कहानी- बड़े घराने की बहू
भाग - 22
लेखिका - आस्था जैन "अन्तस्"
श्रेणी- हॉरर, सस्पेंस-थ्रिलर, आध्यात्मिक, स्त्री-विमर्श
....
बड़े घराने की बहू
पार्ट 22
" क्या बुआ, आपको इतना कुछ याद है और दद्दू की शक्ल कैसे भूल गईं आप, तभी बता देतीं कि वो दददू हैं तो सब पूछ लेता उनसे " राहुल परेशान होता हुआ बोला।
" हर चीज की एक वजह होती है बेटे, इसके पीछे भी कोई वजह रही होगी " नायक जी उसे समझाते हुए बोले।
" अभी हम क्या कर सकते है, मुसीबत बड़ी है, परिणाम कुछ भी हो सकते हैं बिना जानकारी के हम क्या कर सकते हैं " जगदीश जी बोले।
" हाँ, अगर कल शादी तक कुछ नही हुआ तो हो सकता है हम अपनी बेटी खो दें, क्या यहाँ से वापस नही जा सकते " कविता जी घबराते हुए बोलीं।
"जा सकते हैं, आज शाम को ही अगर हमें उन आत्माओ और इस पैलेस के इतिहास के बारे में जानकारी नही मिलती तो मैं भ्रम जाल बनाकर आप सबको यहाँ से निकाल सकता हूँ "दयान ने कहा।
" फिर ठीक है, शाम को तिलक होने देते हैं , उसके बाद सब यहीं बैठकर दुबारा बात करेंगे कि आगे क्या करना है " नायक जी ने कहा ।
........
सुबह बड़ो की मीटिंग के बाद से राहुल की स्नेहा से बात नही हुई, कल रात को उसके कुछ कॉल्स आये थे लेकिन उसने एक भी कॉल अटेंड नही किया ये सोचकर कि शायद उसके इस व्यवहार से स्नेहा अपने आपको उससे अलग कर ले और उन आत्माओं का कोई बुरा प्रभाव स्नेहा पर न पड़े। शाम को तिलक में भी वो उसे दिखाई नहीं दी आखिर में परेशान होकर राहुल तिलक के बाद स्नेहा के कमरे की ओर चल दिया उससे बात करने के लिए तभी रावत अंकल का फ़ोन आया कि वो अपने कमरे में आ जाये ।
" कहिये अंकल , क्या जानकारी मिली आपको " राहुल ने कमरे में आते हुए रावत अंकल से पूछा, बाकी सब बड़े भी वहीं बैठे हुए थे, शाम को तिलक के बाद सभी राहुल के कमरे में आ बैठे थे, नव्यम और कल्पना भी वहीं थे।
रावत - " हम लोगों ने ये पैलेस जिस आदमी से खरीदा था उसने ये पैलेस किसी और से खरीदा था उसका इस पैलेस से कोई लेना देना नही है , उसने ये पैलेस जिस आदमी से खरीदा था उसका नाम विनायक राठौर है, मतलब कि तुम्हारे दददू और उसने ये भी बताया था कि विनायक राठौड़ ने उससे वादा लिया था कि ये पैलेस कभी भी वापस उनके परिवार को न बेचा जाए"
राहुल - " तब तो माँ का शक बहुत हद तक सही लग रहा है मुझे कि वो आत्माएं हमारे ही खानदान से जुड़ी हो सकती हैं, दयान, तुम्हारे तांत्रिक बाबा का कुछ पता चला क्या "
दयान - "हाँ , मेरी विद्या के अनुसार वो राधौगढ़ के जंगलों में ही है, जंगल की उत्तर दिशा में एक गुप्त गुफा है, वही उसका ठिकाना है, मेरी विद्या ने उसके साथ एक लड़की को भी देखा है जो हम सब मे से ही कोई एक है "
रामायणी - "ये क्या कह रहे हो दयान, हम में से कौन उस तांत्रिक का साथ देगा "
