Writer - Rajendra Kumar Shastri “Guru``

अध्याय- एक

सूर्यदेव की किरणें धुंधरूपी सफ़ेद चादर से प्रेमी को छुपकर झांकती प्रेयसी की भांति आकर सरसों के फूलों को निहार रही थी. बसंत के आगमन के कारण धरती माता ने सतरंगी चूनर ओढ रखी थी. तो वही सरसों के फूलों पर जमीं ओंस की बूंदे किसी मोतियों से कम नहीं लग रही थी. चारो ओर शांति और संजीवता छाई हुई थी. आदित्य अपने कमरे में सो रहा था. उसके विद्यालय के लिए तैयार होने का वक्त हो चुका था लेकिन हमेशा की भांति वह आज भी अपनी माँ की बातो का अनसुना कर रहा था.

``अरे! ओये कुम्भकरण की औलाद खड़े हो जा. आज स्कूल नहीं जाना क्या तुझे?``, आदित्य की माँ ने रसोई घर के अंदर से ही आवाज दी.

`आज मेरी छुट्टी है` आदित्य ने धीमे से नींद में ही बडबडाते हुए कहा.

``क्या! तेरी तो. अगर छुट्टी होती तो तू शाम को कह नहीं देता क्या मुझे उल्लू मत बना.``, इतना कहकर आदित्य की माँ पानी से अपने हाथो को गिला करके उसके कमरे की ओरबढती है. फिर वो उसकी रजाई को उतार देती है.

आदित्य की माँ सरोज- चल अब खड़ा हो. स्कूल के लिए देरी हो जाएगी.

आदित्य ने पुन: नींद में ही जवाब दे दिया- सोने दो माँ. कहा आज छुट्टी है.

सरोज- अच्छा! मैं सब जानती हूँ की तुम्हारी छुट्टी है या नहीं. चल खड़ा हो.

हम्म! हैं.... आदित्य पुन: बुदबुदाता है.    

सरोज- क्या हम्म. तू ऐसे खड़ा नहीं होने वाला तुझे तो अब मैं खड़ा करके ही मानूंगी.

फिर वे जब आदि खड़ा नहीं होता तो उसकी रजाई को पुन: उतारकर अपने ठन्डे हाथो को जैसे ही उसके गालों पर लगाती है आदित्य के मुहं से अन्यास ही अजीब से शब्द निकलने लग जाते हैं.

- ओह! ओह! उफ्फ्फ्फ़.. आदित्य झट से चौंककर बिस्तर से खड़ा होता है. वह पुन: मुहं बनाते हुआ कहता है- क्या है माँ? सोने तो दिया कर.

सरोज- गधा है क्या तू? वो तेरी बंदरिया तो कब की स्कूल चली गई.

क्या! आपने मुझे जगाया क्यों नहीं? अब तो मैं आपका कोई काम नहीं करने वाला. इतना कहकर आदित्य झट से खड़ा हो जाता है. फिर वह सीधा ही शौचालय की ओर भागता है. स्नान करने के बाद वह अपना बैग उठाकर जल्दी से जैसे ही जाने लगता है तो उसकी माँ उसे पीछे से आवाज देती है- अरे! आदि! खाना तो लेकर जा. बस दो चपातियाँ और डाल दूं टिफिन में.

आदित्य- नहीं माँ मैं लेट हो रहा हूँ. मैं आज-आज उस बंदरिया के साथ ही खाना खा लूँगा.

फिर वह दौड़ता हुआ स्कूल की तरफ जाता है. दरअसल आदित्य उस फार्म के पास से पांच किलोमीटर दूर स्कूल में पढने जाता था. वह ग्याहरवीं कक्षा का साइन् का स्टूडेंट था. पढ़ाई में होशियार होने के साथ-साथ बहुत ही मजाकिया भी था. पायल भी ग्याहरवीं कक्षा की ही विद्यार्थी थी लेकिन वह पढ़ाई में आदित्य के जितनी होशियार नहीं थी. दोनों साथ में ही स्कूल जाते थे. दोनों की दोस्ती के बारे में तो बात करो तो ही अच्छा है.

वह दौड़ता हुआ जैसे ही पायल के घर के पास से गुजरता है तो पीछे से उसे सुभाष नाम का लड़का आवाज देता है- अरे! आदि आज दौड़ क्यों रहे हो?

आदित्य- क्या बताऊँ भैया आज मैं लेट हो गया स्कूल के लिए.

सुभाष- अरे बुद्दू. आज तो टाइम से दस मिनट जल्दी है तू और हाँ वो पायल भी नहीं गई है अब तक तो.

ओह! सच्ची. आज तो माँ ने मुझे फिर भोंदू बना दिया भाई. खैर कोई जल्दी तैयार हो गया. ओके बाई भैया.

इतना कहकर आदित्य पायल के घर की तरफ जाता है. वह जैसे ही उसके घर के आंगन में पहुँचता है पायल के पिताजी उनके घर के आंगन में एक खाट पर लेटे हुए थे. चारो और शराब की बू रही थी. उसने अपने नाक पर हाथ लगा लिया ओर जैसे ही उनकी चारपाई की तरफ देखा तो शराब के दो ठर्रे उनके सराहने रखे हुए थे ओर पास में रात की की हुई उनकी उलटी भी पड़ी थी. घर में चारो ओर बदबू का आलम था. वह बीना रुके पायल के कमरे के बाहर जाकर जोर से आवाज देता है- अबे! ओये बंदरिया तैयार हो गई क्या?

पायल- नहीं हुई लंगूर. वैसे भी तू तो हमेशा जल्दी उठ जाता है मुझसे. अब ज्यादा देर नहीं लगाउंगी. बस थोडा सा इन्तजार ओर कर.

आदित्य को लंगूर कहने से गुस्सा जाता है. वह क्रोधित होकर कमरे के जब अंदर जाता है तो देखता है पायल अपने दोनों जूडे बना रही थी और उसकी माँ उसके टिफिन को उसके बैग में रख रही रही थी. आदित्य उसे देखकर हँसते हुए ताली पीटकर कहता है- हा हा हा हा, कमला आंटी एक बात कहूं?

कमला- हाँ! बोल बेटा क्या कहना चाहता है.

आदित्य हँसते हुए- मुझे लडकियों के बारे में एक चीज समझ नहीं आती है.

कमला- क्या?                                                          

आदित्य- बस यही की इनकी शक्ल तो बंदरिया जैसी होती है और तैयार होने में पूरे दो घंटे लेती हैं.

``तेरी तो, कमीने खुद की शक्ल देख लंगूर से कम नहीं है.``, पायल गुस्से में आदित्य के बाल खींचकर कहती है.

आदित्य- आह! आह! बाल छोड़ मेरे. फिर वह बालो को छुडाते हुए कहता है- वैसे एक बात कहूं?

पायल- हाँ बोल

आदित्य- लंगूर बंदरो से ज्यादा खूबसूरत होते हैं.

पायल क्रोधित होकर कहती है- नहीं होते..

आदित्य- होते हैं.

पायल- नहीं होते.

आदित्य- होते हैं..

पायल- नहीं..

आदित्य- हो...

