जल पिशाच (भाग 15)
पिया और विभु दोनों चलते चलते थके जा रहे थे।
विभु एक जगह रुक गया और हरी घास पर पसर गया, जब पिया ने उसे साथ चलता नही पाया तो पीछे मुड़कर देखा और उसे घास पर बेसुध पड़ा देख अपना माथा पीट लिया।
" इतनी भारी किताब मैने उठाई हुई है और बराबर चले जा रही हूँ और तुमसे खुद ही नही चला जा रहा है, खड़े हो फ़टाफ़ट और चलो जल्दी"
" मैं आपके हाथ जोड़ता हूँ सब इंस्पेक्टर साहिबा , मुझसे न हो पायेगा अब, या तो आप चम्पो को बुलाइये या फिर इस किताब में देखकर बताइये कि कितना चलना बाकी है"
"देखो चम्पो अपने हिसाब से आती है मेरे बुलाने से नही आती और हमे नही पता कि इस किताब के आंसर देने की लिमिट कितनी है, अगर हमने बेफिजूल के सवालों में इसे यूज़ कर लिया तो शायद जब सच के जरूरत हो तब ये हमारी मुश्किल का जवाब ही न दे"
"तो तुम जाओ मैं इसी आरामदायक घास पर लेटा हूँ , मैं नही चल सकता अब"
" मतलब हमेशा फ़्लर्ट ही करते रहते हो जब साथ निभाने की बात आई तो पीछे हट गए"
" मैं बेवज़ह फ़्लर्ट नहीं करता और अब साथ निभाने वाली बात करी तो चल रहा हूँ और जब तक दम है तब तक चलूँगा "
" देखते है पर पहले उठो तो सही, अरे उठो न "
" यार ये घास तो चिपक गई यार , अबे यार ... शिट शिट शिट शिट "
विभु पूरी कोशिश कर रहा था लेकिन उठना तो दूर वो हिल भी नही पा रहा था। पिया उसे उठाने के लिये आगे बढ़ी लेकिन उसके पैर भी जम चुके थे और वो आगे नही बढ़ पा रही थी।
" कुछ करो यार पिया, ये क्या हो रहा है"
" हड़बड़ाते बहुत हो तुम, मुश्किलें आएंगी तभी तो आगे बढेंगे न, सब्र रखो "
पिया ने उस किताब को खोला और पूछा - " हम लोग इस मैदान की घास से चिपक गए हैं, इससे कैसे अलग हों "
किताब के पन्ने पर नीले रंग की स्याही उभरी और हरे रंग की एक पत्ती में बदल गई और थोड़ी ही देर बाद गायब हो गई।
" क्या हुआ पिया , क्या पहेली मिली है, बताओ कुछ, अरे यार बोलो न जल्दी तब तो इस घास से आज़ादी मिले"
" कोई पहेली नही है विभु, एक हरे रंग की पत्ती आई है बस "
" अबे यार , पत्ती का क्या करें कूट के चाय बना के पी लें , कोई ढंग का जवाब देना था न, अब डबल मुसीबत बढ़ा दी, या.....ह , उफ्फ, मैं तो जिंदगी भर यहीं चिपका रहूँगा यार "
" इतनी जल्दी निराश मत हो प्लीज़, तुम शायद भूल रहे हो कि हम दोनों जल संरक्षक हैं और हमारे पास कुछ शक्तियाँ भी हैं जिनसे हम शुरू शुरू में डर रहे थे, हमे सोचना पड़ेगा और वो भी शांत दिमाग से कि हम कैसे यहाँ से बाहर निकले, भूलो मत विभु पूरा शहर और पूरी दुनिया बर्बाद हो जाएगी अगर हमने कोशिश करना छोड़ दिया "
"हाँ अब तुम प्रवचन दो, खुद के सिर्फ पैर फँसे हैं न इसलिए मेरी तो पूरी बॉडी चिपक गई है, हिल भी नही पा रहा हूँ, और मुझे इतना गुस्सा क्यों आ रहा है , मुझे कुछ समझ नही आ रहा मुझे बस यहाँ से बाहर अपने दोस्तों के पास जाना है बस "
" तुम्हारे दोस्त वहाँ रामशरण भैया के टी स्टॉल पर बैठे चाय नही पी रहे विभु, वो सब भी वहाँ मुसीबत में हैं और तुम्हे एक जिम्मेदारी मिली है एक मौका मिला है उन्हें बचाने का, जो भी नेगेटिव थिंकिंग तुम्हारे अंदर आ रही है उससे लड़ो विभु और सोचो कि हरी पत्ती का क्या मतलब है"
" रामशरण भैया....., हम सबके राम शरण भैया, लगता है जैसे सदी बीत गई उनसे मिले हुए उनके हाथ की चाय पिये हुए , न जाने वो कैसे होंगें"
बीते खुशनुमा दिनों की याद में विभु सिसक पड़ा, उसे वो सब दिन याद आ रहे थे जब वो सातों दोस्त साथ सारे काम करते थे, अपनी कोचिंग चलाते थे, गन्दी गरीब बस्तियों में जाकर लोगो की मदद करते थे, रामशरण भैया के स्टॉल पर साथ मे चाय पीते और गप्पे लड़ाते, मोहल्ले के सती माई मन्दिर में साथ साथ दर्शन करते पूजन करते, अचानक सारी खुशियों को ग्रहण लग गया और धीरे धीरे सब बर्बाद होता चला गया।
