जल पिशाच ( भाग 5)

- आस्था जैन "अन्तस्"

" ये तो वही फार्म हाउस है ... " पिया ने बुदबुदाते हुए कहा, वो पानी मे पूरी तरह भीगी हुई थी और विभु भी।
" वो देखो सामने " कंपकंपाते हुए हाथ से इशारा करके विभु ने कहा , पिया ने सामने देखा तो वे सूखी लाशें किसी स्वस्थ मनुष्य जैसी हो चुकी थीं और पूरी तरह पानी मे भीगी हुईं थीं .... दोनों लाशें सामने की दीवार में समा गईं , विभु और पिया भी ये सब देख भौंचक्के रह गए ।
पिया ने पास जाकर देखा तो उस दीवार में वैसे ही सड़ी हुई बदबू आ रही थी जैसी कल आ रही थी और फ़र्श पे भी कल की ही तरह पानी फैला हुआ था , उन दोनों के शरीर या कपड़ो से पानी टपक नही रहा था , मानों भर कर रह गया हो और देह सारा पानी सोख रही हो , धीरे धीरे फ़र्श का पानी भी उस दीवार में समा गया ।
वे दोनों निचली मंजिल में उसी जगह खड़े थे जहाँ कल खड़े थे .... नीचे हल्का उजाला था पर ऊपर लग रहा था कि रोशनी है , दोनों होश संभालने के बाद मुख्य दरवाजे की दिशा में उस गलियारे में आगे बढ़ने लगे ....
"जाने क्या हुआ होगा 11 दिन पहले इस फार्म हाउस में उस रात , कैसे पाँच लोग मर गए, एक गुत्थी सुलझती नहीं दूसरी में उलझ जाते हैं " पिया बड़बड़ाती हुई चल रही थी ।
" ये किसकी कार है पिया और वो भी आधी रात को ...." विभु ने पिया से कहा लेकिन तबतक पिया उसका हाथ खींचकर उसे एक पर्दे के पीछे छिपा चुकी थी और खुद भी छिपकर सतर्कता से उस कार में से निकल रहे लोगों को देखने लगी ।
कार में से हो हल्ला करती हुईं दो लड़कियाँ बाहर निकलीं , दोनो ने घुटनो तक का स्लीवलेस वन पीस पहना हुआ था और साथ मे तीन लड़के भी थे जिनमें से एक को विभु ने पहचान लिया .....
" ये तो रवि है ...." विभु फुसफुसाया।
" ये तो मर गया था न इडियट..... " पिया ने खीझते हुए कहा।
" नहीं मतलब हाँ लेकिन ये ब्लैक टी शर्ट में रवि ही है शायद उसका भूत हो .." विभु फिर फुसफुसाया।
" चुप रहो....." पिया ने उसे घूरते हुए ऑर्डर दिया।
पाँचों लोग कुछ ही देर में मुख्य दरवाजे से अंदर आ गए और विभु और पिया के सामने से ऐसे निकल गए कि उन दोनों के होने से उन्हें फ़र्क ही नही पड़ता ।
वे सीढ़ियो से ऊपर चढ़ गए , पिया भी उनके पीछे सीढ़ियाँ चढ़ने लगी , विभु भी उसके पीछे चल रहा था ।
" तुम छिपे ही रहो तुम निहत्थे हो "
" पर मैं तुम्हे अकेले नही जाने दे सकता "
" ये लो फिर ......." पिया ने अपनी एड़ी के पास जीन्स में छुपी एक और गन उसे देते हुए कहा पर विभु ने दोनों भौहें सिकोड़ कर न में गर्दन हिला दी, दो पल तक दोनो ऐसे ही खड़े रहे , अचानक विभु को कुछ याद आया , वो दौड़कर उस जगह गया जहाँ अभी वे दोनों छिपे थे और वहाँ से एक मजबूत रॉड लेकर पिया के सामने आकर खड़ा हो गया , पिया ने अपनी दूसरी गन वापस छिपा ली और बोली , " मेरे पीछे ही रहना और हाँ हड़बड़ाहट में इस रॉड से मुझे ही मत मार डालना ...., चलो"
सीढ़ियाँ चढ़ने के बाद पहले ही कमरे में उन दोनों ने देखा कि वहाँ उन पाँच लोगों के अलावा दो लड़के और थे उनमें से एक उम्र में काफी छोटा लग रहा था और उसके कपड़े भी सादा ही थे, वो बाकी के 6 लोगों के लिए पैग बना रहा था ।
पिया वो सब नशे का सामान देख कर चौंक गई , कल ही तो उसने ये सब हटवाया था फिर आज ये सब यहाँ कैसे ...
