- आस्था जैन "अंतस्"
" देखो , तुम लोगो की अब मैं कोई मदद नही कर सकता, अच्छा होता कि कल ही आकर तुम लोग मुझे सच बता देते , अब ये केस खन्ना के पास है , मैं अब इसमें कुछ नहीं कर सकता , अब तो तुम्हारे दोस्तो का भगवान ही मालिक है, और खतरे में तो पूरा शहर है, जिस तरह से रोज लाशें मिल रही हैं, मुझे नही लगता कि राहिल खन्ना की टीम भी इस केस में कुछ कर पायेगी" इंस्पेक्टर से साफ जवाब पाकर संवर वापस घर आ गया था। ये शायद पहली बार था जब इंस्पेक्टर ने संवर की मदद को साफ मना कर दिया था । उसके दोनों दोस्त वासु और राधे 8 दिन से लापता थे ।
पूरा इलाके में 10 दिन से हर सुबह लाशें मिलती थीं और शाम तक गायब हो जाती थीं , मौत के इस कहर से अब तक सिर्फ सती माई मोहल्ला बचा हुआ था, बाकी आस पास ऐसी कोई जगह या बस्ती नही थी जहाँ से लाशों के मिलने की खबर न आ रही हो ।
प्रशासन ,शासन , मीडिया, जनता सब के सब इस हौलनाक सिलसिले से घबराए हुए थे, देश दुनिया मे अब ग़जरीगांव एक कस्बा नही रह गया था, बल्कि एक मौत का इलाका बन गया था ।
स्थानीय प्रशासन की मदद से नए अधिकारियों और टीमों को जनता की सुरक्षा के लिए फील्ड में उतारा जा चुका था , दिन में सब सामान्य रहता , रात में सब सजग रहते , फिर भी सुबह होते ही किसी न किसी नाले या गटर में लाशें मिल ही जातीं, सन्देह के आधार पर सैकड़ो टुच्चे टपोरी से लेकर क्रिमिनल रिकॉर्ड वाले भी जेलों में बंद थे, अनजान निर्दोष लोगों को भी पुलिस इस समय शक से देख रही थी , जासूसी एजेंसी अलग अपना काम कर रही थी पर किसी के पकड़ में कुछ भी न आता था , सिवाय लाशों के ।
8 दिन पहले लाशों के साथ मिली बाइक भी अब पुलिस के किसी काम की नही थी क्योंकि उस बाइक का मालिक एक लड़का था जो खुद 10 दिनों से लापता था और उसकी तलाश अभी भी जारी थी ।
"क्या हुआ , क्या कहा इंस्पेक्टर ने " विभु ने दरवाजा खोलते ही संवर से पूछा ।
संवर बिना कोई जवाब दिए अंदर आकर उस छोटे से कमरे नुमा ड्राइंग रूम को घूरने लगा , कुल तीन कमरों का ये मकान जिसे उन चारों यारो ने मिलकर घर बनाया था आज कितना अजीब लग रहा था , उसके दोनों दोस्त 8 दिन से न जाने कहाँ गायब थे, कितनी मनहूस शाम थी वो जब कंचा ने उन लोगो से कहा था कि वो वासु और राधे को छुपा के रखेगा जबतक बाइक का किस्सा रफा दफा नही हो जाता , वरना इतनी लाशों के मर्डर का केस पुलिस इन्ही दोनो पर थोप देगी वैसे भी दो ही दिन में पुलिस प्रशासन की अच्छी खासी किरकिरी हो चुकी थी, और भूत प्रेत जैसी बातें अफवाहें अपने चरम पर थीं । माहौल को देखते हुए संवर ने उन दोनों को कंचा के साथ भेज दिया जबकि संयोगी इसके विरोध में उससे लड़ पड़ी थी , उसके हिसाब से सब कुछ इंस्पेक्टर को साफ साफ बता देना ही सही था लेकिन संवर को लगता था कि पुलिस ये बात ही नही मानेगी कि वो दोनों किसी प्रेत जाल जैसी चीज में फंसे थे , और उन्होंने जो देखा उस पर भी यकीन नही करेगी बस पूछ ताछ के नाम पर उन दोनों को मरते दम तक पिटेगी ।
