाहिए तो आ जाओ मैदान में.. मैं तुम्हे गदा युद्ध के लिए ललकारता हूँ.. जलाल खान.., ` लौहार पुत्र ने उपसेनापति जलाल खान को गदा युद्ध के लिए ललकार दिया. जलाल खान आवेश में आ गया. उसने क्रोधित होकर कहा.- अच्छा! तो अब तेरे जैसे दूधमुहें बच्चे मुझे चुनौती देंगे.. चल आ. मैं भी देखता हूँ तुझमे कितनी ताकत है.
लौहार पुत्र ने अपने कंधे पर गदा उठाते हुए कहा- हाँ! आ जाओ.. फिर...
इधर राजकुमार और याकूब के मध्य युद्ध विकराल रूप ले चुका है. दोनों ही योधाओ में से कोई भी हार मानने को तैयार नहीं है.. दोनों ही पक्षों की सेना पूरे जोश से युद्ध लड़ रही है लेकिन राजकुमार की सेना सुल्तान की सेना पर भारी पड़ती हुई दिखाई दे रही है.. एक-एक कर सुल्तान की सेना के जवान वीरगति को प्राप्त हो रहें हैं.. कुछ ही देर में जलाल खान और लौहार पुत्र के मध्य युद्ध छिड़ जाता है. मानिकेय अन्य योधाओ को जिन्दा करने के अपने पुराने कार्य में पुन: लग जाता है. इधर सुल्तान की चिंता बढती ही जा रही है क्योंकि गुप्तचर उसे पल-पल की खबर बता रहें हैं.. जलाल खान ने लगातार दो गदाओ की लौहार पुत्र पर जब जोर से वार किया तो उसकी गदा हाथ से छुट गई और वह दर्द से कराह उठा..
लौहार पुत्र गिरते हुए- आह...
जलाल खान- क्या हुआ? दर्द हो रहा है.. तुम तो मुझे हराने वाले थे.. हा हा हा हा हा... अब क्या हुआ..
लौहार पुत्र ने आवेश में आकर गदा उठाई.- तेरी तो मैं मैं तुझे नहीं छोडूंगा.. या.... ये ले..
फिर वह एक-के बाद एक लगातार जोरदार प्रहार करता जाता है.. दोनों में घमासान युद्ध छिड़ जाता है. ऐसा लग रहा है की अब लौहार पुत्र उसे जिन्दा नहीं छोड़ेगा.. फिर वह जोर से उसकी सर पर एक गदा का प्रहार करता हैं..
गदा के प्रहार से जलाल खान की गदा निचे जमीन पर गिर जाती है. वह दर्द से कराह उठता है..
जलाल खान- उई...आह..
लौहार पुत्र- हा हा हा हा क्या हुआ.. दूधमुहे बच्चे से हार जाओगे.. गदा उठाओ जलाल खान..
फिर जलाल खान गदा उठता है और जैसे ही प्रहार करने लगता है. लौहार पुत्र बचाव करके उसके जोर से गदा मारता है..
लौहार पुत्र- ये ले.. ले कमीने ले..
फिर वह एक के बाद एक जोरदार प्रहार करता है और आखिरकार एक जोरदार प्रहार छाती पर करता है और जलाल खान मर जाता है.. लौहार पुत्र जोर से हँसते हुए कहता है..
लौहार पुत्र- हा हा हा हा.. मैंने जलाल खान को मार दिया है.. हाँ! मैंने जलाल खान को मार दिया है..
लौहार पुत्र की अठ्ठास पूर्ण हंसी देखकर विपक्षी सेना के पसीने छुट जाते हैं. वे डर के मारे भागने लगते हैं.
सभी सैनिक जोर से- अरे! भागो.. भागो..
उनका हौसला पस्त हो जाता है.. एक सैनिक भागते हुए महल की तरफ जाता है.. शाम होने को है.. इधर याकूब का भी हौसला पस्त हो जाता है इसकारण राजकुमार एक साथ तीन तीरो का धनुष पर संधान करता है और याकूब की तरफ चला देता है जिससे एक तीर से याकूब का सारथी मर जाता है.. एक तीर उसके मुकूट को ले उड़ता है तो एक तीर उसके कान को भेद देता है.. याकूब दर्द के मारे करहाता है..
याकूब- उई.. उई... आह....
राजकुमार- हा हा हा.. क्या हुआ जनाब याकूब.. ये दर्द तो अब सहना होगा तुम सब को... मेरी पत्नी पर जुल्म ढहाने से पहले तुम सबको ये सोचना था.. अब भुगतो..
फिर वह तीन अन्य तीरो का संधान करता है तो एक उसके हाथ को भेद देता है तो एक उसकी आँख फोड़ देता है. इससे वो अँधा हो जाता है...और एक उसके पैर में घुस जाता है..
राजकुमार क्रोधित होकर- याकूब सावधान हो जाओ.. अब तुम्हारी मौत आने वाली है.. राजकुमार ने कुछ मन्त्र बोले और एक तीर का संधान किया और सीधा याकूब की गर्दन की तरफ छोड़ दिया. वो तीर याकूब की गर्दन ले उड़ता है..
याकूब- आह.. आह....
वह तड़फकर निचे गिर जाता है.. उसकी गर्दन सीधे सुल्तान की गोद में जाकर गिरती है.. दरबार में बैठे सभी लोग आश्चर्य चकित हो जाते हैं की भला उनका बहादुर सेनापति याकूब मर कैसे गया.. सुल्तान की भुआ भी क्रोधित हो जाती है.. सुलतान गर्दन को देखकर जोर से चीखकर कहता है..
सुल्तान- याकूब... मैं उस राजकुमार को जिन्दा नहीं छोडूंगा..
फिर वह क्रोधित होकर अपने सारथि को कहता है..
सुल्तान- चलो सारथि.. मेरा रथ रणक्षेत्र की तरफ ले चलो..
सारथि- जी जहाँपनाह...
वह जैसे ही सुल्तान के साथ खड़ा होकर जाने लगता है.. शाम होने की वजह से युद्ध विराम का शंख नाद हो जाता है..
सुल्तान क्रोधित होकर- ये शाम भी अभी होनी थी.. चलो वो सपोला कितनी देर बचेगा.. कल तो वो मेरे हाथो से मरेगा ही..
भुआ क्रोधित होकर- तुम चिंता मत करो बेटा..कल मैं भी युद्ध क्षेत्र में तबाही मचा दूँगी..
सुल्तान- क्या कहा भुआ आप?
भुआ- हाँ मैं.. तुम देखो कल मैं क्या करती हूँ..
इधर मीणा पुत्र दरबार में बैठ हुआ है.. उसे भी कैसे भी करके भुआ की योजना को जानकर उस योजना को राजकुमार और उनकी सेना तक पहुंचानी थी.. आज का दिन राजकुमार और राजकुमार की सेना के नाम रहा. बहुत से सैनिको ने बहादुरी से युद्ध लड़ा.. खास कर लौहार पुत्र ने तो बहादुरी के झंडे ही गाड़ दिए थे.