``अरे! बस- बस तुम दोनों ने फिर लड़ना शुरू कर दिया. अब स्कूल नहीं जाना क्या. तुम दोनों आज फिर से लेट हो गए हो..``, पायल की माँ कमला ने दोनों को लड़ने से रोकते हुए कहा.

पायल- माँ तू हर बार इस बंदर को बचा लेती है.

`` बिकॉज़ आई एम् दी बेस्ट चाइल्ड ऑफ़ आंटी. हैं आंटी.``, आदित्य पायल की माँ की तरफ मुस्कुराते हुए कहता है.

पायल- तेरी इस इंग्लिश की माँ की आँख..

कमला- हे! भगवान तुम दोनों अब फिर से शुरू हो गए. चलो अब स्कूल जाओ.

तो जान लिया उनकी दोस्ती कैसी थी? हर दम लड़ाई.

बस ऐसी ही थी आदित्य और पायल की दोस्ती. लेकिन जब भी एक दुसरे को किसी की जरूरत पड़ती तो वो दोनों एक हो जाते. यूं समझ लो की दिखने में दोनों लड़ाकू थे लेकिन अगर स्कूल में कोई भी लड़का या लड़की दोनों में से किसी एक को छेड़ता तो दूसरा झट से उसका साथ देने के लिए जाता. वे दोनों जिस रास्ते से स्कूल की ओर जाते थे वो एक कच्चा रास्ता था इस कारण उन दोनों को पैदल ही जाना होता था. इसके अतिरिक्त वह रास्ता जंगल की बीच में से होकर निकलता था. प्राकृतिक छटा से घीरा हुआ ये प्रदेश बहुत ज्यादा सुंदर था. जहाँ रास्ते में आदि को तेज चलने की आदत थी तो वही पायल धीमे चलने वाली प्राणी थी.

वे दोनों शीघ्र ही अपने-अपने बैग उठाकर स्कूल की ओर निकल पड़े. आदित्य अपने कदमो की रफ़्तार को बढा देता है क्योंकि वे फिर से लेट हो रहे थे. खेतो में हरियाली छाई रहती और रास्ते के आसपास अमरुद और बेर के बाग़ थे. देखने में नजारा किसी जन्नत का सा था. प्रकृति इस रास्ते पर हमेशा सुन्दरता की चादर ओढे रखती. लेकिन जिन्हें स्कूल जाना हो भला उन्हें पेड़-पौधों से क्या मतलब. जहाँ आदित्य तेज गति से चल रहा था तो वही पायल उसकी पीछे तेज चलने का प्रयास करती है लेकिन वो उसके जितना तेज नहीं चल पाती है. वह जब पीछे रह जाती है तो आदित्य से जोर से कहती है- अबे ओये लंगूर ऐसे जल्दी-जल्दी मत चल मेरी साँस फूल रही है.

आदित्य- तो इसमें नया क्या है? वो तो हर रोज फूलती है और तेरी साँस ही नहीं. आजकल तू भी फूलने लगी है. खा- खाकर इतना मोटी जो हो गई है.

उसके इतना कहते ही पायल को गुस्सा जाता है वो उसके पीछे दौड़कर उसकी कॉलर पकड़कर कहती है- कमीने! मैं तुझे नहीं छोडूंगी. तुमने मुझे मोटी कहा? तेरी ये मजाल?

आदित्य- इसमें मजाल की क्या बात है तू क्या कोई हिटलर की औलाद है?

पायल क्रोधित होकर कहती है- तू ऐसे नहीं सुधरेगा. तेरी शिकायत अब मैं तेरे पापा से करुँगी फिर देखना तेरा क्या हस्र होता है.

आदित्य- अरे! अरे! ऐसा गजब मत करना यार. वरना फिर मेरे पापा अमरीशपूरी जी की तरह कहेंगे. अरे! सिमरन बेटा राज को तू तंग मत किया कर..

पायल- हा हा हा हा, अबे लंगूर. तू पहले डिसाइड कर ले की तू लड़का है या लड़की..

आदित्य- इसमें हंसने की क्या बात है. मैं मेरे पापा के लिए सबकुछ हूँ. माय फादर इस वर्ल्डस बेस्ट फादर फॉरएवर.

पायल- उफ्फ्फ! अब फिर से तेरी ये अंग्रेजी शुरू.

आदित्य- अब तो इस अंग्रेजी को तो छोड़ जल्दी चल. पहला पीरियड तुझे पता है किसका है.

पायल उदास होकर कहती है- हाँ! जानती हूँ यार उस अमजद खान का. एक तो वो शोले वाला था और एक हमारे ये गणित वाले सर. नाम ही नहीं काम भी सेम है. अगर आज फिर लेट हो गए तो फिर कहेंगे. `` हरामजादो! कितनी मिनट लेट आए हो.

पायल ने जैसे ही मिमिकरी की. आदित्य जोर से हंस पड़ा.

आदित्यहा हा हा हा, तू भी चल अब जल्दी चल..

इतना कहकर वह पुन: अपने कदमो की रफ़्तार बढ़ा देता है और पायल फिर से उसके पीछे हाथी के नवजात बच्चे की भांति भागती-दौड़ती हुई चलती है.

क्रमश...

 

अध्याय:-2

सूरज ने अब थोड़ी धूप दिखानी शुरू कर दी है. उस फॉर्म में बने हुए एक मकान में कुछ आदमी किसी गंभीर विषय पर आपस में बाते कर रहे हैं.

श्याम सिंह- यार रामु, मेरे एक बात समझ में नहीं आती इस विजय कुमार के क्या परेशानी है.? यह तो इस सेठ के पैसे खुद खाता है और ना हमें खाने देता है.

रामू- पता नहीं यार. इसका तो कुछ करना ही पड़ेगा. बोल टौमी कोई प्लान है तेरे पास?

टौमी- देख प्लान तो है मेरे पास लेकिन यह प्लान तभी काम करेगा जब इसमें हरीश भी मिल जाए.

श्याम सिंह आश्चर्य चकित होकर कहता है- हरीश! यह कैसे हो सकता है? वह तो विजय का ही भाई है.

टौमी- वो तो मुझे है पता नहीं लेकिन क्या तू जानता है! रावण कैसे मरा था? उसके भाई विभिष्ण ने ही उसका भेद बताया था. घर का भेदी लंका धहाए.

श्याम सिंह- पर तुम्हे क्या लगता है वो मिल जाएगा हमारे साथ?

टौमी- मिलेगा क्यों नहीं भाई? शायद तू उसकी कमी नहीं जानता है? वह चंद दिनों में ही अमीर बनना चाहता है. तो हम बनाएंगे उसे अमीर.

रामू- वाह! फिर तो हम कामयाब हो जाएंगे. विजय को यहाँ से निकालने में. हा हा हा हा.

टौमी हँसते हुए कहता है- जरुर पाजी..

सभी इतना कहकर हंसने लगते हैं.

