बड़े घराने की बहू 




पार्ट 6

" समझ नही आता कि क्यों मेरी किस्मत में ग्रहण बनके लगा है तू , कोई प्लान कोई तरीका हो , सबमे तुझे टांग अड़ानी होती है , अब भुगत " गुस्से से फुंफकारते हुए करण ने राहुल को बालों से पकड़ कर उसका सिर ज़मीन पे दे मारा जिससे राहुल के सिर से ख़ून बहने लगा , 

धुँए से भरे उस बदबूदार कमरे में उसका दम घुट रहा था , एकदम से ऊपर से गिरने और सिर पे लगी चोट से उसकी हालत ख़राब हो गई थी , उसका सिर घूम रहा था , सब उसे धुंधला दिख रहा था, एक कोने में बेहोश या मृत पड़े हुए दोनों पुलिस वालों को देख कर उसकी रही सही हिम्मत भी जवाब दे गई , पर विपरीत हालत में जीवन रक्षा हेतु प्रयास करने की क्षमता उसमें बाकी थी किसी तरह खुद को संभालते हुए वो दीवार के  सहारे खड़ा हुआ, सामने खड़ा करन उसे ही घूर रहा था , राहुल के खड़े होते ही उसने फिर से उसका कॉलर पकड़ के मारना शुरू कर दिया ।

" बस करो ..." धुँए में जहर सी घोलती हुई आवाज कमरे के बीच से आई , राहुल ने उस तऱफ देखा , 

बन्द होती आँखों से उसे इतना ही दिखा कि कमरे के बीचों बीच काले रंग के गोल घेरे में काले कपड़े पहने कोई तांत्रिक बैठा था जिसका चेहरा क्रोध और अपमान से तमतमा रहा था , उसके उस घेरे में बहुत सारी चीज़ों के बीच वो बेंदा रखा हुआ था जिसके ऊपर तप तप करके लाल बूँदे गिर रही थीं, उसके ऊपर कोई मृत जानवर लटक रहा था बिना खाल के ....... और फ़िर राहुल बेहोश हो गया।

.....

" दद्दू आप,...?" होश में आते हुए राहुल ने दददू को सामने खड़ा देख कर कहा।

" अब कैसे हो , सिर में ज्यादा दर्द तो नही है ना" दद्दू ने मुस्कुराते हुए पूछा।

राहुल ने अपने सिर पर हाथ लगाया तो वहाँ पट्टी बंधी हुई थी । उसने चारों तरफ देखा वो अपने ही घर के कमरे मे था घड़ी में देखा तो सुबह के 9 बज रहे थे। उसके सारे कपड़ो में मिट्टी लगी हुई थी ।

" मैं यहाँ कैसे , मैं तो उस कमरे में, करन था वहाँ , वो" 

" वो जेल में है, और वो तांत्रिक भी , दो पुलिस वालों और एक आदमी पर जानलेवा हमला करने के बाद उन्हें जमीन में दफ़नाने के ज़ुर्म में दोनों अंदर हैं फ़िलहाल"

"पर कैसे , मैं ...मुझे गाड़ दिया था उन्होंने ज़मीन में , और वो पुलिस वाले वो जिंदा हैं या..?" राहुल के पसीने निकल रहे थे 

" वो दोनों सिर पे चोट से बेहोश थे , हाँ तुम तीनों को दफ़न भी कर दिया था उन्होंने, फ़िर तब तक वहाँ पुलिस फ़ोर्स पहुँच गई और उन दोनों को पकड़ लिया और तुम तीनों को बाहर भी निकाला और हम तुम्हे घर ले आये , डॉक्टर ने कहा है कि मामूली चोट है जल्दी अच्छे हो जाओगे, टेंशन वाली कोई बात नहीं है " कहकर दद्दू ने उसके सिर पे हाथ फ़ेर दिया। राहुल को बहुत अच्छा लगा जैसे सदियों बाद बड़ा सुकून मिला हो अन्तर्मन को ।

" पर मैं तो वहाँ सिर्फ़ दो पुलिस वाले लेकर गया था और आप वहाँ कैसे पहुँचे " अब उसकी आवाज में घबराहट नही थी 

" वो स्नेहा बिटिया ने सब बातें सुनी थीं तुम्हारी और उस रावत की , तो वही लेकर गई थी , जब तुम लोग दफ़न किये जा रहे थे तब वो लोग वहाँ पहुँचे थे, स्नेहा अभी भी यहीं है , रुको बुलाय देता हूँ , बाकी सब उसी से पूछना ।" 

कहकर दद्दू खड़े हो गए । दरवाजे तक जाकर फिर वापस आकर उन्होंने राहुल से कहा " मैने तुमसे और स्नेहा बिटिया से जो कहा वो याद रखना , खुश रहो ।" 

राहुल ने सिर हिलाकर हामी भर दी। दद्दू चले गए।

थोड़ी देर बाद राहुल ने आवाज दी, " माँ, माँ ..."

पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई तो वो खुद खड़ा हो गया लेकिन 2 सेकंड बाद ही उसे तेज चक्कर आया और वो जमीन पर गिर पड़ा ।

"क्या जरूरत थी उठने की , मैं आ तो रही थी , जरा सा सब्र नहीं है " गुस्सा करते हुए स्नेहा ने उसे उठाया और वापस बेड पर लेटने में मदद की और वहीं बेड पर बैठ गई 

"वो, माँ कहाँ हैं " राहुल ने पूछा ।

"माँ , मन्दिर गईं हैं , कहिये कुछ चाहिए क्या " 

" नहीं , वो थैंक्यू, तुमने मुझे बचाया और ..." 