" रवि भैया अब मैं जाऊँ ..... " थोड़ी देर बाद उस लड़के ने कहा।
" अबे क्या यार अम्बर तू पी ले बेटा फिर चले जाना ..." रवि ने नशे में कहा।
" ये अम्बर तो रवि की क्लास का स्टूडेंट् है , पर ये यहाँ क्या रहा है .." विभु कुछ याद करते हुए फुसफुसाया।
" अरे रुक जाओ थोड़ी देर हमारे साथ , अभी तो अकुल को तुम्हारी बहुत जरूरत पड़ेगी ...." एक लड़की ने दूसरी को आँख मारते हुए कहा।
"मतलब ...." अम्बर को कुछ समझ नहीं आया।
" कुछ नहीं तू बता क्या पियेगा, मैं पिलाऊँगा तुझे " एक लड़के ने नशे में अम्बर के होठों पे हाथ फेरते हुए कहा ।
वो लड़का सिटपिटा कर उससे दूर ह गया ।
"चलो बे , निकलो सब , पहुँचो अपने अपने कमरे में ...." उस लड़के ने बहकते हुए कहा ।
" जो हुकुम अकुल डार्लिंग ...." एक लड़की ने कहा।
सामने पड़ी बोतलों में से एक एक बोतल उठाए बाकी सब कमरे से बाहर लड़खड़ाते हुए निकलने लगे, पिया और विभु दीवार की आड़ में छुप गए , उस कमरे में केवल वो लड़का और अकुल रह गया था , पिया उस कमरे की तरफ बढ़ी पर तब तक अकुल ने दरवाजा अंदर से बन्द कर लिया।
" दरवाजा तोड़ो...." पिया ने विभु से कहा।
" मैं कैसे तोड़ दूँ ... " विभु ने कहा।
" भाड़ में जाओ ....... " कहकर पिया ने एक जोरदार लात दरवाजे पर मारी लेकिन उसका पैर उस दरवाजे में आर पार हो गया वो चौंक कर पीछे हो गई... इतने में दरवाजा अंदर से ही खुल गया और अकुल अम्बर के बाल पकड़ कर घसीटते हुए उसे सीढ़ियों से नीचे ले जा रहा था और बेहद गन्दी गालियाँ देता जा रहा था , अम्बर दर्द से चिल्ला रहा था .... शोर सुनकर बाकी सब भी अस्त व्यस्त कपड़ो में अपने कमरों से बाहर निकल आये और अकुल के पीछे उसे रोकने के लिए दौड़ पड़े।
पिया और विभु ने उसे रोकने की कोशिश की लेकिन उनका वहाँ होना न होना एक बराबर ही था , उनको तो कोई देख सुन ही नही रहा था , भला ऐसा भी हो सकता है क्या ....