दयान -" माई, विद्याएँ कभी झूठ नहीं बोला करतीं, उस तान्त्रिक को हमारे बारे में सब पता है, बुरी ताकतों से उससे लड़ा नही जा सकता , और वो गुफा भी मायावी है, मेरी विद्या को उस गुफा को पार करने में दो दिन लग गए तो हम लोग कल तक क्या कर पाएँगे भला , मुझे लगता है सबको यहाँ से ले चलने में ही भलाई है"
" अगर सबको ले भी गए , तो भी तुम बचा नही पाओगे किसी को " एक स्त्री की आवाज कमरे में गूँजी , सब घबरा कर इधर उधर देखने लगे तभी स्नेहा दरवाजा खोलकर कमरे में आई।
दयान की आँखे नम हो गईं, उसने अपने हाथ फैला लिए और जमीन पर घुटनों के बल बैठ गया ।
" माई , सामने आ , माई , मैं तेरा दयान , तेरा अपराधी हूँ मैं, मुझे सजा दे माई , इन सबको जाने दे " दयान ने रोते हुए कहा।
अपने आँचल से दयान के आँसू पोंछती हुई एक स्त्री की धुँधली छाया कमरे में प्रकट हुई।
राहुल पहचान गया कि ये दयान की माई है ।
"रोते नहीं दयान, ये विधि का लिखा है, होकर रहेगा, मैं तुम या कोई और क्या कर सकता है, लेकिन पीछे हट जाना कोई समाधान नहीं, अगर युद्ध तय है तो वो जरूर होगा उसे रोकना किसी के बस में नहीं, युध्द में तो बस लड़कर ही जीता जा सकता है, भागकर नहीं " वो स्त्री बोली।
दयान ने सिर झुकाते हुए कहा -" मैं कैसे लड़ूँगा माई , मैं तो तुम्हे भी आज़ाद न करा पाया"
"मैं आज़ाद हूँ मेरे बच्चे , हाँ , मैं सच कह रही हूँ , तुम मुझे आज़ाद न करा सके क्योंकि वो तुम्हारे संयोग में नही था, इस लड़की का संयोग था मुझसे , इसने आजाद कराया है मुझे " उस स्त्री छाया ने उँगली से स्नेहा की तरफ इशारा करते हुए बताया।
" मेरा तुमसे कुछ वक्त का संयोग बाकी था मेरे बच्चे , इसलिए आज़ाद होने के बाद भी मेरी आत्मा तुम्हारे पास आ सकी है, थोड़े ही समय बाद मेरी आत्मा को उस गति में जाना होगा जिसका मैंने बंध बांधा होगा अपने मनुष्य रूप में " स्त्री ने दयान के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा।
" माई, अब छोड़ कर मत जाओ माई, मैं बिल्कुल अकेला हूँ यहाँ , मैं कैसे लड़ूँगा माई"
" ये मोह बहुत बुरा है बेटा , अंधकार है, मोह के इसी पर्दे के कारण ही मैं मरने के बाद भी भटक रही थी, मोह के इसी सांकल से उस तांत्रिक ने मेरी आत्मा को बांध रखा था , वरना बताओ , आत्मा को कोई बांध सकता है क्या, आत्मा खुद ही अपने भावो से संसार मे कर्म बन्ध करती है और उन कर्मों को भोगती हुई संसार मे भटकती रहती है, मुझे अब भी ये ज्ञान न होता तो मैं कभी मुक्त न हो सकती थी, तुम्हें यही करना है अब सभी आत्माएं जो इस पैलेस में बंधक हैं उन्हें उनके झूठ ने बाँध रखा है, तुम लोगो को उन्हें सत्य दिखाना है , वे मुक्त हो जायेंगी , अपना ध्यान रखना बच्चे " कहकर वो स्त्री छाया अदृश्य हो गई ।
