जल पिशाच ( भाग 4)
- आस्था जैन "अन्तस्"
" हैंड्स अप ......." पिया ने गन तानते हुए विभु से कहा ।
विभु ने अपने दोनों हाथ ऊपर खड़े कर दिए ।
" कौन हो तुम और यहाँ क्या कर रहे हो " पिया ने उससे पूछा लेकिन गन देखकर विभु की बोलती बंद थी ।
" मैम ये हमारा दोस्त है विभु " संवर ने पिया से कहा , पिया ने मुड़कर देखा तो ऊपर सीढ़ियों से उतर कर आ रहे खन्ना के साथ काफ़ी लोग थे ।
" ये चारों ऊपर अलग अलग जगह छुपे बैठे थे " खन्ना ने संवर , संयोगी, परी और नेहा की तरफ़ इशारा करते हुए कहा।
" ये चल क्या रहा है इधर, कौन हो तुम सब और यहाँ क्या कर रहे हो , बोलो " पिया ने पूछा
" हमारे दो दोस्त लगभग 8 दिन से लापता हैं मैम , हमे लगा शायद वो यहाँ होंगे इसलिए हम उन्हें ढूढ़ने आये थे " संयोगी ने कहा।
" चोरों की तरह छिप के? .. पुलिस में कंप्लेन नही कर सकते थे क्या , या खुद ही पुलिस बनने का शौक है , पता नही है क्या इस समय इलाके में क्या कोहराम मचा है " खन्ना ने उन्हें लताड़ते हुए कहा।
" सर , आप हमारी बात मानते नहीं , हुआ ही कुछ ऐसा है कि हम भी समझ नही पा रहे थे , हम तो बस अपने दोस्तों को वापस लाना चाहते थे इसलिए ये कदम उठाया " संवर ने कहा।
" मतलब यहाँ की जनता पुलिस पर भरोसा ही नही करती " पिया ने उसे घूरते हुए कहा
" कैसे भरोसा करें , जब आपकी मदद की तो आपने गन तान दी, खुद मदद माँग ने आते तो शायद कल किसी गटर में से हमारी ही लाश मिलती " विभु ने संवर के पीछे होते हुए कहा ।
" मेरी बेटी को मदद करने वालो से जरा नफरत है , मदद माँगने वालों से नहीं, चलो बताओ आखिर बात क्या है " खन्ना ने विभु के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा तो उसकी बत्तीसी खिल गई , और 2 मिनट में ही सारी कथा उसने खन्ना को सुना दी ।
पिया और खन्ना एक दूसरे का मुँह ताक रहे थे ।
" अगर तुम्हारी इस थ्योरी को सच मान भी लें तो तुम्हारे दोस्त तो हाईवे पर ही होने चाहिए 8 दिनों से " खन्ना ने कुछ सोचते हुए कहा।
" ऐसा कैसा हो सकता है सर कि वो सड़क पर खड़े हों और हमें या किसी को दिखे न, आस पास सारी बस्ती भी छान मारी हम लोगों ने, ग़जरीगांव से बाहर तो कोई आ जा ही नही सकता तो इसी फार्म हाउस में हो सकते है वे दोनों " संवर ने कहा।
" हाँ अगर उन्हें कुछ खाने पीने मिला हो तो, वरना 8 दिन बाद तो लाश ही मिलनी चाहिए , और रही बात देखने की तो वो दोनों तो तुम्हे तब भी नही दिखे थे जब तुम उस रात हाईवे से वापस लौट रहे थे और वे दोनों भी तुम्हे नही देख पाए थे हो सकता है जिस रात वो कंचा के साथ भागे हों वो उसी जैसी किसी दुनिया मे कैद होकर रह गए हों " खन्ना के आखिरी शब्दो ने उस सबको झकझोर के रख दिया इस बारे में तो किसी ने सोचा भी नही था ।
" क्या डैडू, आप इस बकवास पे यकीन कैसे कर सकते हो " पिया ने चौंकते हुए खन्ना से कहा