. दरअसल आदित्य के पिताजी उस सेठ के फॉर्म को संभालने का काम करते थे. वो उस फॉर्म का सारी कमाई और खर्च का लेखा जोखा रखते थे. यूं समझ लो की फॉर्म में किसे कितने पैसे देने है या किसे नहीं देने हैं. ये सब आदित्य के पिताजी ही तय करते. वे बहुत ईमानदार और शख्त मिजाज के थे. जिस कारण उस फॉर्म में उनके निचे काम करने वाले कुछ बेईमान लोगो को उनका यह रवैया बिलकुल पसंद नहीं आता था. लेकिन इसके उल्ट आदित्य के पिताजी उस फॉर्म में होने वाली गेहूं, चावल मक्का, सरसों, कपास जैसी फसलों को बेचने सहित फॉर्म में अन्य होने वाले फलो जैसे अनार, अमरुद, बेर आदि के उत्पादन का भी स्वयं ही लेखा जोखा रखते थे. वे इन फसलो और फलो को बाजर में बेचते समय स्वयं साथ जाते ताकि कोई उन्हें बेचते समय हेर-फेर कर ले. उनके इस रवैये से ही वे सब खफा थे. इस कारण टौमी, रामसिंह और श्यामसिंह उसे पसंद नहीं करते थे और वे उन्हें फॉर्म से किसी बहाने निकलवाना चाहते थे.

इधर गणित के अध्यापक अमजद खान सभी विद्यार्थियों से खफा थे. वे ग्याहरवीं कक्षा की ओर जाते हैं तो आदित्य समय रहते दौड़ता हुआ अपनी बेंच पर जाकर बैठ जाता है. लेकिन पायल पीछे रह जाती है. अमजद खान कक्षा के अंदर रजिस्टर लेकर आते हैं. वे जैसे ही कक्षा के अंदर प्रवेश करते हैं सभी बच्चे एक सूर में कहते हैं- गुड मोर्निंग सर..

अमजद खान- गुड मोर्निंग. सिट डाउन.

उनके इतना कहते ही सभी विद्यार्थी बैठ जाते हैं. फिर वे सभी से कहते हैं. चलो अब अटेंडेंस ले लेते हैं- रोल नंबर वन.

आदित्य- येस सर..

अमजद खान- रोल नंबर टू...

अविनाश- येस सर..

वे इस तरह से हाजरी बोलते जाते हैं और जब वे कहते हैं. रोल नंबर फोर्टीन..

लेकिन सामने से कोई जवाब नहीं आता है. इधर आदित्य ध्यान से लड़कियों की तरफ देखता है तो पाता पायल अब तक नहीं आई थी. वह अपने माथे पर हाथ रखकर बुदबुदाता है- हे! भगवान.. वो बंदरिया कहाँ रह गई. उसे सीढ़ियों से ऊपर आने में भी इतना टाइम लग जाता है.

``रोल नंबर फोर्टीन..``, अमजद खान पुन: कहते हैं.

लेकिन फिर से जवाब नहीं आता है.. आखिरकार वे गुस्सा होकर जोर से कहते हैं.- रोल नंबर फोर्टीन..

`` गई सर...`` पायल हांफते हुए कक्षा के बाहर से ही कहती है. सभी विद्यार्थी जोर से हंसने लगते हैं- हा हा हा हा....

``चुप करो नालायको..`` अमजद खान जोर से चिल्लाते हैं..

फिर वे पायल की तरफ गुस्से से देखते हैं. पायल अपनी गर्दन निचे कर लेती है. वह धीमे से बुदबुदाती है- अब लेक्चर शुरू होगा पायल बेटा.. सीरियसली मत लेना वरना तेरे छोटे से दिमाग में जगह कम रह जाएगी.. और हाँ! इनके सवालों के जवाब तो बिलकुल मत देना. वरना तो ज्यादा कबाड़ा हो जाएगा... वह सोच रही होती है की इतने में क्रोधित होकर अमजद खान उससे कहते है- ये क्या है पायल? ये भी कोई टाइम है. तुम कितनी मिनट लेट हो?.

``हैं..`` पायल धीमे से बुदबुदा देती है.

``अरे! बेवकूफ तेरा ध्यान किधर है? मैं कुछ कह रहा हूँ तुमसे.. बोल कितनी मिनट लेट हो..``

पायल- सर दो मिनट..

अमजद खान- दो मिनट.. तुम्हे ये दो मिनट कम लगते हैं जो तू इन दो मिनट के बारे में बिलकुल नहीं सोचती. अब तुम दो मिनट लेट हो. फिर मैं सबकी हाजरी लूँगा इसमें मेरे दो मिनट चले जाएंगे. फिर अब तुम्हे डांट रहा हूँ. इसमें दो मिनट चले जाएंगे. और तुझे पता है..

पायल उत्सुक होकर कहती है- क्या सर?

-तुझे पता है इस कक्षा में चालीस विद्यार्थी हैं. तुम्हारी वजह से प्रत्येक विद्यार्थी की : मिनट बर्बाद हो गई है. इस आधार पर चालीस इनटू सिक्स कितनी मिनट बर्बाद हुई.

पायल अपनी अँगुलियों पर पहाड़े बोलने शुरू कर देती है.

-अरे पागल बोल कितनी मिनट बर्बाद हुई.

पायल- सर गया उतर. सर.. सर.. दो सौ चालीस मिनट..

सभी विद्यार्थी मन ही मन हँसते हैं...

अमजद खान- तो इस आधार पर तुमने दो सौ चालीस मिनट बर्बाद कर दी इस पीरियड की..

`` सर वो कैसे? ये पीरियड तो सिर्फ चालीस मिनट का ही आता है तो दो सौ चालीस मिनट कैसे?``, पायल से बोले बगेर नहीं रहा जाता है.

- ! मेरे खुदा ये लड़की मुझे पागल करके छोड़ेगी. तुम बस चुप करो. वरना..

- वरना सर आप मुझे मुर्गा बना दोगे...

पायल जैसे ही कहती है.. सभी विद्यार्थी फिर से मन ही मन हँसते हैं. क्योकि जल्दबाजी में वह यह भी भूल जाती है की वो फीमेल है और वो मुर्गा नहीं मुर्गी बनेगी..

-सॉरी! सर आप मुझे मुर्गा नहीं मुर्गी बना दोगे...

- चुप कर कितना बोलती है तू.. चपर..चपर..

इधर आदित्य अपने हाथ से पायल को चुप रहने का इशारा करता है. तो वो चुप हो जाती है. उसे याद आता है की अमजद सर के सामने बोलना मतलब गजब हो जाएगा.

``अब मेरा मुहं क्या देख रही है. चल चुप चाप जाकर अपनी जगह बैठ जा.``, अमजद खान क्रोधित होकर पायल से कहते हैं.

इधर पायल चुप चाप जाकर अपनी बेंच पर बैठ जाती है. आदित्य एक गहरी साँस लेता है.

इधर फॉर्म में आदित्य के पिताजी एक खेत में से दुसरे खेत में जाते हैं. एक खेत में एक ट्रेक्टर खड़ा है. ट्रेक्टर अमरूदो के बाग़ में कीटनाशको का छिडकाव कर रहा था लेकिन ड्राईवर अचानक ट्रेक्टर को बंद कर देता है. वह ट्रेक्टर से निचे उतर कर कीटनाशक मशीन के पास जाकर देखता है. इतने में आदित्य के पिताजी उस ड्राईवर के पास जाते हैं. वे उससे पूछते हैं- क्या हुआ गुरमीत?

