Morning motivation 1


Morning motivation-1

"नाक कटवा दी" 

सुबह सुबह बालकनी में जाना मेरा पसन्दीदा काम है। मेरे घर के सामने एक मंदिर है और सबसे पहले उसके सामने जाकर सिर झुकाना मुझे बहुत ऊर्जा देता है। मन्दिर के अलावा मोहल्ले की अन्य गतिविधियों पर भी नजर पड़ ही जाती है। बगल के घर के तीन बच्चे सवेरे सवेरे सायकिल चला रहे थे। उनमें जो सबसे बड़ी लड़की थी वो बड़े आराम से और अच्छे से सायकल चला रही थी। एक और अंकल जी अपनी बेटी को सायकल चलाना सिखा रहे थे। अब चूंकि उनकी बच्ची अभी सायकल चलाना सीख रही थी इसलिए बार बार उसका संतुलन बिगड़ जाता था। एक दो बार गिर भी जाती थी।  झुंझलाए हुए अंकल जी बच्ची पर बरसने लगे - "कितनी बार कहा है हैंडल ठीक से पकड़ा करो, हर बार बैलेंस बिगड़ जाता है तुम्हारा, तुमने नाक कटवा दी मेरी" 
मेरे तो जैसे कान ही सुन्न हो गये । ये इतनी छोटी बच्ची के सायकल सीखने में इन अंकल की नाक कैसे कट गई। फिर मेरी समझ आया कि बगल वाली लड़की अच्छे से सायकल चला रही थी और उनकी खुद की बच्ची सायकल नही चला पा रही थी। 
इसलिए अंकल जी को इसमें अपनी बेइज्जती महसूस हो रही थी। और उनके अनुसार उनकी नाक कट चुकी थी। 
मैंने उनकी बेटी को देखा वो बगल वाली लड़की को घूर घूर कर देख रही थी और उसका बैलेंस और भी ज्यादा बिगड़ रहा था। 
वहाँ कोई ये कहने वाला नही था कि इन दोनों बच्चियों में प्रतियोगिता होनी है। क्योंकि वहाँ कोई था भी नही सिवाय कुछ बच्चों और उन अंकल जी के। 
एक बच्ची सायकल चलाना जानती है और दूसरी अभी सीख रही है, इनके बीच किसी तरह की प्रतियोगिता सम्भव भी नही हो सकती। और नाक कटने का तो कोई मुद्दा बनता ही नही है। 
हमारे सोचने का तरीका इतना संकीर्ण हो चुका है कि अब हमे अपनी नाक कटवाने के लिए चार लोगों की भी जरूरत नहीं है। हम खुद ही अपनी नाक के आगे उस्तरा धरे बैठे रहते हैं और यही सीख अपने बच्चों को दे रहे हैं। 
वो बच्ची अभी सायकल चलाना सीख रही है, लेकिन सीखने के बजाए प्रतिस्पर्धा और अपमान सम्मान से उसका सामना हो रहा है। आगे ये बहुत कुछ करेंगें लेकिन कहीं से भी कुछ सीखने की कोशिश भी करेंगे तो वही प्रतिस्पर्धा और अपमान मतलब की नाक कटने का डर इनको रोक लेगा। 
नाक कटने के डर का कॉन्सेप्ट बस इतना सा है कि जब आप किसी भी परिस्थिति में हैं, पढ़ रहे हैं या जॉब की तैयारी कर रहे हैं या बिजिनेस कर रहे हैं या घर चला रहे हैं या फिर कुछ भी कर रहे हैं, अगर आप उस परिस्थिति या काम से जूझ कर कुछ सीख पाते हैं तो आप सफल हैं, आपकी नाक सलामत है। हारने या जीतने से, चयनित होने या नकारे जाने से नाक का कोई लेना देना नही हैं ।
आप सीखिए और दूसरों को भी सीखने दीजिये। सुबह उठिए कुछ नया सीखने के संकल्प के साथ। परिस्थितियाँ और समय, कार्य और संघर्ष बदलते रहेंगें लेकिन सीखना हमेशा जारी रहेगा। नाक को उसकी खुद की किस्मत मत छोड़ दीजिये और बेफ़िक्र होकर सीखिए जितना सीख सकते हैं।
- अन्तस् 😊