" पिछले 10 दिनों से इस इलाके में सब बकवास ही चल रहा है पिया, बताओ वो 5 लोगों की लाशें कहाँ गईं जो उस कार में मिली थीं, और उसके बाद हर रोज लाशें मिलती हैं शाम होते ही कैसे गायब हो जाती हैं कुछ नही पता और ऊपर से दस दिनों से कोई कम्प्लेन ही नही है कि किसी के घर से कोई गायब भी हुआ है या नहीं फिर ये लाशें किसकी हैं बताओ क्या ये सब खुद में बकवास नहीं " खन्ना ने कहा
" तो आपका मतलब है रोज लोगों की मौते उसी तरह से हो रही है जिस तरह उन पाँच लोगो की हुई थी उस कार में, एक अनजान शक्ति के हाथों , एक भूत के हाथों, रियली डैडू ... ये रिपोर्ट बनाने वाले है आप " पिया ने खीझते हुए कहा।
" वो सब तो नहीं पता, इस फार्म हाउस के एक चूहे के बिल तक को भी मत छोड़ना, सब छान मारो , अगर वो दोनों यहाँ मिलते हैं तो ठीक वरना कल सुबह तुम लोग हमें उस कंचा के पास ले जाओगे " खन्ना ने कहा तो वे पांचो हक्के बक्के रह गए।
" उसी मानसिक हालत ठीक नही है सर और उसे तो कुछ याद भी नहीं है " संयोगी ने कहा
" उसका इलाज भी पुलिस के पास है, इंडियन पुलिस को इतने हल्के में मत लो बच्चे " खन्ना ने अपनी मूँछो को ताव देते हुए कहा ।
पूरा फार्महाउस छान मार लिया गया कुछ बन्द कमरों में से नशे और अय्याशी का सामान मिला था और जरा कड़ी पूछताछ करने पर केयर टेकर ने उस रात की पार्टी की कहानी भी कह सुनाई थी और ये भी उगल दिया था कि उस रात इस फार्महाउस में एक हत्या हुई थी, अब केयर टेकर और सिक्युरिटी गार्ड दोनो को पिया ने अरेस्ट कर लिया था और फार्महाउस सील करवा दिया लेकिन वासु और राधे का अब भी कोई सुराग नही मिला था ।
अगले दिन खन्ना संवर को लेकर पागलखाने पहुँचे, बन्द कमरे में वे काफी देर तक कंचा से पूछताछ करते रहे लेकिन वो कुछ नहीं बोला बस पागलों सी हरकतें करता रहा अचानक खन्ना उठा और एक जोरदार पुलिसिया हाथ उसके कनपटी पर दे मारा , कंचा बिलबिला उठा ।
" सर .... वो अभी ठीक नहीं है .... " संवर ने घबराते हुए कहा
"ये बिल्कुल ठीक है, बस सबको बेवकूफ बना रहा है" खन्ना ने उसका गिरेबान पकड़ कर उसे झकझोर दिया , "देख तेरा जो भी कोई भी केस है उसे मैं देख लूँगा , कोई तुझे जेल में नही डालेगा , अब सच सच बोल , कहाँ हैं वो दोनों लड़के "
" वो दोनों ठीक हैं साहब, वो वासु ही अपन को ये ड्रामा करने वास्ते बोला था, अपुन की कोई गलती नही साहब " कंचा अपना गाल सहलाता हुआ सिर झुका कर बोला ।
संवर भौंचक्का सा उसे देखते रह गया ।
" हुआ क्या था उस रात ..." खन्ना ने गम्भीर आवाज़ में पूछा