गुरमीत- पाजी! कुछ खास नहीं. दवाई वाली मशीन की फैन बेल्ट टूट गई है. वही डाल रहा हूँ.

विजय कुमार- अच्छा! कोई तुम इस बाग़ में दवाई छीडकने के बाद ट्रेक्टर लेकर जाना हमें हनुमानगढ़ जाना है.

गुरमीत- जी! पाजी..

इतना कहकर वह पुन: अपने काम में व्यस्त हो जाता है. इधर आदित्य के पिताजी जैसे ही कुछ दूर जाते हैं. गुरमीत पीछे से आवाज देता है- पाजी!

विजय कुमार- हाँ! बोलो गुरमीत क्या बात है?

गुरमीत- पाजी धन्यवाद आपका..

विजय कुमार मुस्कुराते हुए कहते हैं- किस लिए?

गुरमीत- आपने सेठ जी से मेरे बच्चे की पढ़ाई पूरी करवाने के लिए डोनेशन वास्ते कहा था ?

विजय कुमार- तो इसमें धन्यवाद की कौनसी बात हो गई गुरमीत? मैंने तो केवल सेठ जी को फ़ोन ही तो किया था. पैसे तो उन्होंने दिए हैं .

गुरमीत- पर फिर भी आपने ही तो उन्हें कहा था .

विजय कुमार- अरे! चल छोड़ अब इस बात को. तेरे लड़के से कहना की वो खूब मन लगाकर पढाई करे. अगर अच्छे से पढ़ेगा तो आगे भी सेठ जी मदद कर देंगे.

गुरमीत मुस्कुराते हुए कहता है- जी पाजी कह दूंगा..

गुरमीत की आँखों से आंसू झलक पड़ते हैं. इधर आदित्य के पिताजी दूसरे खेत को संभालने के लिए निकल पड़ते हैं.

क्रमश....

अध्याय-3

विद्यालय की छुट्टी हो चुकी है. सूरज अब अस्तांचल में नारंगी रंग की चूनर रुपी बादलो के पीछे छिपने की तैयारी में है. बसंत ऋतु का मौसम भले ही क्यों हो लेकिन फिर भी जैसे-जैसे सूरज डूब रहा है ठण्ड वैसे-वैसे ही बढ़ रही है. आदित्य अपने कदमो की रफ़्तार को तेज कर देता है. इस कारण पायल को चलने में परेशानी हो रही थी. पायल उसके पीछे-पीछे चल रही है लेकिन जब वह थोड़ी पीछे रह जाती है तो हांफते हुए कहती है- अबे ओये लंगूर.. धीरे-धीर नहीं चल सकता क्या?

आदित्य- अब मोटी तेरी तरह चलूँगा तो हम सुबह तक तो घर पहुँच ही जाएंगे .

पायल- तो क्या हुआ यार? थोड़े लेट घर पहुँच जाएंगे. वैसे भी घर पर तो कोई अमजद खान है ही नहीं..

``हा हा हा हा.. वैसे आज मुझे बहुत मजा आया तेरे साथ जो हुआ..``, आदित्य जोर-जोर से ताली पीटते हुए कहता है.

``तेरी तो लंगूर.. मैं तुझे नहीं छोडूंगी कमीने.. तेरे जैसे दोस्त से तो अच्छा है इन्सान बिना दोस्त ही रह ले..`` पायल आदित्य की कोलर पकड़ते हुए कहती है.

आदित्य अपनी कोलर छुडाते हुए- देख बंदरिया. अब बात-बात पर मुझसे झगडा करेगी तो तेरे साथ ऐसे ही होगा. वैसे मैंने तुझे पहले ही कह दिया था की जब तुम्हे अमजद सर डांटे तो तू बोला कर मत.. लेकिन तू है की.. वहां क्या जरूरत थी.. ये बोलने कि की सर पीरियड तो चालीस मिनट का ही होता है..

पायल- अच्छा! तो क्या करती? उस कमीने को तो मुझे सताने का बहाना चाहिए होता है. कभी कभी तो दिल करता है की काश भगवान मुझे एक दिन के लिए उसकी मैडम बना दे और उसे छोटा बच्चा..

आदित्य- अच्छा! तो फिर क्या करती तू?

पायल- तो फिर मैं उसके पिछवाड़े पर इतने डंडे मारती की चालीस मिनट के पीरियड को दो सौ चालीस मिनट का कभी नहीं कहलवाता..

आदित्य- हा हा हा..वैसे तू ऐसा कभी नहीं कर सकती क्योंकि वो हमारे सर हैं..

पायल- ह्म्म्म यार नहीं कर सकती पर सपने देखकर खुश होने में क्या जाता है वैसे तुझे पता है?

आदित्य- क्या!

पायल- जब मैं हर रविवार को पूरे हफ्ते की राशि पढ़ती हूँ तो बस उसमे एक ही बात लिखी होती है अपने . दुश्मनो आलोचकों से बचकर रहें. अब तो मुझे पक्का यकींन हो गया है की ये अमजद खान मेरी राशि पढ़कर आता है और उसे सच साबित करने के लिए अख़बार वालों से पैसे लेकर मुझे तंग करता है..

आदित्य- हा हा हा, अरे.. अरे.. ऐसा कुछ भी नहीं है... अब तू अगर सर के सामने ज्यादा बोलेगी तो डांट तो पड़ेगी ही . खैर अब जल्दी चल.. हम लेट हो जाएंगे और मेरी मम्मी फिर मुझे डांटेगी..

फिर वह पुन: तेज चलने लगता है और पायल फिर से बेचारी उसके पीछे दौड़ने लगती है.. जब वह उसके बराबर गति से नहीं चल पाती है तो क्रोधित होकर कहती है- रुक जा लंगूर.. अब मुझसे ज्यादा तेज गति से नहीं चला जाता है..

आदित्य- क्यों नहीं चला जाता है? चुप चाप चल ..

पायल- कहा मुझसे नहीं चला जाता है...

आदित्य- ठीक है मुझे नहीं पता.. मैं धीमे नहीं चल सकता..

`` उफ़! कमीने! कभी-कभी तो मैं सोचती हूँ की तेरे साथ आने से तो अच्छा है अकेली ही जाऊं.. आखिर सुकून से तो चल पाउंगी ..`` पायल हांफते हुए कहती है.

आदित्य रूककर पीछे देखते हुए कहता है- अच्छा! तो फिर तुझे अकेले आने से रोकता कौन है? जाया कर अकेली ही? क्यों मेरे पीछे दौड़ती हुई चलती है?

पायल- क्या करूँ यार? मेरी एक प्रॉब्लम है. वो झाड के पेड़ में जो चुड़ैल मामी रहती है मुझे उससे डर लगता है.

आदित्य- हा हा हा.. ये भी बड़ी कमाल की बात है की जो हिटलर की औलाद मेरे ऊपर शेरनी बनी रहती है उसकी उस चुड़ैल मामी से फटती है. हा हा हा..

पायल- चुप कर लंगूर.. इसमें हंसने वाली कौनसी बात है? अब मुझे अगर उस जंगल में झाड के पेड़ को देखकर डर लगता है तो लगता है. इसमें मैं क्या करूँ?

