कहानी - बड़े घराने की बहू
भाग - 17
श्रेणी- हॉरर , आध्यात्मिक, सस्पेंस- थ्रिलर, स्त्री- विमर्श
लेखिका - आस्था जैन "अन्तस्"
बड़े घराने की बहू
पार्ट 17
" पहले मैं कुछ बताता हूँ , गौर से सुनो , ये बेंदा जिस आत्मा का है वो उस तांत्रिक बाबा के वश में नहीं है, क्योंकि इसे मैंने शापित किया है, अगर वो आत्मा वश की गई होती तो उससे जुड़ी हर चीज मनहूस होती , खुद ही शापित होती , इसका मतलब वो तांत्रिक बाबा इतना शक्तिशाली नही हैं जितना हम समझ रहे थे लेकिन वो चालाक और धूर्त जरूर है तभी उसने बिना वश में किये ही ये बेंदा उस आत्मा से हासिल कर लिया " दयान ने कहा।
" ओह्ह , तो बाकी की आत्माएं उसके वश में हैं या नही" राहुल ने पूछा।
दयान - " क्या मालूम हो भी सकती हैं और नहीं भी"
स्नेहा - " तो मालूम कैसे चलेगा "
दयान - "इसके लिए दुबारा पैलेस के नीचे की 4 मंजिलो में जाना पड़ेगा, वो सब भुगतना पड़ेगा जो राहुल ने देखा सुना है, और आख़िरी चौथी मंजिल के उस काले पानी के तालाब का भी रहस्य पता लगाना होगा ,शायद ये सारी बुरी शक्तियां उसे के कारण पैलेस में हों "
राहुल - " ये सही है , फिर आज रात ही चलते हैं"
स्नेहा - "पर जाएंगे कैसे, राहुल तो गुमशुदा हो गए थे पिछली बार बीच रास्ते "
राहुल - " अरे पर वापस तो आया न अपने केबिन से , उधर से कोई रास्ता होगा न नीचे जाने का "
स्नेहा - "कोई रास्ता नही है, पूरे पैलेस में कोई तलघर तक जाने का रास्ता नही है "
दयान - " तुम्हे कैसे पता"
राहुल - " अरे जासूसी की देवी हैं ये , प्रणाम करो इन्हें , इतने बड़े खतरे में बिना जाने समझे इन्होंने पूरे पैलेस की खाक छान मारी "
राहुल को गुस्से में देख स्नेहा चुप हो गई।
दयान - " तो फिर हम उन सब तक पहुंचेंगे कैसे, सच कैसे पता करेंगे "
राहुल - "वो आत्मा उस तांत्रिक के वश में नही है न , तो उससे बात करो , किसी विद्या से आव्हान करो उसका"
स्नेहा - " मुझे तो नही लगता वो कुछ बोलेगी, सभी आत्माओं ने तुम्हे अपने दुख सुनाए और दिखाए, और बेंदा वाली ने तो तुम्हें अपना चेहरा तक नही दिखाया, न अपने बारे में कुछ बताया , फिर सबके बारे में कैसे बता देगी"
दयान - " मगर उसने तुम्हे ये बेंदा दिखाया अपनी आवाज सुनाई, इसका मतलब वो भी तुम तक पहुँचना चाहती है , अगर तुम कोशिश करो तो हम दुबारा पैलेस के नीचे की चार मंजिलों का सच जान सकते हैं "
स्नेहा - " पर वो इन तक क्यों पहुँचना चाहती है "
दयान - " जलो मत स्नेहा, वो बुरी आत्मा है ,उनका कोई न कोई बुरा मकसद ही होगा"
स्नेहा - " मैं कहाँ जल रही हूँ "
राहुल(मुस्कुराते हुए) - "वो तो तुम्हारे चेहरे से दिख रहा है स्नेहा , खैर अब तय रहा आज रात मैं और दयान वापस से पैलेस में उन आत्माओं के बीच जाने की कोशिश करेंगे और सच पता करके ही लौटेंगे"
स्नेहा - " और मैं ?"
राहुल - " तुम भी चलोगी तो हम वापस कैसे आएंगे , हम वही फँसे रह गए तो"
स्नेहा - " ठीक है, नही जाऊँगी, अब मैं चलती हूँ, मुझे शाम के लिए तैयार भी होना है "
स्नेहा खिड़की की तरफ चल दी।
"अरे पागल हो क्या , दरवाजे से जाओ " राहुल ने उसके सामने आते हुए कहा।
"पहले सब खाना खा लो , फिर खिड़की, दरवाजे , छत,दीवारें, सुरंग जहाँ से जाना हो चली जाना " रामायणी जी मुस्कराते हुए कमरे में आती हुई बोली। बाकी सब भी उनकी बात पे मुस्कुरा दिए ।
.............
