कहानी - जल पिशाच ( भाग 11)

लेखिका - आस्था जैन "अन्तस्"




Episode 1 to 10 recap - मुम्बई शहर के एक छोटे से इलाके ग़जरीगांव में बसे सती माई मोहल्ले में रहने वाले बचपन के सात दोस्त वासु , विभूति, संवर, राधे , परी, नेहा और संयोगी साथ मिलकर एक कोचिंग सेंटर चलाते हैं जिसमे एक नया लड़का रवि भी उनके साथ शामिल होता है, एक सुबह उन्हें पता चलता है कि ग़जरीगांव हाईवे पर एक कार में  रवि की हत्या हो गई है और उसके चार अन्य दोस्त भी मारे गए हैं , उन सभी दोस्तों को पूछताछ के लिए पुलिस स्टेशन बुलाया जाता हैं वहाँ उन्हें पता चलता है कि उन्ही के इलाके में अन्य 10 लोगो की लाश मिली है , ये सुनकर इंस्पेक्टर सहित सब दंग रह जाते हैं , उसी रात बच्चों को पढ़ाने के लिए संवर, वासु और राधे ग़जरीगांव हाइवे के पास वाली बस्ती में जाते हैं और विभु को रामशरण के कमरे में छोड़ आते हैं जहां विभु को कंचा नाम के गुंडे से पता चलता है कि सुबह मिली दस लाशें पुलिस कस्टडी से गायब हैं , संवर अपनी बाइक से वापस घर आ जाता है, लेकिन वासु और राधे हाइवे पर किसी प्रेत जाल में फंस जाते हैं जहाँ उन दोनों को रवि और उसके साथियों की मौत की घटना होती दिखाई देती है और उन लड़कियों में से एक को वासु पहचान लेता है ये वही लड़की है जिसे देखने के लिए वो उसकी गली में जाया करता था, दोनो ही बेहोश हो जाते है, संवर और विभु को सुबह तीन बजे वासु और राधे अपने ही मोहल्ले के मन्दिर में बेहोश मिलते है, सुबह सुबह संयोगी उन चारों को आकर बताती है कि उनकी बाइक उस नाले के पास से मिली है जहां 3 नई लाशें बरामद हुई हैं, संवर को सुबह मोहल्ले में बात करने पर पता चलता है कि तीन नई लाशें भी पहले मिली दस लाशों की तरह ही है उनके शरीर मे भी एक बूंद पानी नहीं है , संवर कंचा के साथ वासु और राधे को भगा देता है लेकिन वासु और राधे गायब हो जाते हैं और कंचा विक्षिप्त अवस्था मे मिलता है, लगातार दस दिनों से इलाके में लाशें मिल रही होती हैं लेकिन वासु और राधे का कुछ पता नही चल पाता तब संयोगी सबको ग़जरीगांव हाईवे के फार्महाउस चलने को कहती है, सब दिन ढलते ही वहाँ पहुँच जाते हैं और रात होने का इंतजार करते हैं लेकिन रात होते ही राहिल खन्ना और पिया अपनी टीम के साथ वहाँ पहुँच जाते हैं जहाँ पिया अचानक गिर जाती है और विभु उसे संभाल लेता है लेकिन पिया उस पर गन तान देती है तब विभु और उसके दोस्त उन दोनों पुलिस वालों को सब सच बताते हैं, खन्ना कंचा से वासु और राधे के बारे में पूछताछ करता है। पिया को पता लगता है कि रोज़ सुबह मिलने वाली लाशें कब्रिस्तान से गायब हुई लाशें हैं। संवर और डी एस पी खन्ना रात में हाईवे पर जाते हैं ताकि वे वासु और राधे के बारे में पता लगा सके और पिया एक मुर्दाघर में सुबह मिली दो लाशों पर नजर रखती है ताकि वो पता लगा सके कि रोज शाम ये लाशें कहाँ जाती हैं और उन्हें कौन ले जाता है , विभु भी वहीं आ जाता है और उन दोनों के सामने लाशें फ़र्श पर फैले पानी मे समा जाती हैं और वे दोनों भी उसी पानी में गायब हो जाते हैं और उसी फार्महाउस में पहुंच जाते हैं जहाँ उन्हें वे दोनों सिकुड़ी हुई लाशें फिर से सही रूप में दिखाई देती