आदित्य पीछे मुड़कर पायल के सर पर हाथ रखकर कहता है- वत्स! तुम्हे अब कुछ करने की जरुरत नहीं है. तू तो बस एक काम किया कर. जैसे ही वो झाड का पेड़ आए तो एक मन्त्र बोला कर फिर तुम्हे कभी भी डर नहीं लगेगा..

पायल उत्सुकतावंश पूछती है- कौनसा?

`` आदित्याय नम:!`` आदित्य जोर-जोर से हँसते हुए कहता है..

``कमीने! मैं यहाँ डरने की बात कर रही हूँ और तुम्हे मजाक सूझ रही है.``, वह उसे पुन: पीटना शुरू कर देती है.

आदित्य अपने आप को छुडाते हुए कहता है- अरे! बस.. बस.. और मत पीटना.. वो देखो अब झाड का पेड़ रहा है.

पायल- अरे! गधे.. वो पेड़ नहीं रहा है.. हम उस पेड़ की ओर जा रहे हैं.. पागल..

आदित्य- तो क्या हुआ? पेड़ हमारी तरफ आए या हम उस पेड़ के पास से गुजरे.. बात तो एक ही है .. वो चुड़ैल जो है वो तो तेरे लिए  ही है वहां..

उस पेड़ को दूर से देखते  ही पायल आदित्य के गले लग जाती है. वह गले लगी हुई ही बोलती है.- ओये लंगूर.. अब ओर तंग मत कर यार मुझे.. मुझे सच्ची उससे डर लगता है.. अब अगर मुझे ज्याद डराया तो मैं तेरी जान ले लूंगी..

आदित्य- अच्छा! तो मार डाल .. फिर एक वो चुड़ैल हो जाएगी और दूसरा मैं.. फिर हम दोनों मिलकर तेरे सर पर तांडव करेंगे.. तांडव..

``प्लीज आदि, मत डरा मुझे यार.. मुझे सच में बहुत डर लगता है..फिर रात को मुझे बुरे सपने आएँगे।`` पायल आदित्य के गले से लिपटकर कहती है.

आदित्य को पायल की स्थिति का पता चल जाता है इस कारण वह गंभीर होकर कहता है- ओके बाबा.. सॉरी. अब नहीं डराऊंगा तुझे.

फिर वह उसका हाथ पकड़कर कहता है- चल अब जल्दी चल..

इधर आदित्य के घर के आंगन में उसका एक पांच वर्षीय भाई (पार्थिव) और एक दो वर्षीय बहन (अदिति) खेल रहे हैं. वे चार भाई बहन हैं. उसकी एक अन्य बहन जो की बारह वर्षीय है वह उसके मामा के घर उनसे मिलने गई होती है. घर के बरामदे में आदित्य के पिताजी रोकड़ बही को खोलकर बैठे हैं और वे केलकुलेटर की सहायता से कुछ हिसाब मिला रहे हैं. इतने में कुछ ही देर में आदित्य आकर अपनी छोटी बहन के गालो को सहलाते हुए कहता है- हाउ आर यूं अदू.....

वह जैसे ही अदिति के गालों को खींचता है वह मुस्कुराती है. इतने में उसे देखकर उसका छोटा भाई पार्थिव उसकी और दौड़ते हुए आता है और कहता है- भैया चोकलेट लाए हो मेरे लिए...

आदित्य- नहीं! आज तो भूल ही गया..मेरे कबाड़ी.. (पार्थिव का निकनेम.. जिससे आदि उसे बुलाता है)

आदित्य के इतना कहते ही पार्थिव उदास हो जाता है. वह जैसे ही वापस जाने लगता है तो आदित्य पीछे से उसे आवाज देते हुए कहता है- ओये.. कबाड़ी लाया हूँ...

आदि के इतना कहते ही वह दौड़ता हुआ उसकी तरफ आता है आदि निचे बैठ जाता है और उसे गले लगा लेता है. वह अपनी जेब में से दो चोकलेट निकालता है और एक उसे और एक अदिति को दे देता है.. फिर वह जैसे ही अपने घर के अंदर जाता है तो वह देखता है की उसके पिताजी बरामदे में रोकड़बही के साथ बैठे हैं.. आदित्य को देखकर उसके पिताजी उससे कहते हैं- गए बेटा?

आदित्य- हाँ! आप आज क्या कर रहे हो? आई मीन आपने रोकड़ बही में एंट्री तो दो दिन पहले ही कर दी थी.

विजय कुमार- अब तुझे क्या बताऊँ? पिछले महीने मैंने जब हिसाब मिलाया तो मैंने देखा की दस हजार रुपयों की हिसाब में कमी रही है. रोकड़ में मैंने प्रत्येक दिन के पैसों की टोटलिंग कर ली है लेकिन फिर भी दस हजार रुपये कम बता रही है.. अब पता नहीं चल रहा है की हिसाब में भूल कहाँ हो गई है?

आदित्य- क्या मैं मदद करूँ कुछ?

विजय कुमार- नहीं तू जा आराम कर. वैसे भी तुझे तुम्हारा होमवर्क करना पड़ता है. मैं देख लूँगा.

फिर वे आदित्य की माँ को आवाज देते हुए कहते हैं.- आदि की मम्मी एक कप चाय बना ले आओ .

आदित्य बीच में ही टोककर कहता है- क्या मैं बनाकर लाऊं पापा?

विजय कुमार- अरे! हाँ बेटा सही कहा. तू बनाकर ला. पता नहीं क्यों? तेरे हाथ की बनी चाय पीते ही दिमाग घोड़े की रफ़्तार से दौड़ने लगता है.

आदित्य मुस्कुराते हुए कहता है- फिर तो अभी लाया पापा..

फिर वह दौड़ता हुआ कमरे के अंदर जाकर अपना बेग रख देता है और चाय बनाने रसोई घर में चला जाता है.

क्रमशः.....

अध्याय-4

शाम होने की वजह से अन्धेरा हो चुका है. फॉर्म में स्थिति एक छोटे से मंदिर में संध्या आरती हो रही है. पायल अपने घर से एक बेटरी लेकर आदित्य के घर के ओर रही है. हालाँकि पायल और आदित्य के घर में नाम मात्र की ही दूरी है लेकिन फिर भी उसे डर लगता है. वह जल्दी-जल्दी कदमो को उसके घर की ओर बढ़ाती है.

इधर आदित्य अपने बिस्तर पर रजाई ओढ़कर बैठा है. वह अपना गृहकार्य कर रहा होता है की इतने में पायल उसके पीछे जाती है. आदित्य उसको देख नहीं पाता है. वह उसके सर पर धीमे से मारते हुए कहती है- हाय लंगूर..

आदित्य- हेल्लो! बंदरिया. इस वक्त कैसे आना हुआ? गणित की कॉपी चाहिए क्या?

पायल मुस्कुराते हुए- ओये तेरी. तुझे कैसे पता चला रे की मैं तुझसे गणित की कॉपी लेने आई हूँ?

आदित्य- क्योंकि मैं जानता हूँ की बंदरो का दिमाग बहुत कम चलता है..

आदित्य के इतना कहते ही वह उस पर क्रोधित होकर उसके बाल पकड़ लेती है.

