कहानी - जल पिशाच

भाग 19

लेखिका - आस्था जैन " अन्तस्" 


जल पिशाच - भाग 19 

पिया और विभु  , उस गहरी काली सुरंग में नीचे ही नीचे उतरे चले जा रहे थे। धीरे धीरे काले अँधेरे में पीले रंग के प्रकाश ने सेंध लगानी शुरू कर दी।


सुरंग में हो रहे प्रकाश का स्रोत कहीं दिख नही रहा था लेकिन उस प्रकाश में पिया और विभु को वो सुरंग अब दिखने लगी थी। ये सुरंग पत्थर या किसी और पदार्थ की बनी हुई नही थी। बल्कि ये अँधेरे की ही सुरंग थी जिसके बीचोबीच हल्का पीला सा प्रकाश फैल रहा था। धीरे धीरे अँधेरे का क्षेत्र हम होता जा रहा था और पीले प्रकाश का क्षेत्र बढ़ता जा रहा था। 


धीरे धीरे पूरा अंधेरा पीले प्रकाश में बदल गया। पिया का हिमखंड रुक गया। ऐसा लग रहा था मानो किसी पीले प्रकाश के गोले में वे दोनों कैद हों। अचानक ही पीले रंग के प्रकाश में नारंगी रंग के गोल गोल चक्र बनने लगे जिनके अंदर लाल रंग के छोटे चक्र थे। जो घूमते हुए पूरे वातावरण में फैल रहे थे। पीले, नारंगी और लाल रंग आपस मे मिल रहे थे अलग भी हो रहे थे। 


थोड़ी देर तक अपने आस पास के इस नजारे को देखने के बाद विभु ने पिया से कहा - " सब हम अपने सवाल पूछ सकते हैं न " 


" आप प्रश्न कर सकते हैं" उस प्रकाश में से एक तेज आवाज उन दोनों तक आई। और पिया ने अपना सिर पीट लिया क्योंकि वे लोग अपनी चौथी मंजिल पार करके आये थे और अब चार सवाल पूछ सकते थे। लेकिन विभु ने एक सवाल यूँ ही बर्बाद कर दिया था ये पूछकर कि क्या अब वो सवाल कर सकता है।


" वो मैं तो बस याद दिला रहा था कि सवाल पूछ लो " विभु ने अपराधी भाव से कहा ।


" हर बात को सवाल की तरह मत बोला करो विभु, ऐसे भी बोल सकते थे न कि पिया अब तुम सवाल करो या मैं सवाल करता हूँ, एक सवाल बर्बाद हो गया । तुम्हे पता है न हमे कितना कुछ जानना बाकी है अभी " पिया ने सच मे गुस्से से कहा।


विभु ने हाँ में सिर हिलाया और बोला - " लेकिन भी हमारे पास 3 सवाल और बाकी हैं तुम उनमें सब कुछ पूछ सकती हो न " 


" नहीं , इस सवाल के बाद आप अभी 2 और सवालों के जवाब जान सकते हैं "फिर से वही तेज आवाज़ उस जगह गूँजी। 


विभु ने सदमे से अपने मुँह पर हाथ रख लिया और पिया का गुस्सा अब हद से बाहर हो रहा था।


वो विभु पे चिल्लाई - " हज़ार बार समझाओ पर तुम्हे कुछ समझ नही आता। हर बार गलती करते हो । तुम कभी सुधर नही सकते क्या"


 

" नहीं यह प्राणी कभी नही सुधर सकता " उसी तेज आवाज ने जवाब दिया।


अब पिया ने फिर से अपना सिर पीट लिया। इस बार गुस्से में उसने एक फालतू का सवाल किया था।


विभु कुछ कहने ही वाला था लेकिन पिया ने अपने हाथ से उसका मुँह बन्द कर दिया , कुछ सोचा और बोली - "जल पिशाचो को कैसे खत्म किया जा सकता है" 