"अपुन दोनों को लेकर जा रिला था वो हाईवे के पास किलोरी फैक्ट्री में , उसमें से एक सुरंग गई रे ली है, उधर हीच्च अंडरग्राउंड रहता था अपुन भी, अक्खा मुम्बई में उतना सेफ प्लेस दूसरा नक्को , अपने को तो बीच हाइवे में जाने क्या भूत जैसा कुछ दिखेला था साला अपन तो उधर ही बेहोश , बहुत देर बाद वासु अपुन को बोला तू वापस जा , मेरे को बहुत जरूरी काम करना माँगता , किसी को बोलने का नही मैं और राधे फार्महाउस में है, अपुन को क्या, अपन वापस आ रिला था इधर पुलिस अपने को पकड़ ली , अपुन का पुराना बहुत केस डला उधर थाने में, क्या करता ,साला पागल बन गया मैं ,वो लड़की लोग आए री ली इधर उनको बोले तो थोड़ा हिंट दिये रेला था मैं फार्महाउस करके "
" वो दोनों उस फार्म हाउस में नहीं है " संवर ने निराश होते हुए कहा ।
" अरे है भिड़ू , बट तुमको दिखेगा नही , अपुन को भी नहीं दिखा था , दोनो का आवाज सुना था मैं बस "
संवर और खन्ना एक दूसरे का मुँह ताक रहे थे ।
तभी खन्ना के पास किसी का फ़ोन आया और बात करने के बाद उसके माथे पे चिंता की कई लकीरें उभर आईं , " पिया ने इन्फॉर्मेशन निकाली है कि आज सुबह जो 2 लाशें मिली हैं वो कब्रिस्तान से निकली हुईं हैं "
" इसका मतलब 11 दिनों से जो लाशें मिल रही हैं वो सब ....." संवर आश्चर्य चकित होते हुए बोला।
" हाँ , हो सकता है, अब मुझे कब्रिस्तान जाना होगा अपनी टीम के साथ , तुम अब अपने घर जाओ , देखते है आगे क्या होता है " खन्ना ने कहा।
" बोले तो अपुन के पंटर लोग से भी कुछ जानकारी मिल सकता है..... लेकिन उसके वास्ते अगर तुम अपुन का वो पिछला महीना वाला चोरी का केस रफा दफा करवा दे तो अपुन सोच सकता है इस बारे में ...... " कंचा ने कुटिल मुस्कान बिखरते हुए कहा और चटाक .... खन्ना का एक और हाथ उसकी दूसरी कनपटी पर रसीद हो गया ।
.....
" कुल 44 लाशें गायब हैं अलग अलग कब्रिस्तान से इनमे से कुछ तो ग़जरीगांव इलाके के आस पास के इलाकों के कब्रिस्तान से भी गायब हुईं हैं , शायद यही वजह है कि इतनी लाशें रोज मिल रही हैं लेकिन कहीं से भी किसी मौत या गुमशुदगी की रिपोर्ट नहीं आई थी , कब्रिस्तान में भी कब्रों के खुदने के कोई निशान नहीं हैं , ऐसा लगता है जैसे ज़मीन के अंदर ही कोई सुरंग बनाकर इन सब लाशों को ले गया हो " पिया ने खन्ना को जानकारी देते हुए कहा।
" या फिर हो सकता है कि ये लाशें खुद गायब हो रही हों, कल के सीसीटीवी फ़ुटेज की उतने समय की रिकॉर्डिंग गायब है जब वो लाशें हॉस्पिटल के मुर्दा घर से गायब हुईं, आज जो दो लाशें मिली हैं तुम खुद उनको पूरी रात वॉच करोगी पिया " खन्ना ने कहा
" यस सर् .."
"सर मैं .... मैं भी " संवर ने हकलाते हुए कहा।
" तुम्हें मुर्दाघर में तुम्हारे दोस्त नहीं मिलेंगे लड़के " खन्ना ने कहा
" नहीं सर , वो मैं .... मैं आज रात ग़जरीगांव हाईवे पर जाना चाहता हूँ , शायद वहाँ से मेरे दोस्तों का कुछ पता चल जाये " संवर ने कहा ।
" अगर तुम्हारे दोस्तो ने जो देखा था वो सच हुआ तो तुम बहुत बड़ी जोखिम में फँस जाओगे, चलो एक काम करो मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूँ " खन्ना ने अपनी सर्विस रिवाल्वर चमकाते हुए कहा ।
......