पायल- कमीने! तू नहीं सुधरेगा.. तेरी तो..

``बाल छोड़ हिटलर की औलाद.. अगर मुझे प्रॉपर इज्जत नहीं दोगी तो मैं तुझे कॉपी नहीं दूंगा.``, आदित्य ने अपने बालो को छुडाते हुए कहा.

पायल अपने हाथ को उसके बिस्तर पर मारती है- तेरी तो..

आदित्य- रस्सी जल गई लेकिन बल नहीं गया..

पायल- क्यों तंग कर रहा है लंगूर? दे दे कॉपी..

आदित्य- ऐसे नहीं दूंगा.

पायल- तो क्या करना होगा मुझे बता?

आदित्य- मेरे पाँव छूने होंगे. फिर घुटनों के बल बैठकर हाथ जोड़कर मुझसे कहना होगा- ``हे! प्रभु तुम ही हो जो कल मुझे उस अमजद खान से बचा सकते हो.``

पायल क्रोधित कहती है- मैं ऐसा नहीं करुँगी..

आदित्य- तो ठीक है कल नाचना फिर बसंती बनकर उस गब्बर सिंह के आगे.

पायल- प्लीज यार दे दे . क्यों तंग कर रहा है.

आदित्य- मैंने जो बोला पहले वो करो..

पायल- अच्छा! ठीक है करती हूँ. लेकिन फिर तो दे दोगे ..

आदित्य- जरुर बालिकेय दे दूंगा.. लेकिन पहले शर्त तो पूरी करो..

पायल फिर मन ही मन गुस्सा करती है. आदित्य अपनी पुस्तक को एक किनारे कर देता है. फिर पायल उसके पाँव छूती है. उसके बाद घुटनों के बल बैठती है. फिर धीमे से बुदबुदाती है ताकि आदित्य को सुनाई नहीं दे- बेटा मेरा भी टाइम आएगा. जिस दिन आएगा उस दिन देख लियों तुझे मैं मुर्गा बनाउंगी..

आदित्य- क्या बुदबुदा रही है तू? जल्दी से बोल ..

पायल- ..... कुछ नहीं! ठीक है बोलती हूँ.

फिर वह थोड़ी दूर जाकर घुटनों के बल बैठ जाती है और हाथ जोड़कर कहती है- हे! प्रभु आप ही हो जो मुझे कल उस गब्बर सिंह से बचा सकते हो.. प्लीज प्रभु अपनी कृपया दृष्टि बनाकर रखें हम पर. अगर आप हमें कॉपी दे देंगे तो मुझ जैसी का भला हो जाएगा..

``हा हा हा..``, चल देता हूँ.. ``

फिर आदित्य खड़ा होकर अपने बेग में से एक कॉपी निकालता है और उसे देते हुए कहता है- ये लो..

`` थैंक यूं..थैंक यूं.. थैंक यू..`` फिर वह इतना कहते हुए आदि के गले मिलती है.

आदित्य- अरे बस.. बस.. तुम्हारे प्रभु जी को ये सब बाते पसंद नहीं..

पायल मन में गुस्सा करते हुए कहती है- ठीक है तो जाती हूँ...

फिर वह जैसे ही अपने कदमो को आगे बढाने लगती है. आदि पीछे से आवाज देता है- अरे! बंदरिया.. एक बात तो बताना भूल ही गया..

पायल- क्या!

आदित्य- तुम जिन सवालों की मेरी नोट बुक से कॉपी करो तो इस बात का ध्यान रखना की उन्हें तुम अच्छे से फिर सोल्व् कर लेना और उनके फोर्मुलाज भी देख लेना वरना तू तो अच्छे से जानती है की अगर अमजद सर को पता चल गया की तुमने मेरी नोट बुक से सवालों को कॉपी किया है तो फिर तुझे डांट पड सकती है. वो तुझे सारे सवालों को ब्लैक बोर्ड पर भी पूछ सकते हैं..

पायल मुस्कुराते हुए कहती है- ओके बाबा.. मैं कर लूंगी.. चल बाय.. गुड नाईट..

आदित्य- गुड नाईट...

पायल अपने घर की ओर चली जाती है. इधर आदित्य अपना होमवर्क पुन: करना शुरू कर देता है.

रात हो चुकी है. पायल अपने बिस्तर पर बैठी गृहकार्य कर रही है. कुछ देर बाद अपने गृहकार्य को पूर्ण करने के बाद वह सोने की तैयारी में होती है की तुरंत उसे आदित्य की दी गई सलाह याद जाती है. वह अपने आप से कहती है- अरे! बुद्धू अभी सोने का वक्त नहीं है. वरना कल वो अहमद तुझे अंगुली पर नचाएगा. इससे अच्छा है सभी सवालों को अभी निकाल लूं.

फिर वह गणित की पुस्तक निकालती है और जैसे ही सवालों को दोहराने लगती है उसे अचानक अपने पापा की जोर से बोलने की आवाज सुनाई देती है.

``हेय.. हेय.. कमला! मैं तेरे भाई को नहीं छोडूगा...``, .

``क्यों? मेरे भाई ने आपका क्या बिगाड़ा है?`` कमला घर के अंदर से बाहर जाती है तो देखती है की उसका पति रामवतार शराब के नशे में धूत है. दूर-दूर तक शराब की बू रही है.

उसे बाहर देखकर रामवतार क्रोधित होकर बोलता है- तेरे भाई ने मुझसे दस हजार रूपये लिए थे. कमीने ने वापस ही नहीं दिए..

कमला आश्चर्य से- क्या! लेकिन उसने आपसे कब पैसे लिए थे?

रामवतार- चुप कर कुलछनी..मैंने कहा पैसे लिए थे..

कमला क्रोधित होकर कहती है- आपने मुझे कुलछनी बोला..

रामवतार- हाँ! बोला एक बार नहीं बार-बार बोलूँगा. तू कुलछनी है.. कुलछनी है...

फिर वह कमला के बालों को जोर से पकड लेता है. वह जोर से चीख मारती है तो कमला का पच्चीस वर्षीय बड़ा बेटा भूपेश दौड़कर बाहर आता है. वह अपने पिता को उस हाल में देखकर क्रोधित होकर कहता है- क्या परेशानी है तेरे?

रामवतार- ओह! तो अब तू मेरी परेशानी दूर करेगा?

भूपेश- हाँ! करूँगा. अगर ज्यादा होहल्ला किया तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा. चुप-चाप जाकर सो जाओ वरना..

रामवतार- चुप कर माँ के चमचे.. कमाता धमाता तो है नहीं. आवारागर्दी करंता फिरता है. मैं शराब पिता हूँ तो अपने कमाए हुए पैसों की पीता हूँ..

भूपेश को उसकी इस बात पर गुस्सा जाता है. वह क्रोधित होकर उसके कुर्ते को पकड़कर दीवार के पास धक्का देता है- चुप होता है या नहीं.. बाप है तो तेरी जगह है तू. मेरी सटक गई तो तेरी साँस अटक जाएगी तेरी..

रामवतार को भी गुस्सा जाता है.- वह उसे धक्का देने का प्रयास करते हुए कहता है- मेरा कुर्ता छोड़ हरामजादे..ननिहाल से तेरे मामा ने तुझे यही सीखाया है क्या की जाकर अपने बाप को मारना है...