हैं और वे एक दीवार के अंदर समा जाती हैं, वहाँ पिया और विभु को दस दिन पहले हुए वाकये के बारे में पता चलता है कि किस तरह उस फार्महाउस के मालिक का बेटा अकुल अपने पाँच दोस्तों के साथ अय्याशी कर रहा होता है और अम्बर नाम के लड़के की हत्या कर देता है, एक बर्फ का मानव अम्बर की आत्मा की सहायता करता है और अकुल के साथ साथ बाकी सब को भी उनके किये की सजा देता है , इसके बाद पिया और विभु पुलिस स्टेशन पहुँच जाते हैं जहाँ वो डी एस पी और संवर को अपने साथ हुआ सब कुछ बताते हैं जिससे वे दोनों हैरान रह जाते हैं और ये तय हो जाता है कि इन सब घटनाओं के पीछे किसी शैतानी ताकत का हाथ है, दूसरी तरफ वासु और राधे किसी अनजान लैब में फंसे होते हैं जहाँ उनकी बॉडी पानी की हो रही होती है, पिया उस फार्महाउस के दलदल के पास सबको लेके जाती है , वहाँ उन्हें अम्बर की लाश मिलती है लेकिन वो बर्फ का आदमी नही मिलता, सब घर आ जाते हैं, पिया फोन पर विभु से बात कर रही होती है तब विभु अपने दोस्तों के लिए दुखी होता है और अचानक वासु और राधे के पास उस लैब में पहुँच जाता है, पिया उस वर्फ़ के आदमी द्वारा कहे गए  जलेश्वर के बारे में सोचती है और बर्फ़ की एक अलग ही दुनिया मे पहुँच जाती है, जहाँ एक अजीब से तिकोने कमरे में पिया कैद हो जाती है। विभु और पिया के अचानक गायब हो जाने से संवर और लड़कियाँ सब परेशान हो जाते हैं और खन्ना जी के पास पुलिस स्टेशन आते हैं वहाँ उन लोगों का सामना एक जल पिशाच से होता है जो परी पर हमला करता है, सभी लोग वहाँ से भागते हैं लेकिन कुछ क़ैद गुंडों को बाहर निकालने के चक्कर मे संवर और खन्ना अंदर ही रह जाते हैं और संयोगी उन्हें निकालने के लिए वापस अंदर आती है जहाँ टेलीफोन के जरिये जल पिशाच उस पर हमला करता है , संयोगी डर जाती है और वापस बाहर आकर गाड़ी लेकर थोड़ा दूर निकल जाती है लेकिन तुंरत ही संवर और खन्ना जी का ख्याल आते ही वो गाड़ी मोड़ देती है रास्ते में उसे एक केमिस्ट्री का प्रोफेसर मिलता है जो थाने जाने से मना करता है लेकिन संयोगी वापस थाने जाती है, थाने के बाहर ही उन्हें संवर और खन्ना मिल जाते हैं , खन्ना की हालत खराब होती है , संवर कहता है कि उन्हें फार्म हाउस चलकर विभु को ढूंढने को कहता है, वो प्रोफेसर खन्ना जी को पानी पिलाने से मना करता है वरना वो जल पिशाच बन जाएंगे, संयोगी सबको लेकर फार्म हाउस आती है, खन्ना जी प्यास से तड़प रहे होते हैं और परी उन्हें पानी पिला देती है जिससे उनके सिकुड़े हुए अंग सही होने लगते हैं और वो सो जाते हैं , प्रोफेसर कहता है कि सुबह के तीन बज चुके हैं इसलिए खन्ना जी से उन लोगो को फिलहाल कोई खतरा नही है और वो बाकी सब को सोने की कहकर खुद भी सो जाता है , सब लोग बेहद डरे हुए होते हैं और दूसरी तरफ़ पिया उस तिलिस्मी दुनिया मे उस तिकोने कमरे से बाहर निकलने में सफल रहती है और उसे पता चलता है कि वो एक जल संरक्षक है हालांकि पिया इसका मतलब नही समझ पाती है उसे आगे एक पहाड़ में कई सीढ़ियां चढ़कर एक और तिलिस्म को तोड़ना पड़ता है , उसके बाद वो एक अजीब सी नीली बर्फ़ सी किताबो के बीच मे फँस जाती है जहाँ उसे बेहोश विभु मिलता है अब आगे ....