अकुल उस लड़के को घसीटते हुए फार्म हाउस के पीछे ले आया था और उसे पकड़ कर वहाँ बने एक दलदल में फेंक दिया .... रवि ने उसे बचाने की कोशिश की लेकिन बाकी के दो लड़कों ने उसे पकड़ रखा था ।
" ये क्या किया यार, वो मेरा स्टूडेंट् था , मैं क्या जवाब दूँगा संवर को जब उसे पता चलेगा कि ये गायब है " रवि अकुल पर चिल्लाया तो अकुल ने उसका गला पकड़ कर उसे झकझोर दिया।
" अबे तुझको उन लोगो के साथ भेजा ही इसलिए था कि तू मेरे लिए शिकार ला सके  , साला ये लड़का लेकर आया तू , इसने मुझे लात मारी ...... इसकी इतनी हिम्मत कि अकुल को लात मारी इसने , इसको तो मरना ही था , लेकिन अब तेरी बारी है ..... , मेरी रात ख़राब करने की सजा तुझे भी मिलेगी , चल......" अकुल उसकी गर्दन दबा कर उसे भी दल दल में फेंकने ही वाला था कि किसी ने उसका पैर पकड़ लिया बेहद मजबूती से , उसने देखा तो उसे अँधेरे भी साफ़ दिखाई दिया ... कीचड़ से सना हुआ हाथ ..... , उसने अपना पैर छुड़ाने के चक्कर मे रवि की गर्दन छोड़ दी .. उस हाथ से जुड़ा हुआ बाकी का शरीर भी अब दलदल के बाहर आ चुका था और उसका हाथ अब अकुल के पैर के बजाए उसकी गर्दन पर था ....... कीचड़ से सने उस शरीर का चेहरा साफ़ नही दिख रहा था अकुल को पर इतना भरोसा उसे हो गया था कि ये उसकी मौत है ........ " पानी ...... गन्दा..... मत.... करो ...." उस कीचड़ से सने इंसान ने कहा और अपने दोनों हाथों से अकुल के दोनों जबड़े फाड़ कर अपने मुँह से कीचड़ उगल दिया जो अकुल के मुँह से उसके शरीर में भर गया, उसे वहीं मरता छोड़ वो अब बाकी के लोगों की तरफ़ मुड़ गया उसकी लाल आँखे तेज़ चमक रहीं थी ..... वो पाँचो सिर पर पैर रख कर वहाँ से भागे, गिरते पड़ते कार तक पहुँचे और वापस कार हाईवे की ओर दौड़ा दी ..... बेतहाशा बारिश हो रही थी ..... उस दलदल से निकले शैतान की आवाज़ की गूँज अब भी उन पाँचो के कानों में गूँज रही थी  ...... 
विभु उनके पीछे दौड़ते दौड़ते थक गया .... पिया भी उसके पास रुक गई , इतने खतरे में वो उसे अकेले कैसे छोड़ देती ... वो दोनों बीच हाईवे पर खड़े थे और वो कार उनसे दूर जा चुकी थी । विभु के पैर में शायद मोच आ गई थी ..सड़क के एक किनारे  पिया उसकी मोच देख ही रही थी कि विभु सदमे से चिल्लाया, "पिया वो कार ......"
पिया ने देखा तो वही कार वापस आ चुकी थी और उसके बाद उन दोनों उन पाँचो की मौत का वही नज़ारा देखा जो वासु ने देखा था ।
ये सब देखते हुए विभु घबरा रहा था । पिया भौंचक्की सी सब तमाशा देख रही थी , उसके दिमाग मे एकदम बम सा फ़ूट पड़ा " ये सब तो वैसा ही चल रहा है जैसा संवर ने बताया था कि उसके दोस्त वासु ने ये सब देखा था उस रात हाइवे पे ..... मतलब वो कहानी सच्ची थी .... ये कैसे हो सकता है ...... "
" ये सब .... ये सब तो वासु की कहानी जैसा है पिया " विभु बुदबुदाया ।
"नहीं .... सब कुछ उसकी कहानी जैसा नहीं है , वो देखो " पिया ने कार की तरफ़ उंगली करते हुए कहा जिसमें से वो कीचड़ से सना हुआ लड़का बाहर आ रहा था , बारिश से उसके शरीर का कीचड़ धुल रहा था ..... और उसका चेहरा अब पिया और विभु साफ़ देख सकते थे , वो अम्बर का चेहरा था जो अगले ही पल उस शरीर से अलग हो गया , जैसे एक मे दो शरीर अलग हो गए हों , एक तरफ़ अम्बर की हल्की धुँधली परछाई सी खड़ी थी और एक तरफ़ विशालकाय मानव आकृति जो बर्फ़ की मूर्ति मालूम होती थी ।
" आपने मेरी हत्या के अपराधियों को सज़ा दी ..... शुक्रिया " अम्बर ने उस बर्फ़ की मानव मूर्ति से कहा।
" मैंने तुम्हारे अपराधियों को सज़ा नहीं दी , मैंने अपने अपराधियों को सजा दी है.... , मेरी सहस्त्रों वर्षों की निद्रा को भंग करने का अपराध किया है इन दुष्टों ने , मेरी जागृति का कितना बड़ा दुष्परिणाम होगा ये तुम सोच भी नहीं सकते .... जाओ ,तुम्हारी आत्मा अब मुक्त है ...... मैं यहीं हूँ ...... अपनी जागृति का दुष्परिणाम भोगने के लिए ......" उस बर्फ़ की मानव आकृति के स्वर गूँजे ।
" ये तो आईस मैन जैसा है ....  पर ये पिघल क्यों नहीं रहा ... बर्फ़ तो पानी मे पिघल जाती है " विभु बुदबुदाया।
पिया उस दृश्य को इतनी एकाग्रता से देख रही थी कि बहुत गुस्सा आने पर भी उसने विभु को खा जाने वाली नजरों से नहीं घूरा ।
अम्बर की परछाई उसी बारिश में विलीन हो गई । उस बर्फ़ की मानव आकृति ने अपने दोनों हाथ आसमान की तरफ़  उठा दिए और एक के बाद एक कई बिजलियाँ आसमान से गिरकर उसमें समा गईं , वो चीत्कार उठा...