दयान बच्चों की तरह बिलख बिलख कर रोने लगा , रामायणी जी ने उसके सिर पर हाथ रखा और उसे समझाया, -" तुम्हारी माई ने सच कहा है, जिससे जिसका जितना संयोग है उतना उसे निभाना ही होता है और वियोग का समय आते ही अलग हो जाना पड़ता है, यही संसार है बेटा।"
" दददू ने कहा था , आत्मा अपने ॐ कार स्वरूप से हटकर संसार में अपनी भाव ऊर्जा लगाती है तो उसे कर्मो का बन्ध होता है और 84 लाख योनियों में उसे भटकना पड़ता है, ये चक्र तबतक नही रुक सकता जब तक आत्मा अपनी भाव ऊर्जा वापस अपने ॐकार स्वरूप में न लगाए, तुम्हारी माई को सत्य का ज्ञान हुआ है यही सबसे बड़ी बात है, अगर उनकी आत्मा अपने ॐ कार स्वरूप को पा लेगी तो जैसे वो तांत्रिक की कैद से मुक्त हुईं हैं , इस संसार से भी मुक्त हो जाएंगी " राहुल ने दयान को समझाते हुए कहा।
" मैं जीवन भर तुम्हारा ऋणी रहूँगा बहन, तुमने माई को मुक्त करके मुझपे उपकार किया है " दयान ने हाथ जोड़कर स्नेहा से कहा।
" बहन का तो काम ही यही होता है न दयान भाई, भाई की गलतियां सुधारना , आप तो खुश होइए कि अब आपकी माई उस दर्द के जंजाल से मुक्त हैं, सच उनके साथ है , सच्चाई का ज्ञान लेकर आत्मा किसी भी गति में जाये , उसे संसार से मुक्ति का मार्ग जरूर मिलता है" स्नेहा ने कहा ।
" ये सब तो ठीक है बेटा पर तुम्हे इतना ज्ञान कहाँ से आया, और अकेले कैसे क्या किया तुमने , मुझे तो बड़ी चिंता हो रही है, बताओ बेटा " बुआ जी स्नेहा के सिर पर हाथ फेरते हुए बोलीं।
सब स्नेहा की ओर देखने लगे।
"वो मैं, मैंने उस तांत्रिक को अपने वश में कर लिया। "
स्नेहा ने कहा तो सब के सब सदमे से मुँह फाडे उसे देखते ही रह गए और राहुल उसे गुस्से में घूरने लगा और अपनी माँ से बोला , - " माँ , ये लड़की क्या है ,कुछ भी हो पर इंसान तो बिल्कुल नही है"
रामायणी जी उसके सिर पर एक हल्के से मारते हुए बोलीं -" बहू है वो मेरी , उसने इतना अच्छा काम किया है तुम्हे तो उसकी तारीफ करनी चाहिए "
" मज़ाक तो मत करो बहन सच बताओ , क्या किया है तुमने , क्या तुम उसकी गुफा में गईं थी ?" दयान ने स्नेहा से गम्भीरता से पूछा।
स्नेहा ने राहुल की तरफ देखा , उसके गुस्से का अंदाजा लगाया और बाकी सबको देखा , बाकी सब भी थोड़ा गुस्से में थे , " बाद में बताऊँ भाई" स्नेहा ने अपनी प्यारी सी आँखों मे दुनियाभर का ख़ौफ़ भरकर कहा ।
" बताओ , बेटा, कोई कुछ नही कहेगा , सबको तुम्हारी फिक्र है इसलिए सब नाराज़ हैं, लेकिन अभी जो भी हुआ है उसके बारे में जानना भी जरूरी है" नायक जी ने कहा।
राहुल गुस्से में दरवाजे के पास जाकर मुँह फेरकर खड़ा हो गया जैसे उसे कोई फ़र्क ही नही पड़ता कि स्नेहा ने क्या किया या उसके साथ क्या हुआ ।