पिया - " विभु ......., उठो विभु, विभु ...., उठो यार" 

पिया ने विभु को होश में लाने की बहुत कोशिश की लेकिन वो नाकामयाब रही, आख़िर में थककर पिया ने अपने दोनों हाथ अपने सिर पर रख लिए और अपने घुटनों में मुँह छिपाकर सुबकने लगी। 

उसके आँसु उस हिमखंड पर गिर रहे थे और तीन रंग मोतियों में बदल रहे थे जिनमें बैगनी , जामुनी और नीले रंग थे , पिया को उस हिम खंड में फिर से कम्पन महसूस हुआ और वो डर के मारे इधर उधर देखने लगी , पानी मे तैर रही नीली किताबें उसके हिम खंड की ओर बढ़ रही थीं और उनके टकराने से हिमखंड हिल रहा था , पिया घबराने लगी उसने विभु की ओर देखा वो उसी तरह उसके हिमखंड पर बेहोश पड़ा हुआ था , पिया ने अपने आस पास पड़े हुए कई सारे तीन रंग के मोतियों को देखा जो उसी हिमखंड में गायब हो रहे थे लेकिन पिया को उसकी चिंता नही थी वो विभु के लिए परेशान थी। उसने विभु को फिर से उठाने की कोशिश की लेकिन इस बार भी वो नही उठा तो पिया और ज्यादा रोने लगी और कहने लगी - " तुम्हें क्या हुआ है विभु , मैं कैसे ठीक करूँ तुमको " 

पास ही की एक किताब से आवाज़ आई - " इस जल संरक्षक पर जल पिशाचों ने प्राणघातक प्रहार किया है , तुम अपने जम्बुमणि से इसे स्वस्थ कर सकती हो " 

पिया को जम्बुमणि का मतलब समझ नही आया , काफी सोचने के बाद उसे ध्यान आया कि पहाड़ से निकलते वक्त उसे जामुनी रंग का पत्थर मिला था जो यहाँ आते ही ग़ायब हो गया था , पिया ने अपने जीन्स की पॉकेट में औऱ आस पास सब जगह देखा लेकिन उसे कुछ नही दिखा, उसने विभु के कंधे पकड़ कर उसे हिलाया ताकि वो उठ सके लेकिन वो नही उठा इस दौरान पिया की नजर उसके सिर के पास गई जहाँ बिल्कुल हल्का सा कुछ चमक रहा था , पिया ने विभु का सिर उस जगह से थोड़ा हटाया तो उसे वो जामुनी पत्थर दिख गया , पिया ने तुरन्त उसे लेकर विभु के सिर पर रख दिया लेकिन कुछ नहीं , पिया ने उसकी आँखों पर , चेहरे पे,  हाथ पर कई बार उस पत्थर को लगाया लेकिन कुछ भी नही हो रहा था , उसे समझ नही आ रहा था कि वो किस तरह इस पत्थर का प्रयोग करे ताकि विभु होश में आ जाये ।

पिया ने उस किताब की ओर देखकर कहा - " आपने ये तो बता दिया कि इस पत्थर से विभु होश में आ जायेगा लेकिन किस तरह से क्या करूँ मैं इस पत्थर का ..." 

कहीं से कोई उत्तर नहीं आया, पिया निराश हो चुकी थी, उसके हिमखंड में कंम्पन भी बढ़ता जा रहा था , एक जगह हल्की दरार भी आ गई थी, पिया अब बिल्कुल पागलो की तरह चारों तरफ देख रही थी , क्या करे क्या न करे कुछ समझ नही आ रहा था , अगर हिमखंड टूट गया तो वो इन नीली किताबों के समुद्र में ही डूब जाएगी, यहाँ से निकलने का कोई तरीका उसे नहीं सूझ रहा था , उसका एक मात्र सहारा बर्फ़ की शिला वो खुद ही अब बुरी तरह काँप रही थी और उसमें दरारें पड़ रही थी, एक जोर का झटका उसमें लगा और वो जामुनी पत्थर पिया के हाथ से झिटक कर विभु के होंठों को छूता हुआ एक नीली किताब पर जा गिरा ।

पिया ने देखा कि विभु को होश आ रहा था। जिस नीली किताब पर वो जामुनी पत्थर गिर पड़ा था वो उसी में समा गया और किताब उड़ते हुए पिया की गोद मे आ गई, उस डायरी जितने आकार की किताब को पिया ने छुआ और उसके हिमखंड में हो रहा कम्पन बन्द हो गया लेकिन उसमें अब भी दरारें थीं और उसके किसी भी पल टूट जाने का डर बना हुआ था, पिया ने उस किताब को खोला तो पहले ही पन्ने पर नीले रंग की स्याही स लिखा पाया " सच्चा स्नेह हर रिश्ते की दरार को भर देता है और रिश्तों को आगे तक ले जाता है" 

