लेखिका - आस्था जैन " अन्तस्"
कहानी - बड़े घराने की बहू
भाग -20
श्रेणी- हॉरर, आध्यात्मिक, स्त्री-विमर्श, सस्पेंस-थ्रिलर
" अब कैसी हो स्नेहा " राहुल ने प्यार से उसके सिर पे हाथ फेरते हुए कहा।
" आप दूर रहिये प्लीज् "स्नेहा ने उठते हुए कहा ।
स्नेहा अपने कमरे में थी जहाँ कल्पना , राहुल , दयान और रामायणी जी उसके पास थे।
स्नेहा का इस तरह का बर्ताव देखकर राहुल वहाँ से उठ गया और खिड़की के पास जाकर मायूस सा खड़ा हो गया।
" अब कैसा लग रहा है स्नेहा" रामायणी जी ने उसके पास आते हुए कहा।
" मैं ठीक हूँ माँ .... वो , मैंने कुछ देखा था कल रात " स्नेहा उनकी गोद मे अपना सिर रखते हुए बोली।
" क्या देखा था , बताओ बहन " दयान बोला
स्नेहा ने शुरू से आखिरी तक सब बता दिया।
"अजीब बात है , कितना कुछ अलग अलग है तुम्हारे और राहुल के देखे हुए दृश्यों में " दयान चिंतित सा खड़ा था।
" काफी कुछ एक सा भी है दयान, वो बेंदा वाली लड़की, वो कमरे, वो चार मंजिल , वो काले पानी का कुंड ,हाँ कुछ नई चीजें जरूर हैं, उस लड़की ने इस बार अपनी शक्ल दिखाई है, और दददू की शक्ल उस शैतान में स्नेहा ने देखी है" राहुल ने कहा।
" वो दददू हो ही नही सकते, नरेन्द्र राठौड़ तो दद्दू के पिताजी का नाम था , दद्दू का नाम तो विनायक राठौड़ था" रामायणी जी बोली।
" पर वो एकदम दद्दू जैसे थे देखने मे क्या दददू के पिताजी दददू जैसे ही दिखते थे " स्नेहा ने पूछा
" मुझे इतना कुछ तो नही पता , रेखा दीदी को सब पता होगा क्योंकि जगदीश और नायक जी काफी पहले से दोस्त हैं और
नीति को भी बहुत कुछ पता होगा क्योंकि वो इतने सालों से नायक जी के साथ रह रही है" रामायणी जी ने कहा।
" ठीक है, आज तिलक से पहले मैं बुआ जी को सब बता दूँगी और उनसे सब पूछ भी लूँगी " स्नेहा ने कहा।
"नहीं तुम अब इन सबसे बहुत दूर रहोगी , मैं बात कर लूँगा बुआ से , तुम बस आराम करो " राहुल ने कहा।
" आपकी रानी साहिबा ने सिर्फ आपसे दूर रहने कहा है " स्नेहा ने मुँह बनाते हुए कहा।
" मेरी नही तुम्हारी रानी साहिबा, मुझे तो चेहरा भी नही दिखाया , तुम्हे तो चेहरा भी दिखाया , नाम भी बताया , प्यार भी बरसा दिया तभी तो उनकी बात मानकर मुझसे दूर हो रही हो " राहुल ने कहा
" आप ने भी तो उस काली आँखों वाली की बात मानकर मेरी पहनाई अँगूठी उतारकर फेंक दी थी " स्नेहा ने गुस्से में उठकर राहुल के सामने आते हुए कहा।
" चाहे वो काली आँखों वाली हो या तुम्हारी रानी साहिबा , मेरे लिए तो सब ही बुरी आत्माएं है, बहुत बुरी, इनमे से किसी को नही छोड़ने वाला मैं तब देखता हूँ कैसे दूर जाती हो मुझसे " राहुल ने भी गुस्से में कहा ।
" वो बुरी आत्माएं नहीं हैं, बुरा तो वो आदमी है जिसने उनको मारा है, रानी साहिबा को भी उसी ने मारा होगा " स्नेहा बोली।