" सब बर्बाद हो चुका है पिया, राम शरण भैया हम सबको अपने बच्चे की तरह समझते थे लेकिन इस मुश्किल में उनके बच्चे उनसे दूर हैं कितने परेशान होंगे वो क्या पता जिंदा भी होंगे या ...... "
विभु की रुलाई फूट पड़ी।
" उन्हें पता है कि उनके बच्चे जहाँ भी होंगें , मुश्किलों से लड़ रहे होंगे, तुम सबके कारनामो के बारे में सुना है मैंने, पूरे दिल से अपना सोशल वर्क करते थे न तुम लोग, सोचो विभु , चार पैसे ज्यादा कमाने के किये आदमी क्या कुछ गलत नही करता, और आज की जनरेशन तो दिखावे की दुनिया में ही जीती है , किसे पड़ी है गरीब बस्तियों में सड़ने वाले लोगो की, लेकिन तुम लोग उन सबसे अलग थे, इसीलिए तो तुम्हे ये मौका मिला है विभु बाकी सबको बचाने का, ये मौके हर किसी को नही मिलते विभु और हर बार नही मिलते "
" मैं हम सातों दोस्तो में सबसे ज्यादा डरपोक था , परी और नेहा से भी ज्यादा डरपोक, इसलिए सब मेरा खास ख्याल रखते थे। सबसे ज्यादा संवर, वो तो हम सबके लिए परेशान रहता और मोहल्ले वालों की भी उसे पूरी फिक्र रहती थी, सबकी ही मुसीबतों में मदद करने पहुँच जाता था, ये हमारा सोशल वर्क उसी की मेहनत का नतीजा था, अभी भी वो सबकी मदद करने में ही जुटा होगा ये मुझे पक्का पता है, फिर मैं यहाँ कैसे हार मान सकता हूँ, हम यहाँ से जरूर निकलेंगे पिया "
" वेरी गुड विभु, वेरी गुड"
" हरी पत्ती क्या क्या कर सकती है पिया, पौधे के लिए खाना बनाती है प्रकाश संश्लेषण के जरीये और पौधे
के हर हिस्से तक पोषण पहुचाती है"
" हाँ , हरी पत्तियां सब्जियों के और दवाई के रूप में यूज की जाती हैं और कईयों के मसाले भी बनते हैं "
" हरी पत्ती की मेंहदी बनती है, चाय बनती है लेकिन इन सब चीजो से हमारे चिपकने का क्या कनेक्शन हो सकता है"
" पता नही विभु, शायद कुछ और चीज हो, अ....., हरी पत्तियों पर ऑक्सीजन भी मिलती है "
" ये सब फैक्ट कोई काम नही आ रहे यार, कुछ और सोचते हैं, हरी पत्तियां देखकर मन को शांति मिलती है, प्रकृति से जुड़ाव महसूस होता है"
" हाँ विभु, हरियाली हमारे जिंदा होने का अहसास करवाती है, जीवन का प्रतीक है ये हरियाली"
" और .... अह..... ओह, वाओ , अमेजिंग, अनबिलीवेबल, हमने कर दिखाया पिया हमने कर दिखाया"
पिया हर विभु अब हरी घास से आज़ाद थे और बहुत खुश भी थे।
पिया चहकते हुए बोली - " अब समझ आया मेरे, हर बार हमें एक रंग के गुणों से जुड़े हुए हालात दिए जाते हैं"
" हाँ, और रंगों का क्रम भी तो देखो, इंद्रधनुष के रंगों की तरह ही हैं"
"अरे हाँ , और इंद्रधनुष तो बारिश की बूंदों की वजह से बनता है और हम दोनों जल संरक्षक हैं, ये रंग हमसे जुड़े हुए हैं , इन मुश्क़िलों के जरिये हम इन सातों रंगों के गुणों को भी समझते और अपनाते जा रहे हैं , शायद सातवे रंग की मुश्किल को पार करने के बाद हमें वो दिखाई दे जिससे मिलने मैं यहाँ आई थी"
" तुम किसकी बात कर रही हो पिया"
"अरे इडियट, मैंने बताया था न, मैं जलेश्वर के बारे में सोच रही थी और यहाँ आ गई, मतलब तीन और मुश्किले पार करने के बाद हम जलेश्वर से मिल सकते है और शायद उनके पास जल पिशाचो को खत्म करने का कोई न कोई उपाय मिल जाये"
" बहुत खूब, लेकिन अब आगे क्या करे, अब कहाँ जाना है"
विभु के इतना कहते ही वो हिमखंड वहाँ प्रकट हो गया।
" ये लो आ गई हमारी चम्पो, ये ले जाएगी हमे अगली मुश्किल तक"
दोनो लोग उस पर सवार हो गए और वो हिमखंड उस हरी घास के अंदर धसकने लगा ।
वो दोनों जमीन के अंदर जाते जा रहे थे, चारो तरफ अंधेरा था, गहरा काला अंधेरा ......