भूपेश क्रोधित होकर- तुमने मुझे हरामजादे कहा? ले अभी बताता हूँ मैं तुझे.. आज तो तू गया तेरी रोज के इस होहल्ले से तंग गया हूँ.. तेरी तो..

फिर वह उसे जोर से धक्का देता है तो रामवतार चूल्हे पर जाकर गिरता है. चूल्हे पर गर्म पानी रखा हुआ था जिस कारण वह पानी उसके ऊपर गिर जाता है..

``अईई..ईईईई.... रामवतार अपने हाथो को अपने पीछे रगड़ता है.. लेकिन भूपेश का गुस्सा शांत नहीं होता है. वह लगातार उसके दो चार लातो की ओर मारता है..

``आह.. आह....छोड़ दे कमीने... मैं बूढा हूँ इस कारण मारता है.. हरामजादा...``, रामवतार चीखने लगता है. ये सब देखकर कमला मन ही मन मुस्कुराती है.

रामवतार की आवाज जैसे ही पायल तक पहुँचती है वह दौड़कर बाहर आती है. वह उन दोनों को अलग करने का प्रयास करती है.

`भैया! मत पीटो बाबा को.`, वह रोकर कहती है.

भूपेस (गुस्से में) नहीं! तू दूर हो जा पायल.. आज तो यह गया..

पायल- नहीं भैया! तुम्हे मेरी कसम बाबा को मत पीटो. प्लीज छोड़ दो.. मैं इन्हें दुसरे कमरे में ले जाउंगी.

पायल के कहने से भूपेश शांत हो जाता है. वह रामवतार को छोड़ देता है. कमला दूर खड़ी यह सब देख रही थी. पायल रामवतार को सहारा देकर खड़ा करती है. वह उसे घर के पीछे बने एक मकान की तरफ ले जाती है. वह लंगड़ाते हुए चलता है-.

``उईई.. उईई.. मार डाला रे कमीने ने.. उईई ... उईई.. आह.. मार डाला रे ऐसे बेटे से तो... आह..``, रामवतार दर्द के मारे कराहता हुआ चलता है.

भूपेश को उसकी बाते सुन जाती है इस कारण वह फिर दौड़कर आता है. वह पुन: उसका कुर्ता पकड़कर कहता है- तेरी तो.. मैं..

पायल- नहीं भैया मैं हाथ जोड़ती हूँ.. आप बाबा को मत पीटो..

भूपेश क्रोधित होकर कहता है- तो ठीक है..ले जा इस कमीने को यहाँ से वरना तू मुझे जानती है..

पायल- ले जाती हूँ भैया.. ले जाती हूँ... प्लीज आप जाओ..

पायल फिर रामवतार को दुसरे कमरे में ले जाती है. वह अपने पिता को एक खाट पर सुलाती है. फिर वह उसके घावो पर मरहम पट्टी करती है. इसी दौरान वह रोकर कहती है- बाबा आप इतनी शराब क्यों पीते हो?

रामवतार- क्योंकि बेटा जब अपने ही दगा देते हैं तो बस दारू ही सहारा होती है...

पायल- किसने दागा दिया है.. बस फालतू की ही बाते सोचते रहते हो आप.. ऐसे ही क्यों भैया से आपने मार खा ली..

रामवतार- पायल! तू उस कमीने का नाम मत ले.. बड़ी मुश्किलों से पाल पोसकर उसे बड़ा किया था. उसे.. सपने देखे थे जाने कितने ही.. लेकिन उसने क्या किया.. पच्चीस का हो चुका है वो.. लेकिन एक भी दिन खेत में जाकर मदद नहीं की मेरी. पढ़ाई तो पहले ही बीच में छोड़ दी.. अब किस काम का है वो... तू ही बोल..

पायल- ! ! !... चुप हो जाओ बाबा.. भैया ने अगर सुन लिया तो वो फिर से जाएंगे.. फिर वह रामवतार के मरहम पट्टी करती है.. उसे पानी पिलाती है.. इस कारण वह थक जाती है और उसे कब अपने बाबा की पास ही नींद जाती है उसे पता ही नहीं चलता..

क्रमश....

अध्याय- 5

रात गहरा चुकी है. चारो और शांति छा चुकी है. आदित्य अचानक ही बिस्तर से खड़ा होता है. वह जैसे ही घडी में समय देखता है तो रात की करीब ग्यारह बज रहे थे. वह अपने कमरे से बाहर आता है. फिर वह पानी पीकर अपने पिता के कमरे में जाता है. उसके पिताजी के कमरे में अदिति उसकी माँ के साथ सोई हुई है तो वही उसका भाई पार्थिव उसके पिता जी के साथ सोया हुआ है. वह बिना कदमो की आवाज किए अपने पिताजी की टेबल के पास जाता है. वहां पर टेबल पर पिछले एक महीने के बाउचर, रोकड़ बही, केलकुलेटर और एक पेन पड़ा हुआ था. उसने उन सब को एक साथ उठाया और बिना आवाज किए उनके कमरे से बाहर गया. फिर उसने उन सभी को अपने बिस्तर पर रख दिया और वापस जाकर अपने पिताजी के कमरे को धीमे से बंद कर दिया. वह पुन: आकर अपने कमरे को बंद कर देता है और रजाई ओढ़कर बैठ जाता है. फिर उसने केलकुलेटर से सभी बाउचर के पैसों को काउंट करना शुरू कर दिया. उसके बाद उन सभी को एक-एक करके रोकड़बही से मिलान करने लगा. इस तरह पहले एक बाउचर और फिर दूसरा...वह लगातार काउंट करता जाता है. इस कारण उसे कब से एक.. एक से दो और दो से तीन.. बज जाते हैं उसे पता भी नहीं चलता है. लेकिन उसे उन दस हजार रुपयों का पता नहीं चलता है. इस दौरान वह वापस अपने पिताजी के कमरे में जाता है और बचे हुए कुछ अन्य बाउचर्स को उठा लेता है. फिर उन्हें भी देखना शुरू कर देता है. इस दौरान सुबह की चार बज जाते  है. लेकिन उसकी तलाश खत्म नहीं होती.. आखिरकार कुछ ही देर बाद वह अपने बिस्तर पर जोर से उछला.. येश! येश.. आई गोट इट .. आई गोट इट ... पापा भी जाने कितने बुद्दू हैं. गुरमीत अंकल को दिए डोनेशन के पैसो को एड ही नहीं किया.. फिर वह बाउचर के उन दस हजार रुपयों के अंडर लाइन कर देता है और रोकड़बही की बाकी की टोटलिंग करने में दिक्कत हो इस कारण वह एक नोट लिखना शुरू करता है. फिर वह उस नोट को पूर्ण लिखने के बाद अपने पापा के कमरे में पड़े बक्से में ले जाकर डाल देता है और उसकी चाबी को उसके पापा की टेबल पर रख देता है. शायद यह बक्सा उन दोनों के मध्य  वार्तालाप  करने का जरिया है. वह उस रोकड़ बही को भी कमरे के अंदर रख देता है और वापस अपने कमरे में आकर समय देखता है तो पांच चुके थे। इस कारण वह सोने नहीं जाता है और स्कूल के लिए तैयार होने चला जाता है.

