```





```जल पिशाच भाग 24


लेखिका - आस्था जैन "अन्तस्" 


आज वो गली मोहल्ला मन्दिर सब सुनसान पड़ा था जिन गलियों में कभी चिल्लम चिल्ली करते हुये कुछ पागल से दोस्त एक दूसरे के पीछे दौड़ा करते थे। कभी सुबह सुबह उठकर रामशरण भैया के टी स्टॉल पर चाय के साथ पंचायते होती थीं। तो कभी देर रात तक घर के बाहर बैठकर सब एक दूसरे की टांग खिंचाई के साथ साथ एक दूसरे के हाल चाल जानते रहते थे। कभी लड़के बच्चे शोर शोर मचा मचा कर पार्टी करते थे तो कभी सुबह से ही सती माई के मंदिर पर पूजा की तैयारियां होती रहती थीं। 


वो खुशी और चहलपहल से हमेशा रोशन रहने वाला मोहल्ला आज एकदम शांत था। पूरे ग़जरीगांव इलाके में भी मौत का सा मातम पसरा हुआ था। लेकिन वहाँ अधकटी लाशों के साथ साथ कही कही कोई जल पिशाच किसी जिंदा इंसान की तलाश में भटकता दिख जाता था। जबकि सती माई मोहल्ले में सिर्फ सन्नाटा था। मौत ने अभी तक वहाँ दस्तक नही दी थी। 




हिमशक्ति के साथ पिया और विभू उसी मोहल्ले की गलियों में आहिस्ते आहिस्ते आगे बढ़ रहे थे। रात बहुत गहरी थी लेकिन मकानों में जलती रोशनी से साफ पता चल रहा था कि मकानों के अंदर कैद लोग जाग रहे है। वे डरे हुए हैं और घबराए हुए भी हैं। 




" यही हमारा मन्दिर है " विभु ने मंदिर की ओर इशारा करते हुए कहा । 




" तुम अंदर जाना चाहते हो क्या " पिया ने पूछा


" हाँ, तुम भी आओ। इसी मंदिर की वजह से शायद ये मोहल्ला अब तक सुरक्षित है। " विभु ने कहा और धीरे धीरे मन्दिर की सीढ़ियां चढ़ने लगा। 




पिया भी उसके पीछे आई और हिमशक्ति भी। 




सबने अंदर सती माई की चार मूर्तियों के दर्शन किये। 


" इस मंदिर की कहानी क्या है विभु। मैंने सुना है कि यहाँ चार औरते सती हो गई थी अपने पति की चिता पर " पिया ने विभु से कहा।


" हाँ मैंने भी हमेशा से यही सुना है, हालांकि सती प्रथा गलत है लेकिन सब इस मंदिर को बहुत मानते हैं और यहाँ की सती माई को भी बहुत मानते हैं। यहां आकर लगता है मानो मां की गोद मे आ गए हो " विभु ने कहा।


" ये सती होने की बात लोगो की बनाई कहानी है। सच कुछ और ही है " हिम शक्ति ने उन मूर्तियों के पास जाकर उनके चरणों को चूमते हुए कहा। 




"ठीक है फिर , तुम ही बताओ ,क्या है असली कहानी" विभु ने पूछा। 




" ये जो बस्ती है वो एक श्मशान के ऊपर बसाई गई है।" हिमशक्ति ने कहा।




" क्या लेकिन तुमने तो कहा था कि ये एक राज्य था जिसके राजा तुम्हारे पिता थे " विभु ने हैरान होते हुए कहा




हिमशक्ति - " हां लेकिन वो राज्य हमेशा की तरह आबाद नही रहा था। जल पिशाच को नरक भेजने के बाद मैं तो उस दलदल में समा गया था लेकिन जिन लोगो को मारकर जल पिशाच ने अपने जैसा बना लिया था वे अब भी लोगो को नुकसान पहुँचा रहे थे। उनसे बचने का राज पुरोहित ने एक ही उपाय निकाला। पूरे राज्य की जनता को राजमहल में एकत्रित किया गया। जब इंसानों को ढूढ़ते हुए जल पिशाच राज महल में आये तो प्रजा के लोगो को एक गुप्त मार्ग से राज्य के बाहर निकाल दिया गया और राज महल में भीषण आग लगा दी गई। जिसमें वो सारे जल पिशाच जल गए।  तभी से राजमहल की इस जमीन को श्मशान की तरह प्रयोग किया जाने लगा। " 