स्नेहा -" वो कल रात में मेरे साथ जो भी हुआ उससे मुझे लगा कि हम किसी भी आत्मा की उस चीज से भावनात्मक रूप से जुड़ जाएं जिससे वो आत्मा भी भावनात्मक रूप से जुड़ी हुई है तो उस चीज के जरिये वो आत्मा हमे अपनी कहानी दिखाती है , जिस दर्द से वो गुजरी है उसी का अहसास हमे करवाती है, इसलिए मैंने सोचा कि मैं रानी साहिबा की कहानी भी जान सकती हूँ लेकिन वो बेंदा कहाँ था, मुझे पता नही था , दददू से जुड़ी हुई कोई भी चीज मेरे पास नही थी , तो मैं दयान के घर गई, मैंने देखा था पहले वहाँ उसकी माई से जुड़ी हुईं कुछ चीजें थीं , मै वहाँ गई तो मुझे ..... "
" इनसे पूछिए माँ, ये शक्तिमान हैं, सोनपरी हैं , कौन हैं ये देवी जी , क्यों गईं थी अकेले , किसी को साथ नहीं ले जा सकती थीं "राहुल बीच मे ही उसकी बात काटते हुए बोला।
रामायणी जी मुस्कुराते हुए बोलीं - " हाँ बताओ स्नेहा, मेरे बेटे को साथ क्यों नहीं ले गईं तुम , तुम्हे पता है ना उसे तुम्हारी कितनी फिक्र है और शक्तिमान और सोनपरी का आशीर्वाद भी है मेरे बेटे पर "
" वो मैंने कॉल किया था पर इन्होंने उठाया ही नहीं तो मैं अकेले ही चली गई इतना टाइम भी नहीं था कि किसी और को जगाती मगर फिर मैं रात में नहीं गई थी, आज दिन में गई " स्नेहा ने कहा।
"तुम मेरे घर गई उसके बाद क्या हुआ स्नेहा " दयान ने पूछा।
स्नेहा -" वहाँ मुझे वही तस्वीर मिली, उसे देख कर मैने वही सब याद किया जो राहुल ने उनके बारे में देखा था , थोड़ी ही देर में मुझे वही सब कुछ होते हुए दिखने लगा, तुम्हारे ही घर मे उनका मारा जाना, मैं सब देख रही थी लेकिन उन्हें छू नहीं सकती थी , उनकी मदद नही कर सकती थी, उनका दर्द ही महसूस कर सकती थी , बाद में उनकी आत्मा का भटकना, दयान भाई ने उनका आव्हान किया लेकिन उस दौरान उस तांत्रिक ने दयान भाई को बेहोश कर दिया और उनकी माई की आत्मा को भड़काना शुरू कर दिया। "
दयान -" उसने मेरी माई को वश में किया था स्नेहा "
स्नेहा - "वश में करना क्या होता है भाई , किसी कम ताकतवर को अपनी ज्यादा ताकतों का डर दिखा कर गुलाम बना कर रखना, यही सब हम जानते हैं , लेकिन सिर्फ ऐसा नहीं है, उस तांत्रिक ने आपको आत्मायें वश करना नही सिखाया क्योंकि ऐसा हो ही नहीं सकता, आपकी माई एक पवित्र आत्मा हैं, किसी तंत्र मंत्र से उन्हें वश नही किया जा सकता इसलिए उस तांत्रिक ने दूसरा रास्ता अपनाया , छल का रास्ता, उसने आपकी माँ को ये बताया कि उनके पति ने उनके बेटे यानी कि आपकी हत्या कर दी है, और अब आपकी माई ही आपका प्रतिशोध ले सकती हैं "
दयान - " लेकिन मैं तो बेहोश था , माँ ने मुझे मरा हुआ कैसे मान लिया वो तो अपनी शक्तियों से जान सकती थीं न"
राहुल - " तुम्ही ने तो कहा था जबतक आत्माओ को उनकी शक्ति सिद्ध करके न दिखाई जाए उन्हें उसका ज्ञान नही होता तो तब हो सकता है तुम्हारी माँ को अपनी शक्तियों के बारे में पता ही न हो "
स्नेहा - " हाँ , वो तो आपके मोह में थीं , उन्होंने उस तांत्रिक के कहने पर अपनी दफ़न हुई लाश के बारे में बता दिया और उस तांत्रिक ने वो लाश पैलेस के जमीन की नीचे की मंजिल में एक कमरे की दीवार में दफना दिया और आपकी माई की आत्मा भी उस कमरे में रोज़ अपने साथ हुए अत्याचारो को याद करतीं थीं और अपनी पीड़ा को रोज दोहराती थीं"