वो आवाज गूँजी - " जल पिशाचो को खत्म करने के लिए उनकी शक्तियों को खत्म करना होगा। जल पिशाच अकेले नही है। उनके पास उनकी गुलाम लाशें हैं। जल प्रदूषक हैं। परन्तु वे जल प्रदूषक उनके नियंत्रण में नही हैं। जल पिशाचो की सभी शक्तियों को खत्म करने के लिए सबसे पहले बने जल पिशाच को वापस नरक भेजना होगा जैसा कि कई हज़ार सदियों पहले किया गया था। तभी सभी जल पिशाच और उनके गुलाम मृत देह में बदल जाएंगे। और उनका आतंक भी समाप्त हो जाएगा।" 


पिया ने फिर सवाल किया - " कई हज़ार सदियों पहले क्या हुआ था " 


लेकिन वो आवाज जा चुकी थी। 


पिया ने विभु के मुंह से हाथ हटा लिया। वो काफी निराश थी।


विभु ने उससे कहा - " निराश मत करो। इस पड़ाव से निकलने के बाद हम अपने सारे सवालों के जवाब हासिल कर लेंगें।" 


पिया -" जब यहाँ से निकलेंगे तब न , करना क्या है। हम अपनी चम्पो के साथ यहाँ हवा में अटके हैं। तीन तीन रंग की रोशनी के बीच। अब बताओ क्या करें. हर बार किसी न किसी मुसीबत में फंसते हैं तो उसमें से निकलकर पड़ाव पार करते है। लेकिन यहां तो लटके हुए हैं बस " 


विभु - " वो तुम अपनी किताब से पूछो न , उसे इस दुनिया का सब पता है न" 


पिया - " ठीक है। वो भी कोई पहेली ही दिखाएगी "


विभु - " अब हवा में लटके रहने से तो अच्छा है कि हम कोई पहेली ही सुलझा लें " 


पिया ने उस किताब को खोला और पूछा - " इस पड़ाव को कैसे पार करें" 


पिया के इतना पूछते ही वो किताब पीले , नारंगी और लाल रंग की आग के साथ जलने लगी। विभु ने उस किताब को हिमखंड पर पटक दिया। पिया विस्मित सी सब देख रही थी। किताब जल कर धुँआ हो गई।


" इतना मुश्किल सवाल नही करना चाहिए था " विभु ने कहा।


" अच्छा  ,  तो तुम कहना चाहते हो कि मैंने सवाल पूछा इसलिए वो किताब बुरा मान गई और जल गई " पिया ने विभु को गुस्से से घूरा। 


विभु -" नही मतलब मेरा वो मतलब नही था "


पिया - " किताब जली है तो इसका मतलब ये है कि यही पहेली  है उस जवाब के लिए "


विभु - " हें, ऐसा कैसे । किताब के जलने से इस जगह से निकलने का क्या कनेक्शन। हम दोनो आग लगा के जल जाएँ या इसी जगह में आग लगा दें। लेकिन यहाँ तो जलने के लिए हम दो ही लोग है और कोई चीज है नही जो जलेगी। 


"जलेगी नही पर पिघेलगी " पिया ने उस हिमखंड पर हाथ फेरते हुए कहा।


" चम्पो..."  विभु सदमे में बोला


पिया - " ये चारों तरफ जो रोशनी है वो दरअसल आग है। जिसके ताप से ये हिमखंड पिघल रहा है। इसकी तरफ हमारा ध्यान ही नही गया। अगर ये पूरा पिघल गया तो .."


विभु - "तो मेरा तो दिल टूट जाएगा "


पिया - " हाँ लेकिन तुम्हारे दिल के टूटने से पहले हम दोनों इस आग में गिर पड़ेंगे। अभी हम बचे हैं क्योंकि इस हिम खण्ड पर बैठे हैं"


विभु - " तो इस तीन रंग की आग को रोके कैसे। ये चारों तरफ है। हमारी चम्पो तो सच मे पूरी पिघल जाएगी। " 



तीन रंग की आग की मुसीबत से वे दोनो ही परेशान थे लेकिन समाधान फिलहाल उन दोनों के ही पास नही था।


क्रमशः ...