बड़े घराने की बहू 

पार्ट 5

" कोई तो दिक्कत है तुम्हारी , बोलो , आखिर चाहते क्या हो तुम " एक हाथ से करण की गिरेबान पकड़े हुए राहुल ने अपने दूसरे हाथ की मुट्ठी भींचते हुए कहा।

करण डर के मारे  उस AC कमरे में भी पसीना पसीना हो रहा था।

" मैंने कुछ नहीं किया स..." करन के इतना बोलते ही एक जोरदार मुक्का उसके जबड़े को नसीब हुआ और वो फ़र्श पर गिर पड़ा।

राहुल ने दुबारा उसकी कॉलर पकड़ कर उसे खड़ा किया और बोला , " समझ क्या रखा है तुमने मुझे , मेरी नाक के नीचे सब प्रपंच रचोगे और मैं समझ नहीं पाऊँगा , पहले दिन.... तुम्हारे इस पैलेस में आने के पहले दिन से तुम पर नज़र रख रहे हैं मेरे आदमी" 

" कितनी भी नज़र रख लो मैनेजर सर, मेरे प्रपंच की जड़ तो क्या पहले सिरे तक नहीं पहुँच पाओगे तुम" करन शैतानी हँसी हँसते हुए बोला।

"टेंशन वाली कोई बात नहीं है बेटा, तू कुछ उगले या न उगले , लेकिन इस शादी को तू कभी रोक नहीं पायेगा , समझा ।" कहकर राहुल ने उसे वापिस फ़र्श पर पटक दिया और बाहर से कमरा बन्द करके सगाई के हॉल में आ गया।

" देर कर दी आपने, सारी रस्में हो गईं मैनेजर साहब, आप बेवजह ही डर रहे थे "

स्नेहा ने राहुल के पास आकर  कहा ।

राहुल स्नेहा को बिना कुछ कहे नव्यम और कल्पना के पास गया , नव्यम ने मुस्कुरा कर उसके गले से लग गया।

सब लोग आस पास ही थे , 

" इतने अच्छे डेकोरेशन और सब चीज़ों के लिए थैंक यू सो मच भायू" नव्यम ने कहा।

" क्या थैंक यू ,मेरे भाई की शादी है, सब मुझे ही तो करना है " राहुल ने मुस्कुराते हुए कहा।

" भायू, मैं बड़ी माँ को लेने गया था लेकिन वो नहीं आईं" नव्यम उदास होते हुए बोला।

" कोई बात नहीं , आज रात को मैं उनसे बात करूँगा , ओके " राहुल ने कहा तो नव्यम मुस्कुरा दिया।

" आज हमारे ही साथ डिनर  करना बेटा, प्लीज" नायक जी राहुल के पास आते हुए बोले।

" जी , वो मुझे अभी कुछ काम है , वो पूरा करके फिर आता हूँ " राहुल ने कहा और वहाँ से सीधा रावत जी के कमरे में चला गया।
......

" करन की तुमसे कोई दुश्मनी नहीं , न ही इस पैलेस के श्राप से उसका कोई लेना देना है, अगर वो कुछ गलत करने की कोशिश भी कर रहा है तो वो ख़ुद कुछ नही कर रहा वो किसी और से करवा रहा है" मुकेश रावत राहुल को समझाते हुए बोले ।

" ये तो मैं जानता हूँ , उसने अभी ख़ुद मुझसे कहा सब प्रपंच उसका है, लेकिन वो करवा क्या रहा है ये मेरे समझ में नही आ रहा " राहुल परेशान होते हुए बोला।

"देखो अभी नही तो थोड़ी देर बाद उसके बाप को पता चलेगा ही कि वो अब हमारे पास है और उसका राज़ हमें पता चल गया है कि वो सिर्फ हमारा बिज़नेस बर्बाद करना चाहता है, तब वो अपने बेटे को यहाँ से ले जायेगा उल्टा हम पर उसके बेटे को किडनैप करने का इल्ज़ाम लगेगा क्योंकि हमारे पास उसके ख़िलाफ़ कोई सबूत नहीं है" रावत जी बोले

" तो क्या करूँ मामा, उसे छोड़ दूँगा तो पता कैसे करूँगा कि उसने किया क्या है"

" सही है , उसे छोड़ ही दो" 

"मतलब"

"मतलब ये कि उस तक ये ख़बर पहुँचाओ कि सगाई अच्छे से हुई है और छोड़ दो उसे , अगर उसने हमारे पैलेस की इज्जत बिगाड़ने के लिए कुछ किया होगा तो तिलमिलाकर वो उसी के पास जाएगा जिससे वो ये सब कुछ करवा रहा है"

" समझ गया" बोलते हुए राहुल उठकर करन के रूम में गया ।
....