उस शाम की रात ही पता चला कि कंचा को पुलिस ने ग़जरीगांव हाईवे से विक्षिप्त अवस्था मे पकड़ लिया था । उसकी हालत बिल्कुल पागलों जैसी हो गई थी, पुलिस को वो अकेला ही मिला था , संवर और विभु कई बार थाने जाकर उससे बात करने की कोशिश कर चुके थे, थोड़े दिन बाद ही उसे पागलखाने भेज दिया गया ।
विभु और संवर इन 8 दिनों में पूरे ग़जरीगांव इलाके में घूम आये हर दोस्त हर रिश्तेदार यहाँ तक कि परिवार वालो तक को फ़ोन करके पूछा पर वो दोनों कहीं नहीं मिले , आखिर में हार कर संवर आज खुद इंस्पेक्टर को सब बताने चला आया था , इंस्पेक्टर ने उसकी हर बात पर यकीन तो कर लिया लेकिन अब पूरा मामला राहिल खन्ना और उनकी टीम को हैंड ओवर हो चुका था और वो इस भूतिया बात पर जरा भी भरोसा नही करेंगे ये इंस्पेक्टर को यकीन था । और अब वासु और राधे को ढूढना और भी मुश्किल हो चुका था , पूरा ग़जरीगांव इलाका सील हो चुका था, न बाहर से किसी का आना न किसी का बाहर जाना, रात में स्थानीय लोग भी घर से बाहर न निकलते , जगह जगह पुलिस की नाकेबंदी दुरुस्त हो चुकी थी ।
"क्या हुआ यार, बोल भी कुछ " विभु लगातार आँसू बहाते हुए संवर से पूछ रहा था।
" सब खत्म हो गया यार, कोई तरीका नहीं बचा उन दोनों को ढूढ़ने का , क्या जवाब दूँ मैं काका काकी के फोन का , हर आधे घण्टे में फ़ोन आता है, वासु मिला क्या, राधे मिला क्या... ,सब मेरी गलती है " संवर ने गुस्से में अपनी ही तस्वीर को उठाकर जमीन पर फेंक दिया ।
"गलती तो तुम्हारी है , तभी तुम मेरी बात मान जाते तो वासु और राधे दोनो हमारे पास होते ,लेकिन तुम्हारी उस गलती को सुधारने की जरुरत भी है वरना तुम्हे भी कंचा के पास पागलखाने भेजना पड़ेगा " संयोगी ने अंदर आते हुए कहा।
परी और नेहा भी उसके साथ थीं।
" ये मजाक का वक्त नहीं है संयोगी "विभु ने कहा
" हम्म ये तस्वीरें तोड़ने फोड़ने का भी वक्त नहीं है, हम सबको आज रात ग़जरीगांव हाइवे से लगे एक फार्म हाउस में जाना है जोकि उस बस्ती से बस 5 किलोमीटर ही दूर है जिस बस्ती में तुम लोग पढ़ाने जाते थे" संयोगी ने संवर की टूटी हुई तस्वीर उठाते हुए कहा ।
" वहाँ ? उस फार्महाउस में क्यों जाना है संयोगी , बताओ न कुछ पता चला है क्या " संवर ने उसके पास आकर कहा।
" हम तीनों लगातार 4 दिनों से कंचा भाई से मिलने जा रहे थे, हमे पूरा भरोसा था कि उन्ही से कुछ पता चल सकता है, आज जब हम तीनों उनसे बात करने के कोशिश कर रहे थे तब उन्होंने आज अचानक ही बड़बडाते हुए फार्म हाउस ,हाइवे, वासु,भूत, पानी और भी बहुत कुछ कहा था, पानी तो उन्होंने सबसे ज्यादा बार कहा था , उनकी केयर टेकर से हमे पता चला कि वो दिन में लगभग 100 बार पानी माँगते है और कुछ नही माँगते" नेहा ने सबको बताया ।