क्रमश......
भाग- 30
अगले दिन राजकुमार की सेना ओर जोश से उतरी. इधर सुल्तान की सेना भी निर्णायक युद्ध करने के लिए तैयार थी. सुल्तान अपने सारथि के साथ रणक्षेत्र की ओर निकल पड़ा. उसके सामने राजकुमार था. राजकुमार को अपनी जीत सुनिश्चित लग रही थी. लेकिन अब जो होने वाला था उसका किसे पता था. मीणा पुत्र कल रात से ही नहीं सोया था क्योंकि वह भुआ के दिमाग और उसकी ताकत को बखूबी जानता था. मनिकृतिका भी मीणा पुत्र के साथ महल में ही थी. इधर बाहर रणक्षेत्र में बिना किसी औपचारिक चुनौती के सुल्तान और राजकुमार के मध्य युद्ध छिड़ गया.
सुल्तान की भुआ ने अपने कक्ष के निचे बने एक तहखाने में तांत्रिक यज्ञ करने लगी. उसने सभी चुडैलों और भूतों को बुलाना शुरू कर दिया. सब एक-एक कर उसके समक्ष आने लगे. इधर मीणा पुत्र को उसके राज का पता चल गया. इस लिए वह शीघ्र ही मणि कृतिका के साथ नाग कन्या के कक्ष में चला गया. उसने अपनी पतलून से मणि निकाली और नाग कन्या को देते हुए कहा.
मीणा पुत्र- भाभी माँ आज रणक्षेत्र में हमारी ही जीत होगी लेकिन उस जीत को हार में बदलने के लिए भुआ ने तांत्रिक विद्या को प्रयोग करने की ठानी है. अब आप ही उसका इस नाग मणि के सहायता से सामना कर सकती हो..
नाग कन्या- पर मैं..
मणि कृतिका- भाभी माँ आपको आज ऐसा करना ही होगा.. हम सब को मिलकर इस युद्ध को करना होगा. अगर आज आप ऐसा नहीं करेंगी तो हम कभी नहीं जीत पाएँगे...
नाग कन्या- लेकिन आप समझ क्यों नहीं रहे हो? मैंने आज तक कभी भी नाग मणि की शक्तियों का प्रयोग नहीं किया है और न ही मैं इन शक्तियों के सही से प्रयोग करने के तरीके को ढंग से जानती हूँ.
मीणा पुत्र- पर भाभी माँ आज आपको करना ही होगा वरना हम सब मारे जाएँगे.. हमारी सारी योजना पर पानी फिर जाएगा..
नाग कन्या- मैंने कहा ना मैं नहीं कर सकती..
मणिकृतिका- पर भाभी माँ आज आपको करना ही होगा...
नाग कन्या- तुम चुप करो मनिकृतिका अगर ये सब इतना ही आसन होता तो क्या मैं मना करती.. मैं नाग मणि की सामान्य शक्तिओं के बारे में ही जानती हूँ..मीणा पुत्र- लेकिन भाभी माँ आप तो नाग कन्या है तो ऐसे कैसे हो सकता है?
नाग कन्या- तो क्या हुआ? मेरे पिताजी ने कभी मुझे नाग मणि का प्रयोग करना नहीं बताया.. तो इसमें मेरी क्या गलती है..
मीणा पुत्र- उफ़! भाभी माँ तो हम हार जाएंगे..
फिर वह मणिकृतिका की और ध्यान से देखता है और उसे कहता है.
मीणा पुत्र- मन्नू..
मनिकृतिका- हाँ! जी बोलिए...
मीणा पुत्र- तुम अभी इसी वक्त मानिकेय को जाकर बता दो की भुआ तांत्रिक विद्या का प्रयोग हमें हराने के लिए करने वाले है. तब तक मैं भुआ को उलझाने की कोशिश करता हूँ..
मणिकृतिका- ठीक है अभी जाती हूँ..
इधर मणि कृतिका सीधे ही दौड़ते हुए जैसे ही रणक्षेत्र की तरफ जाती है. उसके रास्ते में चार-पांच रक्षक आ जाते हैं.. वे तलवार लेकर उसके सामने खड़े हो जाते हैं.. इधर नाग कन्या अन्दर ही दुखी होकर बैठी है. मीणा पुत्र अपने कक्ष से बाहर आ जाता है.. बाहर एक भी सैनिक दिखाई नहीं देता है.. भुआ के कक्ष से अब हँसने और चिल्लाने की आवाजे आ रही हैं.. भुआ अब अपने कक्ष से बाहर आ जाती है. उसने विकराल रूप धारण कर रखा है.. उसके चारो ओर लम्बे दांतों वाली चुड़ैलें हैं. तो बहुत से भूत और राक्षश भी हैं.. मीणा पुत्र कुछ समय के लिए डर जाता है लेकिन उसे कैसे भी करके अपनी छल विद्या के प्रयोग से उसे रोकना है..
इधर रक्षक मणि कृतिका के पास दौड़कर आते हैं.. जिनमे से एक वही था जिसने उस रात को उसे बगीचे में देखा..
वह उसे क्रोधित होकर कहता है- कौन हो तुम? तुम वही हो ना जिसने उस दिन दीवार फांदी थी. अब तेरी खैर नहीं. सैनिको पकड़ लो इसे..
सभी सैनिक- जी जनाब-
वे मणि कृतिका के चारो और घेरा बना लेतें हैं.. एक सैनिक उसे जैसे ही तलवार की मारने लगता है वह अपने आप को बचा लेती है और उससे तलवार छिनकर लड़ने लग जाती है. एक के बाद एक सभी को वो मार डालती है. फिर उसके सामने वही मुख्य रक्षक आ जाता है वह क्रोधित होकर कहता है..
रक्षक- अब तो तूँ गई.. तुझे अब कोई नहीं बचा सकता.. अब मैं तुझे पकडूँगा.. फिर तेरी इन गौरी-गौरी कलाईयों को मरोड़कर तेरे योवन का रसास्वाद पिऊंगा. मैं...
मणिकृतिका- आजा.. अगर इतनी ही हिम्मत है तो.. मैं दिखाती हूँ तुझे की इन गौरी कलाईयों में कितनी ताकत है..
वह उस रक्षक के साथ युद्ध शुरू कर देती है. वो रक्षक उसे जोर से एक थप्पड़ मारता है तो वो जमीन पर गिर जाती है.
मणिकृतिका- आह....
रक्षक- क्या हुआ मोहतरमा.. हा हा हा .. मैंने कहा ना जनानियों का काम ही सिर्फ बिस्तर पर मर्द को खुश करने का और बच्चे पैदा करने का होता है.
रक्षक के इतना कहते ही मणिकृतिका को गुस्सा आ जाता है.. वह क्रोधित होकर खड़ी होती है..
मणिकृतिका- या.. तूँ तो गया.. हर-हर महादेव ......