पिया - " अगर जल पिशाचों को जलाकर खत्म किया जा सकता है तो फिर राजा के बनाये हुए प्रथम जल पिशाच को भी जलाकर खत्म कर देना चाहिए था। तुम्हे क्यों हिमशक्ति बनाया गया। " 




हिमशक्ति - " जलाकर सिर्फ वही जल पिशाच खत्म होते है जिन्हें प्रथम जल पिशाच ने इंसानी शरीरों के जरिये बनाया हो।   इंसानी शरीर जल कर खत्म हो जाता है। लेकिन प्रथम जल पिशाच को नही जलाया जा सकता था क्योंकि जब उसे बनाया गया तो वो बेहद शक्तिशाली था। उसे इंसानी शरीर की जरूरत ही नही थी। उसने जिंदा लोगो को मारकर जल पिशाच बनाया लेकिन अब जब वो दूसरी बार वापस आया है तो वो उतना शक्तिशाली नही है । उसे खुद के लिए भी उस वैज्ञानिक का शरीर लेना पड़ा, अपने जैसे और जल पिशाच बनाने के लिए भी वो जिंदा लोगो को नही मार सका बल्कि उसे लाशों को ही जल पिशाच बनाना पड़ा। और जैसा कि स्वामिनी ने देखा था कि हॉस्पिटल में भी वो जल पिशाच लाशों को ही जल पिशाच बना रहे थे। जिंदा लोगो को मारकर वो जल पिशाच बना ही नही पा रहे। बल्कि जिंदा लोगो को मारकर वो अपना गुलाम बना रहे है। "




 विभु - " हाँ ये बात तो हमे जलेश्वर लोक में भी बताई गई थी कि जल पिशाचों के साथ उनकी गुलाम लाशें है और प्रथम जल पिशाच को वापस नरक भेजने पर ये सब जल पिशाच और उसकी गुलाम लाशें खुद ही खत्म हो जायेंगी। " 




पिया - " हाँ, ये बात तो मैं बिल्कुल भूल ही गई थीं। इसकी वजह यही हो सकती है कि इस बार के जल पिशाच इतने कमजोर है कि प्रथम जल पिशाच के यहाँ से जाते ही वो सब खत्म हो जाएंगे। हमे सिर्फ प्रथम जल पिशाच को ही अपना निशाना बनाना है "




विभु - " लेकिन , इन सबसे  सती माइ के मंदिर की कहानी का क्या लेना देना "




हिमशक्ति - " लेना देना है। जब इस जगह बने राज महल को जलाया गया तब राज घराने के लोग और प्रजा इससे बाहर आ चुकी थी। लेकिन तभी कुछ लोगो को अहसास हुआ कि एक आदमी के शरीर में बदलाव आ रहे थे। वो आदमी जल पिशाच बन रहा था। लोगो ने उससे कहा कि वो भी आग में चला जाये लेकिन उसने मना कर दिया। उसकी कुछ ही महीनों पहले चार कन्याओं से शादी हुई थीं।  उसे अपनी चारो पत्नियों से बेहद मोह था। तब प्रजा की सुरक्षा के लिए उसकी चारो पत्नियों ने अपने पति को बलिदान देने के लिए मनाया। लेकिन वो आदमी नही माना। तब वे चारों उसे लेकर राजमहल की आग में कूद पड़ीं। जिस जगह शैतानो को जलाया जा रहा था उसी जगह चार पवित्र आत्माओं ने अपना बलिदान दे दिया था। सैकड़ो शैतानों की बुराई पर उन चार स्त्रियों की देशभक्ति भारी पड़ गई और लोग इस जगह को उनका मन्दिर बना कर पूजने लगे। पूजा तो जारी रही लेकिन समय के साथ कहानी बदल गई। आज भी इन्ही महान आत्माओं के बलिदान का प्रभाव है कि जल पिशाच इस जगह कदम भी नही रख पाए रहे हैं " 