" मैंने उस फार्महाउस के बारे के काफी कुछ पता कर लिया है , उन बच्चों से फोन पे बात करके जो उस तरफ की बस्तियों से आते हैं हमारी कोचिंग में " संयोगी ने कहा।
"पर रात में तो आना जाना मना है कहीं भी, फिर जाएंगे कैसे, दिन में ही चलें तो बेहतर है" विभु ने कहा।
" पर दिन में तो फार्म हाउस के अंदर कैसे जाएंगे और
अगर वहाँ की सिक्योरिटी ने पकड़ लिया तो वासु और राधे को कभी नहीं ढूढ़ पायेंगे" परी ने कहा
अगर वहाँ की सिक्योरिटी ने पकड़ लिया तो वासु और राधे को कभी नहीं ढूढ़ पायेंगे" परी ने कहा
" हम जाएंगे दिन में , रात होने तक छूपे रहेंगे, सिक्युरिटी के एक्शन्स वॉच करेंगे फिर रात में पूरे फार्म हाउस को छान मारेंगे , वैसे भी कंचा उस हाइवे के पास ही से पकड़ा गया था तो शायद हो सकता है वो दोनों उसी फार्म हाउस में हो , क्योंकि आस पास की हर बस्ती हर घर मे हम पूछ ही चुके है " संवर ने कहा।
"कुछ भी हो जाये हम अपने दोस्तों को कुछ नहीं होने देंगें , सती माई के मंदिर से उनका आशीर्वाद लेकर हम सब चलेंगे , चलो जरुरी समान साथ ले लेते हैं वैसे भी 3 तो बज ही चुके हैं " संयोगी ने कहा, सबने सहमति में सिर हिलाया और तैयारी शुरू कर दी।
.......
"क्या बकवास है ये , क्या करूँ तुम्हारी रिपोर्ट का , ये कोई खबर है , सारे इलाके को, सारी मुम्बई को, सारी दुनिया को पता है कि मुम्बई की पुलिस की कस्टडी से सारी लाशें गायब हो रही है ऐसे में डी.एस. पी. राहिल खन्ना और उसकी इतनी क़ाबिल टीम ये रिपोर्ट बना रही है कि कितनी लाशें गायब हो गई, मुझे रिपोर्ट चाहिए कि लाशें जा कहाँ रही हैं और हर रोज इतनी लाशें आ कहाँ से रही हैं , क्यों मर रहे हैं लोग, इसकी रिपोर्ट चाहिए मुझे , ये बकवास रिपोर्ट नहीं" गुस्से में तमतमाते हुए राहिल खन्ना ने टीम रिपोर्ट की फ़ाइल को उठाकर कचरे के डिब्बे में फेंक दिया।
आज भी सुबह मिली दो लाशें शाम होने तक गायब हो चुकी थीं और इसी से डी. एस. पी. खन्ना का पारा चढ़ा हुआ था वो इस सिलसिलेवार हो रहे हत्याकांड में कुछ भी नही कर पा रहा था ।
" जाओ सब के सब दफा हो जाओ, मैं खुद आज रात पूरे इलाके के चप्पे चप्पे पर नजर रखूँगा देखता हूँ सुबह कैसे कोई लाश मिलती है " कहते हुए राहिल ने मीटिंग हॉल में बैठे सभी टीम मेम्बर्स को दरवाजे की ओर इशारा किया और सब सिर झुका के चले गए बस एक लड़की मीटिंग हॉल में ही रह गई ।
" जाओ ,तुमने सुना नही क्या पिया " राहिल खन्ना बेरुखी से बोले।