फिर वह क्रोधित होकर उसके लगातार तलवार से प्रहार करती है.. वो रक्षक निचे गिर जाता है.. फिर मणिकृतिका गुस्से में आकर कहती है.. अब तूँ कभी बच्चे पैदा करने और किसी भी स्त्री के साथ बिस्तर पर सोने के लायक नहीं रहेगा कमीने...
फिर वह उसकी जंघाओं पर जोर से लात मारती है और वह वहीँ मर जाता है वह दौड़ती हुई रणक्षेत्र की तरफ जाती है.. उसके रास्ते में जो भी सैनिक आते हैं वो एक-एक कर सबको ढेर करते हुए जाती है. सुल्तान और राजकुमार के बीच घमासान युद्ध छिड़ा हुआ है.. इधर हुआ जैसे ही रणक्षेत्र की तरफ जाने लगती है मीणा पुत्र उसे पीछे से आवाज देता है..
मीणा पुत्र- अरे! भुआ....भुआ कहाँ जा रही हो...
भुआ- युद्ध में उस राजकुमार और उसके बाकी दोस्तों को जहनुम में पहुंचाने जा रही हूँ.. क्यों तुझे भी जाना है?
मीणा पुत्र- नहीं भुआ मैं ठहरा एक हास्य कलाकार.. मैं भला कितनी युद्ध में कितनी देर टिक पाउँगा..
भुआ- तो फिर मुझे क्यों रोक रहे हो? तुझे पता नहीं मैं जब गुस्से में होऊ तो किसी के रोके नहीं रुकती..
मीणा पुत्र- अरे.. अरे.. भुआ आप ज्यादा गुस्सा ना हो.. मेरे कहने का मतलब तो यह है की हमारे जहाँ पनाह बहुत बहादुर हैं तो उन्हें रोकना राजकुमार के बस की बात नहीं होगी..
भुआ- लेकिन मैंने कहा ना मुझे जाना होगा.. रणक्षेत्र में...
मीणा पुत्र- अरे! भुआ इतनी भी क्या जल्दी है..
मीणा पुत्र जितना भुआ को रोकने का प्रयास कर रहा है वह उतना ही ज्यादा क्रोधित हो रही है. इधर नाग कन्या गुमसुम सी अपने कक्ष में बैठी है.. मणि कृतिका के सामने भी बहुत सारे सैनिक उसे मानिकेय तक पहुँचने से रोक रहे हैं.. वह एक-एक कर सबको मारती हुई जा रही है.. इधर जैसे ही मीणा पुत्र भुआ को रोकने के लिए आगे बढ़ता है उसे गुस्सा आ जाता है.. उसने क्रोधित होकर मीणा पुत्र से कहा- दूर हो जाओ सूतकुमार वरना मैं तुझे भी मार दूंगी.. भुआ के तेष में आते ही सभी चुड़ैल और भूत भी उसके चारो और घेरा बना लेते हैं..
क्रमश..........
भाग- 31
मीणा पुत्र को अब भूतो, राक्षसों और चुडैलों ने घेर लिया है. इधर मणिकृतिका मानिकेय तक नहीं पहुँच पाई है.. राजकुमार सुल्तान के साथ युद्ध कर रहा है.. मीणा पुत्र अब चारो ओर से घिर चुका है. वह भुआ के रास्ते के बीच आकर जोर से बोलता है..
मीणा पुत्र- आप भुआ ऐसा नहीं कर सकती.. आप मुझे नहीं मार सकती..
भुआ- नहीं मारूंगी.. लेकिन मेरे रास्ते से दूर हो जाओ.. मैंने तुम्हे बहुत प्यार किया है सूत कुमार लेकिन आज नहीं..
मीणा पुत्र- भुआ आप नहीं जा सकती..
भुआ- तुम चाहते क्या हो सूतकुमार? दूर हो जाओ मुझसे..
फिर वह जैसे ही धक्का देती है मीणा पुत्र निचे गिर जाता है.. भुआ अब जैसे ही आगे बढ़ने लगती है मीणा पुत्र को आभाष हो जाता है की अब उसे सिर्फ एक ही तरीके से रोका जा सकता है.. वह भुआ के पीछे से जोर से आवाज मारता है..
मीणा पुत्र- भुआ.... आप रणक्षेत्र में मुझे मारे बगेर नहीं जा सकती..
भुआ क्रोधित होकर पीछे मुड़कर कहती है..- सूतकुमार क्यों अपनी मौत को मुहं लगा रहे हो?
मीणा पुत्र- क्योंकि भुआ आप जिस राजकुमार को मारने जा रही हैं वो कोई और नहीं मेरा दोस्त वीर प्रताप है..
भुआ- क्रोधित होकर- क्या? तो तेरी वजह से ही हमारी सेना और गुप्त रास्तो का पता राजकुमार की सेना को चला.. कपटी, दुष्ट.. अब तो मैं तुम्हे नहीं छोडूंगी..
मीणा पुत्र- हा हा हा हा वाह! भुआ क्या बात बोली हैं आपने. मुझे क्या कहा आपने? कपटी, दुष्ट.. लेकिन सच तो यह है की आपने मेरी भाभी माँ का अपहरण भी छल-कपट से किया था. अब वही रास्ता मैंने आप सब पर अपनाया तो मैं कपटी हो गया..
भुआ- बातो में मत उलझाओ मुझे अब तो तूँ गया.. सभी पिशाचो मैं तुम सब को अभी आदेश देती हूँ की तुम इस सूतकुमार को जान से मार दो..
भुआ के आदेश देते ही चार-पांच भूत पिशाच मीणा पुत्र की तरफ बढ़ते हैं. मीणा पुत्र डर के मारे निचे जमींन जाता है. वे उसके करीब पहुँच जाते हैं..
सभी पिशाच- हा हा हा हा.. ये तो आज हमारा भोजन बनेगा... वे जैसे ही उसे जान से मारने लगते हैं.. तो नाग कन्या क्रोधित होकर कहती है..
नाग कन्या- ठहरो... सोम को मारने से पहले मेरे साथ युद्ध करो.. पिशाचो...
नाग कन्या के इतना कहते ही भुआ जब पीछे की तरफ देखती है तो नाग कन्या अपने रोद्र रूप में थी. भुआ उसको देखकर चकित हो जाती है. सभी पिशाच उसकी गर्जना से एक बारंगी डर से जाते है. मीणा पुत्र दौड़कर उन सब से अलग हो जाता है.. भुआ को अब और ज्यादा क्रोध आ जाता है.. वह क्रोधित होकर कहती है..
भुआ- अरे! वाह नाग कन्या.. बिना मणि के तुम मुझसे युद्ध करोगी..तुझे तो मैं तेरी मणि से ही ख़त्म कर दूँगी.. फिर वह उस नकली मणि को निकालती है और जैसे ही उस पर प्रयोग करने के लिए आगे बढती है.. वो मणि काम नहीं करती है तो मीणा पुत्र अठ्ठास पूर्ण हँसता है..