पिया ने देखा कि हिमखंड की तिरकन बढ़ती जा रही थी, पिया ने सोचा - " शायद किताब में लिखी बात इस बर्फ़ के पत्थर के लिए है, लेकिन मैं इसकी दरारें कैसे भरूँ" 

" पिया ........, " विभु होश में आ चुका था और पिया को अचम्भे से घूर रहा था। पिया ने भी एक नजर उसकी तरफ़ देखा और हिमखंड को ठीक करने के उपाय के बारे में सोचने लगी, पिया की नजरों का अनुसरण करते हुए पहले तो विभु ने उस हिमखंड को देखा जिस पर वो लेटा हुआ था फिर आस पास फैले पानी के अनन्त समुद्र में तैरती कई सारी किताबों को और इतना सब देखकर वो फिर बेहोश होते होते बचा।

" हम कहाँ हैं पिया,ये सब क्या है" विभु ने उससे घबराते हुए पूछा।

" मुझे नही पता , थोड़ी देर चुप रहो प्लीज़" पिया ने उसे गुस्से से घूरते हुए कहा।

" मुझ जैसे प्यारे बच्चे पर रहम खाओ, वहाँ वो भूत थे यहाँ ये सब , आखिर चल क्या रहा है , मैं जिंदा तो हूँ न , ओह भगवान कहीं मैं मरकर स्वर्ग में तो नही आ गया , क्या मैं देव बन गया हुँ, तुम मेरी देवी हो क्या , अरे वाह फिर तो तुम्हे मुझे किस करना चाहिए " विभु ने खुशी से चहकते हुए कहा, उसकी बात सुनकर पिया ने उसे खा जाने वाली नजरों से देखा लेकिन अगले ही वो मुस्कुरा उठी , उसने विभु से कहा - " थैंक्यू इडियट" 

विभु कुछ समझ नही पाया, पिया ने उस हिमखंड पर हाथ फेरते हुए कहा - "मुझे नही पता कि मैं किस जगह हूँ , यहाँ से कैसे निकलूँगी लेकिन अभी तक तुम ही मेरे साथ थे और मुझे पूरा भरोसा है कि तुम आगे भी मेरे साथ रहोगे, शुक्रिया एक सच्चे दोस्त की तरह इस अनजान जगह मेरे साथ रहने के लिए" 

पिया ने उस हिमखंड को चूम लिया और उसकी सारी दरारें भर गईं , पिया खुश हो गई और विभु बेवकूफ की तरह सिर पकड़ कर सब तमाशा देख रहा था ।

पिया ने दुबारा उस किताब को खोला और कहा - " मैं इस किताबों के समुद्र में से बाहर कैसे निकलूँ" 

उसे किताब के पन्ने पर नीली स्याही से लिखा हुआ एक वाक्य दिखा - " अथाह संसार समुद्र में जीव ही स्वयम का मार्गदर्शक है " 

पिया को कुछ समझ नही आया , वो इस वाक्य का मतलब समझने की कोशिश कर रही थी और विभु उसे सवालिया नजरो से घूर रहा था जब पिया ने उसे देखा तो बोला - " मैडम, चल क्या रहा है कुछ बताइये "

पिया - " पहले तो तुम बताओ, तुम यहाँ कैसे आये "

विभु- " मैं तो तुमसे फ़ोन पर बात कर रहा था और मुझे अपने दोस्तों की याद आ गई, फिर मुझे अपने सामने वासु और राधे किसी पिंजरे में कैद दिखे और कुछ ही पलों में पता नही क्या हुआ कि मैं एक अजीब सी जगह पहुँच गया, वहाँ बहुत सारे पिंजरे थे , जिनमें इंसानी लाशें थीं और उन्ही में से एक मे वासु और राधे थे, उन दोनों ने मेरी तरफ देखा लेकिन तब तक मेरे पीछे कई सारे शैतान आ गए उन सबने गन्दगी से सने कपड़े पहन रखे थे और उन कपड़ो में से उनके गन्दे मरियल चेहरे और हाथ बाहर निकल रहे थे, उन सबने एक साथ अपने हाथ मेरी तरफ़ बढ़ाये और मेरा दम घुटने लगा , मुझे बस लगा कि मैं मरने वाला हूँ , आखिरी बार मुझे तुम्हारा ख़याल आया और पता नही फिर क्या हुआ मैं यहाँ आ गया , पर ये है कौन सी जगह, क्या सच मे हम दोनों मर गए हैं और स्वर्ग में आ गए हैं "