"हे समग्र ब्रम्हांड के जलेश्वर! क्यों दिया ये शरीर मुझे ...... मेरे दुबारा प्रकट होने के बाद उन पिशाचों को फ़िर जीवन मिलेगा ..... क्यों मुझे मेरे पापों का प्रायश्चित नहीं करने देते आप .....मैं त्रेतायुग में जिनसे परास्त हुआ , क्या अब इस कलयुग में उनके प्रकोप को रोक सकूँगा मैं ...... उत्तर दीजिये ...... क्यों किया नियति ने ये विधान ..... क्यों ...... प्रकट होइए जलेश्वर ....... उत्तर दीजिये ........मैं जा रहा हूँ उसी चिर निद्रा में ......., यदि वे पिशाच फ़िर जाग्रत हुए तो उन्हें रोकने का मार्ग भी आपको स्वयं ढूंढना होगा ...."
बारिश थम गई और वो हिम आकृति पलट कर फार्म हाउस की ओर चल दी , और उसी दलदल में फिर से समा गई ।
" मेरा सिर फट जाएगा ....." अपना सिर दबाते हुए पिया ने कहा ।
इतना सब अजीब देखना उसकी पुलिस ट्रेनिंग में शामिल नहीं था , उसे भारी कोफ़्त हो रही थी कि विभु मजे से सब कुछ देख रहा था और सामान्य था ।
" तुम्हें ये सब अजीब नहीं लग रहा ....." पिया ने उसे घूरते हुए कहा जैसे उसकी बात में सवाल से ज्यादा लानत हो विभु के लिये।
" नहीं , मैंने ऐसी बहुत वेब सीरीज़ देखी हैं, पढ़ा भी है ..... मैं तो .."
" ओह शट अप, वेब सीरीज़ और असलियत में फ़र्क होता है .... ये सब असल मे नही होता , बस किस्से कहानियों में होता है इडियट "
" हाँ .... ये तो मुझे भी अजीब लगा .... पानी मे वो बर्फ़ का आदमी आखिर पिघला क्यों नहीं.."
" तुम पागल हो.... और अब मैं भी पागल होने वाली हूँ , चलो यहाँ से ,उठो , न जाने डैडू कहाँ होंगें , उठो भी अब ...." पिया ने झुंझलाते हुए कहा और खड़ी हो गई लेकिन जैसे ही वो पलटी तो दो कदम पीछे गिर पड़ी , सामने उसके डैडू थे , कुर्सी में बैठे हुए और उनके बगल में बैठा हुआ था .... संवर , वे दोनों पुलिस थाने में थे , पिया के मुँह से निकल पड़ा " डैडू......." आवाज़ सुनकर खन्ना अचंभित सी मुद्रा में उठकर खड़े हुए और पिया के पास आकर बोले , " आप दोनों यहाँ क्या कर रहे हैं , पुलिस स्टेशन में , वो भी फ़र्श पर .... क्या हुआ "
संवर भी उठकर उन लोगो के पास आ गया था।
" अ .... हं..... मैं ..... " पिया ने देखा वो और विभु पुलिस स्टेशन के फर्श पर पड़े हुए थे ।
" मैंने आपको मुर्दाघर भेजा था, आप यहाँ क्या कर रहीं हैं सब इंस्पेक्टर पिया , और ये लड़का क्यों आया हैं यहाँ " खन्ना अब झुँझला पड़े थे।
"अरे सर , पहले उन्हें उठाइये तो  " संवर ने कहा तो खन्ना ने पिया को हाथ देकर उठाया , संवर ने विभु के पास जाकर उसे उठाने की कोशिश की तो वो बड़े दर्द में बोला " आह ... भाई मोच आई है ....."