मीणा पुत्र- हा हा हा हा.. कमाल है ना भुआ.. जब कोई अपना बनकर किसी के साथ धोखा करता है तो बहुत दुःख हो होता है.. हैं ना? कैसा लगा ये जानकार की आपके हाथ की जो नाग मणि है वो असली नहीं.. नकली है?
भुआ क्रोधित होकर- अब तुम जिन्दा नहीं रहोगे सूत कुमार..
फिर वह सभी राक्षसों और चुडैलों को आदेश देते हुए कहती है..
भुआ- ख़त्म कर दो इन दोनों को...
जब सभी भूत, पिशाच, चुड़ैल और राक्षस उन दोनों को मारने के लिए उनकी तरफ जाते हैं तो नाग कन्या अपनी नाग मणि से उन सब को खत्म करना शुरू कर देती है.. सूत कुमार दौड़कर अलग हट जाता है. भुआ भी अब नाग कन्या से सीधे ही भीड़ जाती है अब भुआ और नाग कन्या के मध्य युद्ध छिड़ जाता है. इधर बाहर रणक्षेत्र में मणिकृतिका मानिकेय को जाकर सारी बात बता देती है.. मानिकेय दौड़कर रणक्षेत्र से बाहर की तरफ जाता है लेकिन कुछ सैनिक मणिकृतिका को घेर लेते हैं. लौहार पुत्र और मणिकृतिका दोनों मिलकर एक के बाद एक सैनिको को मारना शुरू कर देते हैं.. इधर राजकुमार और सुल्तान के मध्य भंयकर युद्ध छिड़ा हुआ है. सुल्तान बेचेंन है क्योंकि उसकी भुआ अब तक उसकी मदद के लिए नहीं आ पाई है. उसकी सेना के जवान एक-एक करके सभी मारे जा रहे हैं..
इधर भुआ नाग कन्या और मीणा पुत्र को मारने का प्रयास करती है लेकिन वह मार नहीं पाती है क्योंकि नाग कन्या उसके सामने अभी भी अपनी नाग मणि की शक्तियों के बल पर डटी हुई है..
रणक्षेत्र में जब सुल्तान अचानक अपने आप को थका हुआ महसूस करता है तो राजकुमार लागातार एक के बाद एक तीर उसकी तरफ चलाता है जिससे एक तीर उसके कंधे में चुभ जाता है.. सुल्तान दर्द के मारे कराह उठता है..
सुल्तान- आह...
राजकुमार उसकी इस दशा को देखकर उसपर हँसता है.
राजकुमार- हा हा हा हा... क्या हुआ सुल्तान? थक गए हो तो थोड़ी देर आराम कर लो.. क्या है ना तुमने अपनी सारी शक्ति को तो कामवासना पूरी करने में खत्म कर दी. अब भला मेरे तीरों का सामना कैसे कर पाओगे तुम?
सुल्तान- हेय.. तेरी ये हिम्मत अभी बताता हूँ मैं तुम्हे...
फिर सुल्तान क्रोधित होकर एक तीर छोड़ता है जो राजकुमार की भुजा पर लगता है.. राजकुमार के हाथ से तीर गिर जाता है..
राजकुमार दर्द से- आह..
सुल्तान- हा हा हा हा... सामना करो राजकुमार.. मैं भी तो देखूं की तुम कैसे अपनी पत्नी को मेरी रखैल बनने से रोक पाते हो..
राजकुमार- सुल्तान...
सुल्तान- गुस्सा ना करो राजकुमार.. युद्ध करो.. युद्ध..
राजकुमार- सुल्तान सावधान हो जाओ.. अब तेरी मौत आने वाली है..
फिर वह लगातार चार से पांच तीर छोड़ता है तो उनमे से एक तीर उसकी दूसरी भुजा पर जाकर लगता है तो दूसरा उसके सारथि को मार देता है. एक तीर उसके रथ के पहिए को तोड़ देता है तो एक उसका मुकुट ले उडता है..
सुल्तान दर्द से कराह उठता है.. अब उसे हार दिखाई देने लगी है.. वह जब चारोओर देखता है तो पाता है उसके सभी सैनिक एक-एक करके मारे जा रहे हैं..वह डर के मारे कांपने लगता है.. राजकुमार हँसते हुए अपने दोस्तों से कहता है..
राजकुमार- देखो.. इस सुल्तान को.. गौर से देखो अब.. देखो कैसे इसकी आँखों में डर दिखाई दे रहा है..
फिर वह पास में खड़े अन्य सुथार मित्र और लौहार मित्र से कहता है..
राजकुमार- क्या आप सब को पता है... इसने अभी क्या बोला मुझे की ये मेरी पत्नी को अपनी रखैल बनाएगा.. लेकिन कैसे बनाएगा.. इसका सर तो मैं अभी धड से अलग कर देता हूँ.. मरने के लिए तैयार हो जाओ सुल्तान...
सुल्तान डर के मारे कांपते हुए कहता है- नहीं.....
राजकुमार- क्यों क्या हुआ... सुल्तान. मरने से डर लगता है.. लो अभी तेरा डर दूर कर देता हूँ.. मेरे तीर की रफ़्तार बहुत ज्यादा है.. तुझे बहुत ज्यादा दर्द नहीं होगा...
फिर वह एक तीर का अपने धनुष पर संधान करता है.. वह जैसे ही तीर को सुल्तान की तरफ छोड़ने लगता सुल्तान कांपते हुए बोलता है...
सुल्तान- नहीं... बचाओ भुआ.. बचाओ मुझे...
राजकुमार को उसके इस तरह की कायराना हरकत पर हंसी आती है..
राजकुमार- हा हा हा हा ... वाह! सुल्तान.. तुम कायर हो इसका मुझे संदेह था लेकिन आज यकीन भी हो गया.. लेकिन मैं तुम्हे नहीं मारूंगा अब...
लौहार पुत्र- ये क्या कर रहे हो दोस्त? इसे जल्दी से मारो.. अब इस पर रहम मत दिखाओ.. इसने न जाने कितनी ही अबला नारियों को अपनी हवस का शिकार बनाया है...
राजकुमार- ठीक कहा दोस्त. इसने अपने जीवन में ना जाने कितनी ही नारियों का अपमान किया है.. यह नारियों को अपने पेरों की जूती समझता आया है..
फिर राजकुमार मणिकृतिका की तरफ देखता है जो कुछ दूर एक सैनिक से युद्ध लड़ रही है. सुल्तान की सेना के सैनिक अब गिने चुने ही रह जाते हैं सुल्तान अब निचे गर्दन किए खड़ा है. वह खून से लथपथ है. राजकुमार मुस्कुराते हुए कहता है.
राजकुमार- हाँ! दोस्त तुमने सही कहा. इसने अपने पूरे जीवन में औरतो को बस अपनी हवस की आग बुझाने वाली वस्तु ही माना है तो क्यों ना आज इसे एक औरत ही ये बताए की औरत ऐसे कमीनो के बिस्तर पर सोने के लिए नहीं बनी हैं.. बल्कि इन्हें युद्ध मैदान पर धुल चटाने के लिए बनी हैं..