" और इन्ही महान आत्माओं की आराधना का ये फल है कि हम जल प्रदूषक बनके भी उन शैतानो की तरह बुरे नही बने है " वासु की रुँधी हुई लेकिन तेज आवाज उन सबके कानो में पड़ी। जब उन्होंने मुड़कर देखा तो मन्दिर के बाहर वासु, राधे और खन्ना जी को खड़ा पाया। 


विभु दौड़कर वासु और राधे के गले से लग गया और पिया अपने पापा के सीने से लगकर बेतहाशा सुबकने लगी। 


एक अरसे के बाद एक दूसरे से मिलकर वे सब बेहद भावुक हो उठे थे । हिमशक्ति एक ओर खड़ा ये सब देख रहा था।




" तू जिंदा है वासु, तू जिंदा है राधे, ओये मेरे जान से प्यार दोस्त तुम दोनों कमीने जिंदा हो " विभु रोते हुए खुशी से बोल रहा था। 




" जब तू हरामी जिंदा है तो हम दोनों कमीने कैसे मर जाते हमें भी जिंदा रहना था न तेरे लिए " वासु ने भी रोते हुए कहा।




" पापा , ये .... क्या हो गया है आपको" पिया ने अपने पापा को गौर से देखते हुए परेशानी से कहा। 


वासु और राधे ने भी खन्ना जी की तरफ देखा और उन्हें भी काफी बदलाव नजर आए। खन्ना जी की आँखे पहले से ज्यादा काली थीं। चेहरे पर भी कई जगह काले गहरे दाग थे। और शरीर भी पहले से ज्यादा बड़ा और फूला हुआ लग रहा था। 


तभी उन्होंने वासु और राधे की भी हालत देखी , वे बेहद कमजोर दिख रहे थे। और उनके चेहरे और हाथों पर फफोलों के निशान थे। 


" बताइये न खन्ना सर ,ये क्या हुआ है आपको और वासु राधे तुम दोनों भी इतने अजीब क्यों लग रहे हो " विभु ने उन तीनों को हैरानी परेशानी से देखते हुए कहा। 


" क्या जल पिशाचों ने आप सब पर हमला किया था " हिमशक्ति ने आगे आकर पूछा।




" तो यही वो बर्फ़ का आदमी है जिसे खोजने के लिए तुमने फार्महाउस के पास का दलदल खुदवाया था और उसके बाद तुम और विभु अचानक गायब हो गए थे "  खन्ना जी ने पिया से पूछा। 




" हाँ पापा, यही वो बर्फ़ का इंसान है। ये हिमशक्ति है " पिया ने कहा।




" और प्यार से हम दोनों इन्हें चम्पो कहकर बुलाते हैं " विभु ने हिमशक्ति के पास जाकर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा।




" वो दरअसल पापा, मैं और विभु गायब होने के बाद ......" पिया ने गायब होने से लेकर जलेश्वर लोक की सारी कथा, प्रथम जल पिशाच थॉमस और हिमशक्ति की पुरानी कहानी भी उन लोगो को कह सुनाई।


" जल संरक्षक , बहुत सही है भाई। तुम दोनों को जलेश्वर से इतनी अच्छी शक्तियाँ मिली है। हम को देखो साला वो थॉमस तांत्रिक ज्यादा वैज्ञानिक कम ने सड़ा गला कर पता नही क्या बना दिया है। " वासु ने उदास होते हुए कहा।




" मुझे लगता है कि तुम दोनों वही दो जल प्रदूषक हो जिनके बारे में हमे जलेश्वर लोक में बताया गया था जिनके पास जल पिशाच की शक्तियां तो है लेकिन उसका प्रयोग वे उनके खिलाफ ही करेंगे "पिया ने कहा। 


" हाँ वासु, जब मैंने तुम्हें और राधे को उस लैब में कैद देखा था तो मैं बहुत डर गया था लेकिन तुम दोनों आज मेरे सामने सही सलामत खड़े हो तो इसका मतलब यही है कि तुम्हे भी तुम्हारी शक्तियां इन जल पिशाचों को खत्म करने के लिए मिली हैं " विभु ने उसे समझायम


" विभु और पिया सही कह रहे है वासु, हमे जो हो चुका है उसके बारे में न सोचकर जो गलत शक्तियाँ हमे मिली है उनके सही प्रयोग के बारे में सोचना चाहिए" राधे ने कहा।