पिया - " मुझे नही पता, तुम्हारा फ़ोन कट होने के बाद मैं उस बर्फ़ के आदमी और उसकी कही हुई बातों के बारे में सोच रही थी, उसने ऊपर चेहरा करके किसी जलेश्वर से बात करने की कोशिश की थी न, मैं उसी जलेश्वर के बारे में सोच रही थी, अचानक एक धक्का से लगा और मैं इस बर्फ के पत्थर पर आ गई, आस पास सब बर्फ़ के पहाड़ थे , नदियाँ थीं जिनमे मैं तैर रही थी, ये बर्फ़ का पत्थर मुझे एक बहुत बड़े से बर्फ के पर्वत पर चढ़ा कर ले गया उसके ऊपर जाकर मैने अपनी आँखों से अंतरिक्ष को देखा, और वहाँ से वापस आकर मैं एक तिकोने कमरे में फँस गई, वहाँ से निकली तो एक पहाड़ के अंदर गई और वहाँ से यहाँ आ गई और यहाँ तुम मिले , मुझे तो लगता है कि हम दोनों आम इंसान ही नही रहे हैं , शायद ... जिस बारे में सोचते हैं वहीं पहुँच जाते हैं, पता नही हम कहाँ फँसे पड़े हैं और वहाँ डैडू अकेले सब कुछ कैसे संभाल रहे होंगे " 

विभु - " मैंने बेहोश होते वक्त सुना था वो सब शैतान मुझे जल संरक्षक कह रहे थे " 

पिया - " हाँ , उस कमरे से निकलने के बाद मुझे भी कहीं से आवाज आई थी कि मैं जल संरक्षक हूँ लेकिन मुझे इन सबका मतलब नही पता "

विभु - "मेरे ख्याल से हम किसी तिलिस्मी दुनिया मे है , और यहाँ शायद वो जलेश्वर नाम का आदमी रहता है ,उससे मिलने के लिए हमें एक एक करके इन सारी जादुई मुसीबतों को पार करना पड़ेगा " 

पिया - " हाँ लगता तो ऐसा ही है लेकिन जैसे अपने सोचने की वजह से हम यहाँ आये हैं वैसे ही यहाँ से बाहर भी तो जा सकते हैं न, वैसे भी उस जलेश्वर से मिलने से ज्यादा जरूरी अपने शहर को बचाना है " 

विभु - "तो फिर सोचो न, अपने पापा के बारे में सोचो , चलो हम दोनों साथ सोचते हैं , जैसे पिछली बार एक साथ थाने पहुँच गए थे वैसे ही अभी पहुँच जाएंगे " 

पिया ने सहमति में सिर हिलाया और विभु का हाथ पकड़ लिया उन दोनों ने खन्ना जी के पास जाने का सोचा, उन्हें एक झटका से लगा , थोड़ी देर बाद दोनों ने आँखे खोलीं और खुद को ...... वापस उसी जगह पाया, दोनों ने अपने सिर पीट लिए।

विभु - " हे भगवान , हम तो यहीं फँसे पड़े हैं "

पिया - " हाँ , लगता है हम इस जादुई दुनिया से बाहर नही जा सकते, हमे इन मुसीबतों से जूझना ही पड़ेगा " 

विभु - " ठीक है तो फिर चलो वहीं जहाँ तुम्हारी ये चम्पो ले जाये " 

पिया - " क्या ......, कौन चम्पो "

विभु - " यही, ये तुम्हारा बर्फ़ का तैरता हुआ पत्थर जिसे तुमने अभी लाड़ लड़ाया था "

पिया- " तुम पागल हो सच मे, अच्छा ये देखो , इस किताब में शायद पहेलीनुमा जवाब मिलते हैं हमारी मुश्किलों के , इस किताबो के समुद्र से बाहर निकलने की ये पहेली है -अथाह संसार समुद्र में जीव ही स्वयम का मार्गदर्शक है " 

विभु गहरी सोच में पड़ गया , उसके चेहरे पे गहन समझदारी के भाव आये और वो मुस्कुराया।

पिया - "क्या हुआ कुछ समझ आया क्या "

विभु - " नहीं , मैं तो ऐसे ही मुस्कुरा दिया ये सोचकर कि तुम मेरे साथ हो और भी अकेले " 

पिया ने गुस्से में उसे धक्का मार दिया और विभु उस हिमखंड यानी कि चम्पो से नीचे सरक कर उस समुद्र में गिर पड़ा और पिया जोर से चिल्ला पड़ी ।

क्रमशः .....