लौहार मित्र- दोस्त तुम कहना क्या चाहते हो. इसे अब ख़त्म करो..
राजकुमार- नहीं दोस्तों अब तो इसे ख़त्म हमारी मन्नू ही करेगी..
फिर वह मणिकृतिका को जोर से आवाज देता है..
राजकुमार- मन्नू.. इधर आओ.
राजकुमार के इतना कहते ही मणिकृतिका ने उस सैनिक को मार दिया है. वह सुल्तान को देखकर क्रोधित हो जाती है. सुल्तान लहू-लूहान होकर निचे गर्दन किए हुए खड़ा है. राजकुमार भी अपने रथ से निचे उतर जाता है.. मणि कृतिका राजकुमार के पास आते ही उससे पूछती है..
मणिकृतिका- आदेश दो भैया...
मणिकृतिका की आवाज सुनकर सुल्तान ऊपर की तरफ देखकर कहता है..
सुल्तान- तुम?
मणिकृतिका- हाँ! मैं.. वही लड़की जिसके साथ तुम रोज सोते थे लेकिन मेरे साथ कुछ नहीं कर पाए..
सुल्तान- तो क्या हुआ.. अभी तेरे भाइयों के सामने तेरी इज्जत उतार देता हूँ..
मणिकृतिका- सुल्तान.. ईश्वर की सौगंध खाकर कहती हूँ आज तुझे राख में नहीं मिला दिया तो मेरा नाम मणिकृतिका नहीं..
राजकुमार- शाबाश मन्नू.. आज इस खिद्राबाद के सुल्तान की गर्दन अपनी तलवार से काटकर माँ काली को अर्पित करके इस दुनिया को बता दो की महिलाएं ऐसे कमीने और गिरी हुई मानसिकता के लोगो की पैरों की जूतियाँ नहीं होती है..
सुल्तान- ये और मुझे मारेगी.. हा.. हा हा हा ...
राजकुमार- क्यों क्या हुआ सुल्तान.. तुम्हे मणिकृतिका की बहादुरी पर संदेह है क्या? अगर है तो आज मैं एक वादा करता हूँ तुमसे.. अगर तुमने मन्नू को हरा दिया तो मैं तुम्हे तुम्हारा सारा राज्य, मेरी पत्नी, मेरी ये सारी सेना तुम्हे दूंगा..
सुल्तान- सोच लो राजकुमार....
राजकुमार- मैंने तो सोच लिया सुल्तान अब तुम अपनी गर्दन बचाओ मेरी बहन की तलवार से..
फिर वह एक तलवार उठाता है और सुल्तान की तरफ फैंकते हुए कहता है- ये लो तलवार और बचा लो अपना राज्य.. अगर मणिकृतिका को हरा दिया तो मेरी पत्नी भी तेरी और मेरी सेना भी तेरी...
लौहार पुत्र- ये क्या बोल रहे हो दोस्त?
राजकुमार- मैं वही बोल रहा हूँ जो मुझे बोलना चाहिए. मुझे पता है हमारी मन्नू नहीं हारेगी.. चल मन्नू.. इसे आज बता दो की तुम क्या हो.
राजकुमार के इतना कहते ही मणिकृतिका ने तलवार उठाई और सुलतान की तरफ चल पड़ी.. उसके और सुल्तान के बीच घमासान युद्ध छिड़ गया. सुल्तान ने जोर से मणिकृतिका को धक्का दिया की वह जमीन पर जाकर गिर गई.. वह बुरी तरह से जख्मी हो गई.. उसका मुहं रेत में धंस गया. सुल्तान का पलड़ा भारी नजर आ रहा था. लौहार पुत्र को राजकुमार के निर्णय पर संदेह हो रहा था..
इधर महल के अन्दर भी भुआ नाग कन्या पर भारी पड़ रही थी. वह अकेली शायद उससे मुकाबला करने के लिए सक्षम नहीं थी...
क्रमश............
भाग- 32
मणिकृतिका सुल्तान के आगे बहुत कमजोर दिखाई पड़ रही है. सुल्तान ने तलवार से उसके ऊपर जोर से वार किया जिससे मणिकृतिका के तलवार की जोर से उसके बाजू पर लगी.. वह निचे गिर गई.. उसके मुहं से दर्द से आह निकल गई..
मणिकृतिका- आह..
वह मिटटी से पूरी सन गई. उसका बाजू खून से लथपथ है.. उसके गिरते ही सुल्तान शैतानी हंसी हँसते हुए बोलता है..
सुल्तान- हा हा हा हा.. देख लिया राजकुमार तेरी बहन की हालत को.. अब तेरी पत्नी से पहले तो मैं इसके साथ सुहाग रात मनाऊंगा.. हा हा हा हा.....
राजकुमार- चुप कर कमीने....
फिर राजकुमार तलवार उठाता है तो मणिकृतिका राजकुमार को क्रोधित होकर कहती है.
मणिकृतिका- ठहरो भैया.. इसकी गर्दन अब मैं माँ काली को अर्पित करके ही रहूगी..
फिर वह साहस जुटाती है और सुल्तान से फिर से लड़ने लग जाती है. लेकिन उसकी बाजू से बहता खूब और दर्द उसे बहुत तकलीफ दे रहा है. मणिकृतिका का सुल्तान से जीतना मुश्किल हो चुका है.. वह जैसे ही सुल्तान के तलवार के मारने लगती है. सुल्तान बचाव कर लेता है और उसके दूसरे बाजू पर भी उसी तरह तलवार की मार देता है. वह निचे गिर जाती है..
मणिकृतिका- आह... आह....
सुल्तान- उठ! अगर हार मान ली हो तो बोल दो.. मैं तुझे तुम्हारी जान बक्श दूंगा और बदले में तुम्हे मेरी बेगम बनने का गौरव हासिल होगा..
मणिकृतिका- कमीने.. तेरी ये हिम्मत..
फिर वह पुन: क्रोधित होकर सुल्तान की तरफ जाती है लेकिन सुल्तान बचाव कर लेता है और तलवार से उसके बाएँ पाँव पर वार करता है.. वह फिर से निचे गिर जाती है..चारो ओर मणिकृतिका का खून ही खून फ़ैल जाता है..वह निचे गिर जाती है. उसके मुहं में मिटटी घूस जाती है. बाल बिखर जाते हैं. उसकी हालत बहुत ही नाजुक हो जाती है.