" लेकिन स्वामिनी के पिताजी ने अबतक हमे ये नही बताया कि इनके साथ क्या हुआ था जो इनकी दशा इतनी बदल गई है" हिमशक्ति ने उनसे पूछा।




" तुम लोगो के गायब होने के बाद की ही रात को जल पिशाचो ने पूरे शहर पर हमला कर दिया था। मुझपर भी लॉकअप में एक जल पिशाच ने हमला कर दिया था। जिसकी वजह से मेरा शरीर घायल हो गया था और सिकुड़ने ही लगा था। मैं संयोगी परी नेहा संवर और उस थॉमस के साथ गाड़ी में ही था। उन्ही बच्चो ने मुझे प्यास लगने पर पानी पिलाया। फिर हम फार्महाउस गए। वहाँ मेरे शरीर मे कई भयानक बदलाव होने लगे। तभी जल पिशाचो की गुलाम लाशों ने वहां हमला कर दिया। मैंने अनजाने ही उन सबको वश में करके खत्म कर दिया। 


मैं नही जानता कि मैं क्या बन चुका हूँ लेकिन मैं अब भी सिर्फ लोगो को सुरक्षित रखना चाहता हूँ । " खन्ना जी ने कहा।




" वो प्रथम जल पिशाच थॉमस आप लोगो के साथ था और उसने आपको कोई नुकसान नही पहुँचाया?" हिमशक्ति ने पूछा।




" पहले तो वो ऐसे दिखा रहा था जैसे कि मुझसे डर रहा हो लेकिन जब नेहा ने परी को घायल कर दिया तो हम लोग हॉस्पिटल गए। परी की मरहमपट्टी करके मैं और संवर उसे ग़जरीगांव से बाहर ले गए। तब यहाँ थॉमस ने नेहा को मार डाला और वहां से भाग गया। तब हॉस्पिटल में कई सारे जल पिशाच और उनके गुलाम घुस आए फिर संयोगी को उनसे बचाने के लिए नेहा की आत्मा ने अपने शरीर को आग लगा दी और बेहोश संयोगी को हमारे पास ले आई।  नेहा ने ही हमें थॉमस के बारे में सब कुछ बताया और यह भी बताया की सती माई मोहल्ले में बहुत से लोग जिंदा और सुरक्षित हैं इसीलिए मैं बिना देर किए गजरी गांव आ गया । अभी परी और संयोगी हॉस्पिटल में एडमिट है और संवर मनेरी के प्रशासनिक अधिकारियों को गजरी गांव के हालातों के बारे में जानकारी दे रहा है जल्दी ही हमें मनेरी के प्रशासन से मदद मिलेगी लेकिन यहां मची मौत की तबाही को देखकर ऐसा लगता है कि संवर ठीक कह रहा था कि इंसानों के बस का नहीं है जल पिशाच को रोक पाना। अब हमें जो भी करना है बहुत सोच समझ कर करना है नेहा को मारने के बाद से वह पहला जल पिशाच थॉमस गायब है हमें सबसे पहले उसी को ढूंढना है और इस इलाके में जो भी भी जिंदा या घायल मिले उसे इस मोहल्ले तक लेकर आना है जितनी जानों को हम बचा पाएंगे उतना ही बेहतर है क्योंकि सबका जल  पिशाच का गुलाम बनाना बन जाना ठीक नहीं है जब तक सती माई मोहल्ले मैं कुछ लोग सुरक्षित हैं वे जल पिशाच गजरी गांव को छोड़कर दूसरे इलाके में नहीं जाएंगे लेकिन अपनी गुलाम लाशों को वे दूसरे इलाकों में भेजकर तबाही मचा सकते हैं । मैने खुद ग़जरीगांव वापस आते समय रास्ते मे सिर्फ जल पिशाचों के गुलामो को ही देखा था। वे जरूर ग़जरीगांव से बाहर के इलाके मे भी फैल रहे है।  इसलिए जरूरी है कि कुछ लोग इलाके में जिंदा बचे लोगों को रेस्क्यू करके इस मोहल्ले तक लाए और कुछ लोग जाकर प्रथम जल पिशाच को ढूंढ कर लाएं।" खन्ना जी ने सारी परिस्थिति सबके सामने रख दी थी खन्ना जी की बात को समझते हुए विभु ने कहा -" मेरे ख्याल से थॉमस को ढूंढने के लिए मुझे और पिया को जाना चाहिए क्योंकि हमारे पास जलेश्वर की दी हुई और जल प्रशासन की विधि हुई शक्तियां हैं और खन्ना सर वासु राधे आप आप तीनों हो तीनों को इसी इलाके में रहकर जिंदा लोगों को बचाना चाहिए क्योंकि खन्ना सर गुलाम लाशों को अपने वश में कर सकते हैं और वासु और राधे भी उनकी मदद कर सकते हैं क्योंकि ये दोनों जल प्रदूषक है और अपनी चम्पो को इस मोहल्ले की सुरक्षा के लिए छोड़ जाएंगे तब तक मनेरी से भी कोई ना कोई मदद मिल ही जाएगी मुझे बेहद दुख है कि नेहा अब हम लोगों के साथ नहीं है लेकिन हम उसकी कुर्बानी बेकार नहीं जाने देंगे विभु की बात सुनकर सब ने  सहमति में सिर हिलाया लेकिन हिम शक्ति उसकी बात से असहमत था। उसने कहा -" मेरे पास इतनी शक्तियां नहीं है की मैं इस जगह की सुरक्षा कर सकूं और हम यह भी नहीं जानते के सती माई के मंदिर का प्रभाव कब तक इस मोहल्ले को सुरक्षित रख पाएगा जैसे-जैसे जेल प्रशासन जल विशाल की संख्या बढ़ती जाएगी जिंदा लोग कम होते जाएंगे वैसे वैसे ही मंदिर की शक्तियां में भी कम होती जाएगी क्योंकि इस जगह का प्रभाव लोगों की आस्था और विश्वास से है। जब विश्वास करने वाला ही नही बचेगा तो विश्वास कैसे जिंदा रह सकेगा। " 