इधर पायल भी तैयार हो जाती है लेकिन रात के सवालों को दोहराने की वजह से वह चिंतित थी. वह अपने टिफिन को अपने बेग में डालकर घर से बाहर आती है. इधर आदित्य भी रास्ते पर उसका इन्तजार कर रहा था. पायल आदित्य के पास जाती है तो देखती है की उसकी आँखे लाल हैं,,

वह मुस्कुराते हुए उससे पूछती है- अरे! ओये लंगूर कल रात को शराब पी ली थी क्या?

आदित्य- मैं तुम्हारे बाबा की तरह पियक्कड़ नहीं हूँ समझी..

पायल- तो फिर तुम्हारी आँखे लाल क्यों हैं?

आदित्य- अरे! ये.. ये तो कल रात को मैं सो नहीं पाया था..

पायल- क्यों? क्या रात को जगराता दे रहा था?

आदित्य- अरे! नहीं.. पापा की रोकड़बही में दस हजार रुपयों की कहीं भूल थी..सो उसे देख रहा था और इस चक्कर में कब दिन हो गया पता ही नहीं चला.

पायल- ! तेरी. तू भी .. तभी मैं सोचूँ की जिसकी चाल अमिताभ बच्चन के जैसी थी वो अचानक श्रीदेवी के जैसी कैसे हो गई?

आदित्य- देख तू कुछ भी बकवास मत किया कर समझी. और हाँ इन फ़िल्मी बातो को तो छोड़. चल ये बता तुमने गणित के सभी सवालों को दोहरा लिया है क्या?.

आदित्य के ऐसा पूछते ही पायल एक बार को उदास हो जाती है लेकिन फिर वह स्थिति को संभालते हुए कहती है- हाँ!..

आदित्य (खुश होकर) अरे! वाह! देट्स माय बंदरिया..

उसके मुस्कुराते हुए चेहरे को देखकर पायल को भी बहुत ख़ुशी होती है. वह आदित्य से यह सच छुपा लेती है की कल रात को उसके घर में हुई लड़ाई की वजह से वह सवालों को दोहरा नहीं पाई थी.

इधर ग्याहरवीं कक्षा में सभी विद्यार्थी बैठे हैं. अमजद खान एक-एक करके सबकी कॉपी चेक कर रहे हैं. फिर जैसे ही पायल की कॉपी उनके हाथ में आती है तो वह जल्दी-जल्दी कॉपी को चेक कर रहे होते हैं. ये सब देखकर आदित्य और पायल दोनों ही बहुत खुश होते हैं लेकिन अचानक ही उनकी नजर एक सवाल पर पड़ती है. वह उसे ध्यान से देखने लगते हैं. फिर वे पायल की तरफ शक की नजर से देखते हुए कहते हैं- ये होमवर्क तुमने ही किया है क्या?

पायल ये सब सुनकर घबरा जाती है. वह स्थिति को संभालते हुए कहती है. जी! सर मैंने ही किया है. आप चाहे तो मेरी राइटिंग देख सकते हैं.

अमजद खान- मेरा मतलब राइटिंग से नहीं है. तुमने ये सवाल कॉपी तो नहीं किए हैं ?

`नहीं सर. बिलकुल भी नहीं..`, पायल झूठ बोल देती है लेकिन फिर भी अमजद खान का शक कम नहीं होता है. वो एक चाक को उठाते हैं और पायल की कॉपी में से देखकर एक सवाल को ब्लैक बोर्ड पर उतार देते हैं और फिर चाक को देते हुए कहते हैं- ये लो अब इस सवाल को कर दो. अगर यह सवाल कर दिया तो मैं मान लूँगा की तुमने सवालों की कॉपी नहीं की है.

अमजद खान के इतना कहते ही पायल का चेहरा पीला पड़ जाता है. लेकिन फिर भी वह हिम्मत करके चाक को अपने हाथ में लेती है. वह ब्लैक बोर्ड पर उस सवाल का उतर लिखना शुरू करती है. उसे लिखते देखकर आदित्य बहुत खुश होता है लेकिन अचानक ही पायल का हाथ रुक जाता है. आदित्य के चेहरे की भी हवाईयां उड़ जाती हैं. वह धीमे से बुदबुदाता है- कम ओन बंदरिया.. यू कैन डू इट.. कम ओन..

लेकिन पायल का हाथ आगे नहीं चलता है. कुछ देर उसे उसी जगह अटकी हुई देखकर अमजद खान थोड़े रूखे स्वर में उससे पूछते हैं.- क्या हुआ नहीं रहा ? आएगा कैसे? जब सवालो को कॉपी किया हो तो. चल अब जल्दी से बता तुमने किसकी नोट बुक से सवालों की कॉपी की?

पायल हिचकिचाते हुए- सर मैंने किसी की भी कॉपी से सवालों को कॉपी नहीं किया है.

`झूठ मत बोल मैं सब जानता हूँ. तुम्हे परसों तक तो ये टिक्नोमेटरी वाली प्रश्नावली नहीं रही थी. अब अचानक से तुम्हे यह प्रश्नावली कैसे आने लगी? चल अब सच-सच बता किसकी कॉपी से सवालों को कॉपी किया वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा.. चल बता,`, अमजद खान क्रोधित होकर पायल से कहते है.

पायल- सर आदित्य की कॉपी से..

अमजद खान- (आश्चर्य से) व्हाट!

अमजद खान के गुस्से को देखकर आदित्य का चेहरा भी पीला पड जाता है. इधर पायल भी कांपने लग जाती है.

` आदित्या! क्या यह सच कह रही है?`, अमजद खान क्रोधित होकर आदित्य से पूछते हैं.

आदित्य (हिचकिचाते हुए) येश! सर.

अमजद खान- व्हाट! तुमने इसे अपनी नोटबुक सवालों की कॉपी करने के लिए दे दी. तुम इसे अपनी दोस्त कहते हो और तुम ही इसकी जिंदगी बर्बाद कर रहे हो. तुझे पता है, तेरी इन गलतियों की वजह से इसे जब फ्यूचर में कोई जॉब नहीं मिलेगी तो फिर इसके जिम्मेदार तुम होवोगे.

आदित्य- सॉरी! सर.

अमजद खान- व्हाट! सॉरी.. सॉरी कहने से क्या तुम्हारी गलती कम हो जाएगी? तुम इस कक्षा के सबसे ज्यादा सीन्सीयर लड़के हो. एट लिस्ट मुझे तुमसे तो ये उम्मीद कदापि नहीं थी. लेकिन आज तो तुमने भी मेरा विश्वास तोड़ दिया.

इतना कहकर अमजद खान कक्षा से बाहर चले जाते हैं. आदित्य चुप-चाप ये सब सुन लेता है. उसकी आँखों में आंसू झलकने लगते हैं. इधर पायल आदित्य को सफाई देना चाहती है लेकिन आदित्य अपनी बेंच पर जाकर बैठ जाता है. फिर उन दोनों के बीच में शाम तक भी बात नहीं होती है. यहाँ तक की वे दोनों एक साथ खाना भी नहीं खाते हैं.

क्रमश:....