" जी सर, मैंने सुना, लेकिन किसी भी मीटिंग में बाकी के मेंबर्स को भी सुनना पड़ता है, सिर्फ आपकी ही सुनेंगे तो वो भाषण हो जाएगा , मीटिंग नहीं" सब इंस्पेक्टर प्रियदर्शिनी (पिया) ने मुस्कुराते हुए कहा जो कि इस टीम की ऑपरेटर थीं।
" सुनके अच्छा लगा कि तुम्हारे पास भी कुछ सुनाने को है " खन्ना ने उसका मज़ाक उड़ाते हुए कहा।
" मुझे लगता है हम इतने दिनों से गलत दिशा में ऑपरेशन को ले जा रहे हैं, रोज हो रही घटनाओं को देखते रहने से कुछ भी हासिल नही होगा इस ऑपरेशन की अंजाम तक पहुंचाना है तो इसके शुरुआत में जाना होगा सर " पिया ने एक फ़ाइल खन्ना की ओर बढ़ाते हुए कहा।
खन्ना ने फ़ाइल पढ़ी और बन्द करके वापस टेबल पर रख दी
" क्या खास है इसमें, ये सब आलरेडी जानता हूँ मैं, दस दिन पहले ग़जरीगांव हाइवे पर किसी कार में कोई मर्डर हुआ , 5 युवा लड़के लड़कियाँ मारे गए , इनके पोस्टमार्टम से पहले इनकी भी लाश गायब हो गई , ये एक अलग केस है पिया जो लोकल पुलिस के ही पास है, इससे सीरियल किलिंग का क्या लेना देना, फालतू के काम करना बंद करो और कुछ काम की जानकारी मिले तब मेरे सामने आना "
" क्या खास है इसमें, ये सब आलरेडी जानता हूँ मैं, दस दिन पहले ग़जरीगांव हाइवे पर किसी कार में कोई मर्डर हुआ , 5 युवा लड़के लड़कियाँ मारे गए , इनके पोस्टमार्टम से पहले इनकी भी लाश गायब हो गई , ये एक अलग केस है पिया जो लोकल पुलिस के ही पास है, इससे सीरियल किलिंग का क्या लेना देना, फालतू के काम करना बंद करो और कुछ काम की जानकारी मिले तब मेरे सामने आना "
पिया ने मुस्कुराते हुए दूसरी फ़ाइल उनके सामने रखी और कहा , " ये मैंने तैयार की है, मैं खुद गई थी उस कार को देखने, सबको लगता है कि उनमें से एक की मौत गोली लगने और बाकी की मौत दम घुटने से हूई है, लेकिन पोस्टमार्टम तो हुआ ही नही सर ये तो सिर्फ एक अंदाजा है जो ऊपरी तौर पर लाशों को देखकर लगाया गया था, जिस रात से ये मर्डर हुआ है, उसी रात से लोगों की हत्याएं हो रही हैं, सिकुड़ी और सूखी हुई लाशें मिल रही हैं, और गायब हो रही हैं , इसलिए मुझे लगता है इस सीरियल किलिंग का इस कार वाले हादसे से ही कोई तार जुड़ा हुआ है, ये सारे पेपर्स हैं, ये केस भी अब हमें हैंडओवर कर दिया गया है , ये उसी की फ़ाइल है"
" लेकिन इनकी भी लाशें गायब हैं, न तो इनकी शिनाख्त हुई है और न ही अभी तक इलाके से कीसी ने कोई मिसिंग रिपोर्ट दर्ज कराई है, इनके तार जुड़े भी हो तो बेहद उलझे हुए हैं" खन्ना ने कहा
" लोग डरे हुए हैं , पुलिस के पास भी नही फटकना चाहते, सिविल ड्रेस में इस हाइवे के पास वाली बस्ती में गई थी मैं , बात करने पर पता चला है कि हाइवे के पास बसी एक बस्ती में करीब 300 घर होंगे वहीं से कोई लड़का जिसकी उम्र लगभग 17 साल है और स्टूडेंट है ,वो गायब है, 10 दिनों से, घर वालो को लगता है पुलिस ने अगर उसे पकड़ लिया तो