रामायणी - " पर इससे क्या हासिल हो जाएगा उस तांत्रिक को "
राहुल - " इससे उस काले कुंड की शक्ति बड़ेगी और शायद शक्तियाँ ही हासिल करना चाहता है वो तांत्रिक"
स्नेहा - " हाँ इसीलिए उस तांत्रिक ने कई आत्माओं को इसी तरह प्रतिशोध की आग में जला रखा है "
नायक - " ताकत के दम पर किसी को वश में रखना समझ आता है लेकिन इस तरह छल से आखिर कब तक किसी को वश में रखा जा सकता है और अब तो उन आत्माओं को अपनी शक्ति का ज्ञान भी है तभी तो उन्होंने राहुल को वो सब दिखाया जो उनके साथ घटित हुआ तो क्या उस तान्त्रिक के छल को वो समझ नहीं पा रहीं , ये बात मेरी समझ नही आ रही"
स्नेहा - " उनके जीवन मे उनके साथ जो अत्याचार हुए वे छल नही थे , सत्य थे , उनकी उस मानसिक और शारीरिक पीड़ा का अंश भर भी हम झेल नहीं सकते पापा, उनकी पीड़ा झूठी नहीं है , स्त्रियां क्या कुछ नही झेलती आईं हैं इस पुरुष प्रधान समाज में , लेकिन हमेशा चुप रहीं, जब उन्होंने खुद अपने हक में आवाज़ उठाई तो दुनिया को नारी शक्ति का अहसास हुआ लेकिन वही ताकतें जो बल से नारी को दबाती आईं हैं जब उन्होंने देखा कि उनका बल नारी की इच्छाशक्ति के आगे कुछ भी नहीं कर सकता तो उन्होंने उसी नारी शक्ति को छलना शुरू कर दिया, नारीवाद की आड़ में नारी को आधे कपड़े पहनने पर मजबूर कर दिया, उसे परम्परा की जिन बेड़ियों से आज़ाद होना था उनके साथ साथ उसे उसके संस्कारों से भी वंचित कर दिया, आधुनिकता के नाम पर नशा पिला कर उसे अंदर से खोखला कर दिया , कभी समाज के नाम पर उसका शोषण होता है कभी करियर की अंधी दौड़ के नाम पर , बल से आज़ाद होने के लिए छल की गुलाम बन जाती है स्त्री , इसी तरह पापा उन आत्माओं के साथ छल हो रहा है, दयान की माई को भी इसी छल में बांध रखा था उस तांत्रिक ने "
राहुल - " इसीलिए उसने हर उस स्त्री की आत्मा को अपने छल में बाँध रखा है जिसके साथ कभी न कभी कोई न कोई अन्याय हुआ है, उनकी पीड़ा का गलत उपयोग कर रहा है वो तांत्रिक"
नायक - " तो आखिर वो आत्माएं चाहती क्या हैं, किस तरह का प्रतिशोध चाहिए उन्हें , दयान की माँ के तो दोनों हत्यारों की बलि चढ़ा दी थी दयान ने ,फिर उनका कैसा बदला बाकी रह गया था जिसका गलत उपयोग करके उस तांत्रिक ने उन्हें छल में बाँध लिया "