.....
" तुम पागल हो गई हो नेहा, हम दोस्त हैं, ये कुछ शैतान तुम्हे वश में करने की कोशिश कर रहे है और तुम इनकी बात सुन रही हो, हमारी दोस्ती इतनी कमजोर नही है नेहा, होश में आओ "
संयोगी चिल्ला रही थी लेकिन नेहा कुटिलता से मुस्कुराते हुए दरवाजे की तरफ़ बढ़ने लगी।
जैसे ही उसने दरवाजा खोला , थॉमस हड़बड़ाते हुए अंदर आ गया और नेहा को परे धकेल कर दरवाजा बंद करने लगा।
"तेरी इतनी हिम्मत ..." नेहा उस पर झपटने को हुई लेकिन संयोगी ने तब तक उसे धक्का देकर गिरा दिया और उसके चेहरे के ऊपर बेड की चादर डाल दी।
हालात समझने के बाद थॉमस ने भी संयोगी का साथ दिया और बेड पर बिछे कपड़ो की रस्सी बनाकर नेहा के हाथ पैर बाँध दिए।
थॉमस ने संयोगी की तरफ देखते हुए कहा
" तुम ठीक हो न बेटा"
" हाँ , मैं ठीक हूँ , वो नीचे ...."
" हाँ हाँ, जब मैं नीचे गया तो होस्पिटल का मेन गेट बाहर से लॉक्ड था , शायद खन्ना ने अपनी पावर्स से लॉक किया था, वो बाहर के जल पिशाच अंदर नही आ सकते वो गेट से दूर खड़े हैं, वो उस गेट को पार करके नही आ सकते इसलिये नेहा को यूज करने की कोशिश कर रहे हैं, इसे काबू में रखना होगा"
" हॉस्पिटल के अंदर भी कोई है क्या "
" नहीं मैं देख के आया हूँ सारे वार्ड खाली पड़े हैं, जो कुछ लाशें हमे आते वक्त दिखी थीं अब वो भी नही है, शायद खन्ना उन्हें हटा कर गया होगा ताकि हम तीनों यहाँ सेफ रहें"
" आपके तो सुर ही बदल गये, अभी तो आप कह रहे थे कि ..."
" नही नही, वो शायद उन जल पिशाचो ने मेरे दिमाग को अपने कब्जे में करने की कोशिश की थी, लेकिन मेन गेट तक आते आते मैं एक स्ट्रेचर से टकराया और गिर पड़ा और उनका वो कब्जा खत्म हो गया मेरे दिमाग से, फिर उन्होंने नेहा को कब्जे में करना शुरु कर दिया, मुझे बहुत अचंभा हो रहा है कि तुम पर वो कैसे कब्जा नही कर पा रहे"
" मुझे नही पता, अब हम नेहा का क्या करें , ये हमारे कंट्रोल से बाहर हो गई तो या उन जल पिशाचो ने इसे कोई नुकसान पहुंचाया तो .."