" किधर है बे मोच , सही तो है .... " संवर उसका पैर देखते हुए बोला।
" हें .... सही है, हाँ सही तो है , पता नहीं मुझे लगा कि चोट आई है ...." विभु हैरत से अपने पैर को मोड़ कर देख रहा था।
" क्या हुआ है कोई बतायेगा मुझे " खन्ना ने पूछा।
पिया रोते हुए खन्ना के गले गई और सिसकने लगी, अपनी इतनी बहादुर और मजबूत बेटी को रोते देखना खन्ना के बस के बाहर था , उन्होंने आग्नेय दृष्टि से घूरते हुए विभु को देखा ,  विभु को लगा कि अगले ही पल वो भस्म हो जाएगा , वो डरकर संवर के पीछे छिप गया ।
" डैडू , मैंने भूत देखा ......." पिया ने काँपते हुए कहा तो खन्ना और संवर के होश उड़ गए ।
" क्या ...... कहाँ देखा .... मुर्दाघर में ?" खन्ना ने उसका सिर सहलाते हुए पूछा अब वो थोड़ी सामान्य हो गई ।
" सब जगह देखा था सर, मुर्दाघर में, उस फार्महाउस में, उस हाईवे पर, सब जगह, ..... " विभु ने कहा।
" क्या देखा तुम लोगो ने " संवर ने उससे पूछा तो विभु ने पूरा किस्सा उसे सुना दिया।
" अजीब बात है, मैं और संवर पूरी रात हाईवे और फार्महाउस का चक्कर लगाते रहे, हमे तो कुछ भी नहीं दिखा, तुम लोग भी नहीं " खन्ना ने कहा।
" दिखाई तो आप लोग भी नहीं दिए हमे , पता नही क्या चल रहा है ये सब भूतियापा.... " विभु ने कहा।
" हमें सब पता करना होगा, अगर ये भूत है तो जनता की सुरक्षा के लिए हमे इस भूत से भी लड़ना होगा डैडू.... , मुझे पता है अब हमें आगे क्या करना है ... , हमें उस दलदल के पास जाना होगा " पिया ने दृढ़ निश्चय के साथ कहा।
" एक पल में डर जाती है, एक पल में रोती है, एक पल में गन निकाल लेती है , एक पल में लड़ने तैयार हो जाती है , मुझे तो समझ ही नहीं आता कि ये है क्या .." विभु पिया को देखते हुए धीरे से फुसफुसाया तो संवर ने मुस्कुराते  हुए उसके कान में कहा " बेटा वो पुलिसवाली है, वो कुछ भी कर सकती है "
....
" यार कितने दिन और छुप कर रहना पड़ेगा ऐसे , दम घुटा जा रहा है यार " राधे ने कसमसाते हुए कहा।
" जब तक इन जल पिशाचों का सच नही जान लेते , हम नही जा सकते " वासु ने उसे समझाते हुए कहा।
" इस लैब में पड़े पड़े क्या पता लग पाया है 11 दिनों से , उधर सब हमारा इंतजार कर रहे होंगे यार " राधे ने रोनी सी शक्ल बना कर कहा।
" पता तो काफी कुछ चल रहा है ना , हम जैसे जैसे इनकी तरह होते जाएंगे , इनके राज़ भी हमे पता चल ही जायेंगे सब्र रखो " वासु ने उसे दिलासा दी ।
"अच्छे भले भाग रहे थे कंचा के साथ , ये मनहूस पिशाच न दिखे होते तो कितना अच्छा रहता यार " राधे ने कहा।
" मुसीबत उन्ही के गले पड़ती है जिन्हें उनसे निकलना आता हो, हम भी निकल जाएंगे , मैं हूँ न , टेंशन मत ले  " वासु ने उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा।
" हाँ अब टेंशन लेने को दिमाग बचा भी किधर है, साला सब ऊपर से नीचे पानी ही पानी ..... " राधे ने अपनी और वासु की जलकाया को देखते हुए निराश होकर कहा।
... क्रमशः