सीधा फाँसी न लग जाये उसे इन सब मर्डर्स के चक्कर मे, क्योंकि वो अम्बर नाम का लड़का उसी पार्टी में गया था जिसमे ये मरने वाले 5 लोग गए थे, और वो पार्टी उस फार्म हाउस पर रखी गई थी जो इनकी बस्ती से बस 5 किलोमीटर ही दूर है "
सीधा फाँसी न लग जाये उसे इन सब मर्डर्स के चक्कर मे, क्योंकि वो अम्बर नाम का लड़का उसी पार्टी में गया था जिसमे ये मरने वाले 5 लोग गए थे, और वो पार्टी उस फार्म हाउस पर रखी गई थी जो इनकी बस्ती से बस 5 किलोमीटर ही दूर है "
" तो मुझे क्या सुना रही हो, फौरन सबको बुलाओ और अपनी टीम भेजो उस फार्म हाउस पर" खन्ना ने फौरन रोमांचित होते हुए कहा।
" सर इस के लिए टीम भेजी थी मैंने लेकिन वहाँ की सिक्योरिटी ने तो इससे भी मना कर दिया कि कोई पार्टी हुई भी थी , फार्म हाउस का मालिक यहाँ रहता ही नही है , वो पुणे में रहता है, और उसकी जानकारी में कोई पार्टी नही हुई, 10 दिनों का समय काफी होता है सबूतों को मिटाने के लिए, लोकल पुलिस ने पहले ही उस तरफ भी ध्यान दिया होता तो बेहतर था लेकिन कुछ सबूत जो दिन के उजाले में छिपा दिए जाते हैं वो रात के अंधेरे में जिंदा हो जाते हैं, मैं आज रात उस फार्म हाउस में जाऊँगी , आपके साथ , तो तैयार हो जाइये सर"
" मैं तुम्हारा सीनियर हूँ तुम मुझे चलने के लिए आर्डर नही दे सकती सब इंस्पेक्टर पिया " खन्ना ने मुँह बिगाड़ते हुए कहा और पिया हँस दी
" सब इंस्पेक्टर प्रियदर्शिनी, डैडू, अगर नाम ले नही सकते तो ऐसा नाम रखना भी नही चाहिए अपने बच्चों के" पिया ने खन्ना के दोनों गाल पकड़ के खींच दिए और खिलखिला उठी इस बार खन्ना जी भी अपनी बिटिया के स्नेह से खिलखिला उठे।
......
रात के 11 बज रहे थे , खन्ना और पिया उस फार्म हाउस के बाहर खड़े थे , फोरेंसिक टीम उनके साथ थी और कुछ पुलिस वाले फार्म हाउस के बाहर तैनात थे ।
दो मंजिल के फार्म हाउस में सिक्योरिटी के नाम पे दो ही आदमी थे , एक किशनलाल जो 45 वर्ष के थे और फार्महाउस के केयर टेकर थे, दूसरा आदमी पारस था जो कि हथियार बन्द वॉच मैन था ।
खन्ना और पिया उन दोनों से बात कर रहे थे और उन्हें काफी कुछ नया पता चला।
"लोकल पुलिस ने इन लोगो से कोई पूछताछ ही नहीं की सर, बस खानापूर्ति करके चलते बने , हद होती है लापरवाही की भी " पिया ने खन्ना से कहा ।
दोनो फार्म हाउस का ग्राउंड फ्लोर घूम रहे थे , पिया हर चीज को बिना छुए अपनी नजरो से स्कैन कर रही थी ।
दोनो फार्म हाउस का ग्राउंड फ्लोर घूम रहे थे , पिया हर चीज को बिना छुए अपनी नजरो से स्कैन कर रही थी ।