पैलेस जैसे शाम के साये में अपने अलग ही नूर में डूबा हुआ था। सब रस्मो की तैयारी में व्यस्त थे । सबसे अलग
बगीचे में खड़े कल्पना और राहुल आपस मे बात कर रहे थे ।
एक डायरी कल्पना को देते हुए राहुल बोला -" ये आपकी डायरी है कल्पना, मैने आपकी पूरी डायरी पढ़ ली है , माफी चाहता हूँ लेकिन समय की जरूरत थी इसलिए सब पढ़ना पड़ा, मैं आपकी निजता का पूरा सम्मान करता हूँ लेकिन समय की कमी थी और इसके अलावा और कोई रास्ता नही था मेरे पास आपके बारे में जानने का , मेरा कोई गलत इरादा नही है , बस आप और हम सब एक मुसीबत में है मैं उसी से निकलने की कोशिश कर रहा हूँ "
कल्पना - " मैंने देखा था स्नेहा को ये डायरी ले जाते हुए, ख़ैर क्या फ़र्क पड़ता है , मेरे मन की बात आप जान भी गए तो कोई बड़ी बात नहीं, मेरे माँ पापा भी सब जानते हैं , लेकिन कोई समझना नही चाहता , इससे बड़ी और क्या मुसीबत हो सकती है"
राहुल - " देखिये आप जो भी दुविधा आपके मन मे है वो नव्यम से बात करके हल कर सकती हैं, वो थोड़ा शर्मीला है , खुद से आपसे बात करने में शर्माता है। अगर आप लोग एक बार बात करें तो आपके मन की सभी शंकाये खत्म हो जाएंगी "
कल्पना - " अभी तो सब रिश्तेदार हैं , मैं कोशिश करती हूँ कल सुबह उनसे बात करूँ " कहकर कल्पना ने अपनी डायरी ली और अपना गोल्डन लहँगा संभालते हुए पैलेस के अंदर चली गई।
" कुछ पूछना है , या मैं अंदर जाऊँ " राहुल एक पेड़ के सामने खड़ा होकर बोला।
" आपको कैसे पता चला मैं यहाँ हूँ" पेड़ के पीछे से स्नेहा ने बाहर निकलते हुए पूछा।
" क्योंकि आपके सुर्ख़ गुलाबी रंग के लहँगे की वजह से ये पेड़ भी हल्का गुलाबी हो गया था " राहुल ने मुस्कुराते हुए कहा।
स्नेहा -" वैसे दीदु से क्या बात हुई , मुझे तो कुछ समझ ही नही आया और डायरी में से क्या पता चला आपको"
राहुल - " कोई कह ही नही सकता , कल्पना ये शादी चाहती ही नही है, बाहर से देखने पर लगता है कि वो खुश है लेकिन उसके मन मे हज़ारों शंकाएं हैं"
स्नेहा - "किस बात को लेकर , अरे शादी के खर्चे तक नव्यम जीजू और दीदु ही दोनो मिलकर हैंडल कर रहे हैं , दोनो की मर्जी से शादी हो रही है , जीजू को तो दीदु के कपड़े के बिजिनेस से भी प्रोब्लम नही है, सारी बातें पहले ही हो चुकी हैं, अब कैसी शंका "
राहुल - " नीति माँ को लेकर, वो जो नीति माँ ने सबको अपनी सच्चाई बताई थी उस दिन, तभी से उसके मन मे बहुत कुछ चल रहा है, किसी से शेयर नही कर पा रही , मैंने नव्यम को समझाया है वो उससे बात करेगा ,टेंशन वाली कोई बात नही है "
स्नेहा - " आपका चार्ट पूरा हुआ "
राहुल - " हाँ , हो गया , मुझे कुछ अजीब से फैक्ट समझ मे आये है सब चीजो को जोड़ने के बाद, मुझे लगता है रामायणी माँ और कल्पना से ज्यादा ये सब मुझसे कनेक्टेड है और वो बेंदा वाली...."