" तुम्हारे लिए अच्छी ख़बर है, सगाई अच्छे से हो गई" राहुल ने बेड पे बैठे हुए करन से कहा।

करन ने मुस्कुराते हुए कहा, "मुमकिन ही नहीं" 

" तुम कुछ भी कहो या करो , सगाई तो हो गई , आज से तीसरे दिन शादी भी हो जाएगी , मुझे पता है वो बेंदा वाला ड्रामा तुम्हारा ही था, ख़ैर मैं शायद ज्यादा ही डर गया तुमसे , तुम जब तक इस कमरे में बंद हो , न तुम शादी रोक सकते हो , न इस पैलेस की इज्जत खराब कर सकते हो और न ही बाद में कम पैसों में ये पैलेस खरीद कर अपने बाप का मुनाफा करा सकते हो, सो अच्छा यही है कि कुछ दिन तक ये मुलाजिम यहाँ मेहमान बनके रहे , समझे "

" तुम मुझे यहाँ रोक नहीं सकते, मेरे पापा से अगर आज शाम तक मेरी बात नहीं हुई तो वो पुलिस को इन्फॉर्म कर देंगे, और तुम कुछ नहीं कर पाओगे "

"ओह , मतलब तुम्हारा बाप भी शामिल है इन सब में, ग्रेट, अच्छा बदला दे रहा है रावत जी की दोस्ती और भरोसे का" 
तभी राहुल का फोन बजा , 
"हलो , हाँ नव्यम ...... क्या , क्या हुआ कविता आंटी को , एक मिनट ...  मैं आ रहा हूं , आ रहा हूँ...."  घबराते हुए राहुल दौड़कर कविता जी के रूम की तरफ भागा और इस हड़बड़ी में करन के रूम का दरवाजा खुला छोड़ गया।

करन तुरन्त मौका पाकर वहाँ से निकल गया बिना ये जाने कि राहुल ने ख़ुद उसे छोड़ा था।

.....
करन का पीछा करते करते राहुल को आधा घण्टा होने आया था , हालांकि उसके साथ 2 पुलिस वाले और भी थे ( अब जरूरी तो नहीं है ना कि हीरो हर जगह अकेला ही लड़े , अकेले ही सब हैंडल करे , अकेले ही मार खाये, कुछ हीरो समझदार भी होते हैं हमारे हीरो की तरह 😊)

भागते भागते करन की साँसे फूली जा रहीं थीं फ़िर भी वो भागे जा रहा था और आख़िर में आकर एक वीरान घर जो कि एक मंजिला ही था के आगे जाकर रुका। वो इलाका भी लगभग सुनसान था ।

राहुल और दोनों पुलिस वाले उससे थोड़ी दूरी बनाकर उसे वॉच करने लगे।

करन ने उस घर का दरवाजा खटखटाया जो उस वीराने में बिल्कुल भूतिया आवाज कर रहा था।
राहुल और उसके साथियों ने देखा कि दरवाजा खुला और करण अंदर चला गया । पूरा अंधेरा अभी नहीं हुआ था फ़िर भी दरवाजा खोलने वाला उन लोगों को दिखाई नहीं दिया या फ़िर किसी ने दरवाजा खोला भी था या अपने आप खुला ये कहना भी नामुमकिन था।

"अगर ये लड़का आपके साथ फ्रॉड कर रहा है तो उसके साथ के लोग इसी घर मे होंगे , हमें अंदर चलकर देखना चाहिए।" एक पुलिस वाले ने राहुल से कहा या यूँ समझे कि आदेश दिया और घर के अंदर चल दिया , बाकी दोनों ने भी उसका अनुसरण किया।

दरवाजा तोड़ने की नौबत नहीं आई , एक ही झटके में अपने आप ही उसके दोनों पल्ले निकल कर बाहर आ गए, 
दो कमरों के उस घर में सीलन और बेहद धुँआ था, एक चारपाई , एक मटका और एक चादर के अलावा पहले कमरे में कुछ नहीं था। दूसरे कमरा भी बिल्कुल खाली था बस धुँए के अलावा एक अजीब सी मरे हुए जानवरों जैसी तेज गन्ध भी थी और कुछ आवाजें भी जो शायद उस कमरे के नीचे से आ रहीं थीं, कमरे के कोने में सीढ़ियाँ थीं जो नीचे जा रहीं थीं 

दोनों पुलिस वालों ने राहुल को वहीं रुकने का इशारा किया , और अपनी पिस्तौल संभालते हुए उस कमरे के नीचे उतर
गए। 

1 मिनट बाद ही राहुल को नीचे से चीख़ने की एक के बाद एक दो तेज़ आवाजें आईं और शांत हो गईं।

राहुल को कुछ ग़लत लगा और वो वापस जाने के लिए भागा , घर का दरवाजा सही सलामत वापस अपनी जगह पर मजबूती से लगा हुआ था , राहुल ने कई बार कोशिश की लेकिन दरवाजा हिला भी नहीं , राहुल पूरी दम लगाकर उस दरवाजे को तोड़ने के जद्दोजहद कर रहा था कि

अचानक उस दरवाजे  से निकलता हुआ एक धूसर चेहरा राहुल के चेहरे के बिल्कुल पास आकर चिल्लाया और राहुल चिल्लाते हुए सदमे से नीचे गिर पड़ा और तुरन्त ही तेज़ी से घिसटता हुआ दूसरे कमरे की सीढ़ियों से नीचे पहुँच कर गिर पड़ा।

क्रमशः ....

- आस्था जैन " अन्तस्"