स्नेहा - "वो आत्मायें क्या चाहती हैं , मैं नही जानती लेकिन मैंने जब दयान की माई की आत्मा को तड़पते हुए देखा , उन्होंने मुझे अपनी पूरी पीड़ा बताई , तो मैने उन्हें सच बताया कि उनका दयान जिंदा है और जिन्होंने उनके साथ गलत किया , उन्हें उसका दण्ड मिल चुका है, जब तक आप ऐसे ही तड़पती रहेंगीं , दयान कभी सामान्य जीवन नही जी सकेगा , और वो सब समझाया जो दददू ने मुझे और राहुल को समझाया था , उनकी पीड़ा कम हुई, मैंने उन्हें ॐकार का जाप करवाया , इससे उनकी पीड़ा का लगातार चल रहा चक्र भंग हुआ ,उनकी भाव ऊर्जा जो लगतार उनकी पीड़ा और प्रतिशोध में जा रही थी वो वापस मुड़ कर उनकी खुद के ॐ कार स्वरूप की ओर मुड़ी, और वो उस दर्द के और प्रतिशोध के छल से आज़ाद हो गईं , और फ़िर मेरे साथ यहाँ आईं"
राहुल - " जब मैं उन सबकी पीड़ा देख रहा था तो मैं खुद उस पीड़ा में बह रहा था , अगर मैं भी उन्हे सच बताने की कोशिश करता , उन्हें सच बताता तो उन्हें उस दर्द और प्रतिशोध के छल से आज़ाद कर सकता था "
स्नेहा - " शायद हाँ "
दयान - " लेकिन तुमने कहा कि तुमने उस तांत्रिक को अपने वश में किया था "
स्नेहा ( मुस्कुराते हुए ) - " हाँ , वो लौटते समय मुझे जंगल मे ही मिला था , मैं उसे पहचान गई, वो शायद किसी परेशान और पीड़ित लड़की की ही तलाश में जंगल मे घूम रहा था, वो मुझे पहचानता था, हम सबको पहचानता है वो, मैं रोने लगी, मैंने कहा कि मेरी जिससे सगाई होनी थी वो टूट गई, राहुल ने मुझसे रिश्ता तोड़ लिया इसलिए मैं आत्महत्या करने जा रही हूँ "
सब एक दूसरे का मुंह देख रहे थे। बुआ उठकर आईं और स्नेहा को अपने गले से लगा लिया, और गर्व से बोलीं - "देख दयान , बड़ा तांत्रिक बनता है ना तू , और उस बाबा से लड़ने से डर रहा था , मेरी बेटी ने कैसे उसका सामना किया , अक्ल में भी बिल्कुल मुझपे गई है मेरी स्नेहा "
राहुल (गुस्से में ) - " आप ही की हौसला अफजाई की वजह से ये ऐसे काम किया करती है, आप को पता भी है वो बाबा कितना खतरनाक है, अगर स्नेहा को कुछ हो जाता तो, आप इसे डांट लगाने की जगह और बढ़ावा दे रही हैं"
बुआ - " हाँ तो , दूँगी बढ़ावा , मेरी बच्ची किसी से कम है क्या , जब तक खतरों में पड़ेगी नहीं तब तक उनसे लड़ना कैसे सीखेगी, अरे कविता की भी हिम्मत नही जो मेरे और स्नेहा के बीच कुछ बोले , देखो तब से चुप बैठी है, फिर तुम होते कौन हो हम दोनों के बीच बोलने वाले "
राहुल - " मैं इसका होने वाला..... " आगे के शब्द उसके गले मे ही घुट के रह गए, राहुल को समझ ही नही आया आगे क्या बोले बात बदलकर बोला -" ठीक है मैं कुछ नही लगता, कल अगर इसे कुछ हो जाये तब रोइयेगा अपने बढ़ावे के नाम पर "
" नहीं रोऊँगी बेटा , नहीं रोऊँगी, अगर सच के लिए लड़ते हुए ,किसी की मदद करते हुए मेरी बच्ची को कुछ होता भी है तो नहीं रोऊँगी, मरते सब हैं बेटा मौत से डर डरके , मेरी बेटी कायर की तरह नही योद्धा की तरह मर भी जाये तो मैं खुश होऊँगी " बुआ पूरे रोष में बोल रहीं थीं।
" माफी चाहता हूँ लेकिन मैं नहीं होऊंगा खुश अगर स्नेहा को कुछ भी हुआ क्योंकि उसकी गलती नही है, गलती मेरी है, मैं यहाँ सबको लेके आया हूँ इन सबसे लड़ने की जिम्मेदारी भी मेरी है" राहुल बुआ जी के सामने हाथ जोड़कर बोला