" तुम्हारा दिमाग ख़राब हुआ है क्या स्नेहा, वो सब हमे इतना परेशान कर रही हैं , डरा रहीं हैं , एक दूसरे से दूर कर रहीं हैं और तुम कह रही हो वो सब बुरी नहीं हैं , एक काम करो तुम भी उन्ही में शामिल हो जाओ" राहुल बिल्कुल उबलते हुए बोला।
" अरे बस भी करो दोनों , देखो राहुल , मुझे भी कोई बुरा श्राप समझ कर सब यहाँ डर रहे थे , लेकिन ऐसा तो कुछ था ही नहीं, हो सकता है स्नेहा सही कह रही हो, और तुमने खुद देखा है उन सबकी कितनी दर्दनाक मौतें हुईं थी" रामायणी जी ने राहुल को समझाते हुए कहा।
" आपके बारे में सबको वहम था, पर मैं इन सबका खौफ़ खुद भुगत चुका हूँ, 4 दिनों से पागल जैसी हालत हो गई है मेरी , हर बुरी चीज को खत्म करना ही पड़ता है माँ , फिर क्या फर्क पड़ता है उनकी मौत कैसे भी हुई हो, मैं उनकी मौत का जिम्मेदार नही हूँ तो मुझे और मेरे परिवार को इस तरह डराने का क्या मतलब है माँ , मैं आज ही दददू से दुबारा बात करूँगा और कल शादी से पहले ही सब ठीक कर दूँगा" राहुल बोला और कमरे से बाहर चला गया।
राहुल के चेहरे पे क्रोध और आक्रोश के ऐसे भाव देखकर स्नेहा को अभी कुछ समय पहले देखा हुआ उस शैतान का चेहरा याद आ गया, बिल्कुल वैसे ही भाव, वैसा ही क्रोध ... और एक नए विचार ने स्नेहा की रीढ़ हड्डी तक मे कम्पन पैदा कर दिया ।
अपने मनोभावों को छुपाने के लिए सबसे मुँह फेरकर स्नेहा कमरे की खिड़की पर जाकर खड़ी हो गई। इस नए विचार से पैदा हुए दर्द को अपने अंदर ज़ब्त कर पाना उसके लिए बहुत मुश्किल हो रहा था और वो फिर से बेहोश हो गई।
.......
सुबह के सूरज में भी अजीब सी मनहूसियत थी , अजीब सा तनाव पसरा हुआ था , जैसे न सुबह उस पैलेस को देखकर खुश थी और न ही पैलेस सुबह की किरणों को आत्मसात करना चाहता था ।
राहुल पैलेस में अपने कमरे में बैठा उस चार्ट को घूर रहा था ।
" कब तक यूँ ही बैठे रहोगे राहुल, अब कुछ करने का वक्त है " दयान ने कमरे में आते हुए कहा।
राहुल - "क्या करूँ मैं , दद्दू से बात करने की कोशिश कर रहा हूँ लेकिन वो आ ही नही रहे , सोच रहा हूँ मन्दिर चला जाता हूं शायद वहाँ मिल जाएं"
दयान - " तुम्हारे दददू ने कहा था कि आधा सच जानलेवा होता है, मेरे खयाल से उन्हें परेशान करने की जगह माई की बात सुननी चाहिए , बुआ जी से बात करो, मैंने स्नेहा से बात की थी , मेरा शक बिल्कुल सही निकला , मुझे तांत्रिक बनाने वाले बाबा का इस पैलेस की आत्माओं के साथ कोई न कोई संबंध जरुर है, स्नेहा ने जो मुझे हुलिया बताया है उसके हिसाब से उस आदमी जिसने अपना नाम नरेंद्र राठौड़ बताया था उसके साथ जो लड़का था वो वही तांत्रिक है जिसने मेरी माई की आत्मा को वश किया था"