" ताज्जुब तो ये है कि इस फार्महाउस के मालिक को पता तो होगा ही कि उसका बेटा अकुल यहाँ पार्टी करने आया था दोस्तो के साथ और सुबह उसके दोस्तों की लाश मिली और अकुल खुद गायब है तो फिर उसका बाप ग़जरीगांव क्यों नही आया " खन्ना जी ने सोचपूर्ण मुद्रा में कहा ।
" किशनलाल कहता है कि उसका मालिक पुणे में है , और कई दिनों से उसे फोन नही लग रहा , जब फ़ोन से बात ही नही हो रही तो उसे कैसे पता कि फार्म हाउस का मालिक इस वक्त पुणे में है " पिया ने आशंका जताई।
खन्ना -" और कह रहा है कि अकुल के साथ 7 दोस्त और थे, जबकि लाश तो उसके पाँच दोस्तों की ही मिली है "
पिया -" मिली कहाँ है सर, गायब ही हो गई, और जिस तरीके से लोकल पुलिस ने काम किया है उन्हें अकुल का नाम तक नही पता था, जैसे हर चीज नजरअंदाज करना चाह रही हो पुलिस , कुछ था ही नही इस केस की रिपोर्ट में और अब यहाँ आकर जाने क्या क्या पता चल रहा है "
"अगर वो एक आखिरी लड़का जिंदा बचा हो तो उस रात की सारी जानकारी हमे मिल सकती है, बशर्ते हम उस तक पहुँच पाएं"
कहते हुए खन्ना आगे निकल गए पर पिया एक दीवार के आगे ही खड़ी सी रह गई , कुछ अजीब सी ,सड़ी सी गन्ध आ रही थी उस दीवार में से .... न जाने क्या था ।
कहते हुए खन्ना आगे निकल गए पर पिया एक दीवार के आगे ही खड़ी सी रह गई , कुछ अजीब सी ,सड़ी सी गन्ध आ रही थी उस दीवार में से .... न जाने क्या था ।
इतने में ही उसे लगा कि कोई उसके पीछे से होकर तेजी से गुजरा हो , पिया ने मुड़कर देखा तो कोई नही था , उसकी धड़कन एकदम बढ़ गई थी , एक लम्हे में ही इतना डर उसे कभी महसूस नहीं हुआ , उसने देखा कि खन्ना जी वहाँ नही थे , शायद ऊपर गए होंगे ते सोचकर पिया ने कुछ कदम आगे बढ़ाए ही थे कि फ़र्श पर पानी होने की वजह से उसका पैर एकदम फिसल गया और वो जमीन पर सिर के बल गिर पड़ती उससे पहले ही काँपती हुई बाहों ने उसे अपने मे भर लिया।
खौफ़ से उसका दिल धड़कना ही भूल गया । उसके दिमाग मे करंट दौड़ रहा था " ये पानी पहले तो फ़र्श पर नही था , एकदम कैसे आया, यहाँ से तो कोई गुजरा था अभी , क्या हुआ ये ... "
" मेरा दिल भी धड़कना भूल गया है आपको देख कर" विभु मुस्कुराते हुए न जाने किस ख़्याल में बोल रहा था।
उसकी आवाज से पिया को ध्यान आया कि वो किसी अनजान की बाहों में है और वो पागलों की तरह मुस्कुराते हुए उसे घूर रहा है । वो झट से उसे परे करते हुई उससे अलग हो गई और तुरन्त उसपर गन तान दी और विभु की सारी मोहब्बत हवा हो गई .....
..... क्रमशः
..... क्रमशः
2 Comments
Story kafi romanchit ho rhi hai samaj ni aa rha aakhir bhoot h Kon mujhe to lagta h maybe akul hai ku ki uske dost sb sath the ar koi jhagda hua to in logo ne mar diya dekhte h Kya hota h
ReplyDeleteThanku bhaiya for the feed back
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