" तो क्या हुआ जब मैं मुसीबत में होऊँ तो तुम मुझे बचा लेना, रूल के हिसाब से चलो " स्नेहा ने कहा तो राहुल मुस्कुरा दिया।

"तुम सच मे छुप कर बातें सुनती होती है वैसे , है ना" 

" नहीं तो, वो तो आपने सगाई के बाद मुझसे अच्छे से बात नही की और आप परेशान भी लग रहे थे तो इसलिए मैं आपके पीछे पीछे रावत अंकल के कमरे तक गई थी और गई थी तो अच्छा ही हुआ न , वैसे तुम्हे पता है, पुलिस को उन लोगों के अड्डे से वो बेंदा भी मिला था जो कल्पना दीदु लायीं थीं " स्नेहा ने आँखे बड़ी बड़ी करते हुए बताया

" और क्या क्या मिला" 

" सब तंत्र मंत्र की चीज़ें , मरे हुए जानवर , वो बेंदा और ऐसी ही अजीब चीजें " स्नेहा मुँह बनाते हुए बोली।

" तो सब सामान अब पुलिस की कस्टडी में होगा " राहुल ने पूछा ।

" हाँ , मगर पैलेस में इसके बारे में  किसी को नहीं पता , आपकी माँ को पता है , मुझे पता है और दद्दू को बस " 

" दद्दू को तुम लेकर आईं थीं यहाँ " 

" नहीं , वो तो कल ही मुझे मिले थे जब मैं पुलिस वालों के साथ तुम्हे ढूढ़ रही ही तभी "

"पर वो उस वीराने में कैसे पहुँचे , उन्हें तो पता भी नहीं था , मैं वहाँ हूँ "

" जब हमारे इरादे अच्छे हों न तो मदद के लिए फरिश्ते भी नीचे आ जाते हैं , बस ऐसे ही दद्दू आये होंगे, उन्होंने ही बताया कि जंगल मे कुछ लोगों को उन्होंने जमीन खोदते  हुए देखा है , तभी हम सब तुम्हे ढूढ पाए।" 

" अच्छा....." कहते हुए राहुल किसी सोच में पड़ गया।

"ओहो , अब सब ठीक है , अब क्यों टेंशन ले रहे हो आप" 

"टेंशन वाली ही बात है स्नेहा" 

" अरे वो दोनों अंदर है जेल में, वैसे भी उनका कोई तंत्र काम नहीं आया , देखा न कल कितने अच्छे से सगाई हो गई ,आज हल्दी भी बहुत अच्छे से होगी , तुम टेंशन मत लो "

" यही तो टेंशन वाली बात है , अगर वो तांत्रिक उस बेंदा का प्रयोग कर रहा था तो उसने पहले ही दिन अपना असर दिखा दिया था , उसी दिन से कविता आंटी कैसी कैसी हरकतें कर रहीं थीं , फिर सगाई में कुछ भी क्यों नहीं हुआ"

" मतलब, आपके हिसाब से कुछ बुरा होना चाहिए था "स्नेहा गुस्से में बोली और खड़ी हो गई 

राहुल ने उसका हाथ पकड़ लिया 
" नहीं , मेरा वो मतलब नहीं है , मेरी पूरी बात तो सुनो " 

स्नेहा उसके हाथ से हल्के से अपना हाथ छुड़ा कर वापस से बैठ गई
" बोलिये, मुझे पैलेस भी जाना है फ़िर , सब तैयारियां बाकी हैं " 

" हम्म , एक मेरे सिवा बाकी सबके लिए समय है तुम्हारे पास, जाओ भई , हम होते भी कौन हैं रोकने वाले " कहकर राहुल ने दूसरी तरफ़ मुँह फ़ेर लिया ।

" नई दुल्हन की तरह नाराज़ होने की जरूरत नहीं , जल्दी से कहो जो कहना है फिर अपनी दवा लेके आराम करो "

" अच्छा , देखो मुझे लगता है , हम अभी भी करन और उस तांत्रिक के तंत्र को नकार रहे हैं , मैं इन सब चीजों को नहीं मानता लेकिन बिना इसकी तह तक जाए , मैं इसे नकार भी नहीं सकता , क्या पता यही चीज आगे जाकर सबके लिए खतरा बन जाये, तुम समझ रही हो न" 

" हम्म , समझ रही हूँ , आप आराम करो , मैं पैलेस जाकर रावत अंकल को यहाँ भेज दूँगी , उनसे बात करके आप तय कर लेना आगे क्या करना है ,ठीक है" 

" हम्म, उन्हें अभी तक सब पता नहीं होगा , उन्हें पता चलेगा कि कल पुलिस वालों के साथ मैं भी गया था तो बहुत नाराज़ होंगे मुझ पर "

" नाराज़ तो माँ भी बहुत हैं आपसे , अभी आती होंगीं मन्दिर से, उनके आते ही मैं चली जाऊँगी , आप दवा लीजिये और आराम कीजिये "

राहुल ने दवा ली  और आराम करने लगा , आँखे बंद करते ही उसे बहुत सुंदर सुंदर दृश्य दिखाई देने लगे, साफ उज्जवल बादलों के घेरे में लिपटे सुंदर श्वेत विशाल महल, हवा में गतिशील श्वेत कांतिमान विमान , शांतिमय सम्पूर्ण वातावरण , स्वच्छ जल के विशाल कुंड , दिव्य पुष्प , दिव्य मन्दिर , दिव्य आत्माएं, और वहीं कहीं श्वेत वस्त्र में श्वेत शिला पे ध्यान में लीन ..... दद्दू ...

क्रमशः ...

- आस्था जैन " अन्तस्"