राहुल - " तो उसको पकड़ लिया जाये तो सब उगल देगा वो"
दयान - " मैंने एक विद्या को लगा रखा था दो दिन पहले उसका पता लगाने के लिए, आज शाम काल के आखिर पहर तक वो मुझे आकर उसका पता बताएगी , तब तक हमे तुम्हारे खानदान और इस पैलेस के संबंधों का पता लगाना चाहिए और उस काले पानी के कुंड का भी "
राहुल - " वो सब हम कर लेंगे , बुआ , जगदीश अंकल, रावत अंकल , पापा और नीति माँ सबसे कह दिया है मैने वो थोड़ी ही देर में यहाँ आते होंगे, बस स्नेहा को इन सबसे दूर रखना है , कैसी है वो अब"
दयान - "तुम्हारे जाने के बाद बेहोश हो गई थी फ़िर रामायणी माई ने उसे संभाला ,अभी सुबह- सुबह डॉक्टर आया था , बोल रहा था कि तनाव है बस और कुछ नही, वैसे स्नेहा जिस तरह उस काले नग के जरिये उस औरत की मौत का कारण जान पाई तो उसी तरह उस बेंदा का प्रयोग करके उस रानी साहिबा का रहस्य हम जान सकते हैं , और इस बार ये प्रयोग मैं करूँगा ताकि और भी कई जानकारियां ले सकूँ "
राहुल - " तो देर क्यों करना, निकालो वो बेंदा और पता करो "
दयान - "वही लेने तो मैं तुम्हारे पास आया हूँ "
राहुल - " मेरे पास कहाँ है , पुलिस कस्टडी से लेकर तुम्हे ही तो दिया था मैंने"
दयान - " क्या अजीब इंसान हो , कल ही तो डर गए थे उस बेंदा को देखकर जब कल तुम्हारे घर के कमरे में मैं तुम और स्नेहा थी तब वो बेंदा तुम्हारे ही इस चार्ट के ऊपर रखा था , भूल गए क्या"
राहुल - " वो तो तुम अपने साथ ले गए थे न , मैंने तो चार्ट तुम्हारे ही सामने बन्द करके रखा था "
दयान - " मैं कहाँ ले गया, मैं जब चलने को हुआ तो मुझे दिखा नही मैंने सोचा तुमने अपने पास रख लिया होगा"
राहुल - " मैं क्यों रखूँगा मनहूस चीजे अपने पास , कहीं स्नेहा तो नही ले गई "
दयान - " वो क्यों ले जाएगी, वो क्या शैतानी विधियाँ करेगी उससे, बकवास मत करो"
राहुल - " अरे सब शैतानों की खाला है वो , उसके दिमाग मे क्या चलता है न तुम जानते हो न मैं , चलो उसके कमरे में, कहीं ऐसा न हो कि पहले ही रानी साहिबा की दुनिया मे चली गई हो वो उस बेंदा का प्रयोग करके , मुँह क्या ताक रहे हो , चलो जल्दी ........ "
राहुल बैचनी से भागता हुआ कमरे से निकल गया, दयान वहीं पत्थर सा जम कर बैठा रह गया।
उसके दिमाग मे स्नेहा के कहे शब्द गूंज रहे थे , रानी साहिबा ने बड़े प्यार से उससे कहा था कि यहाँ दुबारा मत आना.....
क्रमशः.....
2 Comments
Story to kafi romanchit ho chuki h benda kaha gayab ho sakta hai ku ki vo to nag k sahare pauchi thi vaha dekhte h aage k bhag me
ReplyDeleteआपके कमेंट में नोट की तरह एड करूँगी अगली स्टोरी मैं, और आपको पढ़ाने के बाद ही अपलोड करूँगी। ❤️
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