रात के 11 बज रहे थे, पिया मुर्दाघर के ही एक कमरे में मास्क लगाए ड्यूटी कर रही थी, सारे मुर्दा फ्रीज़र बॉक्स में रखे थे जिनके ऊपर उनके पहचान के नंबर वगेरह की स्लिप चिपकी हुई थी , बहुत से शवो की पहचान नही हो पाती या अंतिम क्रिया के लिए परिजन नही आ पाते या जिनका शवविच्छेदन होना होता है वे सभी शव मुर्दाघरो में ही रखे जाते हैं , जिन दो लाशों को सुबह लाया गया था वे अलग अलग स्ट्रेचर पर रखी हुईं थीं, पिया बराबर एक कुर्सी पर बैठी हुई उन लाशों पर नजर रखे हुए थी ।
कमरे के बाहर किसी के आने की आहट से पिया चौकन्नी हो गई , उसने अपनी गन बाहर निकाली ही थी कि जो अंदर आया था उसने ...... हैंड्सअप कर दिया ।
" तुम यहाँ क्या कर रहे हो इडियट " पिया ने अपनी गन वापस रखते हुए कहा
" वो .... वो संवर ने कहा था आप यहाँ अकेले ड्यूटी कर रही हैं तो मैं ...... मैं आ गया " विभु ने हकलाते हुए कहा तो पिया की हँसी छूट पड़ी ।
"किसलिए , मेरी सेफ्टी के लिए ..... रियली "
"नहीं बस , मदद के लिए ... वो अगर आपको दिक्कत हो तो मैं वापस चला जाऊँगा ...." कहते हुए विभु आगे बढ़ ही रहा था कि उसका पैर रपट गया , शायद सिर ही फूट जाता उसका अगर पिया ने उसे संभाला नहीं होता ।
" खुद से तो ढंग से चला नही जाता , मेरी क्या मदद करोगे, जाओ दफ़ा हो " पिया ने उससे अलग होते हुए कहा।
" वो पानी पर पैर फिसल गया था यार ..... " विभु फ़र्श को देखते हुए बोला ।
" पानी ......... " पिया ने चौंकते हुए कहा क्योंकि उससे पहले वहाँ पानी नहीं था
"किसी फ्रीज़र में से टपक रहा होगा " विभु ने कहा
" फ्रीज़र से टपकेगा तो फ्रीज़र के पास गीला होगा , बीच फ़र्श पे नही इडियट "
" हाँ , पानी तो कहीं से नहीं आ रहा, फिर से बीच फ़र्श पे कैसे , अरे ये तो बढ़ता जा रहा है , फ़र्श के अंदर से आ रहा है क्या ......"
विभु पानी वाली जगह से हटकर परे हो गया था , पिया अभी भी उसी गीली जगह में खड़ी थी । पानी की मात्रा बढ़ती जा रही थी , दोनों स्ट्रेचर केे पहिये घूम गए और पानी की तऱफ बढ़ने लगे , दोनों स्ट्रेचर उसी एक गिलास जितने फैले पानी मे समा गए , पिया सदमे से उस नजारे को देख रही थी , उसे होश ही नहीं था कि खुद वो भी उस पानी मे समाती जा रही थी , विभु ने पिया का हाथ पकड़ कर उसे पीछे खींचना चाहा तो वो भी उस पानी की जद में आ गया , दोनों उसी पानी मे समा गए और अगले ही पल फ़र्श सूख गया ...
विभु पानी वाली जगह से हटकर परे हो गया था , पिया अभी भी उसी गीली जगह में खड़ी थी । पानी की मात्रा बढ़ती जा रही थी , दोनों स्ट्रेचर केे पहिये घूम गए और पानी की तऱफ बढ़ने लगे , दोनों स्ट्रेचर उसी एक गिलास जितने फैले पानी मे समा गए , पिया सदमे से उस नजारे को देख रही थी , उसे होश ही नहीं था कि खुद वो भी उस पानी मे समाती जा रही थी , विभु ने पिया का हाथ पकड़ कर उसे पीछे खींचना चाहा तो वो भी उस पानी की जद में आ गया , दोनों उसी पानी मे समा गए और अगले ही पल फ़र्श सूख गया ...
क्रमशः ..
2 Comments
Ab to story ar pechida ho gyi ye Jo bhi h Pani Wala bhoot ya Jo bhi vo apni maut ka badla sbse ku le rha h ar Jo gayab h vo Kya krega unke sath dekhte h
ReplyDeleteUski maut nhi hui vo to sbko khtm krne hi aaya h
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