" हम जगाए रखेंगे विश्वास, जब तक ई बिपदा इहाँ से नही जाएगी हम सब मोहल्ले के लोग इसी मन्दिर में पूजा करेंगे। " राम शरन भैया ने मन्दिर के अंदर आते हुए कहा।




" हम सबकी बातें सुन रहे थे बाहर से। हम सब मोहल्ले वालों को सब समझा देंगे। आप सब लोग अपने अपने काम के लिए बेफ़िक्र होकर जाओ। " राम शरण भैया ने सबसे कहा।


" हम जरूर जायेंगे राम शरण भैया, लेकिन बहुत जल्द वापस आएंगे आपके पास। आप को सब मोहल्ले वालों का ध्यान रखना है। हमारी हंसती खेलती दुनिया पूरी तरह उजड़ चुकी है , अब इस तूफान में से हम जितने भी लोगो को बचा सकें हमे बचाना है" विभु ने राम शरण भैया के गले लगते हुए कहा।


" जाओ बिभूति बेटा, जाओ। और उन जल पिशाचो को खत्म करके जल्दी वापस आना। फिर देखना सब ठीक हो जाएगा और इसी मंदिर में तुम सातों दोस्त फिर से पूजा करोगे। " राम शरण भैया ने अपनी गीली आँखे पोंछते हुए कहा। 




" तो फिर तय रहा, पिया तुम और विभु थॉमस को ढूढ़ने निकलो। मैं वासु के साथ इलाके के जिंदा लोगो को रेस्क्यू करूँगा । क्योंकि हिम शक्ति के पास ज्यादा शक्तियाँ नही है इसलिए राधे इसी मोहल्ले में रहकर यहाँ के लोगो की सुरक्षा करेगा। हिमशक्ति  एक जगह से दूसरी जगह जाने में मदद कर सकता है इसलिए मैं इसे अपने साथ ले जाता हूँ। ज्यादा लोगो को जल्द से जल्द यहाँ लाने में आसानी रहेगी। " खन्ना सर ने सबको प्लान समझाया और पिया के माथे को चूमकर वे वासु और हिमशक्ति के साथ चले गए। विभु और पिया भी थॉमस को ढूढ़ने के लिए निकल गए। 


वहीं दूसरी तरफ संवर को मनेरी से पुलिस और प्रशासन की मदद मिल गई थी। वो अच्छी खासी पुलिस फोर्स के साथ ग़जरीगांव की ओर ही आ रहा था। 


क्रमशः .....