इधर महल के अन्दर भुआ का पलड़ा युद्ध में नाग कन्या से भारी नजर आ रहा है. मीणा पुत्र असहाय है. उसके कुछ भी समझ नहीं आ रहा है की वह भुआ को हराने में नाग कन्या की कैसे मदद करे? भुआ के कक्ष से लगातार भूत और राक्षस भुआ की मदद के लिए आ रहे हैं.. उनकी तादाद लगातार बढती ही जा रही है.. नाग कन्या इतने सारे दुश्मनों का सामना अकेले करने में असमर्थ थी. अचानक ही मीणा पुत्र का चेहरा खिल उठता है क्योंकि वह मानिकेय को देख लेता है.. मीणा पुत्र दौड़कर उसके पास जाता है.. भुआ और नाग कन्या का युद्ध वैसे ही चल रहा है.. मानिकेय ने अपने कई रूप बना लिए हैं जिससे भुआ को उसकी माया समझ नहीं आती है. मीणा पुत्र उससे कहता है- दोस्त, भुआ ने शायद अपने कक्ष में तांत्रिक यज्ञ कर रखा है. शायद यही कारण है की इतनी बड़ी मात्र भी भुआ की मदद के लिए ये भूत, पिशाच, चुड़ैल और राक्षस आ रहे हैं. अब जल्दी से कुछ करो मानिकेय वरना हम हार जाएंगे..
मानिकेय- अरे! तुम चिंता मत करो. हम कुछ न कुछ जरुर करेंगे.. चलो तुम मुझे भुआ के कक्ष की ओर ले चलो...
मीणा पुत्र- हाँ.. हाँ.. चलो.. चलो...
फिर वे दौड़ते हुए भुआ के कक्ष की तरफ जाते हैं.. भूत या राक्षसो की वो पकड़ में ना आएं इस लिए मानिकेय ने अपनी विद्या से मीणा पुत्र और स्वयम को अनेक रूपों में बदल लिया जिससे वे सभी भ्रमित हो जाते हैं..
इधर बाहर नाग कन्या पर भुआ अचानक काली शक्तियों से वार करती है जिससे नाग कन्या निचे गिर जाती है.. नाग कन्या भी भुआ की शक्तियों के आगे अब असहाय है. उसकी इस हालत को देखकर भुआ अठ्ठास पूर्ण हंसी हंसती है. वह हँसते हुए कहती है.
भुआ- हा हा हा हा.... क्या हुआ नाग कन्या.. तुम तो मुझे हराने वाली थी.. लेकिन तुम्हे क्या पता था की मैं क्या चीज हूँ. मुझे इस दुनिया में हराना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है.. हा हा हा... मुझे हराने चली थी तुम... अब भुआ की शक्ति का कोई अंदाजा नहीं है.. नाग कन्या निचे गिरी हुई है..
इधर भुआ के कक्ष में मानिकेय और मीणा पुत्र को यज्ञ दिखाई नहीं देता है.. फिर अचानक मीणा पुत्र की नजर एक गुप्त द्वार से आ रहे धुंए पर पड़ती है.. वह जोर से चीख कर कहता है..
मीणा पुत्र- उधर देखो मानिकेय वो देखो शायद कोई गुप्ता द्वार है.
मानिकेय- अरे! हाँ दोस्त चलो चलते हैं.. वे दोनों दौड़ते हुए उधर उस द्वार की तरफ जाते हैं फिर वे जोर से उस दरवाजे पर लात मारते हैं तो वो दरवाजा टूट जाता है. जब वो उस तहखाने में देखते हैं तो पाते हैं की चारो और घूप अँधेरा था.. अचानक पीछे से मानिकेय के कोई जोर से सर पर मारता है. मानिकेय निचे गिर जाता है..
मानिकेय- आह...
वहां कोई और नहीं बल्कि चार से पांच सैनिक थे जो उस तांत्रिक यज्ञ की रक्षा के लिए भुआ ने छोड़ रखे थे. वे जैसे ही मीणा पुत्र को मारने के लिए उसकी तरफ दौड़ते हैं.. मीणा पुत्र किसी कंकाल की खोपड़ी को उठाता है और फिर उससे एक सैनिक के सर पर मारता है और वह वही ढेर हो जाता है. मीणा पुत्र को युद्ध कौशल के बारे में इतनी जानकारी नहीं थी लेकिन फिर भी वह लड़ने लग जाता है..
इधर बाहर मणिकृतिका पुन: हिम्मत जुटाकर खड़ी हो जाती है.. वह जोश से सुल्तान से पुन: लड़ने लग जाती है..
मणिकृतिका- या... हर हर महादेव..
फिर वह पूरे जोश से खड़ी हो जाती है. जब सुल्तान उसके तलवार की उसके पाँव पर मारने लगता है. मणिकृतिका उछल कर बचाव कर लेती है और सुल्तान के एक बाजू पर जोर से तलवार से वार करती है. सुल्तान निचे जमीन पर गिर जाता है.. वह क्रोधित होकर कहती है.
मणिकृतिका- उठ! कमिंने.. मैं दिखाती हूँ अब की मेरी इन गौरी कलाईयों में कितनी ताकत है... चल उठ..
इधर मणि कृतिका को हौसला बढाने के लिए राजकुमार जोर से चिल्लाकर कहता है..
राजकुमार- शाबाश मन्नू... मार दो कमीने को जान से. शाबाश..
महल के अन्दर नाग कन्या पुन: भुआ से युद्ध करने के लिए खड़ी हो जाती है. इधर मीणा पुत्र अकेला ही तीन सैनिको को मार देता है लेकिन दो सैनिक उसे चारो और से घेर लेते हैं. उनमे से एक उसे कसकर पकड़ लेता है. और दूसरा जैसे ही तलवार की मारने लगता है मानिकेय उसके पीछे से तलवार घुसा देता है. जैसे ही दूसरा सैनिक मानिकेय को मारने लगता है. मीणा पुत्र उसकी गर्दन मरोड़ देता है... वे सभी सैनिको को मारे देते हैं.. फिर अचानक मानिकेय की नजर एक पानी के घड़े पर पड़ती है.. वह उस घड़े को उठता है और हर हर माहदेव का जयकारा लगाते हुए उस यज्ञ को भंग कर देता है. यज्ञ के भंग होते ही भुआ की सारी शक्तिया कम हो जाती हैं.. नाग कन्या ने फिर अपनी सारी शक्ति एकत्रित की और भुआ पर छोड़ दी.. भुआ वही ढेर हो गई..
भुआ- आ आ आ.... अचानक भुआ का पूरा शरीर जलना शुरू हो गया. फिर वह राख हो गई और गायब हो गई.. नाग कन्या के चेहरे पर युद्ध जीतने की ख़ुशी के भाव थे.. मानिकेय और मीणा पुत्र दोनों जैसे ही बाहर आते हैं तो नाग कन्या को जिन्दा और भुआ को मरा हुआ देखकर खुश हो जाते हैं..
इधर बाहर रणक्षेत्र में राजकुमार की सारी सेना और उसके बाकी के दोस्त मणिकृतिका और सुलतान के युद्ध को देख रहें हैं.. सुल्तान अभी भी जमींन पर गिरा हुआ है. मणिकृतिका जोर से क्रोधित होकर सुल्तान से कहती है..
मणिकृतिका- खड़े हो जाओ सुल्तान.. युद्ध करो युद्ध...
सुल्तान मणिकृतिका के हौसले को देखकर एक बारंगी डर सा जाता है. उसने तलवार उठाई और जैसे ही मणिकृतिका की तरफ बढ़ने लगा मणि कृतिका ने अपना बचाव किया और उसके दुसरे बाजू पर तलवार की मार दी.. सुल्तान दर्द के मारे चीख पड़ा..