" नही नही, उनके पास नेहा ही अब एक जरिया है इस बिल्डिंग के अंदर आने का , वो इसे कुछ नही करेंगे, एक काम करो खिड़की भी बन्द कर दो ताकि नेहा से उनका संपर्क थोड़ा कमजोर हो सके"
संयोगी ने खिड़की भी बन्द कर दी। नेहा और भी ज्यादा छटपटाने लगी थी।
" आपको इन जल पिशाचो की मदद नही करनी चहिये थी"
" जानता हूं, लेकिन अब मै अपनी गलती सुधारना चाहता हूँ, मुझे फार्महाउस जाना है, उस अदृश्य लैब में रखी अपनी किताब फिर से हासिल करनी है , उसमे इन पिशाचो को बनाने की प्रोसेस लिखी थी लेकिन इन्हें खत्म करने की प्रोसेस नही लिखी थी इसका मतलब है कि इन्हें बनाने की प्रोसेस में ही इनके खत्म होने का कोई राज़ जरूर होगा"
"लेकिन अभी हम यहाँ से बाहर नही जा सकते"
" हाँ , मगर वहाँ उस लैब में कोई है जो हमारी मदद कर सकता है"
" कौन ...., जब हम सब वहाँ गए थे तो वहाँ कोई नही था "
" वो ... वो दो लड़के हैं, जल पिशाच उन्हें अपना गुलाम बनाना चाहते थे लेकिन वो दोनों जलमानव बन गए थे और अगर वो अभी तक खुद को उन जल पिशाचो का गुलाम बनने से बचा पाए होंगें तो वो हमारी मदद जरूर कर सकते हैं "
" किन दो लोगों की बात कर रहे हैं आप "
" उनके नाम ......, नाम बताए थे उन्होंने, क्या नाम थे ..... अ... हाँ, राधे और वासु , हाँ यही नाम थे "
संयोगी धम्म से जमीन पर बैठ गई उसने अपने हाथों से अपने चेहरे को छुपा लिया और जोर जोर से रोने लगी।
" रो मत संयोगी सब ठीक हो जाएगा, हम कोशिश कर सकते हैं , प्लीज़, तुम लोग ही तो बचा कर लाये थे उस रात मुझे, इतना बड़ा अपराध करने के बाद भी मैं जिंदा बच गया क्यों, क्योंकि शायद मैं ये सब खत्म भी कर सकूँ" थॉमस ने पश्चाताप भरे शब्दो मे कहा।
" क्या मैं उन दोनो से मिल सकती हूँ"
" वो , वो अभी कैद हैं, उसी लैब में, हमें उनसे जुड़े किसी पर्सन को ढूढना पड़ेगा, जो उनकी फेमिली या फ्रेंड सर्कल में हो उन्ही के जरिये उनसे बात हो सकती है"
" वो दोनों हमारे ही दोस्त थे "
" वो तुम्हारे दोस्त हैं, ओह , सॉरी बेटा , एक आदमी का स्वार्थ कितनों की जिंदगी बर्बाद कर देता है ये आज पता चला है"
"आप बताइए क्या करना होगा मुझे उनसे बात करने के लिए"
" मेरे बनाये एक चक्र में बैठना होगा और वैसा ही करना होगा जैसा मैं कहूँ"
थॉमस ने एक सर्जिकल चाकू से अपने हथेली से खून निकाला और कमरे के एक कोने में जाकर उस टपकते खून से एक गोला बना दिया।
हाथ मे पट्टी बांधने के बाद थॉमस ने उस गोले में संयोगी को बैठाया और कुछ मंत्र बुदबुदाने शुरू कर दिए, संयोगी को चक्कर आने लगे थे, अजीब सी घुटन और बदबू के अहसास उसे हो रहा था जैसा कि थॉमस की उस लैब में महसूस हुआ था।
संयोगी के पूरे दिमाग मे खून इतनी तेजी से दौड़ रहा था कि उसे करंट लगने का अहसास हो रहा था।
" उस समय के बारे में सोचो जब तुम सभी दोस्त साथ थे और कोई पवित्र कार्य कर रहे थे, ऐसा कोई अच्छा और जनहित का काम याद करो जिसमे तुम सबकी भागीदारी रही हो, सोचो संयोगी, अपनी पूरी मेंटल पावर का यूज करो, ये मेरे लाल खून का घेरा तुम्हे मेरी बनाई लैब तक ले जाएगा, वहाँ पर राधे और वासु स मिलने के लिए तुम्हे उनके साथ किये अच्छे कार्यों के बारे में सोचना होगा तभी वो तुम्हे दिख सकेंगे "
थॉमस ने संयोगी से कहा और मन्त्रो का उच्चारण फिर से शुरु कर दिया।
अचानक उन्हें अपने गले में एक फंदा सा कसता हुआ महसूस हुआ , उन्होने आँखे खोलीं तो उन्हें अपने सामने काली आँखों से घूरती हुई नेहा दिखाई दी जिसने कस के उनका गला दबाया हुआ था।
क्रमशः.....
2 Comments
Ek Rasta najar aaya tha ki vo bt Kar sake apne dosto ne Neha ne phr we tang ada li dekhte h aage Kya hota hai
ReplyDeleteNeha bechari ko iski bdi sja milegi
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