" देखो तो सही आजकल के बच्चे अरे यहीं बातें करके समय निकालना है या अंदर भी कुछ काम देखना है रस्मों के, सब मैं ही अकेली देखूँ , एक स्नेहा मेरा साथ दिया करती थी , इसकी भी सगाई करने वाला है जगदीश, अभी से मेरा असर कम हो रहा है इसपर , पता नही क्या सोचकर मेरी इतनी गुणी भतीजी इस मैनेजर के पल्ले बाँध रहा है " एकदम से आकर रेखा बुआ जी अपनी प्यारी स्नेहा के दूर जाने का सारा आक्रोश राहुल पर बरसाने लगीं।
" आप पर नेवी ब्लू कलर बहुत प्यारा लग रहा है बुआ, इसपे न ये डार्क कलर की ज्वेलरी जँच नही रही, इसके लिए मैं आपको सिल्वर कलर की ज्वैलरी देती हूँ चलिए फिर उसके बाद आपके साथ चलकर सारा काम देखती हूँ " अपनी बुआ को मनाकर स्नेहा अंदर ले आई।
" बोलने के मामले में भी बिल्कुल अपनी बुआ पे गई है " राहुल ने सोचा और मुस्कुरा दिया।
" स्नेहा को भी पता है , सब कुछ छोड़कर मेरे साथ यहाँ रह जाना पड़ेगा उसे शादी के बाद , फिर भी कितनी खुश है , चलो शादी तो दूर की बात, अगर इन सब उलझनों का सारे सिरे मुझसे ही जुड़े हैं तो शायद इनको सुलझाते सुलझाते मैं किसी और दुनिया में ही न खो जाऊँ , शायद जिंदा भी बचूँ या नहीं , फिर भी स्नेहा मेरे साथ इस पवित्र बंधन में बंधने को तैयार है , जबकि उसे मुझसे मिले पूरे 4 दिन भी नही हुए हैं , कितना बड़ा दिल होता है न एक लड़की का ,इतना ज्यादा भरोसा करती है वो अपने जीवनसाथी पर ,अपनी आँखों में सारी जिंदगी की खुशियाँ समेटे रहती हैं, थैंक्यू भगवान , एक मेरी माँ जैसी मेरी जिंदगी आपने मुझे दी, और अब एक और जिंदगी स्नेहा के रूप में "
राहुल की आँखे नम हो गईं , आँसुओ की बूंदों का एक दर्पण सा बन गया आँखों मे जिसमे कल रात उसकी देखी हुई सभी घटनाओं के सजीव चलचित्र उसे दिखाई दिए , उसने तुरन्त आँखे बंद करके उन बूंदों को आँखों से आज़ाद कर दिया और खुद को संभालता हुआ पैलेस के अंदर आ गया।
......
पैलेस की दूसरी मंजिल के उसी बड़े से हॉल में नव्यम के संगीत और मेहंदी की रस्मो के बाद राहुल और स्नेहा की सगाई की रस्म भी शुरू हो गई।
राहुल और स्नेहा दोनों ही ख़ुश थे ।
राहुल ने मुस्कुराते हुए अपना हाथ आगे कर दिया , स्नेहा ने भी मुस्कुराते हुए एक सुंदर सी अंगूठी राहुल को पहनाई और अँगूठी पहनाते ही हॉल की सारी रोशनी गायब हो गई ।
हॉल में अफरा तफ़री मच गई, सब अपनी अपनी मोबाइल की टॉर्च ऑन करने की कोशिश कर रहे थे लेकिन मोबाइल की फ़्लैश लाइट तक ऑन नही हो रही थी।
राहुल ने स्नेहा का हाथ पकड़ रखा था। उसका मोबाइल भी ऑन नहीं हो रहा था । सब चिल्ला रहे थे, इधर उधर भाग रहे थे, ये भीड़ की खासियत है जब संयम की घड़ी आती है तो भीड़ बेक़ाबू हो जाती है , राहुल उसी भीड़ में स्नेहा को साथ लेकर हॉल की चीजों को टटोलते हुए स्विच बोर्ड तक पहुँच गया । स्नेहा डर रही थी । उसने राहुल का हाथ कसकर पकड़ा हुआ था । राहुल ने सभी स्विच ऑन ऑफ करके देखे पर कुछ नहीं हुआ । गुस्से में उसने बोर्ड पे अपना हाथ पटक दिया लेकिन अगले ही पल एक तेज झन्नाटेदार करंट ने उसका हाथ परे झटक दिया।
राहुल को स्नेहा की तेज चीख़ सुनाई दी , वो उसी चीज़ को देखकर चीखी थी जिसे देखकर वो सुन्न हो गया था ।
स्विच बोर्ड में से निकलता हुआ काली आँखों वाला चेहरा , राहुल को अच्छे से याद आया कि इसी चेहरे की औरत को उसने कल रात पैलेस की तीसरी मंजिल से कूदते हुए देखा था , जिसे अपनी माँ समझकर वो उसके पास जाकर रोया भी था।
इस अचानक मिले सदमे से दोनों उबरे भी नहीं थे कि उस काली आँखों वाले चेहरे ने एक और सदमा दे दिया ..... स्नेहा के चेहरे के बिल्कुल पास आकर उस चेहरे ने उसकी आँखों मे अपनी काली आँखों से घूर कर देखा ।
उसके काले ज़ख्मी होंठ हिल नहीं रहे थे , फिर भी उसके बोलने की आवाज़ उसके पूरे चेहरे से आ रही थी....
" अँगूठी वापस उतार ......."
क्रमशः
2 Comments
Ab aisa lag rha h Jo bhi Atma hai vha vo ye ni chahti ki kisi ki Khushi se shadi ho Varna vo unko kaid ni kr payegi ar shayd isi liye unki shadi hone deti h Jo ni chahte dekhte h Kya hota h
ReplyDeleteउनके भी अपने अलग ही दुख है 😑😑
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