सुल्तान- आह..
मणिकृतिका- क्या हुआ सुल्तान? दर्द हो रहा है. अभी तो बहुत कम दर्द हुआ है...
फिर मणि कृतिका निचे पड़े हुए सुल्तान के एक हाथ पर तलवार को रखकर कहती है..
मणिकृतिका- तुमने इन्ही हाथो से स्त्रियों की इज्जत नोची थी न. तो क्यों ना अब मैं तेरे ये हाथ ही काट देती हूँ. हर- हर महादेव..
फिर वह जोर से माँ काली की तरह गर्जना करते हुए सुल्तान का एक हाथ काट कर अलग कर देती है.. सुल्तान दर्द के मारे चीखे मारने लगता है..
सुल्तान- आ...आई... आह... उई..ईई ...
मणिकृतिका गुस्से में- और तुम्ने इसी हाथ से हर स्त्री के पल्लू को खिंचा था ना.. तुम्ने इस दाहिने हाथ से ही मेरी भाभी माँ को पकड़ा था ना.. हैं ना कमीने.. चल तो ये भी गया अब... या... हर-हर महादेव....
फिर वह गुस्से में तलवार से उसका दूसरा हाथ भी काट देती है..
सुल्तान चीखे मार रहा है.. उसके हाथ का खूब मणि कृतिका के मुहं पर गिर जाता है...
फिर वह पुन: तलवार उठाती है और कहती है..
मणिकृतिका- हा हा हा हा.. दर्द हो रहा है क्या.... चल अब तैयार हो जा तेरी मौत आने वाली है..
फिर वह तलवार को ऊपर उठाती है और अपने पूरे जोश से सुल्तान की गर्दन को अलग कर देती है...
मणिकृतिका- हा.. हा .. हा हा.. मर गया कमीना.. हा हा हा.. मर गया भैया.. मैंने इस दुष्ट को मार दिया भैया... मैं जीत गई भैया.. हैं ना भैया.. हा हा हा...
मणिकृतिका अब पागलो की तरह हंसने लगती है.. उसकी आँखों में जीत की ख़ुशी से कहीं ज्यादा सुल्तान के प्रति रोष है.. वह तलवार से अब भी उस पर वार कर रही है.. और जोर से चीख चीख कर कह रही है..
मणिकृतिका- उठ! कमीने..उठ.. युद्ध कर मेरे साथ.. कर ना... हा हा हा.. मर गया क्या..
राजकुमार को उसकी मानसिक दशा पर दुःख होता है वह उसकी तरफ जाता है लेकिन उसे भी मणिकृतिका से डर लग रहा है.. वह दूर से ही कहता है...
राजकुमार- शांत हो जाओ मन्नू.. अब वो मर गया...
राजकुमार के इतना कहते ही मणिकृतिका राजकुमार की तरफ आ जाती है.. उसका चेहरा और पूरा शरीर खून से सना हुआ है.. वह राजकुमार से गले मिलकर रोने लग जाती है..पूरे रणक्षेत्र में श्मशान घाट की सी शांति छा जाती है.. अचानक लौहार पुत्र पूरी सेना को आदेश देता है...
लौहार पुत्र- सेना.. अभी जाओ और पूरे खिद्राबाद के दुर्ग को तबाह कर दो..
राजकुमार को जैसे ही उसकी बात सुनाई देती है.. राजकुमार जोर से कहता है- ठहरो! कोई भी दुर्ग की एक ईंट को भी नहीं छुएगा..
क्रमश.......
भाग- 33
राजकुमार के क्रोधित होकर ऐसा बोले से लौहार पुत्र ने कहा- लेकिन ऐसा क्यों दोस्त? सुल्तान ने हमारी भाभी माँ का अपहरण कर लिया था. अब इस राज्य के दुर्ग को भी तो नष्ट करना है हमें. ताकि कोई आगे से ऐसा कदम ना उठाए..
राजकुमार- नहीं आयुष्मान... हमारी सोच सुल्तान की तरह संकुचित कतई नहीं हो सकती है. तुम्हारी भाभी को उठाने वाला सुल्तान और जो भी राज्य के बुरे लोग थे वो मारे जा चुके हैं. अब युद्ध की वजह से खिद्राबाद की राजव्यवस्था चौपट हो जाएगी.. इसको संभालना भी अब जरुरी है..
सुथार पुत्र- तुम कहना क्या चाहते हो दोस्त?
राजकुमार- बस यही की, इस राज्य के कार्य भार को अब हमें सुल्तान की बेगम सबनम को देना होगा. यही हमारे लिए उचित होगा.. चलो हमें अब उनसे संधि करनी होगी.
लौहार पुत्र- लेकिन ये तो गलत है ना. इस राज्य को हमने जीता है..
राजकुमार- तो क्या हुआ? क्या हम इस राज्य की जनता के कल्याण के लिए इतना भी नहीं कर सकते.. चलो अब हमें महल के अंदर जाना होगा..
इतना कहते ही राजकुमार की सेना राजकुमार के साथ दुर्ग के अन्दर प्रवेश करती है.. चारो और रक्षको की लाशें पड़ी हैं.. महल में वे जैसे ही अन्दर पहुँचते हैं तो नाग कन्या राजकुमार को देखकर बहुत प्रसन्न होती है. वे दोनों एक दूसरे से गले मिलते हैं. इधर मणिकृतिका और मीणा पुत्र भी एक दूसरे का आलिंगन करते हैं. पूरी सेना और राजकुमार के दोस्तों के चेहरे पर जीत की ख़ुशी साफ़ झलक रही है. इधर कुछ ही देर में सुल्तान की बेगम बंधक बनाई गई लड़कियों के साथ अपने महल से डरते हुए बाहर आती है. वह राजकुमार से हाथ जोड़कर माफ़ी मांगते हुए कहती है..
बेगम- माफ़ कीजिएगा राजकुमार.. मैं आपकी पत्नी को छुडाने में सफल नहीं हो पाई थी..
राजकुमार मुस्कुराते हुए कहता है- कोई बात नहीं बेगम.. आप हमारी शुभचिंतक हैं. हमारे लिए बस यही काफी है..
बेगम दुखी होकर हाथ जोड़कर कहती है- ये आपका बडपन है राजकुमार. हम अब आपकी गुलाम हैं. कोई आदेश हो तो बताएं हम आपके लिए क्या करें?
राजकुमार हाथ जोड़कर कहता है- ये सब बोलकर आप मुझे शर्मिन्दा क्यों कर रही हैं बेगम? आपके लिए अब कोई आदेश नहीं है. बस प्रार्थना है की आप अब इन सब लड़कियों को घर जाने दीजिए. इन्हें आजाद कर दीजिए आप..
राजकुमार के इतना कहते ही कुछ लड़कियां रोना शुरू कर देती हैं.. ये सब देखकर राजकुमार दुखी होकर कहता है..- आप सब रो क्यों रही हो देवियों? अब तो आप सब घर जा सकती हो?