" ठीक है मैं कुछ नहीं करूँगी आगे से , ये लीजिये ये उस तांत्रिक ने दिया है मुझे , उसने कहा है कि मुझे इसकी मिलती हुई डिज़ाइन के एक बेंदा, एक बाजूबन्द, कंगन और एक अँगूठी रामायणी जी से चुरा कर उसे देनी हैं" स्नेहा ने एक हार अपने पर्स में से निकाल कर राहुल की तरफ बढ़ाते हुए कहा।
सब फ़टी आँखों से उस हार को देख रहे थे जो कि डिज़ाइन और नग के रंगों के हिसाब से रामायणी जी के सेट से बिल्कुल मिल रहा था जैसे उसी सेट का एक गहना हो।
" लेकिन ये सब करने को क्यों कहा उसने तुमसे " राहुल ने हार लेते हुए पूछा।
" उसने मुझे भी भड़काया कि मुझे आत्म ह्त्या करने की जगह तुम्हारी हत्या करनी चाहिए औऱ इसमे वो मेरी मदद करेगा अगर इस हार से मिलते हुए गहने मैं ले जाकर उसे दे दूँ कल सुबह तक क्योंकि कल रात उसे बहुत बड़ा काम पूरा करना है और उसके बारे में वो मुझे कल सुबह ही बताएगा लेकिन आप टेंशन न लें , मैं नही जाने वाली, मैं इन सबसे बहुत दूर रहूँगी ज्यादा से ज्यादा क्या होगा हम सब यहाँ से भ्रम जाल के जरिये निकल जाएंगे , बाकी पीछे से उन आत्माओं का कुछ भी होता रहे हमें क्या, जब हम जिंदा औरतों के लिए कुछ नही कर सकते तो उनकी आत्माओं के लिए तो कुछ भी नही कर सकते , है ना" स्नेहा ने राहुल से कहा तो राहुल की आँखे नम हो गईं।
राहुल रुँधे हुए गले से बोला - " तुम जाना सुबह उसके पास, लेकिन वादा करो तुम्हें जरा सा भी खतरा महसूस हो तो तुम वापस लौट आओगी "
"वादा मैनेजर साहब , कहो तो एग्री मेंट साइन कर दूँ " स्नेहा ने उसके आँसू पोंछते हुए कहा।
" मेरे ख़याल से हमे आज रात ही सभी रिश्तेदारों को बाहर दूसरे होटल में डिनर के बहाने भ्रम जाल का उपयोग करके यहाँ से निकाल देना चाहिए , और इस गहनों के सेट में से इस हार और कंगन का प्रयोग करके इनसे जुड़ी हुई आत्माओं के बारे में जान लेना चाहिए और अगर संभव हो तो उन्हें आज़ाद करने की भी कोशिश करनी चाहिए , अब तक हम अपनी जान के लिए लड़ रहे थे , लेकिन अब हम इन पवित्र आत्माओं के लिए हर जोखिम उठाएंगे ताकि इनकी पीड़ा का अंत हो सके" दयान ने कहा
सबने सिर हिलाकर सहमति प्रकट की।
नायक जी उठकर रामायणी जी के पास आये और उनके हाथों को अपने हाथों में थामकर बोले - " रमा, मैंने तुम्हें जो पीड़ा और अपमान दिया उसे मैं वापस नही ले सकता लेकिन वादा करता हूँ , इन सभी पवित्र आत्माओं को इनकी पीड़ा से मुक्त करने की हर कोशिश करूँगा, मैं सबसे आगे रहूँगा और बच्चे मेरे पीछे "
सबने इतने दिनों में पहली बार रामायणी जी के आँखों से बहते आँसू में नायक जी के लिए प्रेम और सम्मान के भाव देखे ।
क्रमशः......
2 Comments
Vakai bhut achi soch hai apki story bhut hi achi h dekhte h Kya hota h
ReplyDeleteThanku bhaai ❤️❤️❤️ blessing do aage bhi itna achha likh sku
Delete