एक लड़की- तो क्या करें राजकुमार? सुल्तान ने हमें किसी दुसरे पुरुष के काबिल ही नहीं छोड़ा. अब हम सब जिन्दा जरुर हैं लेकिन किसी काम की नहीं..
लौहार पुत्र- ये आप क्या बोल रही हैं? क्या किसी स्त्री के वजूद की कीमत उसके शरीर से लगाईं जाती है..लेकिन मैं तो ऐसा बिलकुल नहीं सोचता.. अगर आपको एतराज न हो तो मैं आपसे शादी करना चाहूँगा..
लड़की- लेकिन...
बेगम- लेकिन क्या पुष्पलता? इनकी बातो से लग रहा है की ये एक अच्छे इन्सान हैं तुम चाहो तो शादी कर सकती हो..
पुष्प लता- पर..
लौहार पुत्र- पर क्या? मैं आप पर कोई एहसान नहीं कर रहा पुष्पलता जी.. बस आपको देखते ही पता चल गया की आप बहुत अच्छी हैं.. आप चाहो तो हम शादी कर सकते हैं..
लौहार पुत्र के इतना कहते ही सुथार पुत्र भी मुस्कुराते हुए कहता हैं.. केवल आयुष्मान ही नहीं है जो शादी करना चाहता है. हम भी आपकी दोस्त से शादी करना चाहते हैं..
सुथार पुत्र के इतना कहते ही पुष्पलता के पास खड़ी उसकी दोस्त लज्जावंश निचे देखने लगती है. फिर क्या था कुछ ही देर में सेना के अन्य जवान भी उन सब युवतियों के साथ शादी करने के लिए उत्सुक थे. लेकिन लडको की ज्यादा संख्या होने के कारण राजकुमार ने महल में स्वयंवर करवाने का विचार किया. इस तरह से सभी लड़कियों की शादी हो गई. इधर बेगम को राजकुमार ने खिद्राबाद राज्य का कार्य भार दे दिया. इसके अलावा खिद्राबाद के सभी मृत सेनिको का ससम्मान अंतिम संस्कार करवा दिया गया. खिद्राबाद राज्य की सारी सेना नष्ट हो चुकी थी इस लिए राजकुमार ने अपने सारे एक लाख सैनिक बेगम को दे दिए. उसने बेगम को अपनी मुहं बोली बहन बना लिया. राजकुमार अपने दोस्तों और उनकी पत्नियों सहित अपने राज्य अधोमती आ गया. अपने राज्य में पहुँचते ही राजकुमार का धूम धाम से स्वागत हुआ. राजा और उसकी मुहं बोली बहन रुपाली बाईऔर राजकुमार की माँ बहुत प्रसन्न हुए क्योंकि उन्हें नाग कन्या के रूप में एक बुद्धिमती और सुन्दर बहु मिल गई थी. नाग कन्या को राजा और रानी ने माता-पिता की तरह प्यार दिया. शीघ्र ही राजकुमार को राजा ने अधोमती राज्य का राजा घोषित कर दिया. मणिकृतिका को राजकुमार ने अधोमती राज्य की सेनापति बना दिया. मीणा पुत्र को राजकुमार ने अपना प्रधानमंत्री घोषित कर दिया क्योंकि उसके जैसा योजना बनाने में कोई माहिर नहीं था.. लौहार पुत्र को हथियार बनाने का काम सौंपा गया. दर्जी पुत्र को भी राजकुमार अपने राज्य ले आया क्योंकि उसे सेना की व शाही राजघराने की पोशाकें जो बनानी थी. जोहरी को राजमहल की महिलाओं के आभूषण बनाने का काम दिया गया. सुथार मित्र को रथ आदि बनाने का काम सौंपा गया. अब कौन रह गया भाई? और हाँ! मानिकेय का क्या काम था वो तो आपको पता ही होगा? कृपया करके अब मुझे ये ना पूछे की जो सेना के जवान कंवारे रह गए थे उनका क्या हुआ तो उसका जवाब आप जान लो खुद ही. इतनी कल्पना तो कर ही सकते हो यार. अजीब हूँ मैं.. खैर जाने दो.. मानिकेय के नंबर मेरे पास नहीं हैं.. तो कृपया करके कंवारे लड़के मुझे मेसेज ना करें.. अगर शादी करनी हो तो मेरे पीछे ना भागे किसी लड़की के पीछे भागे और हाँ मैं किसी का लव गुरु नहीं बन सकता. इसका क्या कारण है ये मैं आप सबको नहीं बता सकता...
आज मैं आप सब से किसी भी तरफ का कोई निवेदन नहीं करने वाला.. आप सब ने मेरी नाग कन्या एक रहस्य कहानी को बहुत प्यार दिया इस लिए आप सबका बहुत- बहुत धन्यवाद. बड़ा वाला धन्यवाद. आप सब ने मुझे बहुत सपोर्ट किया और इसके लिए मैं आप सबको ढंग से शुक्रिया भी नहीं बोल पाता हूँ. मुझे पता है जब मैं समयाभाव के चलते किसी के मेसेज का या किसी की समीक्षा का जवाब नहीं देता तो आपको बुरा लगता है. लेकिन सच कहूँ तो मैं ऐसा जानबूझकर नहीं करता. खैर जाने देते हैं. आप सभी को पता है की मैं आप सब की बहुत इज्जत करता हूँ. इस लिए क्या आप मेरा छोटा सा काम करेंगे.. काम? अरे आपको मानिकेय के नंबर नहीं लाने हैं.. आपको मेरी कहानी में किस भाग में सबसे ज्यादा कमी दिखी और कौनसा सबसे बेस्ट लगा वो आपको बताना है. ताकि मैं अपनी अगली कहानी को इससे भी ज्यादा बढ़िया लिख सकूं. इस लिए आप समीक्षा में मेरी इस कहानी की कमियाँ जरुर बताएं चाहे आप एक ही स्टार क्यों न दे दें.. चलो आशा है आप ऐसा जरुर करेंगे.. मुझे उम्मीद है आपको नाग कन्या-एक रहस्य {असली नाम ( दी जर्नी ऑफ़ फाइव फ्रेंड्स)} पसंद आई होगी और हाँ मानिकेय की तरफ से आप सब को आशीर्वाद है की आप खुश रहें. युहीं सब मुस्कुराते रहें.
2 Comments
Superb story 🌟👌🏻🌟👌🏻🌟👌🏻🌟👌🏻with full of all emmotions like fun, can asy, crying,happines h,Masti ,friendship everything that a story needs....each nd every character is perfect at its place nd leaves an impact on readers...reading this story takes u in a world of fantasy!!!yesss nd the best part of the story is the friendship bond between all friends👍🏻👍🏻👍🏻👍🏻👍🏻well written Mr.RKS ji👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
ReplyDeleteSuperb 🌟⭐🌟⭐⭐😊😊💐💐💐💐
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